अब ना कोई शहीद होगा

October 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब ना कोई शहीद होगा
अब ना कोई सुहाग उजड़ेगा
अब न कोई बालक अनाथ होगा
अब तो केवल पाक साफ होगा
प्रस्तुति – रीता जयहिंद
जय भारत

यह देश है शेर जवानों का

October 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह देश है शेर जवानों का
अब तो नाश होगा हैवानों का
अब तो सिर्फ हिसाब होगा सत्रह जानों का
यहाँ खौल रहा है खून हर हिन्दुस्तानी का
प्रस्तुति – रीता जयहिंद

अब तो पूरा पाकिस्तान हमारा होगा

October 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब तो कोई माफी भी न काम करेगी
अब तो सिर्फ तुम्हारी मय्यत ही सजेगी
काश्मीर की धरती फिर से जन्नत ही बनेगी
अब तो न कोई माॅ का आंचल सूना होने पायेगा
अब की बार सीधे छाती पर तिरंगा गाढ़ दिया जाएगा
अब न पिता के सपनों का खून होने पायेगा
अब न कोई दंगा होगा
अब न कोई आतंग होगा
अब तो पूरा पाकिस्तान हमारा होगा

भारत माता की जय
कविता
शीर्षक – पाक साफ
प्रस्तुति – रीता जयहिंद

जब पाक खाक होगा

October 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब पाक खाक होगा
भारत में एक त्योहार
और मनाया जायेगा
जैसे दशहरा मनाया
जाता है रावण का
पुतला दहन करके
वैसे ही आतंकवाद
का पुतला जलाया जायेगा

प्रस्तुति – रीता जयहिंद

शुक्रिया मोदी जी

October 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

छप्पन इंची सीना ना जाने कैसे बहत्तर इंची का हो गया
वाह मोदी जी वाह ये तो कमाल हो गया
सारा देश मोदी जी आपका कायल हो गया
मेरा बुझा मन भी रोशन हो गया
सारे देश में जैसे कमल खिल गया
वाह मोदी जी वाह ये तो गजब हो गया

जयहिंद
प्रस्तुति – रीता जयहिंद

Tribute to Uri Incident

October 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोये हुए सैनिकों को मारकर तूने किया है बुरा काम
वाकई में ना कोई तुझसा नमक हराम
अब तो मिट जाएगा दुनिया से तेरा नामोनिशान
सोच बेटा अब क्या होगा तेरा अंजाम
प्रस्तुति – रीता जयहिंद

पाक के गद्दारों के लहू से कर दो धरती लाल

September 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

पाक के गद्दारों के लहू से कर दो धरती लाल
उसी खून से करना है माँ भारती का श्रंगार
तत्पश्चात चिड़ियाघर में भूखे शेरो और चीतों के आगे फेंक दो मेरी सरकार
तो दीपक जलाऊॅ मैं जाकर सरहद पार |

प्रस्तुति – रीता जयहिंद

वीर जवानों को श्रद्धांजलि

September 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम भारतवासी हैं
हम सभी धर्मों का आदर करते हैं
जो भारत माँ की तरफ आंखों उठायेगा
उसका सीना चीर दिया जाएगा
जो इन दिलों में नफरतों के बीज बोयेगा
वह जिंदगी भर रोयेगा
भारत माँ के रखवाले हमारे वीर सैनिक हमें जान से ज्यादा प्यारे है
मां कसम एक वीर के बदले सौ – सौ
दुशमनों को मार गिराने की हम ठाने हैं
जितने भी गद्दारों तुमने पाले हैं
वह सब लगे हमारे निशाने हैं
एक वीर की जगह सौ गद्दारों को गिरायेंगे
और तिरंगे का मान बढ़ायेंगे
पाकिस्तान के गद्दारों के लहू से शोभित होगी हमारी धरती
उस लहू से तिलक करेंगे अपनी भारत माँ का
तभी शहीदों की शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि होगी

