March 27, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

देख परिंदे हमने तेरा गुरुर तोड़ दिया
मुख़ालिफतों के तूफ़ान में भी हमने
अपने सपनों को उड़ान दी है ……..

March 27, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोड़ दिया हमने सदायें देना तितलियों को ,
हमने फूल से सीखा है हुनर आशिक़ी का…

March 26, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

साँसें अपनी रोक कर तुझे छूने की तमन्ना,

और हल्का सा छू कर ख़ुशी ख़ुशी वापस लौट आना

जैसे की सारा जहाँ जीत लिया हो,

 

 

इसी को कबड्डी कहते है…..??

कभी कभी खेल कूद भी लिया करो,

मोहब्बत के मरीजों…………??

चुभे जो तेरे शब्द तीर….

March 25, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

गला भरा है , दिल जला है, आँखों का सागर भरा है

चुभे जो तेेरे शब्द तीर , दिल का जख्म अब तक हरा है ।।

मान के बैठा तुझे मैं, दोस्ती का नाम दूजा,

मित्रता के इस मंदिर में मैने की थी तेरी ही पूजा

धूप में तेरी छाँव बना तो, काँटों में तेरा पाँव बना

महकाई बस्ती गुलाबों की , पर आज तेरे अल्फाजों का घाव बना

पराया हूँ तेरे लिए , सुन यार तेरा सौ बार मरा है

चुभे जो तेरे……

सुना लगा बैठी तू दिल किसी से,

 पर एक बात मुझे सताएगी

दोस्ती ही ना निभा पायी, तू प्यार कैसे निभाएगी

कमजोर बनाती आशिक़ी पगली ,

दोस्ती तो दिलों की ताकत है

पर मिले गर तुझे प्यार में धोखा , तेरे दोस्त का कन्धा सलामत है

देख सैलाब मेरी आँखों का, अब समंदर भी डरा है

चुभे जो तेरे….


 

कम आंकी

March 25, 2017 in गीत

मेरी बातों में बस तुम थी , मगर मेरी बात कम आंकी

तेरे यारों के कुनबे में , मेरी जात कम आंकी

अपने अल्फाजों से मुझे दो पल में पराया करने वाले

तूने प्यार के आगे मेरी औक़ात कम आंकी ।।

उसका दर्द

March 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी हर एक धड़कन पे उसी का नाम लिखा है

जो उसने नहीं देखा वही अब हमने देखा है

तेरे ख्वाबों में दो पल को जो हमने भी घर डाला

तेरे ख्वाबों में भी उसी का इन्तजार देखा है ।

 

तेरी भोली सी मुस्कानें मुझे तेरे पास ले आयी

मगर मुस्कान के पीछे , बदली दर्द की छायी

अब इक हारे हुए दिल पर करूँ अधिकार मैं कैसे

मोहब्बत क्या तुझे मेरी दोस्ती भी रास ना आयी ।

#पंकज#


 

तुझ बिन बात नहीं होती

March 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

भरी हो हुस्न से महफ़िल , तुझ बिन बात नहीं होती

गरजते हो घने बादल , मगर बरसात नहीं होती

रचायी ना हो मेहँदी तो , दुल्हन खास नहीं होती

सितारे व्यर्थ ही चमके यूँ ही जगमग मगर सुन ले,

जब तक चाँद ना निकले , कहीं पर रात नहीं होती ।।

कहना चाहता हूँ

March 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

ले लेती है रूप कविता , जब अक्षर दुल्हन बन जाते है
गीत गजल तो दिल की बातें जुबां पर ले आते है
आँखों से ना बहाओ पानी , सब कायर कह जाते है
बह निकले ये लबों के रस्ते , तब शायर बन जाते हैं
तो मैं भी इन शब्दों के मेले में झूलना चाहता हूँ
अल्फाजों के मोती से माला पिरोना चाहता हूँ
लो चल पड़ा मैं भी कहने जो मैं कहना चाहता हूँ ||

#पंकज#

दुपट्टा

March 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

घूमती अच्छी लगती है ये जुल्फों में, उँगलियाँ  यूँ ना हमपे उठाया करो,

संभल जायेंगे दिल हमारे खुद ब खुद, तुम तो अपना दुपट्टा ही संभाल लिया करो

मुसाफिर (Plzz complete)

March 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

चला जा रहा हूँ , दूर बनके मुसाफिर
करके हौंसले मजबूत ,
आँखों को किये काफिर .
कैसा है ये सफर ,
जहाँ मंजिल का भी पता नहीं ,
कहाँ चला जा रहा हूँ मैं ,
मुझको भी खबर नहीं ,
फिर भी ……………………………

 

friends ,

Plzz complete this poem.

