Prayag
कब तलक
August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘दिल में छिपाए रखोगे, जज़्बात कब तलक,
इतनी ही हुई बात बस नज़रों से अब तलक..’
– प्रयाग
प्यार किसे कहते हैं..
August 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
‘मेरे इज़हार पर कुछ यूँ लगा तू हाँ की मुहर,
दुनियाँ देखे कि इकरार किसे कहते हैं..
तेरे सिवा मुझे उस पर भी यकीं है ऐ खुदा,
हूँ मुतमईन के ऐतबार किसे कहते हैं..
किसी उम्मीद पर आए थे तेरे दर पे सनम,
वरना मालूम था इनकार किसे कहते हैं..
तेरी खुशी के लिए खुद से उलझ पड़ता हूँ,
तुझे क्या इल्म के तकरार किसे कहते हैं..
अपने हिस्से की हमने हर खुशी उसे दे दी,
कोई सीखे ये हमसे प्यार किसे कहते हैं..’
– प्रयाग धर्मानी
मायने :
मुहर – निशान/चिन्ह
यकीं – विश्वास
मुतमईन : निश्चिंत
इल्म – ज्ञान
ज़रिया
August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘देर न लगी मेरी हकीकत के मायने बदलने में,
मैं दरिया था कभी मोहब्बत का, आज दिल्लगी का ज़रिया हूँ..’
– प्रयाग
मायने :
ज़रिया – साधन
चारागर
August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘चारागरों, हम में से किसी एक का इलाज करो,
आज़ार उन्हें नफरत का है, तो हमें मोहब्बत का..’
– प्रयाग
मायने :
चारागर – डॉक्टर
आज़ार – रोग
जुस्तजू
August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘छोड़ गए थे इसी जगह, अब चलना मुनासिब नही,
वो लौट आए तो मेरी जुस्तजू में परेशां होंगें..’
– प्रयाग
मायने :
जुस्तजू : तलाश
ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन
August 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
‘ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन, तू इतना काम कर देना,
जो उसको भूलना चाहूँ, मुझे नाकाम कर देना..
सुबह का वास्ता किससे, सहर की राह किसको है,
तू उसकी ज़ुल्फ़ के साये मे मेरी शाम कर देना..
उसे बेहद ही लाज़िम है, ये मेरी सादगी या रब,
मेरे किरदार को बस खास से तू आम कर देना,
वफ़ा की शर्त भी तेरी, मैं बेहद फर्क से जीता,
है तेरी हद से बाहर अब, मुझे ईनाम कर देना..
ज़मीने दर्द की सारी, गमों की मिलकियत तेरी,
तू अपनी ये वसीहत अब से मेरे नाम कर देना..
ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन, तू इतना काम कर देना,
जो उसको भूलना चाहूँ, मुझे नाकाम कर देना..’
– प्रयाग धर्मानी
मायने :
याद ए उल्फत – मोहब्बत की याद
सहर – सुबह
लाज़िम – अनिवार्य
मिलकियत – प्रॉपर्टी
नामाबर
August 21, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘ये रब करे कि मोहब्बत मेरी असर कर ले,
वो दिल को भेज दे, दिल को ही नामाबर कर ले..’
– प्रयाग
मायने :
नामाबर – डाकिया
इख्तियार
August 21, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘तू करले जितना अपने दिल पे इख़्तियार मगर,
निगाह जानती है उसकी, अपना वार मगर..
ये भी मुमकिन है आज पहली दफा बच जाए,
मगर बचेगा कहाँ और कितनी बार मगर..’
– प्रयाग
मायने :
इख़्तियार – नियंत्रण
चल आ मैदान में..
August 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
चल आ मैदान में पुलकित हो,
ना रख चिंता ना विचलित हो..
तेरे मार्ग की हर इक-इक व्याधि,
तेरी आत्म शक्ति से परिचित हो..
भय बंधन काट के बाहर आ,
नित क्रंदन काट के बाहर आ..
