दोस्त

यह शहर अनजान सा लगने लगा है
तू नहीं तोह बेगाना सा लगने लगा है

वह चाय की टपरी वह गालिया आज भी भरे है
तू नहीं तोह सब कुछ बेजान सा लगने लगा है

लोग तोह बहुत मिले तेरे जैसा दोस्त कहा है
मेरे गम मे किसी से भी लड़ने का जस्बा कौन रखता है

बिन बोले सब कुछ तू जान जाता है
अरे पेग बनाने से सब कुछ तुझी ने तोह सिखाया है

दोस्त ना हो तोह किस बात की ज़िन्दगी
होश गुम ना हो जाए तोह किस बात की तिशनगी

आज तक इस शहर मे कोई नहीं था अपना
अब तुम सब से ही तोह बनता है परिवार अपना

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Happy Birthday to You Mam

सब की ज़िन्दगी मे कोई ना कोई इंसान ऐसा होता है जो सब से खास, सब से प्यारा होता है। चाहे वो मम्मी या पापा,…

Responses

+

New Report

Close