कहां आ गए हैं हम।
कहां आ गए हैं हम, जहां खामोश-सी शामें हैं। और चुप-सा सूरज उगता है। ना बांटता है मुस्कान, ना रौनकें फैलाता है।
कहां आ गए हैं हम, जहां खामोश-सी शामें हैं। और चुप-सा सूरज उगता है। ना बांटता है मुस्कान, ना रौनकें फैलाता है।
नहीं मानते तकलीफ हम, लहू के बहने का । जब मन के घाव गहरे हो, जो न भरते हैं, ना दिखते हैं।
मेरे मन का मोती, मैं तुझको अर्पण कर जाऊं। मेरे राम मेरे श्याम… प्रभु मैं जपु तेरा नाम पल पल, तुझमें ही खो जाऊं ।…
कहां ढूंढू में ऐसी भाषा कहीं, जैसा बोलूं वैसा लिख पाऊं, वो मैं मेरी हिंदी में ही पाऊं….
समा लेती है , हर भाषा को, अपने भीतर , जिसकी कोई सीमा नहीं , वो पूर्ण है खुद से, मेरी हिंदी जैसी कोई नहीं…
कारवां तो गुजर ही जाएगा जिंदगी का,वक्त के साथ। चाहे वह गम का हो ,या सकुं का।
मैं तेरी मुस्कान चाहती हूं, तेरा हर अरमान चाहती हूं। तू उड़ सके आजाद, यह पैगाम चाहती हूं। फिरे तू हर उन गलियों से, जो…
तुम गुमान की मूरत बने रहो, और मैं स्वाभिमान की प्रतिमा।
कुछ छुपा कर रखी थी यादें, कुछ सपने भी संजोए थे । हम सपनों के करीब जाकर, कुछ पल सिमट कर सोए थे।
तेरी होठों की मुस्कुराहट का, अलग ही फलसफा है । जहां खोता हूं मैं , और दिल हंसता है । भूल जाता हूं , मैं…
ऐ वक्त तू बहुत अच्छा है औरों के लिए, मगर मेरे लिए कब तक बुरा रहेगा!
अनमोल थी तेरी यादें, तेरे साथ की। वह किस्सें बयान करती है, चाहते हैं, हम भी अनमोल हो जाते। तेरी यादों की तरह, छू लेते…
कुछ तरीके बताओ ना मुझे, कैसे भूले हो तुम मुझे।
क्यों मनाएं किसी को, रूठना हमें भी आता है। जो भूले बैठे हैं हमें, भुलाना हमें भी आता है।
बेखौफ होकर जिंदगी जी लेते, अगर तुम्हें खोने का डर ना होता…
मुझे पता नहीं तुम्हें पाने का तरीका, पर खोने का सबब आज भी याद है……
मैं लिखती हूं कुछ अलग-सा, मुझे इंसानों से ,न नफ़रत हैं, बस करती, निंदा बुराइयों की, दुःख देने की , न हसरत है।
सब कहते हैं! ज़माना बुरा है, मगर ज़माना बना तो हम से ही है, हम ढुंढते है खामियां औरों में, क्या सारी अच्छाईयां हम में…
अक्सर मैं भूल जाती हूं , अपनी राह। ख्वाब अनेकों हैं, अब खत्म है चाह। कभी उम्र की सीमा रोक देती है, कभी दूसरों की…
चलो विदा करते हैं उन यादों को, कब तक कैद रखे ! उन्हें यादों के पिटारों में।
आज भी आंखें सिर्फ उम्मीद के रंग ही तलाशती है, क्या रंग नहीं देखे! इन आंखों से पूछो।
अभी भी उम्मीद बाकी है, अभी मेरी सांसों में सांस बाकी है। कुछ छूने की ऊंचाईयां, कुछ पाने की इच्छा अभी मेरे सपनों में जान…
पढ़ लेते हैं पन्ने जिंदगी के, जब हंसना हो या रोना हो। अब भी उसी तरह दिखते हैं , वो बदलते ही नहीं , बीते…
आजाद किसे कहें? सब बंधे हैं बंधन में। हर शाम पंछी, अपना घोंसला तलाशता है। जहां चाह होती है, अपने आशियाने की। वह बोलते नहीं…
बहुत संभाल कर रखे हैं, कुछ रिश्ते मैंने। उनसे रूबरू भी होते हैं। कभी हंस कर निभाते हैं, तो कभी हंसा कर निभाते हैं।
हम हौसलों के पंख भी लगा लेते अगर उड़ने की चाह होती……
इतने कांटे पाए हैं मैंने राहों में , कि फूलों की चाह ना रही । इतने रास्ते बदले हैं मैंने पल-पल , कि मंजिल की…
दोस्ती ना सही, दुश्मनी तो मत निभाओ। चार बातें बनाकर, यूं ठहाके तो मत लगाओ। यूं तो दिल सबका दुखता है, उसे और ना दुखाओ।…
वक्त का समुंदर भी कम पड़ गया, जब भूलने की बारी आई तो….