(भारत माता की जय)
– रीता जयहिंद

हमारा हिन्दुस्तान

September 15, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम हिन्दुस्तानी हैं
हिन्दुस्तान हमें जां से ज्यादा प्यारा है
हम भारत माता के लाल हैं
जो करेगा भारत मां का अपमान
उसे आज हमने ललकारा है
काश्मीर और अवध हमें जा से ज्यादा प्यारा है
जो सदा से ही हमारा था हमारा है और हमारा ही रहेगा
जो उसकी तरफ आंखों उठायेगा
उसका विनाश कर दिया जाएगा
ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा
तिरंगा भारत मां की शान है
हमारे देश का स्वाभिमान है
जो करेगा उसका अपमान
उसका कर देंगे हम काम तमाम
संत महापुरुष भारत वासियों को प्यारे है
वो हिंन्दुस्तान की शान है आन है
जो करेगा उनके भगवा रंग का अपमान
वो न रहे सकेगा इस जहान् में
वो हमारी पूजनीय है
गंगा जल हमारा अमृत है
तुलसी की करते हम पूजा हैं
जो करेगा इनका अपमान
हम इनकी रक्षा के लिए
एक कर देंगे जमीन और आसमान
हिन्दी और हिन्दुस्तान हमें
जां से ज्यादा प्यारे हैं
इतिहास साक्षी है हमने दुश्मन सदा संहारे हैं
भारत माता के टुकड़े करने वालों
हम तुम्हारे टुकड़े कर डालेंगे
कान खोलकर सुन लो गद्दारों
हम तुम्हें जान से ही मार डालेंगे
खुदा भी बचा नहीं पायेगा
जब इंकलाब आयेगा

भारत माता की जय
प्रस्तुति – रीता अरोरा
संपर्क – 9717281210

आशिकों की आशिकी

August 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब तो संभलो नाजुक लड़कियों
ये आशिक इतने नादान नहीं
पीकर रस ये उड़ जाते हैं
धरना इन पर ध्यान नहीं
ढूँढे लड़कियों को गलियों में
सब तो आज शिकारी हैं
आगे क्या अब लड़कों का मकसद
इसका भी अब ज्ञान नहीं
मत करो विश्वास लड़कों पर
ये झूठी प्रेमलीला रचाते हैं
लड़कियों को प्रेमजाल में फांसकर
लोटकर फिर ये आते नहीं
रोज नई गर्लफ्रेंड बनाना ही
नया बना फैशन इनका
ब्वायफ्रेंड के चक्कर में पड़ना
लड़कियों ये दुनिया की शान नहीं
जात धर्म का नाम बदलकर
धोखा लड़के देते हैं
नजरों में आशिकों की कोई
लड़कियों का अब मान नहीं
ऋषि मुनियों की धरती पर
वेद सरीखा ज्ञान नहीं
सॅस्कृत भाषा से बढ़कर कुछ
दुनिया में वरदान नहीं

प्रस्तुति – रीता अरोरा

सावन की बारिश

August 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन का महीना आया
बादल गरजे डम – डम – डम
बिजली कड़की आसमान में
पानी बरसा छम – छम – छम
मुन्ना की दादी बोली
घर में पानी टपक रहा
मुन्ना के दादा बोले
ये कुदरत का प्यार है
जो हम पर है बरस रहा
पत्नी बोली इतनी बारिश में
दफ्तर क्यों अब जाते हो
चलो यहीं छत के ऊपर
बारिश का लुत्फ उठाते हैं
बच्चे बोले पापा हमें
रेनकोट दिलवा देना
और साथ में पिक्चर के
टिकट भी हैं मंगवा देना
घर के बाहर था पानी भरा
जाता भी अब कहाँ भला
घर में रहकर जी भरकर
रेनी – डे मनाया हमने
इसी तरह परिवार के संग
कुछ समय साथ बिताया हमने

प्रस्तुति – रीता अरोरा

रचनाकार

August 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम कविता का विषय बनो
और मैं कविता का रचनाकार
चलो इस तरह से रच लेते हैं
कुछ कविताएँ दो – चार
मौन रहें और बोलते रहें
हम दोनों के नयन
तुम ऐसे मुस्कराओ
उसमें हों छुपी हजारों बातें
नयनों की भाषा पर
भाव तुम्हारे प्रकट करूँ
और उतार सकूँ कागज पर
तुम्हारे कोमल भाव
और उन्हें फिर दे दूँ
इच्छित शब्दों का आकार
चलो इस तरह से रच लेते हैं
कविताएँ दो – चार
ऐसे अपने केश भिगोना
जैसे सावन की बरखा
की टपकें उनसे बूंदें
मन भी सावन सा नहा उठे
ऐसे भीगें तुम्हारी पलकें
ऐसे कविताकार बने