ना हो अभिमान से गदगद तू,
अभिनंदन काट के बाहर आ..
अब उठा प्रयत्नों की आंधी,
ताकि इतिहास भी गर्वित हो..
तेरे मार्ग की हर इक-इक व्याधि,
तेरी आत्म शक्ति से परिचित हो..
क्यों लगे किसी का साथ तुझे,
क्यों थामे कोई हाथ तुझे..
है पर्वत सा साहस तुझमे,
तो डरने की क्या बात तुझे..
कुछ कर ऐसा तेरे परिजन,
तेरे ही नाम से चर्चित हो..
तेरे मार्ग की हर इक-इक व्याधि,
तेरी आत्म शक्ति से परिचित हो..
तू अविरल जल की धारा बन,
दैदीप्यमान ध्रुव तारा बन..
ना आस किसी की रख मन में,
तू अपना खुद ही सहारा बन..
बस लक्ष्य साध और बढ़ता जा,
भटकाव न तुझमे किंचित हो..
तेरे मार्ग की हर इक-इक व्याधि,
तेरी आत्म शक्ति से परिचित हो..
– प्रयाग
मायने :
पुलकित – प्रसन्न
क्रंदन – विलाप करना/ रोना
अभिनंदन – बधाई/प्रशंसा
दैदीप्यमान – प्रकाशयुक्त
किंचित – थोड़ा भी
रवानी
August 21, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘तेरे एहसास में रहूँगा मैं असर बनकर,
या कभी दिल में ही साँसों की रवानी बनकर..
संभालकर मुझे रखना है इम्तेहान तेरा,
अब मैं रहूँगा तेरी आँखों में पानी बनकर..’
– प्रयाग
मायने :
रवानी – गतिशीलता
मौज-ए-लहू
August 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘किसी की आह से महसूस हुआ है मुझको,
कि बहुत दूर तक पहुँची है आज मौज-ए-लहू..’
– प्रयाग
मायने :
मौज ए लहू – खून की लहर
ज़िन्दगी तू ही बता..
August 20, 2020 in ग़ज़ल
“साँस लेता हूँ फकत ये भी कोई कम तो नही,
ज़िंंदगी तू ही बता मुझपे तू सितम तो नही..
कभी पूछा न ज़माने के शरीफ लोगों ने,
‘दीवाने ये बता कि तुझको कोई गम तो नही?’
किया हमने ही उसकी बात का ऐतबार मगर,
उसका कहना कोई वादा या फिर कसम तो नही..
क्यूँ खुदा तक नही पहुँची मेरी सदा अब तक,
दुआ मुझसे ही चली मुझपे ही खतम तो नही..
तेरी आँखों में यकीनन कुछ चुभ रहा होगा,
वरना अब तक तो हुई आँखे तेरी नम तो नही..’
– प्रयाग धर्मानी
मायने :
फकत – सिर्फ
सदा – आवाज़
तो क्या होता..
August 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘सोचता हूँ तो हर वजह ही बेवजह सी लगे,
मेरी साँसों से मेरे दिल का वास्ता न होता तो क्या होता…?
मुझ पर से गुज़र कर न जाने कितने चले गए,
मैं औरो के मक़ाम का रास्ता न होता तो क्या होता..?’
– प्रयाग
मायने :
मक़ाम – ठहरने/रुकने की जगह
ये तूफाँ का इशारा है..
August 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘ये चाहता मैं भी हूँ के ठोकरें लगती रहें तेरी,
तुझे मैं याद रख सकूँ, ये आग जलती रहे मेरी..
मेरे सब्र को मेरी बेबसी की इन्तेहाँ मत समझना,
ये तूफाँ का इशारा है जो इस वक्त खामोशी है मेरी..’
– प्रयाग
वफ़ा
August 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘हम तो समझ बैठे थे, ये काँटो की वफ़ा है,
पर शुक्र हैं कि कभी नंगे पैर न थे..’
– प्रयाग
दरिया था कभी मुझमे..
