यादों का सृजन

मेरी यादों के लम्हे चुन-चुन कर सृजन मत करो जिंदा लाश हूं मैं मेरे अर्थहीन शरीर से लगन मत करो बेनूर हो जाएंगी यह निगाहें…

पिताजी

अपने सुख दुःख की पोटली को रख किनारे में हमारे सुख दुःख को अपना जीवन बनाया पिताजी ने ही हमे सब कुछ सिखाया कल तक…

नमन 🙏

जिनके नाम से दुश्मन थर थर कांपा करते है बलिदान हुए वीर जवानो को हम सब नमन करते है ये सच्चे देश भक्त है ऐसे…

ऐ ज़िन्दगी

ऐ ज़िन्दगी मैंने तुझको दिया क्या है तेरे लिए किया क्या है तूने मेरे गम पे खुशियों के वस्त्र ढक दिए तेरे लिए मैंने सिया…

नारी

अबला थी जो नारी अब तक सबला बनके दिखलाएगी पुरुष के हाथों की कठपुतली अब दुनिया को चलाएगी । घुट घुट के यह मरती रही…

मन की पतंग

मीठे मीठे सपने संजोने दो होता है जो उसे होने दो कल का पता नहीं क्या होगा बाहों में और थोड़ा सोने दो ।……….. जागी…

मजदूर

हमारा कसूर क्या था आखिर क्यों मजदुर हुए हम दर दर भटकने पर मजबूर हुए हम इस महामारी से तकरार है रोजी रोटी की दरकार…

सच झूठ

एक दिन रस्ते पर मिले दो नौजवान मैंने पूछा दोनो से क्या है आपका शुभ नाम पहला बोला मेरा नाम है सच सब सोचते मैं…

फिर आएँगे

कह चले हैं अलविदा उन शहरों को जिनमें हम कमाने-खाने आए थे, महामारी में बचे रहे तो.. फिर आएँगे l मजदूर हूँ, हुनर हाथों में…

Shayri

हर बीमारी का हल दवा नहीं होती हर छोटी चीज़ रवा नहीं होती भुज जाते है दीये कभी तेल की कमी से हर बार कुसूरवार…

“खिड़कियों से झांकती आँखें”

कितनी बेबस हैं लोह-पथ-गामिनी (रेलगाड़ी) की खिड़कियों से झांकती 👁आंखें। इन आंखों में अनगिनत प्रश्न उपस्थित हैं। कितनी आशाएं कीर्तिमान हो रही हैं । अपने…

प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूर मजदूर हूं, मजबूर हूं, कैसी है तड़प हमारी, या हम जाने, या रब जाने, आया कैसा चीनी कोरोना, ले गया सुख-चैन हमारा, जेब…

शाहील

अश्कों के समंदर में ए ग़ालिब, गोता लगाए जा रहा हूँ मै। शाहील मुकद्दर में है या नहीं, बस यही सोचे जा रहा हूँ मैं।।

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