अगर तुम न मिलते
जिंदगी का कारवां यूं ही गुजर जाता अगर तुम न मिलते हमारे लफ़्जों में कहां कविता उतरती अगर तुम न मिलते
जिंदगी का कारवां यूं ही गुजर जाता अगर तुम न मिलते हमारे लफ़्जों में कहां कविता उतरती अगर तुम न मिलते
इक अरसे बाद कुछ लिखने को जी किया थमे थे जो अश्क आंखों में वो आज बह गये न जाने क्या दबा था इस दिल…
रिमझिम रिमझिम वर्षा से, जब तन मन भीगा जाता है, राग अलग सा आता है मन में, और गीत नया बन जाता है I कोशिश…
आज कुछ हुआ है मेरे सनम को,-२ पास आके कहती है भुल जाओ हम को, आज कुछ हुआ.••••• यु नदी बन मुझे दुर तक बहाया…
सामूहिकता से मिटे दुनिया के हर शूल ! निजता में सब बांटके करते भारी भूल!!
ღღ__कुछ इस तरह भी करता है “साहब”, वो मेरे दर्द का इलाज; . कि पहले घाव देता है, फिर अपने आंसुओं से धोता है!!…..#अक्स
हर बात ही हो लफ्जों से बयाँ ये जरूरी तो नहीं ‘हुज़ूर’, दिल ए नादाँ की कुछ सदायें तुम भी तो सुनना सीखो, हर नज्म़…
“जब चाँद भीगता था छत पर” बहका सावन-महकी रुत थी, ये हवा भी मीठी चलती थी. जब चाँद भीगता था छत पर, तब बारिश अच्छी…
झुकी-झुकी सी नजरे उसकी जैसे है तीर चलाये साह-ए-दिल घायल हुआ खुद के जख्मी दिल को सहलाये
दिलो के गम छुपाये नहीं छुपते कभी अश्कों में, कभी लफ़्जों में निकल आते है वक्त बे वक्त और छोड़ जाते है निशानी खारी खारी…
डरते डरते ही सही मैनें आखिर वो बात कह ही दी जो लफ़्जों में कभी ढल ना सके वो अहसास आज बयां हो ही गये…
Ashru-purit nayan mere kyu—? Raah tumhari takte nhi thakkti Shunya matra bin tere jivan ke pal “Preet” hamaari kahte nhi thakkti Manuhaar dil ki,sune tera…
अमरकंठ से निकली रेवा अमृत्व का वरदान लीए। वादियां सब गूँज उठी और वृक्ष खड़े प्रणाम कीए। तवा,गंजाल,कुण्डी,चोरल और मान,हटनी को साथ लीए। अमरकंठ से…
ये दुनिया भी गज़ब का मेला, इतनी भीङ पर हर कोई अकेला, कभी हँसना,तो कभी है रोना, कुछ खोना,तो कुछ है पाना।। खिलखिलाते कुछ चेहरे…
ღღ__कल शब मिला था इक चाँद, हाँ “साहब” चाँद ही रहा होगा; . मिले भी तो दूर से, प्यार पर गुरूर से, और दोनों ही…
टूटते ख्वाबों के अफसाने बहुत से हैं! मयकशे-जाम के भी बहाने बहुत से हैं! एक तू ही नहीं है तन्हा गम-ए-हालात से, शमा-ए-हुस्न के भी…
।। सड़क का सरोकार ।। : अनुपम त्रिपाठी सड़कें : मीलों—की—परिधि—में बिछी होती हैं । पगडंडियां : उसी परिधि के आसपास छुपी होती हैं ॥…
यूँ गयें हो दूर हम से जैसे कुछ था ही नहीं, लगता है पुरानी सोहबतों को भी तुम भूल गये हो, इतना भी आसान…
मेरी तन्हाइयों का जिम्मेदार किसे मानूँ मैं ‘हूज़ूर’ तेरे जाने के बाद इन हवाओं नें भी तो रुख बदला था,
गलतफ़हमीं में जी रहे हो ‘हुज़ूर’ दर्द क्या होता हैं तुम्हें क्या मालूम, ज़रा पूछो उनसे जिनके अश्कों को पलकों का सहारा नहीं मिलता,
ღღ__ब-मुश्किल थपकियाँ देकर सुलाती है, नींद मुझको “साहब”; पर कुछ ना-समझ ख्वाब हैं उनके, जो बे-वक़्त जगा देते हैं!!…#अक्स
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत) तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है, कल्पना कवि की है, वंचना कवि की है, वंचना कवि…
चला खुद को लेकर न जाने कहाँ …! चला खुद को लेकर न जाने कहाँ, अनजाना सफ़र ये, न जाना जहाँ ……! समझ जब ये…
