पराया शहर
कोई दवा देता है, कोई देता ज़हर किसपे करे एतमाद, नहीं खबर कौन अपना यहां, कौन पराया सारा जहां है अपना, पराया शहर
संपादक की पसंद
कोई दवा देता है, कोई देता ज़हर किसपे करे एतमाद, नहीं खबर कौन अपना यहां, कौन पराया सारा जहां है अपना, पराया शहर
गज़ल =”कभी यूं भी आ” ——————————– कभी यूं भी आ मेरी आंख में मेरी नजर को खबर ना हो, मुझे एक रात नवाज दे कि…
गजल- मै ही अंदर था | बहर – मुजतस मुसम्मन मखमुन महजूफ अरकान -मुफाएलुन फ़एलातुन मुफाएलुन फेलून 1212 1122 1212 22 काफिया – दर ,रदीफ़…
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक बधाई | भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली | बचावा तनी धरती माई मौका फिर तोहार ना मिली | मिटावा…
याद हैं वो गुजरे जमाने तुमको? जब प्रीत से बढ़कर और कुछ भी न था। याद हैं वो गुलिस्ता मुझको जहाँ तेरे और मेरे सिवा…
किस्मत से डरी हुई हूँ मैं ज़िन्दगी के भंवर में फंसी हुई हूँ मैं …. तेरी स्मृतियों की दासी हूँ हालतों की दुविधा से सहमी…
🌴🌴दरख्तों सी है ज़िन्दगी अपनी🌴🌴 कभी हर साख पर हैं पत्तियां टूटती….लहराती…. और मिट्टी में मिल जाती…. 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 कभी हर शाख पर गुल खिलता है…
तुम्हारी हर एक बात सही है…. वक्त का पता तो चलता ही नहीं है अपनों के साथ, पर अपनों का पता चल जाता है वक्त…
चाँद में दाग है सबने जाना, उसकी खूबसूरती को सबने माना, खूसूरती का रहस्य किसी ने न जाना? बादलों का आना चमकने से रोकना,…
क्या दूं उस सरकारी अफ़सर को? जो मांग रहा है हजार का हर्जाना मेरी दो सो की दिहाड़ी से
गूंजती फ़िजाओ में रंग कितनें बिखरे हैं और रेशम के धागे भी उलझे हैं, कितनी मशरूफ है ज़िन्दगी अपनी हम भी उलझे हैं वो भी…
गीत बनकर तुम्हारी जिंदगी में आई थी एक रोज …….. गजल बनकर तुम्हारी ज़िंदगी बन गई। और रुबाई बनकर आंखें भिगोई तुम्हारी… एक दिन ख्वाब…
इस बंजर-सी धरती पर कुछ अश्कों के बीज बो लेता हूँ। जब जब तुहारी याद आती है तो छुप छुप के रो लेता हूँ।।
तलाशी जिस्म की खुलेआम दे दी। सब दिखाया पर दिल दिखाया नहीं। ढूढ़ते रहे हार के लौटना पड़ा सबको, जब हाथ लगाया दिल धड़काया नहीं।…
इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी तुम्हारी याद में रात भर मैं भी जागूंगी। —————————— प्रीत की चादर ओढ़ कर अंबर के तले, तेरे…
जब हमें तुम याद आये रात भर आंसुओं ने ग़म बहाये रात भर। ख़्वाब कितने ही सजाये रात भर जिनको चाहा वो न आये रात…
कितनी ही मेहनत करके दो जून रोटियां पाते हैं भाग्य विधाता लोकतंत्र के सड़कों पर रात बिताते हैं। अफ़सोस नहीं हो रहा उन्हें जो कद्दावर…
भारत माता सुनो वीरों की कहानी, अपनो का जो हुए शिकार l कालापानी सावरकर को मिला, हृदय तोड़ने वाला दर्द मिला l सहम उठा दिल…
क्या कहूँ!! दिल में कितनी उदासी छाई है, तेरी बेरुखी मेरी जान पर बन आयी है। ———————————— मैं एक गुमशुदा सी शाम हूँ और, तू…
सुने घर में फिर बाजी किलकारी आंगन में पायल छनकारी टुकुर टुकुर देख आ रही छोटी बहन प्यारी सामने उसको पाए सारे दुःख दूर हो…
”मेरा भोला प्रियतम” जिनकी नज़रों से ललित कलाएं निकलती हैं, अधरों पर राग अंगड़ाइयां लेते हैं। केशों से बसंत दुग्ध पान करती है, और रात…
आज दादी की बहुत याद आई! वो बेचैन आत्मा ना जाने कहाँ घूमती होगी…. ब्रह्मांड के किन कोनों से गुजरती होगी… कोई नहीं जानता… जब…
प्रकृति और पर्यावरण मानव आज हो रहा है, आज स्वार्थ प्रधान प्रकृति और पर्यावरण का, नहीं है किसी को ध्यान प्रकृति ही देती है सबको,…
जिंदगी ये मेरी जिंदगी मुझे क्या से क्या बना दिया। इस लाकडाउन में जीना मरना सिखा दिया।। उम्र में पहली बार सुकून के पल दे…
