मां ने जब रोटियां…
मां ने जब रोटियां बनाना सिखाया , मुझे कुछ समझ ना आया , कभी रोटियां जली तो कभी हाथ, फिर सीख ही गई मैं, रोटियां…
मां ने जब रोटियां बनाना सिखाया , मुझे कुछ समझ ना आया , कभी रोटियां जली तो कभी हाथ, फिर सीख ही गई मैं, रोटियां…
ये कैसा कारवां जो कभी खत्म ना हुआ, वह उम्मीद कभी न धुंधली हुई और न मिटी , वह साथ पाने का जज्बा अभी भी…
हैसियत क्या थी मेरी पूछिए मत, बस किताब के कोरे पन्ने थे , लिखते रहे अपनी रूबानी, जब बनी ना कोई गजल ना कोई नज़्म,…
आज कर दूं, आंखें नम या समंदर कर दूं , मेरे भीतर का वो दर्द ; कैसे संदल कर दूं।
टूट कर बिखरी नहीं, सांस है अभी थमी नहीं। थक चुकी है जीवन आशा , फिर भी लौ बुझी नहीं।
कभी पल-पल इबादत करते थे मेरी, अब किसी गैर की आयत हो गए।
मेरी शिक्षक मेरी मां ही तो है , सिखाया उसने चलना , बोलना और पढ़ना -लिखना। अर्थ न जाने कितने समझाएं । पूछो कितनी ही…
बहुत देर से ही सही मगर, समझ में आया, मगर से हो तुम, मेरे झील से जीवन में।
नहीं होती है रात , सिर्फ सूरज के डूबने से। रात तब भी होती हैं , जब उम्मीद नहीं, दिखती…तुम्हें पाने की।
कितनी उधेड़बुन करती हूं, मैं इन धागों के साथ । जिसे जिंदगी कहते हैं , कभी गम की गांठ खोलती हूं। कभी खुशियों की गांठ…
पलकों पर नींद बिखरी पड़ी होती है , फुर्सत में समेट कर सोते हैं।।
क्या उकेर देती , मैं इन कोरे पन्नों के ऊपर। अपने भीतर की वेदना या दूसरों की प्रेरणा । अनकही बातें या सुनी सुनाई बातें।…
ये किनारे दूर होते गए , सिर्फ शकों के सैलाब से।।
क्यों कुछ कहते नहीं, सब गूंगे बहरे बैठे हैं , सबके भीतर जलती है आग, फिर क्यों खामोश बैठे हैं, खो दिया है सम्मान को…
चलो छुपा कर रखते हैं, खुशियों के बीज , बो देंगे कभी; अगर गम बढ़ जाए, ज़रा हंस लेना तुम , और हम भी मुस्कुराएं
कितना चले !कितना रुके! , हम जिंदगी के सफर में , ये कोई नहीं पूछता , मगर लोग अक्सर पूछते हैं, मंजिल के कितने करीब…
हर शाम इतनी मीठी ना होती, अगर तुम ना होते , खुश तो होते हम, पर खुशनसीब ना होते, गुजारिश है बस इतनी तुमसे, इस…
क्यों निभा रहे हैं हम, इस झूठे रिश्ते को, जहां वो हमें अपना नहीं मानते, और हम उन्हें पराया नहीं।
थाम कर तुम्हारा हाथ , आज भी चलना चाहते हैं, चाहे दूरी कितनी भी हो, साथ निभाना चाहते हैं।
कुछ इस तरह चला; यू मोहब्बत का सिलसिला, ना तुमको इसका एहसास था, ना मुझको इसका गम, हम दोनों मसरूफ रहे, इसे बेवजह निभाने में।
यह कहक़हा लगा कर , मुझे झुकाकर कहां चल दिए। मेरी धूमिल आंखों से ओझल होकर, सच को झूठ बनाकर कहां चल दिए। मैं थी…
अंधेरा इतना भी नहीं था कि रोशनी में अपनी जगह बना सके, और रोशनी भी इतनी नहीं थी कि अंधेरे को मिटा सके,
तुम्हें तुम्हारी ताजगी मुबारक , मुझे सुखें पत्तों से प्यार है, तुम्हें नाज है अपनी खूबसूरती पर , मुझे तेरी सीरत से प्यार है, तू…
कभी खामोशी के साथ , चार कदम चल कर तो देखो ! अपने वजूद का एहसास; पल भर में हो जाता है।
बदल कर रख दी मैंने अपनी सारी आदतें , मगर तुम पत्थर ही रहे..
हम काटते ही नहीं , बुराइयों की जड़ें, पालते हैं ,पोषते हैं , कभी इच्छाओं के लोभ से, कभी रूपयों की चाह से, जब लगता…
आंखों को बंद करने से, दुखों का मंजर छुप नहीं जाता। तब और उभर कर नजर आती है, उनकी गहराईयां।
होश अब नहीं रहा इंसानियत का, बेसुध से सब हो गए हैं , जाने कैसा है यह नशा अपने भी गुम हो गए हैं।
सब चाहते हैं, फिर से वो बचपन पाना, शरारत से भरी ऑंखें, और मुस्कुराना, पर मैं नही चाहती, वो बचपन पाना, डर लगता है, उस…
कुछ पाया और कुछ खोया, क्यों मुझे इस बात पर रोना आया! क्यों बिछड़ते रहे अपने, क्यों अजनबियों के बीच मुझे रहना आया! सपनें टूटते…
वो बेख़ौफ़ दिखाती है, अपनी पहचान, छिपती ही नहीं परदे के पीछे, रोका है उसे, टोका हैं उसे, छुपाया हैं, उसे, दबाया है उसे, फिर…
हम बंधते ही रहे, कभी विचारों तो कभी, दायरों के धागों से, सिमट कर रही जिंदगी, उसी चार कोनों के भीतर, जन्म से आजतक, बस…
मैं चमकता-सा शहर हूँ, न रुकता हूँ, न थकता हूँ, मेरा कारवां न रुका है, वो फिर से दौड़ता है, एक रफ़्तार के बाद। हादसे…
क्यों मैं बच गयी, उन कहरो से, भ्रूण हत्या, कुरीतियों, और अमावताओं से, मिट जाती मिट्टी में, न होती मेरी पहचान, न होती मैं बदनाम,…
जिंदगी कितनी सुलझी हुई है, अगर हम माहिर हो उसे सुलझाने में।
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.