Pragya
रुठे रुठे से हुजूर नजर आ रहे हैं
September 29, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
रुठे रुठे से हुजूर नजर आ रहे हैं
हमें बेवफा बताकर शायद किसी के घर जा रहे हैं
कानों की बाली खो गई है उनकी या
किसी को निशानी में देके आ रहे हैं
सुर्ख लाल जोड़ा पहन रखा है उन्होंने
हवाओं में जुल्फ़ों को लहरा रहे हैं
ये सब इन्तजाम वो फिर से कर रहे हैं
मोहब्बत हो गई है किसी से या हमको जला रहे हैं
कितने नादान हैं वो रब ही जानें !
हैं हमसे ही खफा! और भरी महफिल में हमको ही
देखे जा रहे हैं।।
कितनी बार सोंचा….
July 19, 2022 in शेर-ओ-शायरी
कितनी बार सोंचा तुम्हारे बारे में ना सोंचूं,
यही सोंचते सोंचते रात हो गई।
आज बिल्कुल अकेली हूँ ।।।
July 15, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज एहसास ये हुआ की मैं कितनी अकेली हूँ,
सजल जल नैन भर बरसे
दुख की मैं सहेली हूँ।
कहाँ है प्रीत का सावन??
कहाँ है गीत मनभावन??
कहाँ है प्रेम की गगरी
आज बिल्कुल अकेली हूँ।
नही मैं मोम की गुड़िया
नहीं मैं प्रेम की पुड़िया!
मैं हूँ आकाश की सामर्थ्य,
मैं कितने दर्द झेली हूँ ।।।
इन्तज़ार
May 14, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
नहीं कर सकते हम अब और इन्तज़ार,
करना ही नहीं अब हमें तुमसे प्यार।
मेरी बेबसी का मजाक उड़ाते हो,
मेरे दिल को रोज़ चोट पहुँचाते हो।
कर नही सकते अब तुम पे ऐतबार
जाओ अब नहीं करना हमें तुमसे प्यार ।।
ज़िन्दगी
May 13, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
न जाने कहां ले जा रही है जिंदगी..
जाने क्या चाहती है मुझसे यह जिंदगी??
खुद को जितना गमों से दूर रखती हूं,
उतना ही गमगीन होती जा रही है जिंदगी…
खुशियों की बात तो जैसे करनी है छोड़ दी मैंने, अपनों से भी दूर ले जा रही है जिंदगी…
कभी-कभी मन करता है छोड़ दूं जिंदगी का दामन, बिल्कुल भी ना अब मुझको भा रही है जिंदगी।।।
जीत कर के तुझे ऐ सनम..!!
March 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीत कर के तुझे ऐ सनम !
खुद को ही हार कर बैठे हैं हम।
जिन्दगीं बन गया जब से तू
मौत से यार डरते हैं हम।
प्रीत है, रीत है, जीत है,
मौत है, जिन्दगी गीत है।
मर के भी आज लौटे हैं हम
खुद को ही हार बैठे हैं हम।।
हाँथों में लेकर थाल
March 24, 2022 in Poetry on Picture Contest
हाँथों में लेकर थाल
मेरी इस थाल में भरे गुलाल
लगाने आई हूँ,
नजरों से नजर मिलाकर
तुझे छू कर तुझमे समा कर
कुछ इस तरह से होली आज
मनाने आई हूँ।
मेरे प्रियतम मेरे मनमीत
तेरे दिल में मेरी प्रीत
जागने आई हूँ।
यूँ हवा में उड़ता रंग
मैं अपने पिया के संग
ये होली का त्योहार मनाने आई हूँ।।
मेरा पहला प्यार…!!!