कुछ बीते हुये वो दिन, कुछ भूली बिसरी यादें, कुछ पुराने से पलछिन, कुछ अधूरे से वादें ।। याद बहुत अाते हैं वो बीते हुए…
समंदर तेज हो, तीखी हवा हो, पतवार छोटी हो, अगर तुम साथ हो मेरे , परवाह कौन करता है . …atr
मोहब्बत में जो मैंने की मोहब्बत से बहुत बातें , लबों पर रख के वो बोले बहुत बोला नहीं करते . …atr
मोहब्बत में चराग़ों से उजाले हुआ नहीं करते , दिलों में आग लगती है,जहाँ रंगीन दिखता है . …atr
ना मिट्टी से गढ़ी हूँ , ना तराशी हूँ पत्थर से, इंसानियत का अंश हू सींची गयी हूँ लहू से l दो नयन है सपनों…
रोशनियाँ उसका पीछा करती रहीं और वह अंधेरों में छिपता रहा तन्हाइयों में खोता गया और सूरज से आँख मिलाने से डरता रहा दिन दिन…
रोकर कोई न जंग जीता है न जीतेगा कभी , वक्त है यह वक्त से पहले न बीतेगा कभी l हाथों में काले से बस…
निगाहें उठाकर जिधर देखते हैं तुम्हें बस तुम्हें हमसफर देखते हैं उडीं हैं गुबारों सी अब हसरतें भी खड़े हम तो बस रहगुजर देखते…
पगला सा ये मन मेरा, हो जाने को बैठा सिर्फ तेरा, तुझमें ही रम जाना चाहे, डगर कठिन हो कितनी भी चाहे। तुझ संग ये…
ღღ__मजबूरी में सुनने पड़ते हैं “साहब”, लोगों के ताने अक्सर; . कोई भी शख्स इस जहाँ में, शौक़ से रुसवा नहीं होता!!…#अक्स
पगला सा ये मन मेरा, हो जाने को बैठा सिर्फ तेरा, तुझमें ही रम जाना चाहे, डगर कठिन हो कितनी भी चाहे। तुझ संग ये…
मोहब्बत की गवाही देने लगती हैं धड़कने सुलझाने से सुलझ जाती है सब उलझने चाँद को पाने की हिम्मत आने लगती है ज़िंदगी में आती…
शांति ओढ़ लेना प्रतिरोध छोड़ देना ज़रूरी नहीं कायरता ही हो हो सकता है आने वाले संघर्ष की तैयारी हो बात बात में ताने देना…
दूर दूर तक कानों में ना कोई धड़कन, ना आवाज़ , ना ही थिरकन रक्त के संचार की , बस कथन, बंधन ,रुदन , आदेश…
किताबे भी दर्द मे रोती हैं सिसकती हैं ,लहू लहान तेरे दर्द में होती हैं ************ वो चंद घंटे पहले शहर में उतरा ,शहर की…
ღღ__दुश्वारियाँ लाख सही लेकिन, गुफ्तगू करते रहो “साहब”; . मुसलसल चुप रहने से भी कोई, मसला हल नहीं होता!!…..#अक्स
मुकम्मल जिंदगी की खातिर क्या क्या न किया जिंदगीभर हमने मगर इक अधूरापन ही मिला जिसे साथ लिए घूमता रहता हूं मैं|
एक मित्र ने यही मुझसे ब्रम्हास्त्र की फरमाइश की थी तो जी लीजिये जी पेश है खुद से जो पूछा कि क्या चाहिए दिल…
ღღ__कौन-सी दुनिया में रहते हो, तुम आज-कल “साहब”; . जो सपनों में भी तुम तक, मेरी आवाज़ नहीं जाती!!….#अक्स
बड़ी बेदर्द सी रातें है काफ़ी सुन के सोता हूँ, जहाँ तुम याद आती हो , वहीं चुपके से रोता हूँ| ये रोने और सोने…
जापान से बुलेट ट्रेन लाने की ज़रूरत नहीं है बुलेट ट्रेन हम भी बना सकते हैं और चला सकते हैं अगर जापान से कुछ लाना…
टेक्नोलॉजी कैसे आएगी ——––—-/–/——-// टेकनोलॉजी कैसे आएगी इस देश में जब तर्क को आस्था के डिब्बे में बंद कर दिया गया हो … जब विज्ञान…
बदलते रहे वही नज़रें बार-बार हमने तो बस अपना चश्मा बदला राजेश’अरमान”
कितना होता है गुरूर इंसान को ये करता अपनों से दूर इंसान को जिसको देखो वही मद में चूर है वक़्त देता सबक जरूर इंसान…
इतना भी मुश्किल तो न था मुश्किल कहने में जो देर लगी राजेश’अरमान’
लो फिर मौसम बदला फिर तेरी याद आई राजेश’अरमान’
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