– रीता अरोरा

शेरो – शायरी

August 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ताउम्र तलाशती रहती थी आॅखियाॅ जिनको
वो ना मिला मुझे पूरे जहान् में
जब पलकों को गिराकर ध्यान लगाया श्याम की सलोनी सूरत का
फिर धीरे से उठाई पलकों की चिलमन
तो श्याम सुंदर की छवि नयनन मैं बस गई

महबूब क्या होता है तुम्हें क्या मालूम
तुम तो सिर्फ एक लेबल हो मेरे नाम के
तुम्हें क्या पता घर कैसे चलता है

क्यों नयनों के ।तीर चलाते रहते हो
इतने भी ना करो सितमगर सितम्बर हमपर
कि सितम भी कम पड़ने लगे

उसने कहा चांद मेरा है
मैंने कहा चांद मेरा है
उसने कहा चांद तो एक है
मैंने कहा फिर कहाँ से तेरा है

प्रस्तुति  – रीता अरोरा 

जरा मुसकुरा कर देखो

August 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुप्रभात ! शुभ दिवस !!
आपका दिन मधुर और मंगलमय हो !!!
रात को छत पर जाकर देखो..
चांदनी में ज़रा नहा कर देखो ।
चाँद को पास बुला कर देखो..
गीत सुहाना तुम गा कर देखो ।
ख्वाब गुलाबी सजा कर देखो..
बादलों के पार तो जा कर देखो ।
मन मयूर को नचा कर देखो..
दिल का साज बजा कर देखो ।
तुम में भी चमक आ जायेगी..
तारों सा टिमटिमा कर देखो ।..
अमनों चैन तुम पा जाओगे..
दिल को जरा बहला कर देखो ।
चांदनी मलहम बन जायेगी..
ज़ख्मों पर इसे लगा कर देखो ।
दिल का कमल खिल जायेगा..
सूर्य -तारों को जरा मुस्कुरा कर देखो।-

प्रस्तुति – रीता अरोरा

बेटी बचाओ – बेटी पढाओ

August 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

उसके सिर्फ दो बेटियाँ थी
दोनों सरकारी स्कूल मैं पढती थी
अबकी उन्हें सिर्फ बेटा ही चाहिए था
लेकिन फिर से बेटी हो गई
अभी आधा घंटा ही जी पाई थी
अल्लाह को प्यारी हो गई
घर में खुशी का माहौल था
जैसे कुछ हुआ हीं नहीं था
दोनों बेटियाँ मां से पूछ रही थी
माँ दादी ने गुड़िया को क्यों मारा
क्या वे हमें भी मार डालेंगी
दोनों बहनें सहम – सहम कर जीने लगी
और ऊँची – ऊँची डिग्रियां लेकर बड़ी हो गई
आज वो माँ – बापू पर बोझ नहीं थी
अपने रुपयों से ब्याह करवा रही थी
फिर क्यों बेटियों को बोझ समझा जाता है
क्यों बेटों से कम समझा जाता है

प्रस्तुति – रीता अरोरा

नई – नई शादी

August 13, 2016 in Other

मेरे घर के पडौस में अभी नई – नई शादी हुई थी । सुनने में आया कि लड़की वाले गरीब हैं । फिर भी बहू ढेर सारा दहेज साथ लाई थी मुझे कुछ अचंभा हुआ और मुझसे बिन पूछे रहा नहीं गया मैंने बातों ही बातों मे पूछ ही लिया बहू तो गरीब घर की थी फिर इतना सारा दहेज? इस पर उसके ससुर कुछ तुनककर बोले कि लड़की ब्याह रहे हैं इसमें हमारा क्या कसूर है । लड़के की पढ़ाई पर जो खर्च किया वही तो भरेगी।मुझे उनकी बातें अच्छी नहीं लगी और मैं वहाँ से चली आई। अगले ही दिन सुनने मेरी आया कि 10 तोले सोने की कमी रह गई थी जब मैं सुबह उठी तों देखा पडौस में भीड़ लगी थी शायद आग लगने से बहू जला दी गईं थी जब मैं माजरा मालूम करने पहुँची पता चला लड़की के पिता 10तोला सोना कहीं से अरेंज करके लाये थे पर उन्हें भरोसा ही नहीं था कि ये कांड हो गया । मैंने चिल्लाकर कहा इन्हें जेल भिजवाईये । शायद पुलिस वालों का पहले से ही नोटों से मुॅह बंद करवा दिया था वह उल्टे मुझे ही हथकड़ियां पहनाने लगी और कहने लगी बवाल मचाती है । अगलों की नई दुल्हन नहीं रही और तुम उनका दुख बढ़ा रही हो किसने कहा कि मामला दहेज का है । दरअसल लड़की का एक ब्वायफ्रेंड भी है । हाल से तरह – तरह की आवाजें आने लगी। कोई कलमुॅही तो कोई मुॅहजली कह रहा था । लड़की के पिता से जिल्लत सही नहीं गई और उन्हें अटैक आ गया । आवाजें और तेज हो गई की सालाना दुनिया से मुॅह छिपा गया उसकी बेबसी पर मुझे रोना आ गया ऐ खुदा क्या जमाना आ गया ।
प्रस्तुति – रीता अरोरा