March 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो मेरी आहट से ही मुझको पहचान लेता था,
नींदों में भी बस मेरा ही नाम लेता था।
याद करती थी मैं उससे रात-दिन और वह हिचकियां लेता था।
ना मिलने की कभी जिद्द की उसने, बस रूह से चाहता था और दिल से प्यार करता था।
मेरी सांस उसकी मौजूदगी का एहसास कराती थी
वह मेरे आंसुओं को अमृत की तरह पीता था।
बाकी तो सब मजे लेते हैं,
मेरा पहला प्यार ही था जो मुझसे प्यार करता था।
ना कभी लड़ता था, ना कभी दिल दुखाता था ,
भरोसा उसको मुझ पर भगवान से भी ज्यादा था।
कभी देखा नहीं था उसने मुझे,
मेरी तस्वीर की ही पूजा किया करता था।
मैं रूठ जाती थी वो मनाता था
मेरे सिवा किसी और को ना चाहता था।
वैलेंटाइन” हो या होली”हो,
मेरे फोन का इंतजार किया करता था।
नाम कभी ना लेता था मेरा,
बस मेरी जान,जान कहता था..
मैं जानती हूं वो आज भी मुझको प्यार करता है , मेरी याद में तड़पता है,
जब कभी हिचकी मुझको आती है ! मैं समझ जाती हूं वो याद करता है।।
तुम किसी और के हो फिलहाल !!!
March 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक वक्त था…
जब तुम मेरे लिए रातों को जगा करते थे
मैं कुछ भी कहती, तुम हंसकर सब सुन लेते थे।
मुझसे ज्यादा तड़प होती थी तुमको मिलने की,
व्हाट्सएप’ पर भी तुम अवलेबल’ रहते थे।
पर अब बदल गए हैं
तुम्हारे मिजाज और
बदल गए हो तुम।
बदल गए तुम भी और बदल गए हैं हम..
हमें रहता है तुम्हारा इंतजार,
मिलने को करता है दिल बार- बार।
तुमसे इंपॉर्टेंट’ और कोई नहीं,
ना घर है ना संसार..
अगर बदल गए हो तो रहने दो
हमें नहीं करना तुमसे प्यार,
हम जैसे भी रह लेंगे पर
“तुम किसी और के हो फिलहाल”….!!!
कलम उठाई है…
February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज एक अर्से के बाद
कलम उठाई है।
तेरी प्रीत मेरी आँख में भर आई है
दिल की पीर से है मुझको कुछ आराम मिला,
आज इसी वाइस मैंने कलम उठाई है।
दीद हुई जबसे तेरी साँसों की महक
मेरी रूह, मेरे जिस्म में समाई है।
तेरी प्रीत में लिखना भी भूल बैठी थी, आज बड़े दिनों बाद मैने कलम उठाई है।।
Rose
February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
भुला दिया शायद तुमने मुझे,
जिस चाहत की मैं हकदार थी
वो प्यार ना दिया तुमने मुझे।
कैसे आ जाती है नींद तुम्हें,
जब एक उम्र ना सोने दिया तुमने मुझे।
मैं माँगी थीं कान की बालियां तुमसे,
वो तक ना लाकर दीं तुमने मुझे।
गुलाब को गुलाब देकर जो तुमने
जुर्रत की,
आखिर नाराज ही कर दिया तुमने मुझे।।
इन्तज़ार
February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
इन्तज़ार की भी एक हद होती है
हमने उस हद को पार करके
तेरा इन्तज़ार किया,
जानते थे तू नहीं आएगा फिर भी
तेरा इन्तज़ार किया।
मेरी किस्मत में तू नहीं ना सही
सब कुछ जान कर भी तुझसे प्यार किया।
एक तिरंगा
January 26, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
किसी के साथ कितना भी वक्त बिताओ वो एक दिन चला ही जाता है
जिसे जान से ज्यादा चाहो वही दिल दुखाता है
इसीलिये अपने देश से प्यार करना चाहिए
कम से कम मरने पर एक तिरंगा तो मिल जाता है।
जय हिंद जय भारत
Alvida 2021
December 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
थम गया सिलसिला 2021 का
हमें रुलाकर जा रहा है ,
दिया भले ही कुछ ना हो इसने
पर बहुत कुछ सिखा कर जा रहा है।
कभी आये आँख में आँसू तो कभी
हँसा कर गया है
दिये कई जख़्म इसने तो मरहम लगा कर गया है।
खोया हमनें अपने हमदर्द को तो
महबूब भी दिला कर गया है।