कितना समझें तुमको , यह तुम ही बता दो, एक ही सवाल है तुझसे जिन्दगी, तू क्या है? और क्यों है ? बता दो ,…
आंसू ठहरे थे उनकी पलकों पर , मगर गिरना नहीं चाहते थे , भीतर उठा था तूफान, पर बहना नहीं चाहते थे।
ऐ !आयतें मुझे नजरबंद, कर ले कहीं , काश ! कोई दुआ में, पढ़ ले कहीं।
वक्त की सुई कभी टूटती नहीं , मेरे साथ भी चलती है, तेरे बाद भी।
लड़की हूं लड़की होने का, दस्तूर निभा रही हूं। न जता सकी उस प्यार को, फिर भी निभा रही हूं। शौक रखती थी कुछ पाने…
कौन बचा है पूरा, किसका दिल टूटा नहीं। इन हसरतों की दौर में , कौन रोता नहीं !
पाकीज़गी अब दिखती नहीं , इन आबो-हवा में भी । कभी दम घुटता है तो, कभी मन । कभी सास भी बेपरवाह हो जाती है…
दो पल का साथ, पर था तो सही। मुस्कुराए थे हम , कभी तो सही । क्यों दोष दें तेरे जाने का, चंद लम्हे थे…
बड़े शहर की जिंदगी को छोड़ , अब छोटे शहर की जिंदगी को, जीकर देख रहे हैं यहां भी लोग हैं; वहां भी लोग थे,…
हर फासलें की गहराई होती है और कोई उतर कर नहीं देखता ….
तेरे हर दर्द की तासीर जानते हैं, तेरे हर रंजो गम की वजह जानते हैं, वो बेपरवाह है ,तेरे इश्क से , लेकिन तेरी रज़ा…
टूटे हुए अरमानों को बचा रखा है, सबकी नजरों से छुपा रखा है , जी तो हम भी रहे हैं लोगों के बीच, मगर अपने…
उनसे उम्मीद लगाना बेकार हैं क्योंकि शाम की खिड़की से , सुबह का उजाला नहीं दिखता।
सच की जमीन पर, हम भी चल ना पाए , और औरों से उम्मीद लगा रखी है।
इमारतें मजबूत हो तो, साथ सभी का होता है, वरना खंडहरों को, कौन अपना आशियाना बनाता है।
शोर भीतर भी है। शोर बाहर भी है । ये ऐसा मंथन हैं। जो चलता रहता है। गुंजता रहता है। हम शांत नहीं कर पाते।…
बेफिक्र रहना आदत थी उनकी , कब जिम्मेदारियों ने दस्तक दी पता ना चला ।
बहुत दिनों के बाद , जब खोला मैंने यादों का पिटारा । कुछ बचपन की किलकारियां गूंजी, कुछ मां की मीठी लोरी, कुछ पापा की…
बचपन जल रहा है, जल उसे बुझा न सकेगा, जल रहा है बड़ों की इच्छाओं के तले, उनकी आशाओं के तले, चाहते हैं पूरे हो…
लफ्जों की पोटली , बांध लो ना तुम , क्या कहते हैं ,वो जरा सुन लो ना तुम, तब मांपना और तोलना , उनकी बातों…
तलब लग गई उनकी , उस प्याले की तरह है , जो हर बार इंतजार करता है कि वो उसे फिर से भर दे।
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.