Shayari
शतरंज में अक्सर बाज़ियाँ पलट जाती हैं अक्लमंदी से मोहरे चलना ए बाज़ीगर किस्मत बुलंद हैं गर अदने से मोहरे की तो राजा के हिस्से…
संपादक की पसंद
शतरंज में अक्सर बाज़ियाँ पलट जाती हैं अक्लमंदी से मोहरे चलना ए बाज़ीगर किस्मत बुलंद हैं गर अदने से मोहरे की तो राजा के हिस्से…
दूरियां ज़बरदस्त कायम है दरमियाँ दो दिलों के कौन जाकर समझाए उन्हें किस्मत से मोहब्बत मिलती है दिलों में रंजिशें हो तो इश्क़ मुकम्मल हुआ…
डर का वजूद कुछ नहीं ये स्वयं जनित मनोभाव है आसन्न खतरे की चिंता से उत्पन्न भय निराशावाद है एक अंतहीन भ्रम की स्थिति हक़ीक़त…
दो दिल जुड़ते हैं जब सच्चाई से चंचलता निरंतर जवान होती हैं किसी से प्यार हो जाना बेहद सुखद अनुभूति हैं खुशनुमा अहसासों में डूबकर…
आम खाके गुठलियों का ढेर लगाना है मेरी नहीं फ़ितरत। एक गुठली से बृक्ष लगाना, चाह मेरी और मेरी यही फितरत।।
मानों कल हि की बात हो…… एक नन्ही सी गुड़िया, मेरे गुड्डे से ब्याही थी। दुल्हन के लिबास में, आंगन में खिलखिलाई थी। मुस्कुराहट पर…
मां के आंगन को, पकवानों की खुशबू से महकाती है। कभी बहन बनकर, कभी दोस्त बनकर, रास्ता दिखाती हैं। ख़ामोश मुस्कुराहट से ही, सब-कुछ कहजाति…
अम्मा, एक बात कहूं ये जो तुम बकरी भैस गोबर घास में लगी रहती हो न अच्छा है, तुम अकेली तो नही बाबू की अलग…
हज़ारों सवालों से भरी ये ज़िन्दगी कभी खुद के वजूद पर सवाल उठाती कभीचलती भी,कभी दौड़ती भी है ये थक कर कभी चूर चूर हो…
कैसे समझाएं तुम्हें कि हम कोई झुंड नहीं है मवेशियों के कैसे यकीन दिलाएं तुम्हें कि हमारे भी कई ख्वाब हैं छोटी-छोटी ख्वाहिशें हैं जिन्हें…
धरती जल रही अम्बर जल रहा जल रहा सकल जहान । हाल कहे क्या पशु-पक्षियों के हैं व्याकुल सब इन्सान ।। सघन छाँव करके मैं…
भीड़ है बहुत दिखता तन्हा हर इंसान हैं एक दूजे से मुँह फुलाये खड़े मकान हैं सूरज को भी जगह नहीं झांक पाने की फुर्सत…
दीवारों के भी कान होते है, लोग कहते हैं लेकिन मेरी चीखें क्यों सुन नहीं पाता है मेरा खामोश घर
सच कभी हमारा दामन नहीं छोड़ता कोई भटकाव हमारा प्रण नहीं तोड़ता जब भी विरोधाभास का आभास हुआ हम कोई प्रतिक्रिया देते वक़्त नहीं भूले …
जटिल है किसी को पूर्णतः समझना अस्थिरता रहती है सबके जीवन में क्यों मानक तय करना किसी के लिए गुज़रता है हर कोई अलग संघर्षों…
आने से पहले ही गैर जीवन का पुरौधा बन गया जन्म से पहले ही जननी की कोख का सौदा हो गया अंश किसी का,गर्भ किसी…
पैर जैसे ही पड़े आंगन में बरसों बाद एक एक पाथर मचल उठा, सुबक पड़ा उसके आने के अहसास से ये तो वही पैर थे…
ज्यों पले इक मां की गोद में, नन्ही सी जान। त्यों पले तू भारत की गोद में, पाकिस्तान। समुद्र है हिंदुस्तान मेरा, लहरें हैं विशाल।…
लेके काँधे पे बन्दूक दिल में देशप्रेम अटूट चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर। न हीं जीवन की मोह न हीं परिजन बिछोह…
पहली बारिश….। आज सुबह से बारिश रुकने का नाम नही ले रही जानती हो, पहली बारिश याद आ गयी, उस रोज देर तक बस स्टॉप…
Saavan pratiyogita me सहभाग लेना चाहती हुं ! मेरी कविता स्वीकार करें. *शहीद* शहीद हुवा हैं मेरा सैनिक युद्धभूमी गलवान हम सबको अभिमान शौर्य का…
तुम रहे हमेशा आगे ऐसे तूफान भी न छू पाए तुम्हारे देश के एक- एक कण को……. कोई अपना बनाकर न ले जाए….. जान हथेली…
जाग हे पार्थ जाग तू, दे काल को अब मात तू, काल के कपाल पर अमिट रेखाएं खींच, अब तू काल समर जीत। स्वयं के…
सरहद की ये आड़ी-तिरछी लकीरें, किसने खिंची क्या पता! गर जो वो तुमको मिले, मुझे भी उसका पता देना!! बस पुछुंगी इतना ही, एकता ना…