Show your creativity , your emotions….

Civil engineer

March 23, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

Being a civil engineer,for all civil engineers…hahahaha..

गुजारी है ज़िन्दगी मैंने , सीमेंट और रेत मिलाने में

कैसे भला कोई इश्क़ करे, हम मजदूरों के घराने में

अब खुद के सपनों का घर बसाने की हम क्या सोचें

उम्र कट रही है पूरी, दूसरों का मकाँ बनाने में

Only for fun…??

इश्कबाज

March 23, 2017 in Other

इश्कबाज पसंद है मुझे,

चाहे इश्क़ में ना पड़ा हूँ कभी,

अल्फाज बह जाते है आशिकी देखकर

चाहे आशिक़ ना बना हूँ कभी

#पंकज

तुमको ही आता है….

March 23, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

भ्रमर कितना ही फैलाएं पर,

उड़ना तो बस तितलियों को आता है

चुप रहकर भी सब कुछ कहना,

इनकी कत्थई अँखियों को आता है

और नादान थे, नादान ही रहेंगे लड़के,

जवान होना तो बस लड़कियों को आता है

 

मौसम

March 23, 2017 in Other

चल रही है ठंडी हवाएं ,आँखों से बादल बरसेगा
रात के आगोश में . मेरा मेहताब पिघलेगा
मुद्दतों बाद फेंका है एक नजर का टुकड़ा उसने
पतझड़ के मौसम में भी , अब तो गुलशन महकेगा
@पंकज गर्ग

दुल्हन की डोली

March 23, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

सहम गया है चाँद भी देखो, उतरी जब दुल्हन की डोली रे

मन को भायी जैसे बजायी कहीं मोहन ने मुरली रे

बहके हैं सब देखो जैसे , पूरी मधुशाला पी ली रे

कैसे संभालेगा खूद को वो , जिसकी अब तू हो ली रे

दुल्हन की डोली

March 22, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

सहम गया है चाँद भी देखो, जब उतरी की डोली रे

मन को भायी जैसे बजायी कहीं मोहन ने मुरली रे

बहके हैं देखो सब जैसे , पूरी मधुशाला पी ली रे

कैसे संभालेगा खुद को वो,जिसकी अब तू हो ली रे

शायरी

March 22, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी के इश्क़ में जगती है तू तेरे नैन कहते हैं

किसी ने कुछ नहीं समझा मगर तुझे हम समझते हैं

यहाँ सब लोग कहते हैं कि तू चंदा सी रोशन है

मगर चंदा की बैचेनी सितारे कब समझते हैं ।।

शायरी

March 22, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो मेरा हो नहीं पाया , मैं उसको याद करता हूँ ,

फिर उसको भुलाने की भी मैं फ़रियाद करता हूँ

भुलाने के उसे मैं सौ बहाने ढूंढ लूँ चाहे

उसी का जिक्र सबसे मैं उसी के बाद करता हूँ ।

शायरी

March 22, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुद से दूर क्यूँ तुम हो , बड़े मगरूर क्यूँ तुम हो

जो तेरा है नहीं उसके ,  नशे में चूर क्यूँ तुम हो

तेरी मायूसी दिखती है , घनी रातों के साये में

यूँ ही तकिये भिगोने पे , बड़े मजबूर क्यूँ तुम हो ।

@पंकज गर्ग


 

 

शहीदी

March 21, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ मेरी औकात नहीं , कि तुझ पर कलाम चलाऊं मैं

