
Pragya
सही गलत
November 30, 2021 in शेर-ओ-शायरी
तुम भी सही थे और हम भी सही थे,
बस समय की मार थी और
सारे पैतरे गलत थे।
बासी फूल
November 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हम अपनी रातों को गुलजार ना बैठे थे
किसी बेवफा को अपना यार बना बैठे थे।
सूंघ के देखा तो खुशबू तक नहीं आई,
बासी फूलों से हम हार बना बैठे थे।
मन्नत
November 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तू मेरा है मगर
मेरा तो नहीं
ये दिल तेरा है मगर
तेरा तो नहीं
एक उम्मीद की डोर है
जिसने मुझको
तुझसे बाँध रखा है
तू रब है मेरा मगर
मेरी मन्नत तो नहीं।
मेरा यार।।
November 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक दिल है
एक धड़कन है
एक मंजिल है
फिर भी तू उधर है
मैं इधर हूँ
गम बहुत हैं बस
तू ही एक खुशी है
यूँ तो दिल बहलाने के कई तरीके हैं
पर मेरा यार तू ही है।
जख़्म देकर वो मुझसे कहता है…
November 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जख़्म देकर वो मुझसे कहता है
पीर दिल में तो नहीं उठती है ।
आँसू हैं तेरे या पानी हैं
तू उदास क्यों नहीं दिखती है।
तेरे होंठों की जो रंगत है
क्यों मुझे फीकी फीकी लगती है।
तेरी बाँहों में मैं जो आता हूँ
धड़कन क्यों से धड़कती है।
मैं तो तेरा हूँ तू सिर्फ मेरी है
तू मुझे अपना क्यों नहीं समझती है।
अब उस हरजाई’ से कहूँ क्या मैं,
प्रज्ञा शुक्ला’ उसकी बेवफाई को समझती है।
“तू कातिल”
November 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जब दिल में दर्द सा उठा
एक तीर सा चुभा,
जो कल था मेरी निगाहों से मारा गया।
आज मेरे ही दिल का कातिल बना।
वो फरेबी भी है, वो आशिक भी है,
मेरी सांसों की गर्मी में शामिल भी है।
रूह को मेरी उसने था एक दिन छुआ,
आज वो ही मेरे दिल का कातिल बना।
मेरा प्यार एक तरफा
November 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कुछ दिनों से दिल में लहरें सी उठती थी,
उसके नाम से मन में एक आस सी जगती थी।
वो मेरी आंखों का सिर्फ एक धोखा था,
प्यार तो बहुत था पर प्रज्ञा’ पर
एक तरफा था।
प्यार की नाव
November 7, 2021 in Other
अभी तो प्यार की नाव में बैठे ही थे पर क्या करें,
मेरे माझी ने ही नाव में छंद कर दिया ।
तुम ही हो”
November 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरी हर सांस में तुम ही हो
मेरी हर बात में तुम ही हो।
जीवन की सुंदर छवि में जब
ढूंढती हूँ मैं,
मेरे मन मन्दिर के प्राणनाथ तुम ही हो।
परिवर्तन की इस लहर में
लहलहा उठता है जीवन
मेरी बेबस निगाहों का
सूत्रधार तुम ही हो।
जीवन ज्योति
November 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन ज्योति की एक
ललित सरिता बहे
सुंदर सुकोमल कविता बने,
हो चहुँ ओर प्रकाश फैला हुआ
मेरी लेखनी में वो बात रहे।
नहाए हुए से लगे शब्द मेरे
भाव तो जैसे खो ही गए हैं
बिछड़ गए जो वो फिर ना मिले हैं
कितनी दूरियां आ गई हैं दर्मियां
हमदर्द जो थे वो ना मिले हैं ।
हमें तुमसे प्यार कितना”
October 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारे बिन ये चार दिन
हमने कैसे काटे
हम नहीं जानते,
तुम मेरे जीवन साथी हो
पर मेरे कब तक हो
यह भी हम नहीं जानते।
तुम्हें रातों में नींद तो जरूर आई होगी,
पर हम कितनी रातें जागे हैं
यह भी नहीं जानते।
जल बिन मछली की तरह तड़पे हैं,
मेरे आंसुओं की सिसक
तुम तक पहुंची या नहीं !
