“माँ मुझे विवाह नहीं करना”
समाज में स्त्रियों की दशा देखकर मेरे मन में उठे विचार:- माँ मुझे विवाह नहीं करना। पति की परछाई बनकर, पति के पीछे-पीछे नहीं चलना।…
संपादक की पसंद
समाज में स्त्रियों की दशा देखकर मेरे मन में उठे विचार:- माँ मुझे विवाह नहीं करना। पति की परछाई बनकर, पति के पीछे-पीछे नहीं चलना।…
तेरे-मेरे बीच में वो पहले जैसी बात नहीं रही। ना रही वो बातें, वो मुलाकात नहीं रही। ख्वाहिशों के समंदर पड़ गए सूखे-सूखे रीत में…
मेरी यादों के लम्हे चुन-चुन कर सृजन मत करो जिंदा लाश हूं मैं मेरे अर्थहीन शरीर से लगन मत करो बेनूर हो जाएंगी यह निगाहें…
अपने सुख दुःख की पोटली को रख किनारे में हमारे सुख दुःख को अपना जीवन बनाया पिताजी ने ही हमे सब कुछ सिखाया कल तक…
हृदय की वेदना जब सीमा के पार हुई कोशिशें बहुत कीं कम करने की, पर वो शमशीर की धार हुई तब लेखनी चल पड़ी मेरी,…
क्या माँ ने कभी विशेष दिन ही ममता लुटाया है। क्या माँ ने मात्र किसी खास दिन ही खिलाया है। क्या पिता ने कोई दिन…
कैसे कहूँ, किससे कहूं कि हाल ए दिल क्या है, रोना अकेले ही है अंजाम ए बयान क्या है। जब तक खुश रहती हूँ, लोगों…
उठाई थी कलम कुछ अनसुलझे सवाल लिखने के लिए। अपने दिल के ज़ज्बात ना जाने कब लिखने लगी। लोग कहते हैं कि मैं बहुत अच्छा…
क्यूँ आज सूरज हो गया निस्तेज वह पहले जैसी बात नहीं। हवा भी चल रही है मद्धम-मद्धम उसमें भी पहले जैसी बात नहीं। न जाने…
विपक्ष की गंदी राजनीति, हक से बेशक करो। सैन्य बल कि शौर्यता पर, नाहक ना शक करो। जो तुम निशस्त्र वीरों को ज्ञान बाँट रहे।…
जिनके नाम से दुश्मन थर थर कांपा करते है बलिदान हुए वीर जवानो को हम सब नमन करते है ये सच्चे देश भक्त है ऐसे…
ये भाग- दौड़ के किस्से अजीब होते हैं, सबके अपने उद्देश्य और औचित्य होते हैं। कभी शिक्षा कभी जीवन की नव आशा में, सिर्फ बेटियाँ…
कब कोई सिपाही ज़ंग चाहता है। वो भी परिवार का संग चाहता है। पर बात हो वतन के हिफाजत की, न्यौछावर, अंग-प्रत्यंग चाहता है। पहल…
कितना कष्ट होता है जब एक सैनिक शहीद होता है । पूरा देश रोता है । हर गली रुदन करती है । एक अशांत-सी पीड़ा…
बहुत याद आते हैं, वो गुजरे हुए पल। वो तुम्हारे खत का इंतजार। हर पल मिलने को बेकरार। गलियों में घुमना बनकर आवारा, पाने को…
कहीं दिल पे नश्तर , तो कहीं नश्तर पे दिल। ज़माना खराब है ग़ालिब जरा संभल के मिल।।
कोरोना बीमारी के लगातार बढने के बावजूद किसी भी तरह की कोई सावधानी लेने से लोग परहेज कर रहे हैंं यह ऐसा समय है जब…
लोभी दुनियां में जी गई मैं, विष का प्याला पी गई मैं ना मीरा हूं ना नीलकंठ, फिर भी सब झेल गई मानों प्राणों पर…
गिरेबां अपनी जब भी झांकता मैं। हर बार पाता, कहाँ तू और कहाँ मैं। आईना मैं भी देखता हूँ, वाकिफ़ हूँ, और भी बेहतर हैं…
अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल श्रमिकों के नाम प्रस्तुत मेरी एक बाल गीत बाल गीत – मजदूरी ना कराना | लगा…
झांक हमारे अंदर लहू है, पानी नहीं। आज़मा कर देख, हम किसी से कम नहीं क्यों इतराता है, तू अपनी ताक़त पे। गर आज हम…
बाहुबल से सबल रहे, फिर क्यों विफल रहे। केश पकड़ घसीटा गया, भरी सभा मुझे लुटा गया। दुःशासन का दुस्साहस तुम देखते रहे, दुर्योधन का…
ऐ ज़िन्दगी मैंने तुझको दिया क्या है तेरे लिए किया क्या है तूने मेरे गम पे खुशियों के वस्त्र ढक दिए तेरे लिए मैंने सिया…
धधक रहा है मुल्क, और कुछ आग मेरे सीने में। वफ़ादारी खून में नहीं तो फिर क्या रखा जीने में। वतन परस्ति से बढ़कर, और…
कविता- इंसान मे जानवर हाथी एक जानवर मगर इंसान की इंसानियत ढोता रहा | थके मांदे एक शेर के बच्चे को अपनी सुंढ मे ढोता…