कुर्बानी तेरी करे बयां , वो शब्द कहाँ से लाऊं मैं

नाम तेरा लेने से पहले पलकों को झपकाउं मैं

भूल गए जिन पन्नो को हर्फ़ों से आज सजाऊँ मैं

जब भारत माँ का आँचल लगा चीर-चीर होने

गोरे बसने आये जैसे नागिन आयी हो डसने

जब भारत का सूरज भी त्राहिमाम चीखा था

तब खटकड़ में एक सिंहनी की कोख से सूरज चमका था

भारत माँ बोली कि मैं गद्दारों पर शर्मिंदा हूँ

चीख पड़ा सरदार माँ अभी तलक मैं जिन्दा हूँ

अंग्रेजों को घाट घाट का पानी उसने पिला दिया

अंग्रेजी सत्ता का तख़्त-ओ -ताज पूरा हिला दिया

आजादी के हवन कुंड में वो तो अग्निचेतन था

अंग्रजों के सीने का तीरों के जैसे भेदन था

तुझे गले लगा कर तो वो फांसी भी रोई होगी

झूलते देख लाडला फांसी, धरती की चुनर धानी रोई होगी

रोया होगा इंकलाब का भी वो बासंती चोला

चूमा जब फांसी को तूने अम्बर भी होगा डोला

तड़प गयी होंगी लहरे सागर भी रोया होगा

फांसी वाले आँगन का पत्थर पत्थर रोया होगा

दूर कही अम्बर में तारा भी टूटा होगा

आँखों में जब तेरी खून का लावा फूटा होगा

तूने आजादी के मंदिर की बुनियाद खड़ी की थी

इंकलाब की बलीदेवी पर अपनी शाख बड़ी की थी

तेरी कुर्बानी का अब ये क्या अहसान चुकाएंगे

गांधीजी के बन्दर है बस कुर्सी कुर्सी चिल्लायेंगे

याद तूम्हे नवम्बर 14 , नहीं भूले 2 अक्टूबर को

30 जनवरी याद रही , पर भूले भारत के बेटों को

23 मार्च को याद जरा उन शहीदों को भी कर लो

आँखों में भर लो पानी और सीने से चिंगारी उगलो ।।

तेरी पूजा में तो बस मैं इतना ही कह सकता हूँ

तेरी छोटी आयु को सदियों से लंबी कह सकता हूँ

शत शत बार नमन है तुझको तेरी जवानी को

बार बार दोहरायेगा इतिहास तेरी कहानी को ।।

 

शहीद

March 21, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ मेरी औकात नहीं , कि तुझ पर कलाम चलाऊं मैं

कुर्बानी तेरी करे बयां , वो शब्द कहाँ से लाऊं मैं

नाम तेरा लेने से पहले पलकों को झपकाउं मैं

भूल गए जिन पन्नो को हर्फ़ों से आज सजाऊँ मैं

जब भारत माँ का आँचल लगा चीर-चीर होने

गोरे बसने आये जैसे नागिन आयी हो डसने

जब भारत का सूरज भी त्राहिमाम चीखा था

तब खटकड़ में एक सिंहनी की कोख से सूरज चमका था

भारत माँ बोली कि मैं गद्दारों पर शर्मिंदा हूँ

चीख पड़ा सरदार माँ अभी तलक मैं जिन्दा हूँ

अंग्रेजों को घाट घाट का पानी उसने पिला दिया

अंग्रेजी सत्ता का तख़्त-ओ -ताज पूरा हिला दिया

आजादी के हवन कुंड में वो तो अग्निचेतन था

अंग्रजों के सीने का तीरों के जैसे भेदन था

तुझे गले लगा कर तो वो फांसी भी रोई होगी

झूलते देख लाडला फांसी, धरती की चुनर धानी रोई होगी

रोया होगा इंकलाब का भी वो बासंती चोला

चूमा जब फांसी को तूने अम्बर भी होगा डोला

तड़प गयी होंगी लहरे सागर भी रोया होगा

फांसी वाले आँगन का पत्थर पत्थर रोया होगा

दूर कही अम्बर में तारा भी टूटा होगा

आँखों में जब तेरी खून का लावा फूटा होगा

तूने आजादी के मंदिर की बुनियाद खड़ी की थी

इंकलाब की बलीदेवी पर अपनी शाख बड़ी की थी

तेरी कुर्बानी का अब ये क्या अहसान चुकाएंगे

गांधीजी के बन्दर है बस कुर्सी कुर्सी चिल्लायेंगे

याद तूम्हे नवम्बर 14 , नहीं भूले 2 अक्टूबर को

30 जनवरी याद रही , पर भूले भारत के बेटों को

23 मार्च को याद जरा उन शहीदों को भी कर लो

आँख में भर लो पानी और सीने से चिंगारी उगलो ।।

 

