
Pragya
तुम मेरी कविताओं का आधार हो
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सच कहूं तो तुम
मेरे दुश्मन नहीं,
मेरे इष्ट हो
मेरी प्रतिभा,
मेरे प्रेरक हो
तुम्हारे कारण ही मैं
इतना कुछ कह जाती हूं
अपने भावों को तुम तक पहुंचाती हूं जिंदगी की हर छोटी बड़ी बात
तुम्हें बताती हूं
जो किसी से नहीं कहती
तुमसे कह जाती हूँ
तुम मेरी कविताओं का आधार हो मेरे गुरु,
मेरे विचार हो।।
लेखनी को विराम दे देंगे
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
दूसरों पर निशाना साधना
हमने कब का बंद कर दिया
तब नादान थे, ना समझ थे
बेअक्ल थे, जिद्दी थे, बेचैन थे
अब सुधर गये हैं
पहले से कुछ बदल गए हैं
ना राज की जरूरत है
ना पाट की जरूरत है
ना किसी कुर्सी की
बस जुनून है
लिखते जाने का और
अपनी जिंदगी की एक
बेहतर रचना लिख जाने का
जिसे पढ़कर लोग याद रखें
जिस दिन ऐसी रचना
हमने लिख ली
हम अपनी लेखनी को विराम दे देंगे।।
किसी के गीतों में
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हमारा राज था,
राज है और रहेगा
किसी के दिल में
किसी के होठों पर
किसी के जीवन में
किसी की हंसी में
किसी की सांसो में
किसी की धड़कन में
किसी के लफ्जों में
किसी के गीतों में
किसी की सरगम में
किसी की यादों में
और कहीं मुझे
राज नहीं करना
मेरे लिए तो मेरा
यही सब कुछ है।।
हमारी खता क्या है
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
झुकें किसके आगे
यह तो बताओ
सिर किसके आगे रखना है
यह तो बताओ
माना हम बहुत बुरे हैं पर
हमारी खता क्या है
यह तो बताओ??
विष के प्याले हैं
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारा एक एक
वचन सत्य है
हम बुरे थे, हम बुरे हैं,
हम बुरे ही रहेंगे
भलाई का चोंगा तो शायद
अगले जन्म में पहने
अभी तो हम विष के प्याले हैं
विष ही उगलेंगे
आँखों के समंदर
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे दर्द से तुम कभी
वाकिफ ना होना
मैं अश्रु बहाऊँ
तुम कभी ना रोना
तुम्हारी आँखों के समंदर
मैं अपनी आंखों में ले लूंगी
बस गुजारिश है
तुम किसी और के मत होना।
तू आबाद रहे
May 23, 2021 in शेर-ओ-शायरी
तू रहे आबाद
कोई गम ना हो
तेरी आंखें दर्द से
कभी नम ना हो
हमनें बहुत देखें हैं
अपने जीवन में दुख
ईश्वर से प्रार्थना है
तेरे जीवन में वैसा कभी
मंजर ना हो।
दर्द लिखने लगे
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जब दर्द हद से ज्यादा
मिलने लगा
अपनों से भी
दर्द मिलने लगा
तो यह दिल तड़प के रोने लगा किसी से कुछ कह नहीं सकते थे किसी से लड़ भी नहीं सकते थे मजबूर थे
करते तो क्या करते
बस कलम उठाई और
दर्द लिखने लगे
लिखने की आदत
ऐसी लग गई
कि लोग हमें कवि कहने लगे।।
ठोकरें खाई हैं हमने
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ह्रदय को कितनी चोट पहुंचती है तुम नहीं जानते
हम दिल के कमजोर हैं
यह भी तुम नहीं जानते
हमारी जिंदगी ने कभी
हमको खुशी नहीं दी
दर-दर की ठोकरें
खाई हैं हमने
यह भी तुम नहीं जानते
अपनी मेहनत से
हमने बुलंदियां हासिल की हैं
अपने आप की परवरिश
हमने खुद ही की है
हम तो बचपन से ही ताने खा खाकर ही बड़े हुए हैं
लोगों ने तो मारने की
बहुत कोशिश की
पर हम बेशर्म अब भी जी रहे हैं।।
नहीं गाएंगे
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारे तानों से
इस महफिल में आना
हमने छोड़ा था
पर किसी ने बार-बार
विनती की तो
हमें आना पड़ा
हमने तो कह दिया था
कि कभी इस महफिल को
नहीं सजाएंगे
अपने गीत इस महफिल में
नहीं गाएंगे
पर किसी के सम्मान ने
मुझे यहां फिर से खड़ा किया और लिखने को मजबूर किया।
मेरे मरने से
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं सोचती थी मेरे जीने से
लोगों को खुशी मिलती है
पर आज मालूम हुआ कि
मेरे मरने से
लोगों का एक हुजूम खुश होगा।।
मुझे मौत दे दे
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम मुझे कभी नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते
मेरे दिल को एक बार नहीं
बार-बार हो तोड़ते
हम सब कुछ भुला कर एक नई जिंदगी की शुरुआत कर देते हैं अपनी जिंदगी की दो चार गजल लिख देते हैं