August 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
‘ये मेरी मोहब्बत की, शिद्दत का सिलसिला था,
दरिया था कभी मुझमे, अब उससे जा मिला था..
ज़िद थी गज़ब की मुझमे, तुझको जीताने की,
हर बार हारकर भी, जीता जो हौसला था..
मुझमे रवाँ तू जितनी, पर उतना मैं नही हूँ,
बरसों की शिकायत थी, मुद्दत से ये गिला था..’
दरिया था कभी मुझमे, अब उससे जा मिला था..
– प्रयाग
हाज़िरजवाबी आ गई
August 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘इतना कुछ लिखा गया फितरत किताबी आ गई,
ज़िंदगी के मंच पर जुर्रत खिताबी आ गई..
उंगलियाँ उठी तो अल्फाजों को ताकत मिल गई,
सवाल इतने उठ गए हाज़िरजवाबी आ गई..’
– प्रयाग
मायने :
अल्फाज़ो को – शब्दों को
फलक
August 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘लड़ा था खुद से ज़मीं पर तेरी खुशी के लिए,
फलक में रहके खुदा से भी जंग वही होगी..’
– प्रयाग
मायने :
फलक – आसमान
तमन्ना
August 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘किस तरह रोकेगी गुज़रती हवा-ए-सर्द मुझे,
ओढ़कर उसकी तमन्ना घर से निकलता हूँ मैं..’
– प्रयाग
मायने :
हवा ए सर्द – ठंडी हवा
तेरी खुशी है किसमे
August 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
‘तेरी खुशी है किसमे, तय कर ये रज़ा अपनी
परेशान हो गया हूँ, दुआ बदल-बदल के..
शायद के कोशिशों से, घुट जाए दम भी मेरा,
जलती है आग भी अब, धुँआ बदल-बदल के..
होगी तेरी नज़र में, हँसी खेल ये मोहब्बत,
इश्क भी अक्सर तुझे, हुआ बदल-बदल के..
कुछ अपनी रहगुज़र में, तब्दीलियां चाहते थे,
खेला है ज़िन्दगी का, जुआ बदल-बदल के..’
– प्रयाग धर्मानी
मायने :
रज़ा – मर्ज़ी
रहगुज़र – रास्ता
तब्दीलियां – परिवर्तन
मंज़र
August 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी
“गौर से देख तू इस दिल के उजड़े मंज़र को,
है जो खंडहर कभी आबाद हुआ करता था..
वो जिसे ‘अदना सा शागिर्द’ लोग कहते हैं,
वो कभी इश्क में उस्ताद हुआ करता था..”
– प्रयाग
मायने :
मंज़र – दृश्य
अदना सा – मामूली/छोटा सा
शागिर्द – शिष्य
यूँ बना खुद को..
August 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘यूँ बना खुद को के खुदा से भी ये कह सके,
अब देखता हूँ तेरी आँधियों का करना क्या है..’
– प्रयाग
तज़ुर्बा
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘दिखा दिया ये तज़ुर्बा भी ज़िन्दगी ने हमें,
हैं कितने शख्स ज़हर, और दवा है कितने..
न रोशनी को इल्म, न ही चिरागों को पता,
है कितने बुझने और मंज़ूर-ए-हवा हैं कितने..’
– प्रयाग
मायने :
इल्म – ज्ञान
खुदगर्ज़ी
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘यही चलन सा हो गया है अब ज़माने का,
हो जो खुदगर्ज़ी तो एहसान घट ही जाता है..
रास्ता कौन बदलता है किसी की खातिर,
जो पेड़ बीच में आता है कट ही जाता है..’
– प्रयाग
सहारा उनका
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘देखें ठोकर या फिर हम देखें सहारा उनका,
कभी-कभी यूँ भी गिराते हैं संभालने वाले..’
– प्रयाग
बे-लौस
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘बे-लौस किस ज़ुबाँ से कहें आज बशर को,
साये में बैठकर भी काट डाला शजर को..’
