कपूत

सब कुछ मान कर जो पालते रहे बीपत्तियों का काँटा निकालते रहे बुढ़ापा मे वो असहाय हो गए कपूत घर से बाहर निकालते रहे

मधुशाला

मधुशाला में ताला न लगाइए अभी नशा चढ़ा ही नहीं। कुछ यादें और ताजा होने दीजिए अभी तक पैमाने को लब से लगाया ही नहीं।।

मरहम

यादों की मरहम भी क्या मरहम है। बेरहम भी मरहम पर जीने लगे है।। काश.. यह मरहम मर्ज़ नहीं होते। हम और आप आज कैसे…

तू आबाद रहे

तू रहे आबाद कोई गम ना हो तेरी आंखें दर्द से कभी नम ना हो हमनें बहुत देखें हैं अपने जीवन में दुख ईश्वर से…

शिकायत

तुम्हारी नाराजगी को मैं हरगिज समझती हूं अपनी गलतियों को भी खूब समझती हूं पर इंसान हूँ गलती तो हो ही जाती है अपनों से…

तबाही

पागल हाथी की तरह कोरोना आया पूरे देश में तबाही मचाया मंदिर मस्जिद बंद है कहाँ जाए गिन नहीं सकते इतने चिता जलाया

कब तक

न जाने कब घर से बाहर निकल पाएंगे कब तक कोरोना योद्धा मारे जाएगे दिल की धड़कन बढ़ जाती है समाचार सुन आखिर कब तक…

कौन है

कहते तो बहुत है मगर सुनता कौन है सब नेता हैं गद्दार तो इन्हे चुनता कौन है दिखावा विलासिता के सामान लाए हो मेहनत है…

महत्व

हंसी का महत्व क्या जाने जो रोए नहीं है पाने का महत्व क्या जाने जो खोए नहीं है नीद भूख प्यास की कीमत उनसे पूछो…

प्रेम

नफरत नहीं उगेगी यहां प्रेम बोया जाता है संप्रदाय है नहीं जो भाई को लड़ाता है सज्जन का वेश लेकर रावण है फिर चला होगा…

भारत

जिसने सदा ही शांति का संदेश दिया है विश्व गुरु के पद पर आसीन किया है आए कई तूफान जिनका सामना किया भारत ने सुधा…

बाधाएं

मत करो प्रार्थना बाधाओं को आने दो मुकाबला करो और जाने दो हिम्मत रखो तो बाधा॒एं झुक जाती है कह दो बाधाओं से रोयेंगे नहीं…

हार जाएंगे

अपनो से कैसी प्रतियोगिता हम हार जाएंगे आँगे बढ़ेगे अपने हम मल्हार गाएंगे तुम्हारी ऊंचाइयों की छाँव में रहकर हम जीने के लिए तुमसे उपहार…

कलम

मुह जो नहीं कह सकता वो कलम कहेगी जुल्म होगा तो चुप नहीं रहेगी कलम को मत मानो कमजोर हथियार अत्यचारियों के रक्त की धारा…

कविता

कविता विचारों को व्यक्त करने का बहाना है कविता सच्चाई को सुनना और सुनाना है कविता अक्सर बन जाती है अपने आप कविता संसार से…

आदमी

एक रोटी के लिए अक्सर कुत्ते लड़ जाते हैं आदमी वो है जो मिलबाँट कर खाते हैं आदमी वो है भूखे रहकर मां की तरह…

पानी

रिमझिम रिमझिम बरस रहा पानी है चल रही शीतल हवा शाम ये सुहानी है हरी हरी घास से धरती करे मुस्कान कह रही प्रिय तम…

परिवर्तन

परिवर्तन प्रकृति का नियम है बदल जाएगा कोरोना संसार से सदा के लिए भाग जाएगा फिर से पटरी में दौड़ेगी समय की ट्रेन इंतजार कर…

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