anupriya sharma
जिंदगी कुछ रूकी रुकी सी है
January 17, 2017 in शेर-ओ-शायरी
जिंदगी कुछ रूकी रुकी सी है
सांसे कुछ थमी थमी सी है
मायूस है मोहब्बत मेरी
पुराने सायों से डरी हुई सी है
November 22, 2016 in शेर-ओ-शायरी
Vo janaab, bahut utarate he aajkal
Baato me jhalakta he gurur unka
Khabar nahi unhe hamaare hunar ki
Har lafz samandar e guru ko pee jaae jinka
काफ़िला गुजर गया तो क्या
September 27, 2016 in शेर-ओ-शायरी
काफ़िला गुजर गया तो क्या
हम तनहा है तो क्या
अकेले ही गुजर बसर कर लेंगें
दो लफ्जों को ही अमर कर लेंगें|
वक्त
September 8, 2016 in शेर-ओ-शायरी
कहां थे फ़ासले तेरे मेरे दरम्या
इक वक्त था जो जम गया था हमारे बीच

Zindagi
August 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
Dhal rahi he zindagi,
Shaam ki tarah.
Dhoob gaya he sooraj ab,
Andhere ab has chaaro taraf.
Ek ummeed ki kiran tha tu bas,
There bin nahi zindagi me kuch bhi ab.
मैनें आखिर वो बात कह ही दी
May 1, 2016 in शेर-ओ-शायरी
डरते डरते ही सही मैनें आखिर वो बात कह ही दी
जो लफ़्जों में कभी ढल ना सके वो अहसास आज बयां हो ही गये
मगर दिल अभी भी गमगीन सा बैठा हुआ है
जो मैनें कहा है, वो उसने समझा भी है या नहीं||
दर्द से भी इश्क हो गया है हमें
April 8, 2016 in शेर-ओ-शायरी
क्यों नहीं जुदा होता दर्द हमसे अब
लगता है दर्द से भी इश्क हो गया है हमें|
जिंदगी है कि गुजरती ही नहीं
March 14, 2016 in शेर-ओ-शायरी
दिन पे दिन गुजरते जा रहे है,
मगर जिंदगी है कि गुजरती ही नहीं

जलते है नाजुक पांव मेरे
March 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जलते है नाजुक पांव मेरे
वक्त की गरम रेत पर
अब के बस किसी काफ़िले में
कोई अपना मिल जाये

मेरा बचपन
March 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दोस्त बचपन के
याद बहुत आते है
जब बिछड़ जाते है
कहां बयां हो पाते है
जज्बात लफ़्जों में
अधूरे ही रह जाते है
मुकम्मल होने की हसरत में
शरारतें, मस्ती जिनसे होती थी मुकम्मल जिंदगी
छूट गयी सब बचपन के साथ
याद बहुत आता है मुझे
मेरा बचपन
शरारतें की है बहुत जिंदगी में हमने
January 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
शरारतें की है बहुत जिंदगी में हमने
अब जिंदगी है जो शरारत करती है

जलते है जिसके लिए, करोड़ों आंखो मे दीये
January 26, 2016 in शेर-ओ-शायरी
जलते है जिसके लिए, करोड़ों आंखो मे दीये
जान कुर्बान हर जनम में ऐसे वतन के लिए
दिल की दीवारों पे क्या लिखा है तुझे क्या पता
January 16, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दिल की दीवारों पे क्या लिखा है तुझे क्या पता
इन पर सर टकरा कर, ना जाने कितने खाक हो गये
कभी वो कुछ कहते है
January 12, 2016 in शेर-ओ-शायरी
कभी वो कुछ कहते है, कभी हम कुछ कहते है
हमारे रिश्ते चंद लफ़्जों में अक्सर महफ़ूज रहते है