क्षणभर में क्षीण हो छलकी आंख भारत मां की जब मजदूरों के छाले सीने में लेकर बैठ गई निज संतान का दर्द दिखा तो ऐसी…
वक्त ने कैसा करवट बदला बेज़ार होकर। तेरे शहर से निकले हैं बेहद लाचार होकर। पराया शहर, मदद के आसार न आते नज़र, भूखमरी करीब…
अबला थी जो नारी अब तक सबला बनके दिखलाएगी पुरुष के हाथों की कठपुतली अब दुनिया को चलाएगी । घुट घुट के यह मरती रही…
मीठे मीठे सपने संजोने दो होता है जो उसे होने दो कल का पता नहीं क्या होगा बाहों में और थोड़ा सोने दो ।……….. जागी…
जब मैं हुई उदास, तो तेरा मुस्कुराना याद आया जब हुई तुझसे दूर, तो तेरा पास आना याद आया तू नहीं आया, पर तेरी याद…
हमारा कसूर क्या था आखिर क्यों मजदुर हुए हम दर दर भटकने पर मजबूर हुए हम इस महामारी से तकरार है रोजी रोटी की दरकार…
गजल- प्यास पानी हो गई | तुझसे बीछड़ दर्द इश्क अब कहानी हो गई | आँख से उमड़ा समंदर प्यास पानी हो गई | छलकता…
भोजपूरी देवी गीत (आल्हा धुन) – मइया न देर लगाय | मुंह से महिमा केतना सुनाये,कालिका बरनी ना जाय | जेतना गाई ओतना पाई ,गावत…
याद आती हैं वो बचपन की बातें जब पापा के हाथों से चोटी करवाती थी। माँ लोरी गाकर सुलाती थी। कहाँ गई वो बचपन गुड़िया…
विलासता से कोसों दूर हूँ। हाँ, मैं मजदूर हूँ। उँची अट्टालिकाएँ आलिशान। भवन या फिर सड़क निर्माण। संसार की समस्त भव्य कृतियाँ, असम्भव बिन मेरे…
एक दिन रस्ते पर मिले दो नौजवान मैंने पूछा दोनो से क्या है आपका शुभ नाम पहला बोला मेरा नाम है सच सब सोचते मैं…
मुद्दतें बाद आज गला तर हो गया। मर रहा था, अब बेहतर हो गया।। कल जो खाने की तलाश में, कतार में थे खड़े। आज…
जुबां जो कह नहीं सकती आंखें वो राज़ कहती हैं। दिल में जो कुछ भी चलता है धड़कनें आवाज करती हैं । लगाए लाख भी…
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को जिनमें हम कमाने-खाने आए थे, महामारी में बचे रहे तो.. फिर आएँगे l मजदूर हूँ, हुनर हाथों में…
कल फिर महफिलें सजेगी हम भीड़ के हिस्से होंगे । खुद को कैद कर लो आशियाने में वरना हम ना होंगे सिर्फ हमारे किस्से से…
हर बीमारी का हल दवा नहीं होती हर छोटी चीज़ रवा नहीं होती भुज जाते है दीये कभी तेल की कमी से हर बार कुसूरवार…
ये मेहनतकश हैं भारत के, चल पडे बैठकर रेल में इनकी दुविधा समझें हम सब, ना लें इसको खेल में देश बन्द हुआ, काम बन्द…
!सुनों! सुनो! ये जो दरिद्र मजदूर हैं, वास्तविकता में यही तो मजबूर हैं| क्रूरता की पराकाष्ठा तो देखो, अब तक ये कुटुंब से दूर है|…
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया ? जिसे अपना बनाया वही बेगाना शहर हो गया।। लेके दिल में तमन्ना था आया यहाँ।…
कितनी बेबस हैं लोह-पथ-गामिनी (रेलगाड़ी) की खिड़कियों से झांकती 👁आंखें। इन आंखों में अनगिनत प्रश्न उपस्थित हैं। कितनी आशाएं कीर्तिमान हो रही हैं । अपने…
मेरी जलती चिता पर लोग रोटी सेंक लेते हैं सहारे की जरूरत पर मेरा ही टेक लेते हैं जमाने ने मुझे समझा किसी माचिस की…
जख़्म गर नासूर बन जाए, उसे पालना बहुत भारी है। ज़िन्दगी बचाने के लिए, अंग काटने में समझदारी है। यह फलसफ़ा असर करता है, हर…
भीगी भीगी रातों में जब याद तुम्हारी आती है सच कहता हूं यार मेरे ये आंखें जल बरसाती हैं कैसे कह दूं दोस्त मेरे की…
प्रवासी मजदूर मजदूर हूं, मजबूर हूं, कैसी है तड़प हमारी, या हम जाने, या रब जाने, आया कैसा चीनी कोरोना, ले गया सुख-चैन हमारा, जेब…
अश्कों के समंदर में ए ग़ालिब, गोता लगाए जा रहा हूँ मै। शाहील मुकद्दर में है या नहीं, बस यही सोचे जा रहा हूँ मैं।।
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