यह भी नहीं जानते।
बस इतना ही जानते हैं कि अब तुम मेरी जिंदगी हो,
तुम्हारे दिल में हम हैं या नहीं यह भी नहीं जानते।
जीवन की सत्यता
October 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन की सत्यता में झांक कर अपने फर्ज को अदा करना सीखा है।
गिरे तो कई बार पर गिर कर उठना भी सीखा है।
यूं तो हम खड़े रहते हैं अपने फैसलों पर,
पर कभी-कभी अपनों की खुशियों की खातिर
अपने फैसले को बदलना भी सीखा है।
“करवा चौथ”
October 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
करवा चौथ के नाम पर जो
झूठ बोलते हैं
खा पी के भूखे रहने का
ढोंग करते हैं
उनसे अच्छे तो हम हैं साहब!
व्रत भी रहते हैं और चुप रहते हैं।
तकलीफें
October 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी
हम अपनी तकलीफें किसी को बता नहीं सकते,
कोई तमाशा ना बना दे
मेरी बेबसी का
इसलिए किसी को दिल के छाले दिखा नहीं सकते।
नासमझ
October 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी
मेरी शराफत को लोग मेरी
कमजोरी समझते हैं
नासमझ है वह लोग जो मुझे नासमझ समझते हैं।
संस्कार
October 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी
गूंगी नहीं हूं मैं
मुझे भी बोलना आता है
बस मेरे संस्कार मुझे मौन कर देते हैं।।
एक दुआ
October 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक दुआ है खुदा से कि
खुदा ऐसे ख्वाब ना दिखाएं
जो पूरे ही ना हो
ऐसे लोगों से ना मिलाए
जो कभी अपने ना हो
होठों पर मुस्कुराहट रलाने वाले लोग
भले ही ना मिले
पर आँख में आँसू लाने वालों से ना मिलाए।।
मेरा कर्म मेरा भविष्य
October 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन में बहुत सी कठिनाईयाँ
आती हैं जाती हैं
कभी तो रुलाती है तो कभी कुछ सिखाती हैं
हम नहीं जान सकते हमारा भविष्य क्या है
पर ये जो पल है हमारे हाथ में है
नहीं दे सकता स्वर्ण मुद्राएं तो
रोटी दे सकता है
मैं बस इतना जानती हूं कि मेरा कर्म मेरा भविष्य बदल सकता है।।
ऐसी कैसी प्रीत !!
October 16, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
लिख भेजा एक संदेश
जा पहुंचा उनके पास
आया ना कोई खत मुझे
ना आया कोई जवाब
ऐसा प्रेम किया हमनें
ऐसी कैसी प्रीत
ना ही मेरी हार हुई और
ना ही हुई है जीत।
गुनाह
October 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हम गलत हैं या सही
हमें कुछ भी पता नहीं
पता बस इतना चला है
ये दिल मचल चला है
फिर एक बार गुनाह करने चला है
क्या करें, क्या कहे
हम नहीं जानते
ये प्यार है या कुछ और यह भी नहीं जानते
जानने की ख्वाईश में में एक स्वप्न देख लिया
ना कुछ सोंचा ना कुछ समझा
बस तुम्हे अपना मान लिया।।
भावों को आवाज़ दो
October 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिन्दगी में परेशानियां जब
हद से बढ़ने लगे
ये निगाहें निगाहों से लड़ने लगे
मुकद्दर भी जब मुह फेर ले
कोई तड़पता हुआ ही छोड़ दे
तब जीवन में आगे बढ़ो
अपने भावों को आवाज दो
सपनों को एक नया आयाम देकर
मंजिल पाने को अग्रसर हो।
स्वयं की कमियाँ
October 10, 2021 in शेर-ओ-शायरी
एक दूसरे पर उंगली उठाते-उठाते
जीवन गुजर जाता है,
पर एक कवि ही है जो स्वयं की कमियों को ढूंढ पाता है।
राजनीति के चमचों
October 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
वाह क्या बात है!