इंतज़ार

March 19, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

सूरज भी ढल गया आँचल में , उठ गया घूंघट भी चाँद का

कब आओगी ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का

बरस रहे है बादल आँखों से , इंतज़ार है इंतज़ार ख़त्म होने का

कब आओगी ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का

 

वादा किया था एक रोज तूने , सनम तुमसे मिलूँगी

गोद में रखकर सर तेरे दिल के पार उतर जाऊंगी

तोड़ ना देना वादा मिलन का ,बाहें फैलाये बैठा हूँ

आँखों में उम्मीद की शमां जलाये बैठा हूँ

कर लो शिरकत अब तो सनम,ना लो इम्तहाँ मेरे प्यार का

अब तो आ जाओ ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का

 

आगोश में आकर बस जाओ तुम ,हाय सही ना जाये ये रुखसत

बिखरा दो जुल्फों की काली घटा ,पूरी कर दो जन्मों की हसरत

पलकें बिछाये बैठा हूँ राहों में ,कि कब होगा तेरा दीदार

फूट ना जाये कही आँखों के आईने करते करते तेरा इंतजार

डूब रहा हूँ मय के सागर में ,आकर थाम ले हाथ दीवाने का

अब तो आ जाओ ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का

 

थम जाये वक़्त ए खुदा, कहीं बीत ना जाये ये रैना

आये ना यार मेरा मुझसे मिलने ,तरसे रह जाये ये नैना

करता हूँ दुआ खुदा से तुझसे मिलने की, पर चाहकर भी ना कर पाऊं

हाय देखो तो मेरी बेबसी ,खुदा भी मैं तुझमे पाऊं

कहीं बुला ना ले खुदा मुझको ,और निकल ना जाये दम साँसों का

अब तो आ जाओ ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का

 

मुझसे भी कोई प्यार करे….

March 19, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

नहीं नहीं अब सही ना जाये ये बेरण तन्हाई

मुझसे भी कोई प्यार करे करे थोड़ी दिल की लगाई

 

जहर हो चूका जीवन सारा , रीता कलश है पूरा

भर के कोई प्यार का अमृत अमर करे मन मेरा

दिन रात गुजर तो जाते है पर जाते नहीं गुजारे

हर रात अमावस जैसी लगे प्यार बिना सब अधूरा

पल में रूठे पल में माने , करे झूठी मूठी लड़ाई

मुझसे भी कोई प्यार करे……….

 

अपने सपनों की गलियों में कोई मेरा घर भी बना ले

हलचल भरे झील से मन में अपनी नाव खिवा ले

हवा बन के कर ले हवाले , झोंके में मुझको बहा ले

आइना बन के जी रहा हूँ कोई बिखरने से तो बचा ले

नहीं नहीं अब सही ना जाये , मुझसे और जग हंसाई

मुझसे भी कोई प्यार ………

 

खिड़की से देकर सदा कोई , मेरा भी नाम बुलाये

पलट पलट कर देखे मुझको फिर सखियों संग इतराये

मेहँदी में भी चुपके से वो मेरा ही नाम लिखाये

गिरफ्त में ले ले इस दिल को, चाहे दफा कोई लगाये

छुप छुप कर उपवास करे, करे नैनों की छुपन छुपाई

मुझसे भी कोई प्यार करे…………..

 

धरती को ओढ़े अम्बर  चंदा को घेरे तारे

लौ पर मरता परवाना ,सागर के संग किनारे

सबका कोई साथी है कोई न कोई सहारे

बस मैं किरदार उस कहानी का जिसके सब पात्र अधूरे

कबूतर मेरे इश्क़ का भी अब ले उसकी छत पर अंगड़ाई

मुझसे भी कोई प्यार करे………..

