आरजू

December 5, 2019 in मुक्तक

क्या आरजू है दिल की क्या बताएं
बस इक आह है जो दिल में बसी है

अधूरी नज्म

December 4, 2019 in शेर-ओ-शायरी

लफ्ज़ो में कहाँ बयां होती है
मोहब्बत जब बेहिन्तहा होती है
हम ही थे जो ये खता कर बैठे
अब नसीब में बस अधूरी नज्म होती है

ज़िन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया
अकेले होकर भी खुश रहना सिखा दिया
रहती है यादें अब खुशियों के दरम्या
यादों ने आसूंओ से दामन छूड़ा लिया

हर चेहरा नकली है

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

हर चेहरा नकली है, हर रूह खुदगर्ज यहां
उस रूह को ढूंढ़ रही हूँ जो हो अपनी यहां
न कोई मुखोटा हो, न दीवारें हों
रूह से रूबरू हो हर रिश्ता यहां

दरारे ही दरारे

November 21, 2019 in शेर-ओ-शायरी

दरारे ही दरारे है आज रिश्तों जे दरम्यान
कहीं आँसू है तो कहीं नफरत की दास्तान

पहले से ज्यादा

September 14, 2019 in मुक्तक

जिन्हें चाहते थे खुद से भी ज्यादा
न निभा सके वो अपना वादा
तन्हा जब छोड़ दिया जमाने ने हमको
हम खुद के करीब हो गए पहले से ज्यादा

तेरे साये में बस हमे रहना है

September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी

नजरो से तुम क्या बयां करते हो
करीब आ कर कहो जो कहना है
हँसी नजारे न सही, अंधेरा ही सही
तेरे साये में बस हमे रहना है

अंधेरा

September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी

रोशनी तो रुखसत हो गयी है अरसे पहले
अंधेरा है जो अब तलाक साथ है मेरे

मेरे शिक्षक

September 1, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे जीवन के अहम इंसान
तुम्ही से स्पन्दित यह विश्व महान
सरस्वती माँ के तुम सारथी हो
तुम्ही से ज्ञान की गंगा का उत्थान

मेरा नमन स्वीकार करें
पथ मेरा आप सदा प्रदर्शित करें
अपने आदर्शों के पाठो से
मेरा भविष्य होगा महान

राखी का त्योहार है आज

August 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

राखी का त्योहार है आज,
आजादी का जशन भी है
बहन की खातिर जीना भी चाहता हूँ
देश पर मार मिटाने का मन भी है।
(देश के सैनिक की मन की बात)

जब होगा दीदार रब का

July 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जब होगा दीदार रब का तो पूछुंगी मैं
की तेरी इबादत मोहब्बत में इतनी अड़चने क्यों हैं

कोई क्या कहता है

July 9, 2019 in शेर-ओ-शायरी

कोई क्या कहता है परवाह किसे है
आंखे जब मुहब्बत से रोशन है
तो रातो दिन की फिक्र किसे है

वह दर्द बीनती है

July 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

वह दर्द बीनती है
टूटे खपरैलों से, फटी बिवाई से
राह तकती झुर्रियों से
चूल्हा फूँकती साँसों से
फुनगियों पर लटके सपनों से
न जाने कहाँ कहाँ से
और सजा देती है करीने से
अगल बगल …
हर दर्द को उलट पुलटकर दिखाती है
इसे देखिये
यह भी दर्द की एक किस्म है
यह रोज़गार के लिए शहर गए लोगों के घरों में मिलता है ..
यह मौसम के प्रकोप में मिलता है …
यह धराशाई हुई फसलों में मिलता है …
यह दर्द गरीब किसान की कुटिया में मिलता है…
बेशुमार दर्द बिछे पड़े हैं
लो चुन लो कोई भी
जिसकी पीड़ा लगे कम !
अपनी रचनाओंसे बहते, रिस्ते, सोखते, सूखते हर दर्द को
बीन बीन सजा देती है वह
लगा देती है नुमाइश
कि कोई तो इन्हे पहचाने , बाँटे
उनकी थाह तक पहुँचे …
और लोग उसके इस हुनर की तारीफ कर
आगे बढ़ जाते हैं …

हमारे हर लम्हे की कोशिश

July 2, 2019 in शेर-ओ-शायरी

हमारे हर लम्हे की कोशिश तुम्हारी रूह तक जाने की थी
मगर अफ़सोस आप ही इससे अनजाने थे

मुझे बारिश में भीगना पसंद था

June 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझे बारिश में भीगना पसंद था,
तम्हें बारिश से बचना…
तुम चुप्पे थे, चुप रह कर भी बहुत कुछ कह जाने वाले।
मैं बक-बक करती रहती।
बस! वही नहीं कह पाती जो कहना होता।
तुम्हें चाँद पसंद था, मुझे उगता सूरज।
पर दोनों एक-दूजे की आँखों में कई शामें पार कर लेते।
मुझे हमेशा से पसंद थीं बेतरतीब बातें और तुम्हें करीने से रखे हर्फ़।
सच! कितने अलग थे हम..
फ़िर भी कितने एक-से।

धूल मेँ लिपटा माज़ी

June 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब चलते-चलते थक जाओ तो कुछ देर ही सही
थाम लेना पैरोँ के पहिए..