अजय मिश्र दोषी नहीं हैं
और ना उनका बेटा
ये तो साफ साफ जताता है
कि तुम झूठे हो मक्कार हो और
कुर्सी के लोभी हो।
दोषी को निर्दोष बताया
ये तो कोई बात नहीं
हे राजनीति के चमचों
अब हमको तुम पर विश्वास नहीं।

हर भारतीय हमारा है
October 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ये अगर किसी को सांत्वना दें
तो राजनीति आँकी जाती
मोदी या योगी भ्रमण करें तो
भावुकता क्यों दिख जाती!
इतनी ओछी राजनीति तो
पहले कभी नहीं हुई
भारत की यह भूमि कभी
इतनी धूमिल नहीं हुई
यह देश सभी को प्यारा है
हर भारतीय हमारा है
जो भी अपनी शरण में आया
भारतीय वह भी कहलाया
फिर क्यों इटली की नानी है,
यह नारा सुनने में आया ।
बस बहुत हुआ अब बंद करो
यह तानाशाही बंद करो
जिन लोगों ने नरसंहार किया
दम हो तो उनको जेलों में बंद करो।।
By pragya shukla
लखीमपुर नरसंहार”
October 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसने कुचला गाड़ी से
वह गोदी में बैठा है
सीतापुर की जेल में बंद
एक कांग्रेसी नेता है
ये वर्तमान सरकार मुझे
अंग्रेजों की याद दिलाती है
जो बैठे हों गोदी में
बस उनको न्याय दिलाती है
इंटरनेट बंद करके
ना जाने क्या राज छुपाती है
इंद्र की तरह सिंहासन डोले
कितने सबूत मिटाती है
ना जाने क्यों मुझको ऐसी
सरकार पर विश्वास नहीं
वो बैठे हैं जेलों में
जिनका कोई दोष नहीं।।
शर्म करो योगी!!
October 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हें क्या लगता है योगी ?
इंटरनेट बंद करने से
तुम्हारे गुनाह छुप जायेंगे
बीजेपी में रह कर कोई कुछ भी करे
उसके पाप धुल जायेंगे
हम सीतापुर वाले हैं साहब !
अगर सीतापुर में इंटरनेट बंद किया तो
इंटरनेट चलाने के लिए लखनऊ चले जायेंग।😂😂😂😂
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस स्पेशल
October 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस
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बोझ नहीं आशीर्वाद हैं बुजुर्ग,
जीवन में आती जाती समस्याओं का सामना करने की प्रेरणा देते हैं।
मन में हो मलाल तो अपने स्नेह भरे हाथों से सहला कर हमें संभाल लेते हैं।
अपने अनुभव से हमें सिखाते हैं लगने वाली ठोकर हो
उससे पहले ही हमें बताते हैं
जब हम हार थक कर बैठे हैं तो
वह हमारा उदाहरण बनते हैं
जब कोई ना साथ दे तो हमारे बुजुर्ग ही हमारा सहारा बनते हैं।
जीवन में हो सुप्रभात
October 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सुबह की पहली
किरण को नमस्कार
आशा है सबके
जीवन में हो प्रभात
खुशियाँ झूम कर दें दस्तक
किस्मत टेक दे कर्मों के आगे मस्तक,
मस्तक रहे ऊँचा सदा
करो ऐसा काम।
घटने ना देना कभी अपना इतना दाम,
कि लोग सर उठाकर देखने की बजाय
मुह बना कर तुम्हें देंखें।।
विश्व नदी दिवस
September 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नदिया देती पावन जल और
नदियां देती जीवन धारा
नदियों ने संसार में आकर
हरा कर दिया जीवन सारा
“नारी की अस्मिता”
September 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नारी की अस्मिता पर
जैसे ही बात आती है
नारी रौद्र रूप और जाती है
जब जब पुरुष की इच्छा हुई
तब तब नारी के चरित्र की
परीक्षा हुई
नारी तो है निर्मल पावन गंगा-सी,
भारी हो जैसे उसमें
ममता की निर्मलता-सी।
नहीं लगाओ नारी के चरित्र पर कोई प्रश्न चिन्ह,
क्योंकि तुम्हारा इतिहास ही
एक दिन बन बैठेगा तुम्हारा प्रश्न चिन्ह।
शहर वाले हो गए
September 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
गाँव की गलियाँ और गाँव का
सवेरा
झिलमिल सितारे और कलियों का सेहरा
बीतने लगीं अब तो शामे भी लम्बी
बाजरे की रोटी और भिंडी
अब तो जैसे जमाने हो गए !