जाने क्यों तुम्हें ईर्ष्या होती है
इतनी ही ईर्ष्या है तो
भगवान से दुआ करो
कि मुझे मौत दे दे
फिर मेरा लिखना खत्म
सारे फसाद खत्म।।
तुम्हारे ताने और तुम्हारी बातें
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारे ताने और तुम्हारी बातें
कभी बंद ही नहीं होती
कितना भी भूलने की कोशिश करूं
पर बार-बार ह्रदय कचोटती हैं
तुम्हें क्या पता मैंने
क्या-क्या मंजर देखे हैं
इस छोटी सी उम्र में
मैने क्या-क्या सहा है
तुमने तो बस मेरी
काव्य प्रतिभा देखी
मेरे दर्द को कहां समझा है।।
“बाबा दादी का सहारा”
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्या पाना और क्या खोना
मैंने तो बस खोया है
मां का प्यार बाप का प्यार
सब कुछ मैंने खोया है
बाबा दादी का सहारा
सर से जबसे छूटा है
बुरे बुरे ही मंजर देखे
सकारात्मक कुछ ना पाया है
मुझे तुम क्या ताने मारोगे
मैंने तो बस खोया है।।
पुष्पों की अभिलाषा
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हमने जीवन भर ही
कांटे वाले बीज बोये और
कांटे ही उगाए
कभी पुष्पों की अभिलाषा भी ना की,
परंतु बगीचे में जाने कहां से
सुंदर पुष्पों का पौधा उग आया !
रंग-बिरंगे पुष्पों से बगिया को महकाया
हमने कांटे बोलना बंद कर दिए अपने बगीचे को फूलों से सजाया।
दर्पण में दाग
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कैसी कशमकश भरी
जिंदगी है अब तो
कभी इससे कभी उससे
उलझे रहते हैं
अपने ऊपर तो
कभी ध्यान ही नहीं जाता
अपने को हम
शक्तिमान समझते हैं
हमेशा दूसरों पर ही
उंगलियां उठाते हैं हम
अपने आपको हम पाक साफ समझते हैं
कभी आईने के सामने
हम बैठे तो
चेहरे पर कितने दाग दिखते हैं
हम हंसकर वहां से चल देते हैं
और दर्पण में है दाग समझते हैं
आसान नहीं होता
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
आसान नहीं होता
किसी की गलतियों को माफ करना और उसे फिर से अपना लेना
आसान नहीं होता
अपना पहला प्यार भूल जाना किसी और को दिल में बसा लेना
आसान नहीं होता
दिल के जख्मों को छुपा लेना और हंसके मुस्कुरा देना
आसान नहीं होता किसी की गलतियों पर बार-बार पर्दा डालते जाना और उसे माफ कर देना।।
शिकायत
May 23, 2021 in शेर-ओ-शायरी
तुम्हारी नाराजगी को मैं हरगिज समझती हूं
अपनी गलतियों को भी खूब समझती हूं
पर इंसान हूँ गलती तो हो ही जाती है
अपनों से ही तो शिकायत जाती है
कोशिश थी परिवर्तन लाने की
May 23, 2021 in मुक्तक
कोशिश थी परिवर्तन लाने की उसके दिल के करीब जाने की
हवा के झोंके ने रुख बदल सा दिया
मेरी लाज ने मुझे आज रोक लिया।
हर्फ में लफ्ज़ गुम हुए जाते
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
घर में आज सन्नाटा है
पहले से कुछ जियादा है
हर्फ में लफ्ज़ गुम हुए जाते
हम अँधेरे में गुम हुए जाते
अपनों के होने से और दर्द होता है
आज घर में सन्नाटा है।।
सांसे मोम सी पिघलती हैं
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्या कहूँ कहने
को बहुत कुछ है
आंखों में तू,
दिल में तू है
दिल की धड़कनों में
आवाज सी आती है
सांसें मोम सी पिघल जाती हैं
रूबरू जब भी तू होता है
सच कहूँ मेरा दिल रोता है।
किस्मत को नामंजूर था।
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तू मेरी आदतों की तरह
मेरे पास रहता है
हो कितना दूर भी
मेरे साथ रहता है
किस्मत को नामंजूर था
हमारा मिलन
तू मर कर भी मेरी
हर धड़कन में रहता है।।
तुम्हारी लकीरों में…
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कोशिश बहुत की
तुम मान जाओ
दुनिया छोड़ कर
मेरे हो जाओ
पर किस्मत को कुछ और मंजूर था
तुम्हारी लकीरों में तो कोई और था
काश तुम मेरे हो जाते
मेरे प्यार में खो जाते।।
बस खुश रहो
May 23, 2021 in मुक्तक
मेरी दुआ है तुम
आबाद रहो
खुश रहो, चाहे जहाँ रहो।
मेरी हर आरज़ू में तुम हो
जहाँ रहो बस खुश रहो।
मुझे तुम याद रखोगे
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
आरज़ू है दुआओं में
मुझे तुम याद रखोगे
चाहे खुशी गम हो
मुझे तुम याद रखोगे
कोई जब बेवफा होकर
तुम्हारे दिल को तोड़ेगा
तब मेरी वफाओं को
मुझे तुम याद रखोगे।।
भूल गए तुम क्यों..
