हम सब

आओ इस कल्पना की दुनिया में खो जाये हम सब एक हो जाये ये जात पात सब मिट जाये आओ सब अपने दुःख सुख में…

धृतराष्ट्र:- महाभारत के उत्तरदाई

धृतराष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं ने ही बीज बोया महाभारत का धृतराष्ट्र आंखों से अंधे थे उन्होंने दुर्योधन के व्यक्तित्व को अंधा बना दिया इतिहास धृतराष्ट्र को…

एक भूल

मैं आज जो निकली राहों पर यह राह मुझे बात सुनाती है कहे शर्म तो आती ना होगी मेरा घ्रणा से नाम बुलाती है कहे…

पहली मुलाकात

जब तुझसे मेरी पहली मुलाकात होगी बिना बोले ही आंखों से सब बात होगी बिताकर कुछ पल जिंदगी के साथ तेरे फिर से हमारे प्यार…

प्यारी नर्स

खुदा के फरिश्ते के रूप में तुम आती हो होठों पर मीठी सी मुस्कान लाती हो अपनी जिजीविषा और कर्मनिष्ठा से टूटी आशा को जगा…

समंतराल

ना दर्द है ना धूप है यह कैसी दुनिया लगे बेदर्द है हा खुश हूं मैं हा बेसुध हु मै अपने दुनिया मे बेशक सफल…

जीने का हक

माँ से बोली एक बेबस बेटी:- अविस्मरणीय है कोख तेरी माँ जिसमें स्फुटित हुई हूँ मैं । तुझे किसने बता दिया है माँ बेटा नहीं…

तेरी परछाई

सुनो ना मां! मत घबरा मेरे आने से मुकम्मल हो जाएंगे दोनों एक नए बहाने से तेरे पंख मेरी उड़ान होगी जमाने में अपनी नई…

गूंगी लड़की

गूंगी लड़की ————— रात्रि के अंधकार में, नहा जाती वह दूधिया प्रकाश से। जब उसकी कहानी के पसंदीदा किरदार उसको घेरे खड़े होते। बेबाकी से…

किन्नर

किन्नर ——– व्यंगात्मक हंसी में भी प्रेम तलाशते, अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर यह संवेदनाओ से भरे हृदय अपनी दो जून की रोटी के लिए…

दायरे

किन्नर ——– व्यंगात्मक हंसी में भी प्रेम तलाशते, अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर यह संवेदनाओ से भरे हृदय अपनी दो जून की रोटी के लिए…

इम्तिहा

“इम्तिहा” योगेश ध्रुव “भीम” “जिंदगी की डोर खिंचते चल पड़े हम, मंजिल की तलाश पैरो पर छाले पड़े” “बिलखते हुए सवाल लिए पापी पेट का,…

मधुशाला

मधुशाला खोल के भारत ने हरिवंश राय बच्चन की रचना को चरितार्थ किया मंदिर-मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला फैली है चारों ओर महामारी फिर…

आज की नारी

मैं आज की नारी हूँ न अबला न बेचारी हूँ कोई विशिष्ठ स्थान न मिले चलता है फिर भी आत्म सम्मान बना रहा ये कामना…

माता सीता

वो प्यारी सी नन्ही सी कली थी धरती से वो जन्मी थी जनक जी के महल में लेकिन पाली पोसी और बड़ी हुई थी मखमल…

वायरस

वायरस ——– वायरस हो क्या! जो लहू में संक्रमण की तरह फैलते ही जा रहे हो। या फिर परिमल जिस की सुगंध खींच लेती है…

शूरवीर

आज फिर गूँज उठा कश्मीर सुन कर ये खबर दिल सहम गया और घबरा कर हाथ रिमोट पर गया खबर ऐसी थी की दिल गया…

आवारा सावन

सावन के एक एक बूंद जो गिरा मेरे होंठो पे। कैसे बयां करू अपनी दास्तां इन सुर्ख होंठो से।। उन्हें क्या पता कब चढी सोलहवां…

दायरे

दायरे ____ **** दायरे थे ही नहीं मानव की लालसा के! हर तरफ फैलाव था पैर पसारे। जीव सीमट रहे थे दायरो में…. लुप्त और…

एक दोपहर ऐसी भी

एक दोपहर ऐसी भी:’ मैं कुछ उधड़-बुन में थी अपनी आकांक्षाओं की निर्मम हत्या करके अपने दंश भरे पलंग पर लेटी… कुछ आराम पाने की…

नारी

“नारी” प्रकृति सा कोमल तुम, मेरु समान दृढ़ता लिए, नीर सा निर्मल हो तुम, नारी तुम न हारी हो || अन्धकार की दीपक, निश्च्छलता की…

मलाल

मुझे ताउम्र ये मलाल रहेगा तुम क्यों आये थे मेरी ज़िन्दगी में ये सवाल रहेगा जो सबक सिखा गए तुम वो बहुत गहरा है चलो…

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