लौटा दे..
‘वो एक पल भी किसी तौर ना हुआ मेरा,
जो मैंने बाँधा था मन्नत का धागा, लौटा दे..
के तुझसे एक कदम साथ भी चला न गया,
मैं तुझे पाने को हूँ कितना भागा, लौटा दे..
तूने इक दिन दिया था, वो भी ले लिया मुझसे,
तेरे लिए मैं जितनी रातें जागा, लौटा दे..
मेरी उम्मीद तेरे पास रखी है शायद,
तू मुझे मुँह पे ही कह दे अभागा, लौटा दे..
जो मैंने बाँँधा था मन्नत का धागा लौटा दे..’
– प्रयाग धर्मानी
मायने :
तौर – तरीका/ढंग
बहुत ही उम्दा
शुक्रिया जी
बहुत शानदार
शुक्रिया आपका
सुन्दर
बहुत बहुत आभार
बहुत खूब
शुक्रिया
Bahut he achhi kavita hai
बहुत शुक्रिया आपका
Really nice
Thanks For Compliment
Very nice
Thank You