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मीठा मीठा बोलना
भूल गए तुम क्यों
मुझसे प्यार जताना
भूल गए तुम क्यों
आखिर किन बातों में तुम आ गए
अंधे बहरे की बातों में आ गए।।
ॐ शान्ति शान्ति ॐ
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सुन्दर से परिवार में
जब तक खटास ना डालो
हजम कहाँ होता है
कोई है जो मुझे देखकर
खुश कहाँ होता है
सीने पर जिसके सर्प लोटते हैं
मुझे खुश देखकर
शान्ती का माहौल तुम्हें रास कहाँ आता है??
स्वयंभू
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज खुश तो बहुत होगे तुम
आखिर बो ही दिया
तुमने नफरत का बीच
उगल दिया अपनी जुबान का विष
स्वयं को स्वयंभू समझते हो
ना जाने क्या समझते हो??
रात के उजाले…!!!
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नींदों की सरगोशी और
रात के उजाले
यही तो हैं मेरे जीवन के साथी
मेरे एकाकीपन के सहारे
जिनकी संगत में
जिंदगी का एक-एक दिन कट जाता है
जैसे आसमान के आगोश में चांद आराम पाता है
सितारों की झिलमिल चादर को ओढ़कर सोती हूं
सुबह सूरज की किरणों से अपना मुंह धोती हूं।।
पिता वह दरख्ता है
May 22, 2021 in मुक्तक
पिता वह दरख्ता है
जिसकी छांव में रहकर
नन्हे-मुन्ने पौधे भी जीवित रहते हैं और थके हारे राहगीर उसकी ठंडी छांव में आराम पाते हैं ।।
मां की ममता का कोई मोल नहीं
May 22, 2021 in शेर-ओ-शायरी
मां की ममता का कोई मोल नहीं,
_________________________
कुदरत के नवाजे इस तोहफ़े से कोई तोहफा अनमोल नहीं।
धड़कन बेताब होती है
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारी बातें मुझको
बहुत याद आती हैं
जब भी याद आती हैं
दिल के तार छेंड़ जाती हैं
जब कभी तुम
दिल की गलियों से गुजर जाते हो
सच कहूं तो रात दिन याद आते हो
दिल में चुभन,
रूह में बेचैनी होती है
दूर होकर तुझसे ये
धड़कन बेताब होती है।।
“सृजनात्मक बुद्धि”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कोशिश करने से सदा
बनते बिगड़े काम
सृजनात्मक बुद्धि वाले
नहीं करते हैं आराम
नहीं करते हैं आराम
कुछ ना कुछ सृजन करते हैं
परिश्रम करके ही
जीवन में आगे बढ़ते हैं।।
लुटा हुआ वर्चस्व है।।
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
लुटा हुआ वर्चस्व है
लुटा हुआ संसार
यह सब देख के नेता जी
आए मेरे द्वार आए
मेरे द्वार धोती बांधे बांधे
होठों पर मुस्कान
ह्रदय में शूल को बांधे
बोले हमसे ना भीड़ो
हो जाएगी हार
षड्यंत्रों से गिरा देंगे
तुम्हारी मिली जुली सरकार।।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
विश्व तंबाकू निषेध दिवस:-
छोड़ो गुटखा पान तुम
इससे होता है नुकसान
बीड़ी पी पीकर तेरी
खतरे में आयेगी जान
खतरे में आएगी जान
वक्त रहते तुम संभलो
दूध का सेवन करो
आज से आदत बदलो।।
मेरी तन्हाईयों को
May 22, 2021 in शेर-ओ-शायरी
मेरी तन्हाईयों को अब
और ना सताओ
मुझे रातों में अब
और ना जगाओ
यूँ तो हम भी तुम्हें इश्क करते हैं
पर बार-बार मेरे दिल को यह एहसास ना दिलाओ।।
तुम्हारी सिसकियां
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारी खामोशी