जिंदगी की चाहत

August 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहाँ हमें मिलना था वहीं मिलते
तो अच्छा था
जहाँ दूरियां न होती नजदीकीयां होती
वहीं मिलते तो अच्छा था
जहाँ फूल खिलते बहारें होती वहीं मिलते
तो अच्छा था
जहाँ सपने न होते हकीकत होती वही मिलते
तो अच्छा था
जहाँ वादे न होते भरोसा होता वही मिलते
तो अच्छा था
जहाँ दुशमनी न होती दोस्ती होती वहीं मिलते
तो आच्छा था
जहाँ वतन होता हिन्दुस्तान होता वहीं होते
तो अच्छा था
जहाँ वंदेमातरम् होता जहाँ राष्ट्रीय गान होता वहीं होते
तो अच्छा था ।

जयहिंद – रीता अरोरा

किट्टी पार्टी

August 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी पड़ोसनों को
किट्टी पार्टी में जाते
जब भी देखती थी
मन से कभी आह तो
कभी गाली निकलती थी
मुझे भी किट्टी पार्टी का
भूत सवार था अब तो
पतिदेव का जीना दुश्वार था
उन्हें शायद ये बातें
गवारा ना थी पर मेरी
कोशिशें कुछ कम ना थी
कभी रूठकर कभी मानकर
उनका जीना दूभर कर दिया
करवाचौथ पर ये शर्त
रख दी जो भी मांगूगी
वही लूंगी वर्ना भूख से
प्राण दे दूंगी जब मेरा
इरादा मजबूत देखा
मैंने उन्हें कांपते देखा
जब मैंने उन्हें कांपते देखा
मेरे मन में खुशी की लहर दोड़ी
तभी मैंने अपने भूख से
मरने की कसम थोड़ी
अब तो मुझे हर जिद्द
मनवाने का तरीका आगया था
अब तो बिना रूठे
हर बात मान लिया करते हैं
एक – दूसरी को नीचा
दिखाने की होड़ में
हालात इतने बिगड़ चुके है
घर से बेघर हो गये है
बच्चे भी पब्लिक स्कूलों से
सरकारी स्कूलों में जाने लगे
अकेले मे बैठकर अपनी
बेबसी पर आंसू बहाती हूँ
शायद फिर से
वो दिन लोटकर आयेगे
ये सोचकर मन को ढाड़स
बंधाती हूँ पतिदेव की आज्ञा
पालन करना अपना धर्म
समझती हूँ किट्टी पार्टी मन में होदिखानेकी
कांटा बनकर रह गई और
जिंदगी भर की चुभन दे गई

प्रस्तुति – रीता अरोरा

एकता की जोत

August 12, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम भारत मैं एकता की
अखंड जोत जलायेंगै
बहकावे में किसी के
अब न हम आयेंगे
दुख और मुश्किलों से
अब ना हम घबरायेंगे
रोटी एक हो या आधी
मिल बांटकर हम खायेंगे
अभी प्रेम हमारा
देखा है तुमने
जिस दिन रोष हमारा
देखोगे
खुदा भी बचा न पायेगा
खूनी दिन और खूनी रातें
कब तिलक खेल ये खेलोगे
जाग गया है हिन्दूस्तान
जाग गया है बच्चा – बच्चा
जाग गया हर नोजवान
दंगाईयों को मार – मारकर
देश से हम भाग देंगे
अब देश को यूँ ना हम
खूनी रंग से रंगने देंगे
यहाँ प्यार बसे हैं दिलों में
प्यार के रंग चढायेंगे
सबसे पहले भगवा रंग
फिर तिरंगा हम लहरायेंगे