आयी विपदा न कोई सहाय हुआ छूटा रोजगार बहुत बुरा हाल हुआ तुम्हारा कष्ट भी किसी ने न जाना पसीने से सींचा जिन शहरों को……
ज़िन्दगी की राहों का है ये कौन चितेरा, धूमिल -धूमिल गलियारों में है करता कौन सवेरा। घनघोर घटा से केशों पर डोले मुग्ध पपीहा, किसने…
कभी बुलाये प्यार से कभी बुलाये मजाक से ज़िन्दगी की हर घडी ये साथ देती है दोस्ती होती ही ऐसी है दिल होवे गम में…
जिसका जन्म हुआ यज्ञ की प्रज्वलित अग्नि से जो द्रुपद की पुत्री कहलाई फूलों की नर्म सेज पर सोई एक दिन हुई पराई जिसके स्वयंवर…
हे सखी! कौनी विधि पूजई जाई । सावित्री पूजा,कईसे पूजई जाई? बरगद की डाढ़ मगाई या फिरी, बरगद के नीचे जाई। हे सखी! कौनी विधि…
सोचा था जो वो पुरा ना हो सका बदलते हालात को देख मैं अपना ना हो सका आंखों के आंसूओं को मैं अपने पोंछ ना…
नि:शब्द हूँ निस्तेज मैं मस्तिष्क के आवेश में शब्द भारी पड़ रहे कलम की स्याही से नित यह कह रहे ना उल्लिखित कर पाऊँगा मैं…
कथा सुनाऊ पुरुषोत्तम श्री राम की विष्णु रूपी अयोध्या पति नाथ की त्रेता युग में जनम हुआ राजा दशरथ के महल में अयोध्या हुआ पूरा…
“अन्नदाता की व्यथा ” टुकड़े-टुकड़े हुई मेदिनी , कैसी ये लाचारी है । ऐसे उजड़े खेत कि जैसे , कोई विधवा नारी है । शीश…
चंद लम्हो की ज़िन्दगी में अब और क्या- क्या होना है ब्रष्टाचार क्या कम था जो आगया कोरोना है गरीब खा रहे मांगके और अमीरो…
“गाँव याद आये” ************** हमें क्या पता आज,ये दिन देखना पड़ेगा | न जाने कैसी मजाक,आज तूने किया है || हँसते हुए निकले घर से,भूख…
वहि घरका ना जाउ कबहुं जहां ना होइ सम्मान नीके जहां कोइ नाइ मिलइ हुंआँ जाइते हइ अपमान रूखी-सुखी खाइ लेउ बढ़िया व्यंजन छोड़ि प्रेम…
भोजपुरी देवी गीत –फेरिहा ये मइया | नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया | सुधिया तनी हमरो आज लिहा ये मइया | सब के…
आज दिल फिर बच्चा होना चाहता है बचपन की अजूबी कहानियों में खोना चाहता है जीनी जो अलादिन की हर ख्वाहिश मिनटों में पूरी कर…
दादाओं के भी दादा थे वो ना जाने कितने युगों से खड़े थे एक पाँव पर अपने घर के पास। खेल कबड्डी गिल्ली डंडे भाग…
भोजपुरी देवी गीत – होखत दरशनवा | मह मह महकत बा भवनवा | कालिका जी के होखत दरशनवा| सोनवा से साजल माई दरबार बा |…
घर में ही बैठो और रहो मौन ना करो किसी से झगड़ा ना कोई कुतर्क नहीं पड़ो किसी प्रपंच में यदि रहना है सुखी तो…
किसी का दम निकलता है घर में तो कोई सड़कों पर मारा-मारा फिरता है भूंख लगती है तो सिर्फ प्यास बुझा लेता है इतनी धूप…
आंगन में बैठी एक टक निहार लेती है चलती धीरे पर काम तेजी से कर लेती है पढ़ना कम आता है पर दुनिया का पाठ…
चोट जो तुमने दिया उसका कोष बना देते है हम शायर है जनाब हम बातों से नहीं सिर्फ दिल में समझ जाते है मकबरे हमारे…
हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना | प्रिया प्रिय बिना देह हिय बिना | नीर क्षीर बिना भोजन खीर बिना | उत्सव उदास उपहार बिना…
चल अब उठ भी जा ना अभी कुछ काम नहीं फिर भी क्यों तू थकता है मुश्किलों को देख के इतना क्यों डरता है सिख…
वो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ों से लगे हो कर भी सूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज…
आज भी वो दिल तुम्हारी और जाता है जो तुमने तोड़ दिया था आज भी तुम्हारे गुण गाता है जिसका मुँह चुप कर दिया था…
प्रस्तुत है हाइकु विधा में कविता:- मजदूर हूँ पैदल चल पड़ा घर की ओर विपदा आयी सबने छोड़ दिया मौत की ओर आशावादी हूँ खुद…
गजल- भूख के मारे हुये है | भूख ले आई शहर हम भूख के मारे हुये है | छोड़ चले शहर को हम भूख के…
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