आज सोंचा

July 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज सोंचा कि थोड़ा मुकम्मल हो लूँ
जहान को अपने खुशियों से रोशन कर लूँ।

पर्दाफाश

July 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

क्या अपराधी मार देने से इन्साफ हो गया।
आज क्या शह देने वालों का पर्दाफ़ाश हो गया।

विकास दुबे

July 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मर गया आज एक और रावण
मगर रामराज़्य की कोई उम्मीद नहीं
जब शह देने वाले जीवित हैं तो
गुंडाराज खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं।

बेहाल मजदूर

June 7, 2020 in Poetry on Picture Contest

आया ‘कोरोना वायरस’ सबसे
ज्यादा हम बेहाल हुये।
सच कहता हूँ हम
मजदूरों के बहुत ही बुरे हाल हुये।
छूटा रोजगार तो,
दाल रोटी के लाले हो गये।
मकान मालिक भी किराये के,
तलाशी हो गये।
हम मजदूर,मजबूर,
बेबस व लाचार बन गये।
उठा झोला परिवार संग,
घर की ओर चल दिये।
न ट्रेन,न ही मोटरकार,
और न ही कोई बस मिली।
पैदल ही चले क्योंकि न,
कोई और आशा दिखी।
हम गिरे,गिरकर फिर उठे,
चल दिये,चलते गये।
खुद रोये,खुद चुप हो गये,
आगे बढ़े,बढ़ते गये।
भूख,प्यास से हम जूझते गये
फिर भी आगे बढ़ते गये।
पैरों के छालों की ना फ़िक्र की,
हम आगे चलते गये।
जो आयी विपदा उसके
हम गरीब न जिम्मेदार है।
जो रईस आये विदेश से
वही असली कर्णधार है।
तुम ‘एअरपोर्ट’ पर अच्छे से,
उनकी जाँच करते।
होते लक्षण तो उन्हे वही,
क्वारेंनटाईन करते।
न फैलता वायरस और हम सब,
सुरक्षित बच जाते।
चन्द रईसों के चक्कर मे यूँ,
न हम दर-दर की ठोकर खाते।
करनी इनकी थी बदनामी पर बदनाम,
हम गरीब मजदूर हो गये।
इन पासपोर्ट्स के चक्कर में,
राशनकार्ड के चिथड़े उड़ गये।”

ए हो पिया!

June 3, 2020 in अवधी

बदरी घिरि आई ए हो पिया!
रिमझिम बरसत छम से बदरिया

आजाद फिज़ाओ में

June 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आजाद फिज़ाओ में बस है एक ही नाम
बाँके बिहारी राधे राधे श्याम

तेरी याद

June 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बेबाक निशानियाँ रह गई बस
तेरी याद ही रह गई बस

गूंजती फ़िजाओ में

June 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गूंजती फ़िजाओ में रंग कितनें बिखरे हैं
और रेशम के धागे भी उलझे हैं,
कितनी मशरूफ है ज़िन्दगी अपनी
हम भी उलझे हैं वो भी उलझे हैं ।

गम नहीं

June 1, 2020 in Other

गम नहीं किसी बात का बड़े आराम से हूँ
बहुत बार मैंने बुलंदियां हासिल की है

दो चार

June 1, 2020 in Other

दो चार बातों में लगा लिया है दिल को
तुम कब आओगे किस इंतजार में पलके बिछा कर बैठे हैं

गुजारिश

May 31, 2020 in Other

मैं गुजारिश करता हूं तुझसे तू
सामने नहीं आ सकती पर ख्वाबों में
आ मेरे दर्द खुद एक और मेरे दर्द पर
मेरे घाव पर एक मरहम की पट्टी तो लगा
मैं गुजारिश करता हूं तो तुझसे।

गुजारिश

May 31, 2020 in Other

मैं गुजारिश करता हूं तुझसे तू
सामने नहीं आ सकती पर ख्वाबों में
आ मेरे दर्द खुद एक और मेरे दर्द पर
मेरे घाव पर एक मरहम की पट्टी तो लगा
मैं गुजारिश करता हूं तो तुझसे।