प्रस्तुति – रीता अरोरा

मां तेरा लाल आयेगा

August 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ तुम राह देखती होगी
कि मेरा लाल आयेगा
पर सरहद पर जंग इतनी
छिड़ी थी कि तेरा लाल नआ पाया
वो इतने सारे थे कि माँ
तेरा लाल अकेला पड़ गया
मैंने एक – एक को मार गिराया
वो भी अकेला रह गया
अचानक उसने भारत माता
का नारा लगाया
मैंने जैसे ही भारत माता के
चरणों में शीशे झुकाया
उसने धोखे से मुझे मार गिराया
अब कोई गम न करना मां
भारत माता पर कुरबान हुआ हूँ
तिरंगे में लिपटा जब मेरा शव
आयेगा तो आंसू एक न बहाना
मां
वरना तिरंगे का अपमान होगा
मां कसम अबकी जब आऊँगा
अब ना दुश्मन की चाल में
आऊँगा
दुशमनों से बस इतना कह देना
मेरा लाल आयेगा
मेरा लाल आयेगा

– रीता अरोरा

काश्मीर और अवध हमारा है हिन्दुस्तान हमारा है।

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

चांद और सूरज हमारा है
धरती और आसमान हमारा है
कश्मीर और अवध हमारा है
हिंदुस्तान हमारा है
न कुछ रहा जो तुम्हारा है
तोप तलवार गोला बारूद
मिसाइल जंखिरा की
मात्रा हमपर भारी है
अब न कश्मीर बंटने पायेगा
धरा पर रामराज ही रहे पायेगा
अब जंग छिड़ने वाली है
करना यह सरहद तुम्हें खाली है
आने वाला तूफान भारी है
यदि जान तुम्हें प्यारी है
तो भाग चलो यहाँ से
कयामत आने वाली है

– रीता अरोरा

माटी का कर्ज

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अनजानी राहों पर बिन
मकसद के मैं चलती हूँ
जबसे तुम से जुदा हुई हूँ
तनहाईयों में पलती हूँ
कब आओगे तुम प्रियवर
अब और सहा नहीं जाता है
बिन तुम्हारे जीवन मुझसे
अब न काटा जाता है
तुम से ही मेरा ये दिन है
तुम से ही ये रैना है
तुम बिन सूनी ये दुनिया
तुम बिन बैचेन ये नयना
भीगी पलकें भीगे नैना
भीगी दामन चोली है
ऑख़ों का काजल
माथे की बिंदिया
हंस – हंस कर तुम्हें बुलाने हैं
सुनो प्रियवरम
मेरी भी मजबूरी है
यहाँ सरहद पर
जंग भारी छिड़ी है
अपने वतन की खातिर
जो कसमें हमने खाई हैं
उस माटी का कर्ज
चुका कर आता हूँ
जब भी तुम बैचेन रहो
उन यादों मैं जीना सीख लो
जो वक्त गुजारा हमने संग में
उन यादों मैं जीना सीख लो
फिर न तनहाईया
न बैचेनी तुम्हें सतायेगी
भारत माता पर यह
कुर्बानी बेकार नहीं जायेगी

। । जयहिंद ।।
– रीता अरोरा

तिरंगे का मान

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

लेखनी को पुष्प चढ़ाकर
भाव ह्रदय से सजाकर
ज्ञान का भंडार भरकर
प्रेम – अश्रु के साज से
आज कुछ ऐसा लिखूॅ
गीता लिखूॅ कुरान लिखूॅ
वेद लिखूॅ ग्रन्ध लिखूॅ
राम लिखूॅ – कृष्ण लिखूॅ
सच लिखूॅ या झूठ लिखूॅ
आईने सा स्पष्ट लिखूॅ
आज देश पर छाया जो
दुशमनों का कोहराम है
देश वासियों का हुआ
जीना अब मुहाल है
मिलकर सब भारतवासी
बचा लें अपना मथुरा कासी
अवध और काश्मीर के साथ
माँग लें अपना ननकाणां साहब
और माँग लें अपना सिंध
तभी सही मायने मैं
अपना पूर्ण होगा हिंद
ह्रदय के भाव से
शत्रुओ के घाव से
सैनिक है लड़ रहा
देश की खातिर मर मिट रहा
माँ भारती को शीष नवाकर
शहीदों का सम्मान कर
तिरंगे का मान रखें
भारत की आन रखें
लेखनी को पुष्प चढ़ाकर
आज कुछ ऐसा लिखूॅ