अब हमें भी लगता है
कि हम शहर वाले हो गए।
तुम्हारी बातें
September 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कभी-कभी हंसी आ जाती है तुम्हारी बातों पर।
रातें भी मुस्कुराती हैं
तुम्हारी बातों पर।
जाग उठते हैं दिल में अरमान
मेरा कल मुस्कुराता है
तुम्हारी बातों पर।
कोशिश लाख करूं तुमसे नफरत करने की पर,
बड़ा प्यार आता है
तुम्हारी बातों पर।
ना चाहते हुए भी नाउम्मीद हो उठती हूँ
जब गुस्सा आता है
तुम्हारी बातों पर।
तुम जैसे भी हो पर दिल के बहुत अच्छे हो
कभी-कभी रो पड़ती हूँ
तुम्हारी बातों पर
कभी-कभी रो पड़ती हूं
तुम्हारी बातों पर।।
जाने किन बातों में उलझा रहता है मन
September 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जाने किन बातों में
उलझा रहता है यह मन
तपती धूप में रहता है
फिर भी ठंडक सी देता है
मेरे विचारों को एक चिंगारी देता है
नदियों में बहता रहता है
हवा में सैर भी करता है
मेरे कोमल भावों में खुद को
खोया रखता है
जाने किन बातों में
उलझा रहता है यह मन !!
सहरे में प्रियतम…
September 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कभी फुर्सत मिले तो
हमको भी तुम याद कर लेना
भले झूँठी ही हो आहें
मगर एक आह भर लेना।
हम भी हैं तुम्हारी राह के
एक मुरझाए हुए से पुष्प,
जब कभी हो अकेले तुम
मुझे आवाज़ दे देना।
वो जो आज है तेरा
वही कल भी तुम्हारा था
कभी देखा था जो सपना
वो जन्नत से भी प्यारा था।
आज सजने लगे हो तुम
किसी अनजान की खातिर
कभी मेरा ये चेहरा
तुमको कितना प्यारा था।
हमारे पास तो बस गीत हैं
और आवाज की सरगम
तुम्हारे पास है हमदर्द
हमारे पास सारे गम।
ये कैसी है परीक्षा और
ये कैसी घड़ी आई
तुम्हारी शादी में रहूँगी पर
दुल्हन बन नहीं पाई।😭😭
जाने कैसी हैं तुम्हारी यादें !!
September 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जाने कैसी है तुम्हारी याद
वक्त बेवक्त आती है
कभी मुह ढक कर
कभी मुह दिखाई के लिए आती है
तुम्हारे नाम का सिन्दूर लगा कर
मुझे रोज चिढ़ाती हैं
सिरहाने पर बैठ कर कोई
विरह गीत गाती हैं
जाने कैसी हैं तुम्हारी यादें…!!
“रिश्ते”
September 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
माँ के आँचल में छुप गए
जब डर लगा
पापा ने हिम्मत सिखाई
और राह चलना सिखला दिया
बहन ने रखी पहनाई स्नेह से
घर भर दिया
कौन कहता है कि रिश्ते दर्द देते हैं
जब हो जीवन में उदासी
तो खुशियों से भर देते हैं।
बेटियां हैं पराई तो क्या !!