 

मैं भी देखूँ उसको ज्यों पानी में चाँद घुला है

डगमग डगों से आये जैसे थाली में मूंग रला है

रातरानी उगा दे उसमे जो नागफनी गमला है

मैं भी सावन में झूमूं अब ,जो मौसम अब तक खला है

देखूँ जब तितली भंवरो को , पीर मेरी कुमुलाई

मुझसे भी कोई प्यार करे……

हंसी छीन ली

March 18, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

उस हसीं के चेहरे पर बस हंसी देखने की ख्वाहिश थी ,
तो उसे हंसाने में कोई कसर हमने भी ना छोड़ी
हंसाते हंसाते खुद हंसी बन गया मैं ,
की मेरे दिल की बात भी अब उसे हंसी लगने लगी
हंसी हंसी में ही उसने कह डाली अपने दिल की बात ,
पर उस बात ने मेरी हंसी छीन ली
किसी और का नाम लिखा है मेरे दिल पर
ये कह के वो सिर्फ मुस्कुराने लगी
हँसते हँसते पूछा उसने एक दिन ,
पंकज तुम अब खिलखिलाते नहीं
अब कैसे कह दूं उसे मैं
कि मैंने अपनी सारी हंसी तेरे यार के नाम कर दी …
@ पंकज गर्ग

March 18, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

use pyar karna nahi ata or mujhe pyar ke siva kuch nahi ata,

duniya me jeene ke do hi tarike hai ,

ek use nahi ata , ek mujhe nahi ata….

शायर

March 17, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँखों से निकले आंसू , तो दुनिया ने कायर कह डाला ,

जब बह निकले ये लबों के रस्ते, दुनिया ने शायर कह डाला ।।


 

शपथ तुझे इस योवन की

March 17, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यूं बह रहे अश्रु चक्षु से , तान भृकुटि जन जन की
फैला भ्रष्ट मेघों का साया , नहीं आवश्यकता व्यर्थ रुदन की
सियासी भेड़िये बने नरभक्षी , जब लाज गिरा दी सिंघासन की
हो रही खंड खंड रूह भारती की ,आवाज उठी शोणित के आंदोलन की
आव्हान करे तुझे पथ प्रलयंकर , जरुरत रणचंडी के पूजन की
अरे हनी सिंह छोड़ अब भगत सिंह गा ,शपथ तुझे इस योवन की …..

पुकारती तुझे पुनः, जो लोलुप हुई संस्कृति
क्या सुनी नहीं पदचापें सरहद पर
क्यूं बसा ली रग रग में रति
क्यूं नाम जुबां पे सनी लियोनी
जिस देश का गौरव महासती
इतिहास उठा , इतिहास गढ़
तुझमे भी है विवेकानंद मति
आभा हार रही तमस से ,
जरुरत पढ़ने की अब कृष्ण कृति
तितिक्षा रख सावरकर जैसी , स्वीकार चुनौती स्वाभिमान की
मस्तक चीर कर रख पापी का , जब बात हो नारी सम्मान की
शपथ तुझे इस योवन की …………………

भूल जा मुरली मनोहर को ,चक्रपाणि स्मरण रहे
जो सौ योजन लांघ गया ,उस महावीर जैसा प्रण रहे
काल के कपाल में कर हलचल
त्रयम्बकेश्वर का उर में तांडव रहे
आहुति मांग रहा अग्निकुंड
इंकलाब की ज्वाला प्रचंड रहे
उठा आयुध , धर गांडीव
साँसों में कुरुक्षेत्र का कण कण रहे
बहुत गा लिया कजरी महावर , अब गाथा गया बलिदान की
विश्व का कोना कोना डोल उठे , गूँज ऐसी उठे राष्ट्रगान की
शपथ तुझे इस योवन की …………………

बसंत विध्वंस हुआ , प्रसून शूल बने
विषधर ने विष उगला , मकरंद विसर बने
प्रष्फुटित हो नया सवेरा , पर बुझी हुई बाती बने
अकेले ही गुनगुनाते रहे , मधुरिम गान न बने
ओढ़ तो लिए सफ़ेद परिधान जिन्होंने ,
पर पटेल जैसे लोह ना बने
आंसू तज शोले बरसा , अब न बजे ढपली बेईमान की
ले तेरे हाथों सौंपी विरासत , हिन्दुस्थान के अभिमान की
शपथ तुझे इस योवन की …………………

शपथ तुझे इस योवन की

March 17, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यूं बह रहे अश्रु चक्षु से , तान भृकुटि जन जन की
फैला भ्रष्ट मेघों का साया , नहीं आवश्यकता व्यर्थ रुदन की
सियासी भेड़िये बने नरभक्षी , जब लाज गिरा दी सिंघासन की
हो रही खंड खंड रूह भारती की ,आवाज उठी शोणित के आंदोलन की
आव्हान करे तुझे पथ प्रलयंकर , जरुरत रणचंडी के पूजन की
अरे हनी सिंह छोड़ अब भगत सिंह गा ,शपथ तुझे इस योवन की …..