भारत माता की जय
– रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली
राष्ट्रीय जागरण धर्म हमारा

मिठाई वाले से फलर्ट

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक बार मैं एक फेमस
मिठाई की शाॅप में गई
चांदीवर्क में लिपटी रंग – बिरंगी
चमचमाती मिठाईयां देखकर
मेरे मुँह में पानी भर आया
जैसे ही मैंने पर्स की तरफ हाथ बढ़ाया
मुझे अपनी खाली जेब का ख्याल आया
पर मन में था लालच समाया
फिर भी मैंने मिठाई लेने का मन बनाया
मैंने मिठाई वाले दुकानदार से
कुछ रौबीले अंदाज में कहा
भाईसाहब मुझे बीस – पच्चीस किलो
मिठाई पैक करवा दीजिए
पैसे कल ड्राइवर के हाथ भिजवा दूंगी
मिठाई वाले दुकानदार ने मुझे
ऊपर से नीचे तक अच्छी तरह से देखा
और मन ही मन कहने लगा
लगती तो बड़े घर की है
मैंने तुरंत उनकी बात का समर्थन किया
और कहा कि मैं रिश्ते में
केजरीवाल की बहन लगती हूँ
उन्होंने तुरंत अपना पाॅच साल
पेंडिंग पानी का बिल थमाया
और कहने लगे मेरा बिल माफ करवा दीजिए
मिठाई आप जितनी चाहे ले जाईये
तभी मैंने एक तीर और कमान से निकाला
और कहा राष्ट्रीय कवि संगम
में मेरी जान – पहिचान है
सुनते ही मिठाई वाला मेरे
पांव में गिर पड़ा
कहने लगा कभी मैंने भी दो – चार
कविताएँ लिखी थी
पर कभी सुनाने का चांस ही नहीं मिला
मैंने आशीर्वाद भरा हाथ
उनके सिर पर फिराया
राष्ट्रीय कवि संगम का पता बताया
उन्होंने मुझे पचास किलो
मिठाई पैक करवा दी ।

– रीता अरोरा

अनजानी राहों पर मैं चलती हूँ

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अनजानी राहों पर बिन
मकसद के मैं चलती हूँ
जबसे तुम से जुदा हुई हूँ
तनहाईयों में पलती हूँ
कब आओगे तुम प्रियवर
अब और सहा नहीं जाता है
बिन तुम्हारे जीवन मुझसे
अब न काटा जाता है
तुम से ही मेरा ये दिन है
तुम से ही ये रैना है
तुम बिन सूनी ये दुनिया
तुम बिन बैचेन ये नयना
भीगी पलकें भीगे नैना
भीगी दामन चोली है
ऑख़ों का काजल
माथे की बिंदिया
हंस – हंस कर तुम्हें बुलाने हैं
सुनो प्रियवरम
मेरी भी मजबूरी है
यहाँ सरहद पर
जंग भारी छिड़ी है
अपने वतन की खातिर
जो कसमें हमने खाई हैं
उस माटी का कर्ज
चुका कर आता हूँ
जब भी तुम बैचेन रहो
उन यादों मैं जीना सीख लो
जो वक्त गुजारा हमने संग में
उन यादों मैं जीना सीख लो
फिर न तनहाईया
न बैचेनी तुम्हें सतायेगी
भारत माता पर यह
कुर्बानी बेकार नहीं जायेगी

।। जयहिंद ।।
– रीता अरोरा⁠⁠⁠⁠

दुल्हन ही दहेज है

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

वे प्रेम विवाह रचा रहे थे
सपने नये सजा रहे थे
लड़की थी पढ़ी – लिखी
बढ़िया वेतन पाती थी
महीने में 60 – 70 हजार
कमाकर लाती थी
पर दहेज की बातें उसे
तनिक नहीं सुहाती थी
लड़के के पिता फरमाइशों
की झड़ी लगा रहे थे
रुपया – पैसा सोना – चांदी
मोटर – कार गाड़ी बंगला
सभी कुछ मंगवा रहे थे
वरना बिन दुल्हन बारात
वापिस ले जा रहे थे
लड़की के पिता गिड़गिड़ा रहे थे
लड़की से पिता की बेबसी
सही नहीं जा रही थी
अचानक उसे गुस्सा आया
उसने कराटे का एक हाथ
लड़के के पिता के
गाल पर जमाया
तभी लड़के के पिता के
होश ठिकाने आया
उसने पंडित तुरंत बुलाया
विधि – विथान से ब्याह रचवाया
सुंदर दुल्हन घर में लाया ।

