तलाश
जिस्म के कद्रदान तो कई होंगे, हमें तो रूह-ए-उन्स की तलाश है।
जिस्म के कद्रदान तो कई होंगे, हमें तो रूह-ए-उन्स की तलाश है।
कछुआ और खरगोश दौड लगाएगे अधूरे हैं दोनों मंजिल कैसे पायेगे मुश्किलें हो जाएगी आसान जब दोनों दोस्त हो जाएंगे
सब कुछ मान कर जो पालते रहे बीपत्तियों का काँटा निकालते रहे बुढ़ापा मे वो असहाय हो गए कपूत घर से बाहर निकालते रहे
मधुशाला में ताला न लगाइए अभी नशा चढ़ा ही नहीं। कुछ यादें और ताजा होने दीजिए अभी तक पैमाने को लब से लगाया ही नहीं।।
यादों की मरहम भी क्या मरहम है। बेरहम भी मरहम पर जीने लगे है।। काश.. यह मरहम मर्ज़ नहीं होते। हम और आप आज कैसे…
जुल्म की दुनिया में कदम रखने वाले अभी समय है पीछे हटा ले मरने के बाद भी सुख नहीं पाएगा जीते जी दुनिया को स्वर्ग…
पाना चाहते हो तो खोना सीखो हँसने से पहले रोना सीखो पाना चाहते हो प्यार अगर प्रेम के बीज बोना सीखो
धार्मिक कैसे कहे जो धर्म के नाम पर लड़ जाते हैं मत पाने के लिए कुछ लोग दंगे करवाते हैं चोला पहनने से कोई संत…
तुम्हारे नाम की मेंहदी लगाई उसने हाथों में। मेरे जज़्बात बन के रह गए इतिहास की बातों में।।
तू रहे आबाद कोई गम ना हो तेरी आंखें दर्द से कभी नम ना हो हमनें बहुत देखें हैं अपने जीवन में दुख ईश्वर से…
आजकल सावन में सारहीन अकविताओ का प्रभाव हो गया है शायद श्रेष्ठ कवि होने का दावाव हो गया है कवियों का मौन कुछ कहता है…
तुम्हारी नाराजगी को मैं हरगिज समझती हूं अपनी गलतियों को भी खूब समझती हूं पर इंसान हूँ गलती तो हो ही जाती है अपनों से…
बड़ी भयानक ये महामारी है ब्लैक फंगस का भी कहर जारी है बताओ तो भगवान् क्या दुनिया के अंत करने की शुरू हुई तैयारी है
पागल हाथी की तरह कोरोना आया पूरे देश में तबाही मचाया मंदिर मस्जिद बंद है कहाँ जाए गिन नहीं सकते इतने चिता जलाया
हाल मत पूछो बच्चो के रखवालों से बंद पड़े हैं स्कूल यहां सालो से जान है तो जहां है समझाते रहे पंक्षी उड़ रहे असमय…
न जाने कब घर से बाहर निकल पाएंगे कब तक कोरोना योद्धा मारे जाएगे दिल की धड़कन बढ़ जाती है समाचार सुन आखिर कब तक…
पैसा कमाने के चक्कर में अपनो को भूल गए मिल गए पैसे तो सेठ जैसे फूल गए सब कुछ नहीं है पैसा एहसास हुआ जब…
सच्चे मन से की गयी प्रार्थना कबूल होती है माफ कर सकता है ईश्वर जो भूल होती है मत बनो नास्तिक इसी में भलाई है…
मत उछल ऊँट जैसे. मन पहाड़ के नीचे खड़ा है कोई न कोई जरूर तुझसे बड़ा है सबसे शक्तिमान होने के सपने न देख हर…
मत गिराओ कविता का स्तर कविता डर जाएगी पाठको और श्रोताओं की उम्मीद मर जायेगी हर कोई कवि बनकर कुछ कहना चाहता है जब कोई…
कहते तो बहुत है मगर सुनता कौन है सब नेता हैं गद्दार तो इन्हे चुनता कौन है दिखावा विलासिता के सामान लाए हो मेहनत है…
हंसी का महत्व क्या जाने जो रोए नहीं है पाने का महत्व क्या जाने जो खोए नहीं है नीद भूख प्यास की कीमत उनसे पूछो…
छल का चेहरा आलिंगन करने चला है हार के डर से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है मुह में राम नाम बगल में छूरी है वैर…
कुल्हाड़ी ले के हाथ में वो काटने चली है मिलजुल के रह रहे थे वो काटने चले है हर हाल में उन्हे कुर्सी को बचाना…
मत करो महाभारत सब नाश हो जाता है राम चरित मानस मन क्यूँ नहीं दुहराता है लालच व भय के वशीभूत मत तुम हो विग्यान…
