एक ग़ज़ल

एक ग़ज़ल  जो मेरे बेहद अज़ीज़ दोस्त को समर्पित है …. _________________________________ तुम्हारे चाहने वाले को क्यों आहें मयस्सर हैं ? नमी आँखों में लब…

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