माॅडर्न पत्नी
नहीं मिलती वो लड़की
जिसे मैं ब्याह कर लाया था
वो कमसिन सी शरमीली सी
जब मैंने उसे पहली बार देखा था
आजकल वो जूडो क्लासों में जाती है
प्रेक्टिस हम पर आजमाती है
गाड़ी फर्राटे से चलाती है
कोई पूछे तो हमें ड्राइवर बताती है
नहीं मिलती
जब मैंने उसे देखा था पहली बार
वो साड़ी पहने थी निगाहें नीची – नीची थी
उसने मुझे खाना अपने हाथों से खिलाया था
अब जूते खिलाती हैं
नहीं मिलती
जब घर में मेहमान कोई आ जाए तो
तेवर उसके बदल जाते हैं
नखरे उस के बढ़ जाते है
नहीं मिलती
जब बच्चे का जिक्र करता हूँ
वो गुस्सा हम पर हो जाती है
कहती है अभी दुनिया की ऐश
जरूरी है
बच्चा क्या जरूरी है
नही मिलती वो लड़की
जिसे मैं ब्याह कर लाया था
प्रस्तुति – रीता अरोरा
राष्ट्रीय कवि संगम दिल्ली
राष्ट्रीय जागरण धर्म हमारा
bahut sundar ji