– प्रयाग
मायने :
बे-लौस – नि:स्वार्थ
बशर – इंसान
शजर – पेड़
औकात
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘है ऐसा कुछ भी नही जिसको तू उजाड़ सके,
मेरी नज़र में तूफाँ अब तेरी औकात नही..’
– प्रयाग
मुसलसल
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘उथल-पुथल सी मुसलसल है ज़ेहन में मेरे,
सुकून-ए-इश्क मगर बेशुमार है मुझमे..’
– प्रयाग
मायने :
मुसलसल – सिलसिलेवार/लगातार
ज़ेहन – दिमाग
सुकून ए इश्क – इश्क का सुकून
खालीपन
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘वो शख्स, खुद ही जो खाली हो अपने अंदर से,
वो दूसरों को खालीपन के सिवा क्या देगा..
झूठ की परतों को परतों पे चढ़ाने वाले,
तेरे किए का सिला अब वो आसमाँ देगा..:
– प्रयाग
लौटा दे..
August 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
‘वो एक पल भी किसी तौर ना हुआ मेरा,
जो मैंने बाँधा था मन्नत का धागा, लौटा दे..
के तुझसे एक कदम साथ भी चला न गया,
मैं तुझे पाने को हूँ कितना भागा, लौटा दे..
तूने इक दिन दिया था, वो भी ले लिया मुझसे,
तेरे लिए मैं जितनी रातें जागा, लौटा दे..
मेरी उम्मीद तेरे पास रखी है शायद,
तू मुझे मुँह पे ही कह दे अभागा, लौटा दे..
जो मैंने बाँँधा था मन्नत का धागा लौटा दे..’
– प्रयाग धर्मानी
मायने :
तौर – तरीका/ढंग
हादसे
August 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘किनारे रखके ज़माने की नेमतें ए खुदा,
मैं तुझसे माँगता फिरता था बस उसे लेकिन..
मेरी मासूम हसरतों को अधूरा करके,
दर्द के काम आ गए वो हादसे लेकिन..’
– प्रयाग
मायने :
नेमतें – वरदान
बदल गया
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘कुछ इस तरह ज़िन्दगी का फसाना बदल गया,
वो क्या बदला कि सारा ज़माना बदल गया..
रिश्तों पर बेरूखी का असर कुछ यूँ हुआ,
उसका रूठना बदला तो मेरा मनाना बदल गया..’
– प्रयाग
अग्यार
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘शायद कि उन ने जीस्त को बाजार था माना,
वो हो अग्यार जिन्हें यार था माना..’
– प्रयाग
मायने :
जीस्त – ज़िन्दगी
अग्यार – पराए लोग
न दुआ लगती है
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘न दुआ लगती है, न मुझको दवा मिलती है
ज़ख्म दुखता है अगर उसको हवा मिलती है..
किसी तरह से उसे दिल से निकाला था मगर,
वो अगले पल ही मुझे मुझमे रवाँ मिलती है.’
– प्रयाग
गाँव
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘गाँव में हाथ, कई हाथ थामे रखते हैं,
शहर में खींचने को सिर्फ पांँव होता है..
तरक्की कहने को कितनी ही की हो शहरों ने,
यूँ कुछ भी कह लो मगर गाँव, गाँव होता है..’
– प्रयाग
किरदार
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘ऐसे किरदार का यूँ भी है महकना वाजिब,
कि नाम जिसका महज़ खुशबुओं से लिखा हो..
आखरी खत ये जो खाली सा नज़र आता है,
यूँ भी हो सकता है कि आँसुओं से लिखा हो..’
– प्रयाग
इतना तो दे दे वक्त
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘तुझे तो रोक न पाया, किसी तरह लेकिन
शायद मैं तेरी याद को नाकाम कर सकूँ..
तू खुद नही मौजूद तो तेरा खयाल है,
इतना तो दे दे वक्त के कुछ काम कर सकूँ..’