प्रस्तुति – रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली

माँ शारदे की इतनी रहमत

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ शारदे की इतनी रहमत बरसती है
लेखनी भी आपके पास रहने को तरसती है
मन के भाव इतने गहरे होते हैं
शब्द जैसे माला के मोती पिरोये होते हैं
संचालन इतना बखूब होता है
इक समां सा बंध जाता है
मन मेरा आपको सेल्यूट मारने को चाहता है ।
गुरु पूर्णिमा पर आपके लिए विशेष

– रीता अरोरा

क्या जालिम अदा है तेरी

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

यूँ अरमानों की डोली उठ गई
प्यासे नैनों की प्यास बढ़ गई
जब देखा तुम्हें दूसरे की बांहों में
मेरी तो मय्यत उठ गई ।

क्या जालिम अदा है तेरी
कि सब कुछ लुटा दिया हमने
अब तो हुस्न के नजारे
सिर्फ सपनों में ही दिखाई देते हैं

तकदीर से ज्यादा इतना मिला मुझको
अब कोई तमन्ना बाकी न रही
बांके बिहारी के चरणन की धूल मिल जाये।
जिंदगी बिंदास गुजर जाये

– रीता  अरोरा

हार जाने की खुशी

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

उन्हें जिताना मुझे
अच्छा लगता है
प्रथम स्थान वही पाये
इसलिए उनसे हार जाना मुझे
अच्छा लगता है
वे तो मेरे बड़े भय्या हैं
उनका सर ऊपर उठाना मुझे
अच्छा लगता है
उनके नाज़ उठाना मुझे
अच्छा लगता है
बड़े को मान देना मुझे
अच्छा लगता है
छोटा हूँ छोटा ही रहना मुझे
अच्छा लगता है
जीतकर भी जानबूझकर
हार जाना मुझे
अच्छा लगता है
जब जीत जाते हैं वो
उनकी जीत पर तालियाँ बजाना मुझे
अच्छा लगता है
उन्हें ईनाम मिले ये देखकर मुझे
अच्छा लगता है
यूँ अपनों से हार जाना मुझे
अच्छा लगता है
माॅ – बापू के साथ भय्या की
जीत का जश्न मनाना मुझे
अच्छा लगता है
भय्या को उनकी जीत पर बधाई देना
मुझे अच्छा लगता है
अपनी जीत पर जानबूझकर
हार जाना मुझे
अच्छा लगता है
और भय्या का मेरी हार पर
हमदर्दी जतलाना मुझे
अच्छा लगता है
अपनी हार पर खुश होना मुझे
अच्छा लगता है

।।धन्यवाद।। रीता अरोरा

चांद और सूरज हमारा है

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

चांद और सूरज हमारा है
धरती और आसमान हमारा है
कश्मीर और अवध हमारा है
हिंदुस्तान हमारा है
न कुछ रहा जो तुम्हारा है
तोप तलवार गोला बारूद
मिसाइल जंखिरा की
मात्रा हमपर भारी है
अब न कश्मीर बंटने पायेगा
धरा पर रामराज ही रहे पायेगा
अब जंग छिड़ने वाली है
करना यह सरहद तुम्हें खाली है
आने वाला तूफान भारी है
यदि जान तुम्हें प्यारी है
तो भाग चलो यहाँ से
कयामत आने वाली है

– रीता अरोरा

आओ मानव धर्म निभाया जाये

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आओ मानव धर्म निभाया जाये
अंधकार को दूर भगाया क्षजाये
तमसो मा ज्योतिर्मय का दीप जलाय जाये
साक्षरता अभियान चलाया जाये
आओ दिलों से नफरतों का
बीज। मिटाया जाये
पापी को सत्कर्म सिखाया जाये
हर दिल मैं एक प्रेम – दीप
जगाया जाये
जांत – पात छूआछूत का
भेद मिटाया जाये
जग मे भाईचारे का
कारवाँ बनाया जाये
जांत – पात – भेष – भाषा
बेशक हो अनेक
पर
सबके नेक विचार
हम सब हो जाये एक
आओ दिलों मे प्रेम का दीप
जलाया जाये