हे कर्मवीर हे धर्मवीर हे परमवीर तुम शौर्य महान, हेभारत मा के वीर सपूत इस देश के लिए कुर्बान है जान बलिदान तेरा न व्यर्थ…
सडकें ठहर गई सी लगती हैं हर तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा है बचकर निकलना अब चमन में फूलों के संग मिल गया कांटा है। कोरोना…
कवियों की तो बात ही कुछ और है | सोच की उनका नहीं कोई ठौर है, मन की गति उनकी , प्रकाश से भी तेज़…
“आजादी के मतवाले हँसकर फंदे पर झूल गये, बोलो उन वीर सपूतो को हम सब कैसे भूल गये। मंगल पांडेय ने देखो आजादी का बिगुल…
….हर तरफ़ एक शोर है…..हर तरफ़ एक ही बात, मुल्क़ के लिए अपनी जान जो दे गए, यथासंभव हमें देना हैं मिलकर उनके परिवार का…
न पायल पर, न काजल पर न पुष्प वेणी पर मरते हैं हम वो पागल प्रेमी हैं जो मातृभूमि पर मरते हैं । सियाचिन की…
सोचता हूँ, क्यों ये बंदूकें है तनी? उन जीवों पर जो दिखते हूबहू हम जैसे, नेताओं के कठपुतले बन, मात्र खून के कतरे है बहे।…
आप लिखते खूब हो पर कभी गाते नही हो, मंच पर समर्पण भाव मे नजर आते नही हो। आपकी रचनाओं मे जीवन की सारी सच्चाई…
शरहद पर से पापा मेरे फोन किए थे शाम को। कुछ दिन धीरज रखना बेटा आऊँगा मैं गाम को ।। पढ़ना लिखना खेल कूद में…
तेरे कांधे पे सर रख, रोना चाहता हूं मां। तेरी गोद में सर रख, सोना चाहता हूं मां। तू लोरी गाकर, थपकी देकर सुला दे…
हिन्दी सावन शिव भजन 2 -भोला जी की भंगिया | भोला जी की भंगिया ,गौरा जी की परेशानिया | मन मन रोती है गुस्सा करती…
मां तुझ से है मेरी यही इल्तज़ा। तेरी खिदमत में निकले मेरी जां। तेरे कदमों में दुश्मनों का सर होगा, गुस्ताख़ी की उनको देंगे ऐसी…
🍀🌷🌹🙏नमन् है मेरे देश के वीर सिपाही को 🍀🌹🙏 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोटी कोटी प्रणाम है मेरे देश के वीर सिपाहियों को जो अपनी जान की परवाह…
लिपट कर तुझसे तिरंगा भी रोया था उस पर मरने वाला आज उसमें ही घुसकर सोया था भारत माँ के सपूत ने चैन शान्ति बाँटी…
जंग का ऐलान हम नहीं करते, पर जंग छिड़ जाने पर पीछे नहीं हटते। यही तो है हम हिन्दुस्तानियों का हुनर, सिर कटा सकते हैं…
चाय में डूबे बिस्किट सी हो गयी है जिंदगी कब टूट जाये, कब घुल जाये खबर नहीं
जो बीत गई वो याद बनी, यादों में एक चेहरा मुस्काया है आंखें हैं नम, दिल में है .गम, होठों ने गीत नया एक गाया…
हम बसाएंगे अपना घरौंदा कहीं… हम परिंदे हैं एक जगह रुकते नहीं… जहाँ मिलती हैं खुशियाँ जाते हैं वहाँ हम गमों में घरौंदा बनाते नहीं……
इंतजार किया जी भर कर उनसे मिलने की कोशिश भी की, कहाँ रह गये वो जिन्होने हर वादा निभाने की कसम भी ली। आसान भी…
अब उठ नौजवान तुझे कुछ करना है जगमगाते दीप से सूरज की तरह चमकना है दिल जो कहे वो करना है ज़िंदा मछली की तरह…
मैं ‘पत्थर’ हो गया हूँ पर वो पत्थर नहीं जिसे ‘पूजा’ जाय, बस एक ‘साधारण पत्थर’, पर साधारण पत्थर होना ही क्या ‘आसान’ है? देखने…
मैं पुत्र उस नारी की जिनकी आंखों में पीड़ा देखी , उजागर करता हूं उन पीड़ा का……….। जनमानस से भरा जिसने धरती को , घर…
ये उम्र, ये मजबूरियाँ और रोटी के तमाशे, फिर लेकर निकला हूँ पानी के बताशे। बाज़ार के एक कोने मे दुकान सजा ली, बिकेंगे खूब…
अब कहां हमसे दीवाने रह गये प्रेम की परिभाषा और मायने बदल गये, तब न होती थी एक- दूजे से मुलाकाते, सिर्फ इशारों मे होती…
आज कुछ पुरानी सौगात मिली मैंने अपने कमरे की तलाशी ली। तो कुछ किताबें धूल में लिपटी हुई, कुछ खत, कुछ गुलाब के फूल सूखे…
इन सुर्ख अधरों को मेरे गालों तक मत लाना चाहत और बढ़ जाएगी प्यार की अपनी जुल्फों को अब और मत लहराना रात लंबी हो…
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