– प्रयाग
अयादत
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘तेरे खयाल से बस ये सवाल पूछा है,
किसी तरह से यूँ खुद को संभाल, पूछा है
नही मिला है जब, कोई हमें अयादत को,
तेरी ही बेरुखी से अपना हाल पूछा है..’
– प्रयाग
मायने :
अयादत : हाल चाल पूछना
आबो-हवा
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘कुछ दुआ का असर है, कुछ दवा का असर है
या फिर ये तेरे शहर की हवा का असर है..
दस्तकें देने लगी मोहब्बत ज़िन्दगी में अब,
ये तेरे और मेरे दरमियां का असर है..’
– प्रयाग
उम्मीद
August 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी
न उसे छोड़कर गया, न कभी जाऊँँगा
इसी उम्मीद पर शायद वो ऐतबार करे..
मैं किये जा रहा हूँ अब भी मोहब्बत उससे,
होके मजबूर वो कभी तो मुझसे प्यार करे..
– प्रयाग
डर लगता है
August 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
‘गुज़री कुछ यूँ कि अब तन्हाई से डर लगता है,
हमें तो अपनी ही परछाई से डर लगता है..
गहराई अब तो समंदर की बेअसर हैं यहाँ,
हमें तो इश्क की गहराई से डर लगता है..
इक अदा थी जो गिरफ्तार कर गई हमको,
आजकल हर हसीं अंगड़ाई से डर लगता है..
जान पहचान ने ही दर-बदर किया हमको,
अब तो हर शख्स की आशनाई से डर लगता है..’
– प्रयाग
मायने :
आशनाई – पहचान
कैसे मैं अकेला कर दूँ
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
‘आज कहता है दिल कि एक फैसला कर दूँ
तुझे दुनियाँँ के सारे सुख कहीं से लाकर दूँ..
तूने उस उम्र में सीने से लगाया हर पल,
तुझे इस उम्र में कैसे मैं अकेला कर दूँ..’
#वृध्द माँ
– प्रयाग
न कोई सबूत
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
न कोई सबूत ओ गवाह और ना कोई था निशां,
सामने बैठकर कोई दिल को चुराया न करे..
खफा यूँ थे..
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
खफा यूँ थे कि आज तक ज़िन्दगी ने,
जो कुछ भी कहा, हमने माना ही नही..
ठोकरें हमें क्या ठोकर मारेंगी
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मुश्किलों का कोई गम नही हमें,
कि हर रास्ते पर मुस्कुरा कर चलते हैं..
ठोकरें हमें क्या ठोकर मारेंगी,
हम तो खुद उन्हें ठुकरा कर चलते हैं..
– प्रयाग
उठा अपनी आँँधियों को
August 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
उठा अपनी आँधियों को, बढ़ा हवाओं का असर,
साथ मेरे चल पड़ा है कितनी दुआओं का असर..
अब कभी गिरते नही टूटकर पत्ते शाखों से,
मेरे गुलशन पे छाया हुआ है उसकी फ़िज़ाओं का असर..
होने नही देता कभी ये बेफिक्र मुझे,
मुझसे ही उलझ पड़ता है मेरी वफाओं का असर..
बड़ी मुश्किल से बना हूँ
August 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद,
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद..
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइंतहां लेकिन,
अक्सर ये महसूस हुआ, तेरे जाने के बाद..
ढूंढ रहा हूँ मैं अपने अंदर उस शख्स को,
जो नज़र से खो गया है, नज़र आने के बाद..
– प्रयाग
अज़ीज़
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मैं कितना अज़ीज़ था ये इस बात से ज़ाहिर हुआ,
लगा के आग मुझे कुछ देर, कोई भी रुका नही..
आँसू
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
रुकने नही दिया किसी की पलकों ने हमें,
जब भी किसी की आँख का आँसू बने हैं हम..
चूड़ियाँ
August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी
कोई कह दे उनसे कि यूँ चूड़ियाँ खनकाया ना करें,
पलट पलट कर देखता हूँ सुनकर मैं नाम अपना..
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