इन्तज़ार
December 12, 2021 in शेर-ओ-शायरी
इन्तज़ार की भी एक हद होती है,
————————–
आज इन्तज़ार की सारी हदें पार कर दी हमनें…
सही गलत
November 30, 2021 in शेर-ओ-शायरी
तुम भी सही थे और हम भी सही थे,
बस समय की मार थी और
सारे पैतरे गलत थे।
बासी फूल
November 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हम अपनी रातों को गुलजार ना बैठे थे
किसी बेवफा को अपना यार बना बैठे थे।
सूंघ के देखा तो खुशबू तक नहीं आई,
बासी फूलों से हम हार बना बैठे थे।
मन्नत
November 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तू मेरा है मगर
मेरा तो नहीं
ये दिल तेरा है मगर
तेरा तो नहीं
एक उम्मीद की डोर है
जिसने मुझको
तुझसे बाँध रखा है
तू रब है मेरा मगर
मेरी मन्नत तो नहीं।
मेरा यार।।
November 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक दिल है
एक धड़कन है
एक मंजिल है
फिर भी तू उधर है
मैं इधर हूँ
गम बहुत हैं बस
तू ही एक खुशी है
यूँ तो दिल बहलाने के कई तरीके हैं
पर मेरा यार तू ही है।
जख़्म देकर वो मुझसे कहता है…
November 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जख़्म देकर वो मुझसे कहता है
पीर दिल में तो नहीं उठती है ।
आँसू हैं तेरे या पानी हैं
तू उदास क्यों नहीं दिखती है।
तेरे होंठों की जो रंगत है
क्यों मुझे फीकी फीकी लगती है।
तेरी बाँहों में मैं जो आता हूँ
धड़कन क्यों से धड़कती है।
मैं तो तेरा हूँ तू सिर्फ मेरी है
तू मुझे अपना क्यों नहीं समझती है।
अब उस हरजाई’ से कहूँ क्या मैं,
प्रज्ञा शुक्ला’ उसकी बेवफाई को समझती है।
“तू कातिल”
November 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जब दिल में दर्द सा उठा
एक तीर सा चुभा,
जो कल था मेरी निगाहों से मारा गया।
आज मेरे ही दिल का कातिल बना।
वो फरेबी भी है, वो आशिक भी है,
मेरी सांसों की गर्मी में शामिल भी है।
रूह को मेरी उसने था एक दिन छुआ,
आज वो ही मेरे दिल का कातिल बना।
मेरा प्यार एक तरफा
November 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कुछ दिनों से दिल में लहरें सी उठती थी,
उसके नाम से मन में एक आस सी जगती थी।
वो मेरी आंखों का सिर्फ एक धोखा था,
प्यार तो बहुत था पर प्रज्ञा’ पर
एक तरफा था।
प्यार की नाव
November 7, 2021 in Other
अभी तो प्यार की नाव में बैठे ही थे पर क्या करें,
मेरे माझी ने ही नाव में छंद कर दिया ।
तुम ही हो”
November 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरी हर सांस में तुम ही हो
मेरी हर बात में तुम ही हो।
जीवन की सुंदर छवि में जब
ढूंढती हूँ मैं,
मेरे मन मन्दिर के प्राणनाथ तुम ही हो।
परिवर्तन की इस लहर में
लहलहा उठता है जीवन
मेरी बेबस निगाहों का
सूत्रधार तुम ही हो।
जीवन ज्योति
November 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन ज्योति की एक
ललित सरिता बहे
सुंदर सुकोमल कविता बने,
हो चहुँ ओर प्रकाश फैला हुआ
मेरी लेखनी में वो बात रहे।
नहाए हुए से लगे शब्द मेरे
भाव तो जैसे खो ही गए हैं
बिछड़ गए जो वो फिर ना मिले हैं
कितनी दूरियां आ गई हैं दर्मियां
हमदर्द जो थे वो ना मिले हैं ।
हमें तुमसे प्यार कितना”
October 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारे बिन ये चार दिन
हमने कैसे काटे
हम नहीं जानते,
तुम मेरे जीवन साथी हो
पर मेरे कब तक हो
यह भी हम नहीं जानते।
तुम्हें रातों में नींद तो जरूर आई होगी,
पर हम कितनी रातें जागे हैं
यह भी नहीं जानते।
जल बिन मछली की तरह तड़पे हैं,
मेरे आंसुओं की सिसक
तुम तक पहुंची या नहीं !