बहाने से उतर जाना पल दो पल ज़िन्दगी की साइकल से..

देखना ग़ौर से मुड़कर
कहीँ बहुत पीछे तो नहीँ छूट गया ना..

धूल मेँ लिपटा माज़ी….

प्रेम कविता

June 30, 2019 in मुक्तक

प्रेम कवितासबने प्रेम पर
जाने क्या-क्या लिखा
फ़िर भी अधूरी ही रही
हर प्रेम कविता

सावन स्पेशल

June 27, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बदरा घिर घिर आयी देखो अम्बर के अंसुअन बरसे है
कोई न जाने पीर ह्रदय की पी के मिलन को हिय तरसे है
यह मधुमास यूँ बीत न जाये नैनों से झरता सावन है
जब से पत्र तुम्हारा आया भीगा भीगा सा तन मन है

और एक दिन

June 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

और एक दिन
दे दिये शब्द सारी व्यथाओं को
लिख डाली एक कविता
अपनी पहली कविता …

कभी लहरों को गौर से देखा है

June 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

समंदर के किनारे बैठे
कभी लहरों को गौर से देखा है
एक दूसरे से होड़ लगाते हुए ..
हर लहर तेज़ी से बढ़कर …
कोई छोर छूने की पुरजोर कोशिश करती
फेनिल सपनों के निशाँ छोड़ –
लौट आती –
और आती हुई लहर दूने जोश से
उसे काटती हुई आगे बढ़ जाती
लेकिन यथा शक्ति प्रयत्न के बाद
वह भी थककर लौट आती
.बिलकुल हमारी बहस की तरह !!!!!

लफ्ज़ो को बढ़े करीने से सजाया है

June 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

लफ्ज़ो को बढ़े करीने से सजाया है
इस नज़्म में नूर ए इश्क़ को बहाया है
कुछ समन लाकर रख दिये है इसके करीब
अपने होठों से हमने इसे गाया है

नारी की दशा बहोत ही विचित्र सी है

June 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी

नारी की दशा बहोत ही विचित्र सी है
है देवी पर क्यों अपवित्र सी है ?
है हर जीवन का स्रोत… पर
जीते जी स्वयं मृत सी है

दिखावे के प्यार

June 16, 2019 in मुक्तक

दिखावे के प्यार
दिखावे का खुला आसमां मिला
जब भी उड़ना चाहा
मुझको बस नीचे का रास्ता मिला

कसम से हर जुबाँ से दर्द मिला

June 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी

कसम से हर जुबाँ से दर्द मिला
कभी नज़रों से वो दर्द मिला
न जाने कब बदलेगा ये हालात
नारी होने का हर दर्द मिला

मै अपने साये में धूप लेकर चलती हूं

June 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मै अपने साये में धूप लेकर चलती हूं
तेरे लिये छाव फैलाये चलती हूं
तू कभी मिल जाता है मुझे अगर
तेरे पाव के नीचे हाथ बिछाये चलती हूं

तन्हाई में तुम्हारा ख्याल जो आया

June 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तन्हाई में तुम्हारा ख्याल जो आया
दूर पहाड़ो पर फैली धुंध बन गया
सर्दियों की खिली धूप बन तपा
फूलो पर ओस की बूंद बन गया……

Let me

June 8, 2019 in English Poetry

Let me take care of your life
Let me feel pain of your heart
let me hold you hand
and take you away
far from here
to the fresh sunlight

मुलाकात

April 14, 2019 in शेर-ओ-शायरी

आज मेरी खुद से मुलाकात हो गई
चुप थी जमाने से, आज खुद से बात हो गई।

बात

April 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई बात दबी है जहन में मेरे
कोई बात चले तो कुछ बात बने

कितने जमाने आये और गुजर गये

February 28, 2019 in शेर-ओ-शायरी

कितने जमाने आये और गुजर गये
मुहब्बत के जमाने का असर मगर अब तक है

जिंदगी

February 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जब हम साथ है तो फासलों का ज़िक्र क्यों करें
डर के शागिर्द में जिंदगी बसर क्यों करे

दफ़न कर दूं

January 22, 2019 in शेर-ओ-शायरी

दफ़न कर दूं अब अहसासों को
यही इक काम अब ठीक रहेगा

लापता हूं

January 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी

क्या ठिकाना है मेरा मुझे नहीं पता
लापता हूं अरसे से खुद में कहीं

अन्नदाता कहलाता हूं

December 20, 2018 in Poetry on Picture Contest

अन्नदाता कहलाता हूं
पर भूखा मैं ही मरता हूं
कभी सेठ की सूद का
तो कभी गोदाम के किराये का
इंतजाम करता फिरता हूं

बच्चे भूखों मरते है
खेत प्यासे मरते है
अब किसकी व्यथा मैं दूर करूं
मैं ही हरपल मरता हूं
अन्नदाता कहलाता हूं

बेटी घर की रौनक होती है

December 12, 2018 in Poetry on Picture Contest

बेटी घर की रौनक होती है
बाप के दिल की खनक होती है
माँ के अरमानों की महक होती है
फिर भी उसको नकारा जाता है
भेदभाव का पुतला उसे बनाया जाता है
आओ इस रीत को बदलते है
एक बार फिर उसका स्वागत करते है

वोट डालने चलो सखी री

December 6, 2018 in Poetry on Picture Contest

वोट डालने चलो सखी री
लोकतंत्र के अब आयी बारी
एक वोट से करते हैं बदलाव
नेताजी के बदले हम हाव-भाव !
सही उम्मीदवार का करते है हम चुनाव,
बेईमानों को नहीं देंगे अब भाव !