कितनी बातें अनकही रह जाती है
January 11, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कितनी बातें अनकही रह जाती है
कितने लम्हे बिना जीए ही बीत जाते है
सोचते सोचते दिन महीने साल
धीरे धीरे सब गुजर जाते है
सूनी सूनी रातों में
January 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सूनी सूनी रातों में
कभी कोई दस्तक दे जाता है
मेरे दिल के दरवाजे पर…
कभी कोईे चेहरा नहीं दिखता
बस आहट होती है हल्की सी
और कुछ कदमों की आवाज
जो मचा देती है हलचल
मेरे सूने पड़े दिल में
सूनी सूनी रातों में…
आज मेरे आंगन में आफ़ताब आया है
December 24, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज मेरे आंगन में आफ़ताब आया है
सर्द दिन में लगता है ख्वाब आया है
नये नये रंगो में नहाया हुआ
जिंदगी का नया पैगाम आया है
लफ्ज है ये या बेबस दिल है मेरा
December 22, 2015 in शेर-ओ-शायरी
लफ्ज है ये या बेबस दिल है मेरा
धड़कन जिसकी किसी को सुनाई नहीं देती… अनु
जिंदगी जैसे रुक सी गयी है
December 19, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
दिल खोया हुआ है अलसाई बादियों में
ख्वाबों को भी नींद लग गयी है
सर्दी की इस अलसाई आदतों ने
जिंदगी जैसे रुक सी गयी है
सुनती आ रही हूं बातें दुनिया की
December 14, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
सुनती आ रही हूं बातें दुनिया की
बातों में पता नहीं अपनापन कहीं खो जाता है
करती हैं बातें दुनिया जमाने भर की
मगर खुद को बयां नहीं कर पाता है
काश कभी ऐसा भी हो
December 12, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
बहुत याद करते है हम आपको
क्या कभी आपके ख्यालों मे हम भी आते हैं
होती है गुफ़्तगू कई दफ़ा दिन में
क्या कभी आपके सपनों में हम भी आते हैं
काश कभी ऐसा भी हो
हम आपको याद करे
और आपका हाथ हमारे हाथों मे हो|
Let me come in your heart
December 10, 2015 in English Poetry
Where everything is silent,
Where everything is filled,
No space for anything else,
Take me there,
Above all the skies, all clouds and rainbow
Let me come in your heart
चलो इक कविता लिख देते हैं
December 9, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्या कहूं, क्या लिखूं कुछ समझ नहींं आता
कुछ बाते हैं जो लफ़्ज का साथ ही नहीं देती
कुछ बाते हैं जो दफ़न है जहन में
कुछ बातें अनकही ही रह जाती है
कुछ न कह कर, कुछ न लिख कर
चलो इक कविता लिख देते हैं
लफ़्जों में ढ़लने लगी है जिंदगी मेरी
December 2, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
कोई अपना था जो खो गया
जिंदगी में जो पास था
जो दूर हो गया
यादों के सहारे रह गयी है जिंदगी मेरी
लफ़्जों में ढ़लने लगी है जिंदगी मेरी
ख्वाहिश है बहुत दिल की
November 30, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
ख्वाहिश है बहुत दिल की
आंखो में गम है बहुत
ज़हन में है इक अजीब सी खामोशी
होती है घुटन हरदम
अब नहीं ख्वाहिशों का कत्ल करने को जी करता है
खामोशी को चीरने को जी करता है
इक बार मुस्कुराने की ख्वाहिश है
हर कोई रूह से अनजान है
November 27, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
किसी ने कहा था कभी कि मैं उड नहीं सकती
अब जमाना मेरी उडान देख के हैरान है
कभी लोग मेरी खामोशी की शिकायत करते थे
अब मेरे बोलने से परेशान है
आज तक समझ न सकी दुनिया मुझको
हर कोई रूह से अनजान है…..
बेहद ही खूबसूरत है जिंदगी
November 24, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
बेहद ही खूबसूरत है जिंदगी
हर पल नयी, नूतन
झिलमिलाती, चमकती हुई
आंखों में ख्वाबों के पुल बनाती हुई
कभी मुस्कुराती कभी रोती
आसूओं में भी खुद का आईना दिखाती
कभी चलती, कभी ठहरती
बेहद ही खूबसूरत है जिंदगी
दिल की आवाज किसी कोने में दफ़न हो गयी
November 22, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरी कहानी अनकही ही रह गयी
सितारों के उजालों में अंधेरे सी दब गयी
दुनिया ने मेरी सिर्फ़ सूरत ही देखी
दिल की आवाज किसी कोने में दफ़न हो गयी
हर कोई हमारे करीब आना चाहता है
November 19, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
हर कोई हमारे करीब आना चाहता है
मगर रिश्ता कोई नहीं निभाना चाहता है
चाहत तो हमारी बस सच्चे दिल की ही है
मगर झूठी दुनिया में सच कहां नजर आता है
दीये जलने दो जरा
November 11, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
दीये जलने दो जरा
कूछ उजाला हो जाए
वैसे तो अंधेरे की आदत है
आज कुछ अलग हो जाए
जिंदगी गुजरी है सीधी सी
आज रोकेट को कुछ टेडा कर के छोड देते है
शायद इससे किसी अंधेरे में उजाला हो जाए|

इक नज्म है जिंदगी
October 20, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
इक नज्म है जिंदगी
जिसकी इबारतें हम लिखते है
गाते है, गुनगुनाते है
कई दफ़ा भूल भी जाते है
याद करने, भूलने में
लिखने औ मिटाने में
ये कारवां ए जिंदगी चले

पलकों पर आंसू रहते है
October 14, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
पलकों पर आंसू रहते है
दिल में जज्बात रहते है
कलम है जो कुछ कुछ लिख देती है
वरना होठ तो हमेशा खामोश रहते है
आंखो मे आसमां रहते है
पांव बादलों पर रहते है
लेकिन चंद लम्हों के लिये भी उड नहीं पाते
किसी की यादों मे हम कैद रहते है
मेरे अहसास
September 18, 2015 in शेर-ओ-शायरी
कभी लगता था कि मेरे अहसास सिर्फ़ मेरे है
अब शायद वो भी पराये हो गये
मैं तो सन्नाटा हूं
March 1, 2015 in शेर-ओ-शायरी
ये तो मुमकिन नही यूं ही फ़ना हो जाऊं
मैं तो सन्नाटा हूं फैलूं तो सदा हो जाऊं