नफरत नहीं उगेगी यहां प्रेम बोया जाता है संप्रदाय है नहीं जो भाई को लड़ाता है सज्जन का वेश लेकर रावण है फिर चला होगा…
हर बार पड़ी जिसको मुह की खानी है पर छोडता नहीं तू क्यूँ शैतानी है अस्तित्व ही मिट जाएगा धरा से तुम्हारा इक्कीसवीं सदी के…
हर बुर. कर्मो का परिणाम आएगा बोया अगर बबूल आम नहीं खाएगा सोच समझ कर ही कदम बढ़ाना भली राह चल वरना पछताएगा
शांति और एकता की जंग को लडा अहिंसा और प्रेम को जिसने किया बड़ा पिता कहकर जिनका सम्मान करते हैं जग में न दिखता कोई…
जिसने सदा ही शांति का संदेश दिया है विश्व गुरु के पद पर आसीन किया है आए कई तूफान जिनका सामना किया भारत ने सुधा…
मां की ममता का कोई मोल नहीं, _________________________ कुदरत के नवाजे इस तोहफ़े से कोई तोहफा अनमोल नहीं।
मेरी तन्हाईयों को अब और ना सताओ मुझे रातों में अब और ना जगाओ यूँ तो हम भी तुम्हें इश्क करते हैं पर बार-बार मेरे…
मानो अगर मानव संसार ही परिवार है फिर क्यूँ उठा रहे बंदूक औ तलवार है इंसानियत के नाते सहयोग सबका करना कर्तव्य कर संसार में…
पाया है मानव तन तो उपकार कीजिए छोटे बड़े सभी से ही प्यार कीजिए उदर भरना जानवार भी जानते हैं खूब नफरत से नहीं प्रेम…
मिलता रहे प्यार अपनो से दूर ना हो कर न सके बात इतना मजबूर न हो समझे एक दूसरे के जज्बात को किसी भी परिस्थिति…
मत करो प्रार्थना बाधाओं को आने दो मुकाबला करो और जाने दो हिम्मत रखो तो बाधा॒एं झुक जाती है कह दो बाधाओं से रोयेंगे नहीं…
नदी के किनारे है जीत और हार नदी का बहता पानी है तुम्हारा प्यार नौका की जरूरत नहीं साथ रहो पार कर जाएंगे नदी की…
अपनो से कैसी प्रतियोगिता हम हार जाएंगे आँगे बढ़ेगे अपने हम मल्हार गाएंगे तुम्हारी ऊंचाइयों की छाँव में रहकर हम जीने के लिए तुमसे उपहार…
मुश्किलों का दौर है घबराए गे नहीं घर के बाहर अभी जाएगे नहीं छुआ छूत की बीमारी आई है सावधान रहेगे तो पछताएगे नहीं
वो भी योद्धा है जो जंग के मैदान में हार जाते हैं पूंछता नहीं कोई समाज वाले भी मार जाते हैं सहानुभूति की जरूरत है…
मुह जो नहीं कह सकता वो कलम कहेगी जुल्म होगा तो चुप नहीं रहेगी कलम को मत मानो कमजोर हथियार अत्यचारियों के रक्त की धारा…
सहयोग, श्रम, शांति बहुत जरूरी है करते रहे प्रयास भले मजबूरी है मानवता के आभूषण है तीनो इनके बिना मानवता अधूरी है
कविता विचारों को व्यक्त करने का बहाना है कविता सच्चाई को सुनना और सुनाना है कविता अक्सर बन जाती है अपने आप कविता संसार से…
एक रोटी के लिए अक्सर कुत्ते लड़ जाते हैं आदमी वो है जो मिलबाँट कर खाते हैं आदमी वो है भूखे रहकर मां की तरह…
मन को परेशान मत करो गंदे विचारों से सीख लिया करो कुछ नदी के किनारों से मस्तिष्क में आएगे भूकंप के झटके बच कर रहना…
रिमझिम रिमझिम बरस रहा पानी है चल रही शीतल हवा शाम ये सुहानी है हरी हरी घास से धरती करे मुस्कान कह रही प्रिय तम…
परिवर्तन प्रकृति का नियम है बदल जाएगा कोरोना संसार से सदा के लिए भाग जाएगा फिर से पटरी में दौड़ेगी समय की ट्रेन इंतजार कर…
आजकल मन बहुत उदास है ना जाने इसे किसकी तलाश है मुश्किल भरे दौर को बनाना खूबसूरत और खास है
दुख दर्द किसको सुनाए सब अपने मे खोए हुए हैं बुरा सपना देखकर जागे हम सब सोए हुए हैं मन का बोझ हल्का होता कुछ…
गम के दौर में भी खुशी खोज लेना है बांट ले दुख दर्द अपनो का साथ देना है घर में हंसी खुशी का वातावरण रहे…
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