विडंबना

May 31, 2020 in Other

जो नारी 9 महीने पेट में पालती है
उसी को सब गाली क्यों देते हैं
जिसकी वह पूजा करनी चाहिए
सर पर बिठाना चाहिए
उसे लोग पैरों की जूती क्यों समझते हैं यह विडंबना है
हमारे देश की।

कुछ देर में

May 31, 2020 in Other

कुछ देर में सारा खेल खत्म हो जाएगा
क्योंकि तेरी नफरत भी खत्म हो जाएगी
और मेरा प्यार भी खत्म हो जाएगा
मेरी आखरी सांस बची है
कम से कम अब तो तू इश्क का
इजहार कर ले और अपनी नफरत दूर कर ले।

गम बटोर

May 31, 2020 in Other

गम बटोर लाई है चांदनी रातें
और फुर्सत ही नहीं देती है
तेरी दर्द की आहे
तेरे दिए दर्द ंंमुझको बार-बार याद आते हैं

अहंकार

May 31, 2020 in Other

सच सभी जानते हैं क्या है
बस तेरी ही आंखों पर पट्टी बंधी है
क्योंकि तूने जो अहंकार की पट्टी
अपनी आंखों पर बचपन से बांध रखी है
वह कभी हटाने की कोशिश ही नहीं की

अहंकार

May 31, 2020 in Other

सच सभी जानते हैं क्या है
बस तेरी ही आंखों पर पट्टी बंधी है
क्योंकि तूने जो अहंकार की पट्टी
अपनी आंखों पर बचपन से बांध रखी है
वह कभी हटाने की कोशिश ही नहीं की

सब पूछते हैं

May 31, 2020 in Other

सब पूछते हैं मेरा हाल कैसा है
मैं क्या जवाब दूं
तेरा नाम बदनाम हो जाएगा
क्योंकि तूने ही तो मुझे बर्बाद किया।

मसरूफ

May 31, 2020 in Other

बहुत मशरूफ है हम अपनी जिंदगी में
पर कभी-कभी वक्त निकाल लेते हैं
तुम्हारे लिए
तुम्हारे पास भी थोड़ा समय हो
हमारे लिए तो
हमारे दिल की धड़कनों को कभी कान
लगाकर सुनो तो वह सिर्फ तुम्हारा ही नाम लेती है

दोस्त ने

May 31, 2020 in Other

दोस्त ने ही दोस्त को मार डाला भरे
बाजार में और दोस्त देखता रहा कुछ करना पाया
अपने दोस्त की निर्मम हत्या देखकर
होठों को सिला ही रखा

गाय की सेवा

May 31, 2020 in Other

गाय की सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है
उसमें हजारों देवताओं का वास होता है
और गाय का मांस खाना
बहुत ही बड़ा पाप है तो गाय की सेवा करें
क्योंकि वही है जो बिना कुछ लिए हमें देती है

बुलंदियां

May 31, 2020 in Other

बुलंदियां पाना इतना आसान नहीं तन मन से मेहनत करनी पड़ती है और खून पसीना बहाकर एक करना पड़ता है

जमावड़ा

May 31, 2020 in Other

अपने आस पास देखा तो जमावड़ा था ऐसे लोगों का
जो सिर्फ ंमजदू का माखौल उड़ा रहे थे
सहायता करने के लिए कोई नहीं ।

दो जून की रोटी

May 31, 2020 in Other

दो जून की रोटी कमाने निकला था ंमजदूर
घर वापस आया तो दर्द के सिवा कुछ नहीं था ।

दर्द

May 31, 2020 in Other

मजदूर का दर्द कोई ना जाने
बस सब बाते करते हैं
वह खाता है सूखी रोटी
सब माखौल उड़ाते हैं

कोरोना का संकट

May 31, 2020 in Other

कोरोना का संकट खत्म नहीं हो रहा है और
लॉक डाउन खत्म हो गया है
अब तो तू ही एक सहारा है हे रघुनंदन!

नसीब

May 31, 2020 in Other

नसीब में नहीं है उसके पीछे क्या भागना
रात रात भर जग कर ख्वाइशों के जुगनू
बन्द करना ।

हम गरीब

May 31, 2020 in Other

हम गरीब सही तू अमीर सही
मगर
तेरे घर की रोटी
मेरे ही खून पसीने से आती है ।

C.aa

May 31, 2020 in Other

शरजिल इमाम को देशद्रोही घोषित किया मगर
C A Aपर कोई बड़ा फैसला अभी तक नहीं किया गया है
क्यो इतनी देरी हो रही है इनको फासी की सजा सुनाने में?