आपका वोट है आपकी ताकत
लोकतंत्र की है ये लागत

सुबह सवेरे वोट दे आओ
वोटर ID संग ले जाओ !

डर

December 4, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ख्याल आते तो है मगर दब जाते है कहीं दिल में
अक्सर डर जाते है जमाने के कहर से

हौसलों की उड़ान

November 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुरज की स्वर्णिम किरणें जब पड़ती धरा पर,
चहचहाते पक्षी मचाते कलरव,
हौसलों की भरते वो उड़ान है,
देखो जज़्बा उन पंछियों का,
छू लेते वो आसमान है।

देखकर पंछियों को लगता मेरे मन को,
काश कि मै भी उड़ सकता,
पंख फैलाकर नील गगन को मै भी छू सकता।

बस सोच ही रहा था बैठे-बैठे,
कि मेरे मन में ये ख्याल आया..

है पंछियों के जैसे मेरे पंख नहीं तो क्या,
है बुलंद इरादा मेरे भीतर जो छिपा बैठा,
है मुझमे हिम्मत, है हौसला मुझमे,
अपने सपनो को पंख लगाकर मै भी हूँ उड़ सकता।

हौसलों की उड़ान भरकर,
छू लूँगा मै लक्ष्य रूपी आसमान,
सफलता मेरे कदम चूमेगी,
कदमों में होगा ये सारा जहां॥

ख़रीददार

November 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

किसी कीं ख़ातिर दिल में मोहब्बत लेकर भटक रहे हैं
सब ख़रीददार मिलते हैं, बिकनेवाले नहीं मिलते |

बारिश

September 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ये बारिश ये हसीन मौसम और ये हवाये
लगता है आज मोहब्बत ने किसी का साथ दिया है.

माथे की लकीरें

May 26, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माथे की लकीरें हर दिन बढ़ती जाती है
भविष्य की चिंता रोज उभरती जाती है

ख्वाहिश

May 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तेरे कलाम में हर पहर पढ़ती रहती हूं
तेरी हर नज्म में खुद को ढ़ूढती रहती हूं
इक चाहत थी कि तुझसे किसी दिन मिलूं
इसी ख्वाहिश में हर लम्हा गुजरती रहती हूं|

इक फरियाद

April 11, 2018 in शेर-ओ-शायरी

इक फरियाद थी मेरे दिल की
आरजू थी इक दबी दबी सी
सब अधूरी ही रह जायेंगी
कह कर गया था वो अभी

लफ़्ज

March 12, 2018 in शेर-ओ-शायरी

लफ़्ज हो गये है खत्म दास्ता बयां करते करते
कुछ कहते हम अक्सर थम जाते है

याद

March 3, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कोई बात है उनमें शायद जो याद आते है
या फिर हमें बस याद करने की आदत हो गयी है

तेरी ख्वाहिश

February 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तेरी ख्वाहिश में हम क्या से क्या हो गये
कभी अपने थे हम, अब बैगाने हो गये

खुशबू

January 27, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कभी लफ़्जों में ढल जाती हूं
कभी आखों में पिघल जाती हूं
मैं तो तेरी खुशबू हूं
हर तरफ़ बिखर जाती हूं

जल उठे थे बुझ के हम

December 28, 2017 in ग़ज़ल

जल उठे थे बुझ के हम, शमा – ए – लौ से प्यार की;
फिर तेरी हर एक झलक, पे नज़रों को झुका जाना;

गर कही जो चल पड़े, तेरे बुलाने पे सनम;
वो तेरा मंजिल – ए – इश्क, से वापस को बुला जाना;

कई असर चलती रही, कूचा – ए – गुल में यार की;
वो तेरा मुझको दीदार – ए – तर को तरसा जाना;

गर कहीं तुम मिल गए किस्मत सराहेंगे कसम;
वो तेरा खा कर कसम, हर कसम को झुठला जाना;

रात की खामोशियाँ, हमको सताती है “महक”;
तेरी याद से रोज़ – रोज़, दिल का यूँ धड़का जाना;

मेरी चाहत का सिला क्या देंगी तेरी तल्खियाँ,
वो तेरा हर मोड़ पर, दिल का बहला जाना;

देख कर हम लुट गए, तेरे प्यार की रुसवाइयां;
फिर कज़ा के वक़्त पर, चेहरे का मुरझा जाना;

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