September 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
डॉटर्स डे स्पेशल:-
बेटियां हैं पराई तो क्या
मान और सम्मान देती हैं,
आँख में आते हैं आँसू
तो हाँथों से पोंछ देती हैं।
जिन्दगी में कोई भी हो तकलीफ
मगर होंठो पर मुस्कान रखती हैं।
माँ-बाप के लिए हर कष्ट सह लेती हैं
पर सभी का सम्मान करती हैं।
घूंघट की ओट से…
September 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
अच्छा तो तुम कल
छत पे आये थे !
पतंग को तंग करने या
मुझको हिय से लगाने आये थे ??
सच बताओ क्या आज भी करते हो हमसे प्यार!
या पड़ोसन को झांकने तुम छत पे आये थे।
सरसराती हवा ने तुम्हारे बालों में
की तो होंगी कंघियाँ,
पड़ी तो होंगी तुम्हारे गालों पर कुछ झीसियाँ ।
हम अछूते रह गए उस दृश्य से
उस कृत्य से
जब तुम्हें मेरी पड़ोसन देख रही होगी घूंघट की ओट से।।
जीत ली दुनिया तो क्या!!
September 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीत ली तुमने दुनिया तो क्या
हमारा हृदय न जीत सके
देश जीते होगे तुमने
पर प्रेम को न जीत सके।
एक वक्त था जब तुम मेरे लिये गीत गाते थे
स्वयं गाते थे उसे सुर में सजाते थे
पर मैं कहूँगी कि तुम एक भी सुन्दर गज़ल ना लिख सके।
जीत ली दुनिया तो क्या!!
मेरा हृदय न जीत सके।।
समवेत स्वर में गीत गाएंगे ।।
September 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नहीं करनी हमें तुमसे बराबरी
क्योंकि तुम हमसे एक कदम आगे हो
अच्छाई में भी आगे और बुराई में भी आगे हो।
कल जब कोई तिनका भी तुम्हारा साथ ना देगा
कल जब तुम्हें कोई अपना हाथ ना देगा।
तब हम तुम्हारे स्वागत में बांहे फैलायेगें और
मिलन के प्रेम गीत आएगे।
पर अभी मगरूर हो किसी की चाहत में मगरूर हो
हम तुम्हें गिरने ना देंगे कभी,
आकर बचायेंगे।
एक दिन जरूर आएगा जब हम
समवेत स्वर में गीत गाएंगे।
संस्कार:- हमारे जीवन का आधार”
September 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
संस्कार है
हमारे जीवन का आधार
जिसकी दहलीज़ पार करने पर
समाज बहिष्कृत कर देता है
और
जिसका पालन करने पर
महापुरुष की उपाधि देता है।
जीवन में संस्कार और
शुद्ध आचरण
हमें दैवीय शक्तियों से लैस करता है,
पतित से पावन बनाता है।
इसलिए हमें अपने आचरण की ओर
ध्यान देना चाहिए और
संस्कार में शुद्धता रखनी चाहिए।
आज वो स्तब्ध सा बैठा है !!
September 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नहीं बैठ पाया वो पंक्षी
किसी भी डाल पर,
जिसके बच्चों को वृक्ष सहित गिराया गया हो।
विश्वास अब किस पर करे वह
जब यह कृत्य देवरूपी दिग्गजों ने किया हो।
अब कहाँ रहे वो दिन जब
घण्टों चिड़िया चहचहाती थीं,
अब तो सन्नाटा सा पसर गया है।
वो आज स्तब्ध सा बैठा है !!
जिसका एक रोज वंश उजड़ गया है।
#सुविचार-2
September 24, 2021 in Other
सुविचार:-2
आज यकीन आ ही गया हमें-
टूटे दिल और अधूरे सपनों से,
वो बचपन के खिलौने काफी अच्छे थे।।
जिन्दगी का सफर
September 24, 2021 in मुक्तक
हमारी जिन्दगी का सफर बड़े आराम से कट रहा है क्योकिं
———————-
अब हम परवाह नहीं करते कि
कोई क्या कहता है।