डूब जाना तो

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

डूब जाना तो आसान है मगर
डूब कर पार होना
बड़ा मुश्किल ।

कश्ती

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चप्पे-चप्पे पर नज़र रखता हूँ
मैं तो कश्ती हूँ
जो हर दरिया पार करता हूँ ।

मोहलत कम दी है

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मोहलत कम दी है खुदा ने तुझे मनाने की
पर तुझे तो आदत है बिन वजह रूठ जाने की ।

मेरा दर्द ज़्यादा है

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गिले शिकवे मत करो आज मोहब्बत का इरादा है
तेरा इश्क भी कम है मेरा दर्द ज़्यादा है

मेरा दर्द ज़्यादा है

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गिले शिकवे मत करो आज मोहब्बत का इरादा है
तेरा इश्क भी कम है मेरा दर्द ज़्यादा है

मैं तो शुक्र

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अफसोस नहीं होता है मुझे तेरे दूर जाने का
मै तो शुक्र गुजार हू तेरे बेवफ़ा हो जाने का

सोचता हूँ मैं

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सोचता हूँ मैं कि कब आयेगी बहार
बगिया में?
कब महकेंगे सुगंधित सुमन
दिल के आँगन में?

मासूमियत

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अपनी मासूमियत पर भी शक करते हैं लोग
हम जो पानी भी पियें तो शराब कहते हैं लोग ।

फैसले

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैं अपने फ़ैसले खुद लेता हूँ और
कोशिश करता हूँ कि
उन फैसलों पर कभी
पछताना ना पड़े ।

इरादा

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इरादा बुलंद रखता हूँ
मेहनत खूब करता हूँ
ऊपर वाले की मोहलत के
हिसाब से सब करता हूँ ।

मैं खुद

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैं खुद बनाता हूँ रास्ते अपने
दूसरों के इशारों पर नहीं चला करता।

मुकद्दर

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बाजुओं में दम रखने वाले
मुकद्दर से नहीं डरा करते।

गरूर

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कितना गरूर था डगर को अपने
लम्बे होने पर
लेकिन एक गरीब के हौसले ने
उसे कदमों में नाप दिया ।

ओ खुदा!

May 31, 2020 in Other

बेसुध हो पड़ा है ंमजदूर जमीं पर
ओ खुदा! थोड़ा तो रहम कर इस पर

मैं जब

May 31, 2020 in Other

मैं जब भी जीता हूँ अपनी मेहनत से
कभी किस्मत से नहीं
किस्मत से बस हारा हूँ ।

गमे-फुर्सत

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गमे-फुर्सत जब से मिली
बड़ा बेफिक्र सा रहता हूं,
अब तो जहान बड़ा खूबसूरत लगता है
और अनगिनत ख्वाबों को सच करता रहता हूं।

कभी-कभी

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कभी कभी हम किसी को कुछ ऐसा कह देते हैं
कि कहने के बाद पछताना पड़ता है
बड़ी तकलीफ होती है
ऐसे शब्द मुंह से निकालने के बाद
बड़ा अफसोस होता है अपनी गलती पर।

खुशी और गम

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

किसकी की किस्मत है
जो बस खुशियां ही खुशियां पाए
खुशी और गम तो धूप और छांव
की तरह जिंदगी के हर कदम पर
आते जाते ही रहते हैं
आज खुशी है तो कल गम का अंधेरा भी छाएगा।

निष्ठुर

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

निष्ठुर है क्यों ये जहान मेरा
कभी भी गम के सिवा कुछ दिया ही नहीं ।

रिश्तो के झमेले

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अकेला होता है जहान में हर कोई
बस रिश्तो के झमेले होते हैं
जिंदगी गुजारने को कुछ ख्वाब ही जरूरी होते हैं

तुम्हें कोई फिक्र

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं
बेपरवाह घूमते हो
यहां दिन-रात गुजरते हैं बस तुम्हारी फिक्र में

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