यह भी नहीं जानते।
बस इतना ही जानते हैं कि अब तुम मेरी जिंदगी हो,
तुम्हारे दिल में हम हैं या नहीं यह भी नहीं जानते।
जीवन की सत्यता
October 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन की सत्यता में झांक कर अपने फर्ज को अदा करना सीखा है।
गिरे तो कई बार पर गिर कर उठना भी सीखा है।
यूं तो हम खड़े रहते हैं अपने फैसलों पर,
पर कभी-कभी अपनों की खुशियों की खातिर
अपने फैसले को बदलना भी सीखा है।
“करवा चौथ”
October 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
करवा चौथ के नाम पर जो
झूठ बोलते हैं
खा पी के भूखे रहने का
ढोंग करते हैं
उनसे अच्छे तो हम हैं साहब!
व्रत भी रहते हैं और चुप रहते हैं।
तकलीफें
October 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी
हम अपनी तकलीफें किसी को बता नहीं सकते,
कोई तमाशा ना बना दे
मेरी बेबसी का
इसलिए किसी को दिल के छाले दिखा नहीं सकते।
नासमझ
October 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी
मेरी शराफत को लोग मेरी
कमजोरी समझते हैं
नासमझ है वह लोग जो मुझे नासमझ समझते हैं।
संस्कार
October 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी
गूंगी नहीं हूं मैं
मुझे भी बोलना आता है
बस मेरे संस्कार मुझे मौन कर देते हैं।।
एक दुआ
October 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक दुआ है खुदा से कि
खुदा ऐसे ख्वाब ना दिखाएं
जो पूरे ही ना हो
ऐसे लोगों से ना मिलाए
जो कभी अपने ना हो
होठों पर मुस्कुराहट रलाने वाले लोग
भले ही ना मिले
पर आँख में आँसू लाने वालों से ना मिलाए।।
मेरा कर्म मेरा भविष्य
October 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन में बहुत सी कठिनाईयाँ
आती हैं जाती हैं
कभी तो रुलाती है तो कभी कुछ सिखाती हैं
हम नहीं जान सकते हमारा भविष्य क्या है
पर ये जो पल है हमारे हाथ में है
नहीं दे सकता स्वर्ण मुद्राएं तो
रोटी दे सकता है
मैं बस इतना जानती हूं कि मेरा कर्म मेरा भविष्य बदल सकता है।।
ऐसी कैसी प्रीत !!
October 16, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
लिख भेजा एक संदेश
जा पहुंचा उनके पास
आया ना कोई खत मुझे
ना आया कोई जवाब
ऐसा प्रेम किया हमनें
ऐसी कैसी प्रीत
ना ही मेरी हार हुई और
ना ही हुई है जीत।
गुनाह
October 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हम गलत हैं या सही
हमें कुछ भी पता नहीं
पता बस इतना चला है
ये दिल मचल चला है
फिर एक बार गुनाह करने चला है
क्या करें, क्या कहे
हम नहीं जानते
ये प्यार है या कुछ और यह भी नहीं जानते
जानने की ख्वाईश में में एक स्वप्न देख लिया
ना कुछ सोंचा ना कुछ समझा
बस तुम्हे अपना मान लिया।।
भावों को आवाज़ दो
October 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिन्दगी में परेशानियां जब
हद से बढ़ने लगे
ये निगाहें निगाहों से लड़ने लगे
मुकद्दर भी जब मुह फेर ले
कोई तड़पता हुआ ही छोड़ दे
तब जीवन में आगे बढ़ो
अपने भावों को आवाज दो
सपनों को एक नया आयाम देकर
मंजिल पाने को अग्रसर हो।
स्वयं की कमियाँ
October 10, 2021 in शेर-ओ-शायरी
एक दूसरे पर उंगली उठाते-उठाते
जीवन गुजर जाता है,
पर एक कवि ही है जो स्वयं की कमियों को ढूंढ पाता है।
राजनीति के चमचों
October 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
वाह क्या बात है!