–  रीता अरोरा

मन मेरा कह रहा यह बार-बार

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन मेरा कह रहा यह बार – बार
है हाथ तेरे समाज की पतवार
आबरू बहन – बेटियों की
हो रही है तार – तार
हो रहा है सीता हरण बार – बार
तू राम बन रावण से
हाथ कर दो – चार
देख फैल रह है समाज में दुराचार
भ्रष्टाचार आज बन गया है शिष्टाचार
सरेआम अब तो हुई मानवता शर्मसार
आ गया वक्त अब भरने का हुंकार
लगा निशाने पर अपना एक वार
निर्भीक हो दिखा लेखनी का चमत्कार

– रीता अरोरा

आज कुछ ऐसा लिखूॅ

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

लेखनी को पुष्प चढ़ाकर
भाव ह्रदय से सजाकर
ज्ञान का भंडार भरकर
प्रेम – अश्रु के साज से
आज कुछ ऐसा लिखूॅ
गीता लिखूॅ कुरान लिखूॅ
वेद लिखूॅ ग्रन्ध लिखूॅ
राम लिखूॅ – कृष्ण लिखूॅ
सच लिखूॅ या झूठ लिखूॅ
आईने सा स्पष्ट लिखूॅ
आज देश पर छाया जो
दुशमनों का कोहराम है
देश वासियों का हुआ
जीना अब मुहाल है
मिलकर सब भारतवासी
बचा लें अपना मथुरा कासी
अवध और काश्मीर के साथ
माँग लें अपना ननकाणां साहब
और माँग लें अपना सिंध
तभी सही मायने मैं
अपना पूर्ण होगा हिंद
ह्रदय के भाव से
शत्रुओ के घाव से
सैनिक है लड़ रहा
देश की खातिर मर मिट रहा
माँ भारती को शीष नवाकर
शहीदों का सम्मान कर
तिरंगे का मान रखें
भारत की आन रखें
लेखनी को पुष्प चढ़ाकर
आज कुछ ऐसा लिखूॅ

भारत माता की जय
रीता अरोरा

माॅडर्न पत्नी

August 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

नहीं मिलती वो लड़की
जिसे मैं ब्याह कर लाया था
वो कमसिन सी शरमीली सी
जब मैंने उसे पहली बार देखा था
आजकल वो जूडो क्लासों में जाती है
प्रेक्टिस हम पर आजमाती है
गाड़ी फर्राटे से चलाती है
कोई पूछे तो हमें ड्राइवर बताती है
नहीं मिलती
जब मैंने उसे देखा था पहली बार
वो साड़ी पहने थी निगाहें नीची – नीची थी
उसने मुझे खाना अपने हाथों से खिलाया था
अब जूते खिलाती हैं
नहीं मिलती
जब घर में मेहमान कोई आ जाए तो
तेवर उसके बदल जाते हैं
नखरे उस के बढ़ जाते है
नहीं मिलती
जब बच्चे का जिक्र करता हूँ
वो गुस्सा हम पर हो जाती है
कहती है अभी दुनिया की ऐश
जरूरी है
बच्चा क्या जरूरी है
नही मिलती वो लड़की
जिसे मैं ब्याह कर लाया था

प्रस्तुति – रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली
राष्ट्रीय जागरण धर्म हमारा

सावन तक दुशमनों का विनाश

August 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखो फिर से सावन आया।
सरोवर में कमल मुस्कराया।।
भॅवरों ने गीत गुरगुनाया ।
कोयल ने की कुहू – कुहू ।।
सारा घर आंगन खुशियों से भर आया ।
दूर बैठे सेना के जवानों ने
अबकी बरस सावन पर
दुशमनों को मार भगाने का बिगुल बजाया
देश की कई बहिन – बेटियों ने भी कसमें खाई
तभी तिरंगे में लिपटा
एक जवान का शव
अपने घर आंगन में आया
माँ ने अश्रुधारा के बीच
केसरिया तिलक अपने
लाल के भाल लगाया
मानो लाल का मुखमंडल
गर्व से मुस्कराया
जैसे कह रहा हो
माँ अबकी बरस सावन पर
तेरे लाल ने ढेर सारे
दुशमनों को मार गिराया
और बहुत सारे लोगों का जीवन बचाया
माँ देखो – देखो सावन आया
माँ देखो – देखो तेरा लाल आया

प्रस्तुति – रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली
राष्ट्रीय जागरण धर्म हमारा

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