ख्वाब।

अक्सर मैं भूल जाती हूं , अपनी राह। ख्वाब अनेकों हैं, अब खत्म है चाह। कभी उम्र की सीमा रोक देती है, कभी दूसरों की…

अभी भी…

अभी भी उम्मीद बाकी है, अभी मेरी सांसों में सांस बाकी है। कुछ छूने की ऊंचाईयां, कुछ पाने की इच्छा अभी मेरे सपनों में जान…

शोर…

शोर भीतर भी है। शोर बाहर भी है । ये ऐसा मंथन हैं। जो चलता रहता है। गुंजता रहता है। हम शांत नहीं कर पाते।…

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