पुकारती तुझे पुनः,जो लोलुप हुई संस्कृति
क्या सुनी नहीं पदचापें सरहद पर
क्यूं बसा ली रग रग में रति
क्यूं नाम जुबां पे सनी लियोनी
जिस देश का गौरव महासती
इतिहास उठा , इतिहास गढ़
तुझमे भी है विवेकानंद मति
आभा हार रही तमस से ,
जरुरत पढ़ने की अब कृष्ण कृति
तितिक्षा रख सावरकर जैसी , स्वीकार चुनौती स्वाभिमान की
मस्तक चीर कर रख पापी का , जब बात हो नारी सम्मान की
शपथ तुझे इस योवन की …………………

भूल जा मुरली मनोहर को ,
चक्रपाणि स्मरण रहे
जो सौ योजन लांघ गया
उस महावीर जैसा प्रण रहे
काल के कपाल में कर हलचल
त्रयम्बकेश्वर का उर में तांडव रहे
आहुति मांग रहा अग्निकुंड
इंकलाब की ज्वाला प्रचंड रहे
उठा आयुध , धर गांडीव
साँसों में कुरुक्षेत्र का कण कण रहे
बहुत गा लिया कजरी महावर , अब गाथा गया बलिदान की
विश्व का कोना कोना डोल उठे , गूँज ऐसी उठे राष्ट्रगान की
शपथ तुझे इस योवन की …………………

बसंत विध्वंस हुआ , प्रसून शूल बने
विषधर ने विष उगला , मकरंद विसर बने
प्रष्फुटित हो नया सवेरा , पर बुझी हुई बाती बने
अकेले ही गुनगुनाते रहे , मधुरिम गान न बने
ओढ़ तो लिए सफ़ेद परिधान जिन्होंने ,
पर पटेल जैसे लोह ना बने
आंसू तज शोले बरसा , अब न बजे ढपली बेईमान की
ले तेरे हाथों सौंपी विरासत , हिन्दुस्थान के अभिमान की
शपथ तुझे इस योवन की …………………

March 17, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

चल प्यार ना कर , एक बहाना ही बना ले ,
टूटा जहाँ से दिल तेरा , उस जख्म की दवा बना ले ,
कहते है दोस्ती दुनिया में सबसे बढ़कर है ,
उस रिश्ते से ही सही , मेरे कंधे को अपना सिरहाना बना ले ||

दिल की बात

March 17, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल  का मंदिर वीरान  है , तेरी  तस्वीर  लगा  लूँ ,

बैठा  रहूँ  बस  सजदे  में  , तुझे  वो  देवता  बनल  लूँ ,

परवाह  नहीं  मुझे  जग  की  फिर ,

गर  तेरे दिल  में  जगह  बना लूँ ,

ढूंढ  ना सके  जमाना  ख्यालों  में  भी  अपने ,

इस  कदर  तुझे  जहन में  बसा  लूँ  ,

थोड़ा  तो  ठहर , दस्तक  ना  दे  ,

खुली  है  खिड़कियां  नकाबपोश  शरीफों  की  ,

बस  जरा  आँख  लग  जाये  सितारों  की  ,

मैं  चाँद  को  इशारा  करके  छत पे  बुला  लूँ  ||

 

गुजर जाएँगी ठंडी रातें , जो लिहाफ बन जाऊँ तेरी सर्दियों का मैं ,

बुझ जाएँगी सूखे होंठों की प्यास , जो बने तू घटा तो बादल भी बन जाऊँ मैं ,

लहराती हुई सी तेरी बदन की लिखावट है ,

उकर जाये जिन खाली पन्नों पे , वो किताब बन जाऊँ मैं ,

वैसे तो जान की दुश्मन है तू , पर तुझे अपनी जान बना लूँ ,

बेशक सवाल बन गयी जिंदगी , तुझे अपना जवाब बना लूँ

चाँद को इशारा करके ………………………..