अजय मिश्र दोषी नहीं हैं
और ना उनका बेटा
ये तो साफ साफ जताता है
कि तुम झूठे हो मक्कार हो और
कुर्सी के लोभी हो।
दोषी को निर्दोष बताया
ये तो कोई बात नहीं
हे राजनीति के चमचों
अब हमको तुम पर विश्वास नहीं।
हर भारतीय हमारा है
October 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ये अगर किसी को सांत्वना दें
तो राजनीति आँकी जाती
मोदी या योगी भ्रमण करें तो
भावुकता क्यों दिख जाती!
इतनी ओछी राजनीति तो
पहले कभी नहीं हुई
भारत की यह भूमि कभी
इतनी धूमिल नहीं हुई
यह देश सभी को प्यारा है
हर भारतीय हमारा है
जो भी अपनी शरण में आया
भारतीय वह भी कहलाया
फिर क्यों इटली की नानी है,
यह नारा सुनने में आया ।
बस बहुत हुआ अब बंद करो
यह तानाशाही बंद करो
जिन लोगों ने नरसंहार किया
दम हो तो उनको जेलों में बंद करो।।
By pragya shukla
लखीमपुर नरसंहार”
October 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसने कुचला गाड़ी से
वह गोदी में बैठा है
सीतापुर की जेल में बंद
एक कांग्रेसी नेता है
ये वर्तमान सरकार मुझे
अंग्रेजों की याद दिलाती है
जो बैठे हों गोदी में
बस उनको न्याय दिलाती है
इंटरनेट बंद करके
ना जाने क्या राज छुपाती है
इंद्र की तरह सिंहासन डोले
कितने सबूत मिटाती है
ना जाने क्यों मुझको ऐसी
सरकार पर विश्वास नहीं
वो बैठे हैं जेलों में
जिनका कोई दोष नहीं।।
शर्म करो योगी!!
October 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हें क्या लगता है योगी ?
इंटरनेट बंद करने से
तुम्हारे गुनाह छुप जायेंगे
बीजेपी में रह कर कोई कुछ भी करे
उसके पाप धुल जायेंगे
हम सीतापुर वाले हैं साहब !
अगर सीतापुर में इंटरनेट बंद किया तो
इंटरनेट चलाने के लिए लखनऊ चले जायेंग।😂😂😂😂
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस स्पेशल
October 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस
—————-
बोझ नहीं आशीर्वाद हैं बुजुर्ग,
जीवन में आती जाती समस्याओं का सामना करने की प्रेरणा देते हैं।
मन में हो मलाल तो अपने स्नेह भरे हाथों से सहला कर हमें संभाल लेते हैं।
अपने अनुभव से हमें सिखाते हैं लगने वाली ठोकर हो
उससे पहले ही हमें बताते हैं
जब हम हार थक कर बैठे हैं तो
वह हमारा उदाहरण बनते हैं
जब कोई ना साथ दे तो हमारे बुजुर्ग ही हमारा सहारा बनते हैं।
जीवन में हो सुप्रभात
October 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सुबह की पहली
किरण को नमस्कार
आशा है सबके
जीवन में हो प्रभात
खुशियाँ झूम कर दें दस्तक
किस्मत टेक दे कर्मों के आगे मस्तक,
मस्तक रहे ऊँचा सदा
करो ऐसा काम।
घटने ना देना कभी अपना इतना दाम,
कि लोग सर उठाकर देखने की बजाय
मुह बना कर तुम्हें देंखें।।
विश्व नदी दिवस
September 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नदिया देती पावन जल और
नदियां देती जीवन धारा
नदियों ने संसार में आकर
हरा कर दिया जीवन सारा