जय हिन्द

ये  अजूबा  किसने  कर दिया फक्त एक मुट्ठी मैं सारा हिन्द इकट्ठा कर दिया तीन ही रंगों मैं सारा हिन्द बया कर दिया केसरी है…

गणतंत्र

राजा-शासन गया दूर कही, गणतंत्र का यह देश है | चलता यहाँ सामंतवाद नहीं, प्रजातंत्र का यह देश है | दिया गया है प्रारब्ध देश…

कचरेवाली

इक कचरेवाली रोज दोपहर.. कचरे के ढेर पे आती है.. तहें टटोलती है उसकी.. जैसे गोताखोर कोई.. सागर की कोख टटोलता है.. उलटती है..पलटती है..…

बचपन

जो बेबसी देख रहे हैं हम आज उनके चेहरो में , वो ढूंढेंगे दो वक्त की रोटी कूड़े पड़े जो शहरों में ! जात,पात,दुनियादारी उन्हें…

बचपन

  जो बेबसी देख रहे हैं हम आज उनके चेहरो में , वो ढूंढेंगे दो वक्त की रोटी कूड़े पड़े जो शहरों में ! जात,पात,दुनियादारी…

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