 

राज जो दिल में छिपा है , बता दिया इशारे से तो क्या होगा ,

तिरछी नजरो के बहाने ही सही , हो गयी आंखें चार तो क्या होगा ,

तेरे रूमाल के पीछे सैलाब भी आ सकता है ,

अरे हँसते हँसते ही भरी महफ़िल में ,

कर दिया इश्क़ का इज़हार करके रुस्वा तो क्या होगा ,

झंझोड़ कर रख दूँ धड़कनों को , तुझे अपना मोहताज बना दूँ

हो जाऊँ फिर चाहे जहन्नुम का हक़दार , पर तेरी हर रात मैं जन्नत बना दूँ ,

चाँद को इशारा करके …………………………………………

 

नींदों में चलकर तेरे ख्वाब बन जाऊँ तेरा

एक बार शायर से मोहब्बत तो करके देख ,

कितना जागा हूँ मैं , या कितना जगाया तूने ,

मेरी उन शबों का हिसाब तो लेकर देख ,

हो जायेंगे कंगन भी ढीले

और ढक जाएँगी आँखें हया की चिलमन से

एक बार अपने लबों का रस मुझे पिलाकर तो देख ,

ना कर मजबूर मुझे की तुझ पर बेवफाई का इल्जाम दूँ ,

और इस नहीं की मैं तुझे भूल नहीं सकता ,

बस कहीं से एक शराब की बोतल चुरा लूँ ,

चाँद को इशारा करके…………………………………….

आशिक़ बना दिया तूने ….

March 16, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

E Hasina kya gajab dha diya tune,
is sidhe sadhe insna ko asiq bana diys tune…
ankhno m ek khwab sa jaga diya tune,
is sidhe sadhe insna ko asiq bana diys tune…

na tha me pyar se wakif,
na jana kabhi dard dil ka,
najrno ka teer chalakar dil p,
is dil ko ghayal kar diya tune…
na gujra kabhi pyar ki rahno p,
na dkha kabhi manjar pyar ka,
ankhno m basakar tasvir apni,
khud ko manjil meri bana diya tune….
jadu sa kar diya tune,
bekabu kar diya tune,
bas dikhlakar apna tasavvur,
har chehre ko apna chehra bana diya tune….
is sidhe sadhe insna ko asiq bana diys tune…

ghuma karta tha ajad panchi ki tarah,
tha khula asmna mera jahna,
par jabse hyi tujhse ankhe char,
dil k pinjre m kaid kar liya tune….
pucha karta tha me sabse,
kya hota h ye pyar ka samna,
mujhko kar mujhse juda,
pyar ka matlab sikha diya tune,
chain chin liya tune,
ek-ek pal ko sadi bana diya tune,
bas ek bar mil jawo to kah du,
kya hal mer kar diya tune……
is sidhe sadhe insna ko asiq bana diys tune…
is sidhe sadhe insna ko asiq bana diys tune…….

बैरन बारिश

March 16, 2017 in Other

Aj Barish fer se beran ban gayi,
tanha dil ko fer se mahfil mil gayi,
moti gire boondno ke jab balkha ke,
kisi anjan chehre ki fer tasveer ban gayi…

chupaye rakha armano ko ab tak,
band tha dil ka tahkhana,
toofan se pahle sannae jesa,
dil ka bhi hal tha veerana
ghiri ghanghor ghata kali,
kesa ye boondno ka itrana,
dil ke badal bhi garaj uthe,
harkat hui fer bachkana
lagi jhadi jab saavan ki,
khwabon me koi sanwar gayi,
kalam bhi meri bevafa nikli,
jo uske hi sajde me jhuk gayi
kisi anjan chehre ki fer tasveer ban gayi……

Bheegnu barish me sang uske,
khyalno pe nahi ab vash mera
boondno me aksh tarashnu uska,
chanchal man uda tod ke pahra
bikhra de bhiga badan mujhpe wo,
chu loon jab uska chehra
har ek katra apne hontho se pi loon,
jo bhi uske hontho pe gira
ynu hi sochte sochte aankno me,
ek hasin shakshiyat utar gayi
aur na le imthna mausam mera,
badnaam najar meri ban gayi
kisi anjan chehre ki fer tasveer ban gayi……

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