अब मेरे कानों को सुनाई देती है
तुम्हारी सिसकियां
मेरे हृदय को व्यथित करती हैं
तुम्हारे निश्चल प्रेम को
मैं समझ ना सकी
वक्त रहते मैं संभल ना सकी
क्या करूं अब ह्रदय को आराम नहीं
मेरे हृदय में तू ही तू है
और किसी का नाम नहीं ।।
ऐ फूल! तुम्हारा स्वागत है
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ऐ फूल! तुम्हारा स्वागत है
तू लगता मुझको आगत है
तेरी सुगंध से महक रहा
है सारा परिवार
महका दे तू चमन को
यही है मेरी आस
यही है मेरी आस
जहान में तू छा जाए
तेरा सुंदर रूप
जहान में सबको भाए।।
“तुम्हारा समर्पण”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारा समर्पण देखकर
भर आई मेरी आंख
कितना सुंदर ह्रदय है
कितनी सुंदर बात
कितनी सुंदर बात कही है
तुमने मुझसे
तेरे इस मनुहार पर
हार जाऊंगी तुझसे
तेरा सानिध्य पाकर सदा
कलम चले मेरी पाक
मेरे मन में ना हो ईर्ष्या
मन हो बिल्कुल साफ।।
है आभा बड़ी मनोरम”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सीमित शब्दों में मैंने
रखी है अपनी बात
सुंदर-सुंदर वृक्ष हैं
चिकने इसके पात,
चिकने इसके पात
है आभा बड़ी मनोरम
सुंदर-सुंदर पुष्पों से
भरा है आंगन
कैसी सुंदर छटा है
कितनी सुंदर बात
यूं ही मिलता रहे सदा
मुझको तेरा साथ
तेरा साथ पाकर के
पुलकित हो जाऊंगी
तेरी खातिर दुनिया से लड़ जाऊंगी।।
नेह की सुन्दर कलम से”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सावन की आभा खिले
खिले विश्व में चहुँ ओर
लेखनी मेरी प्रखर हो
हो दीप्तिमान चहुं ओर
नेह की सुंदर कलम से
लिखा हुआ साहित्य
स्वार्थ हीन हो हिय मेरा
ईर्ष्या हीन कर्तव्य
दीनों के दिल की पीर हो
बेसहारे की हो सहाय
कुछ ऐसा लिख जाऊँ मैं
हो चहुँ ओर सुनाय।।
बढ़े विश्व का मान”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
मिलता प्रेम अपार है
मिलता यहां सम्मान
अपनी लेखनी से सदा
बढ़े विश्व का मान
बढ़े विश्व का मान
लेखनी ऐसी हो मेरी
ना मन में हो कलेश
ना किसी से द्वेष,
यही आकांक्षा मेरी
लिखूँ मैं कुछ ऐसा कि
सभी का नेह पा सकूँ
जिनके दिल में है द्वेष
उस दिल की आह पर सकूं।।
मीठा मीठा साहित्य”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीत हार से परे है
काव्य की अनुपम छटा
नवांगतुक कविजन
लिखते बहुत ही अच्छा
लिखते बहुत ही अच्छा
चाहे जो भी जीते
जीत हार की काव्य में नहीं हैं रीतें
मुझे नेह है मिल रहा
है इनका सानिध्य
मीठा मीठा लिख कवि
मीठा मीठा साहित्य।।
सावन का आँगन
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सावन में आज फिर
बहे प्रेम की धार
गा रहे कवि सभी
मीठा मीठा राग
मीठा मीठा राग गायें
मिल सभी कविजन,
ना मन हो छोटा
यह है सावन का आँगन
बिना अनर्गल बातों में आये
लिखो कहानी
जो पढ़कर बच्चा बच्चा,
हर्षित हो राजधानी।।
दहेज प्रथा का प्रचलन
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
दहेज प्रथा का प्रचलन किसने चलाया ?
यह सवाल मन में बार-बार उठता है
दहेज प्रथा के कारण ही बेटियां जलाई जाती हैं।
दुनिया में आने से पहले ही कोख में मार दी जाती हैं।
जो दहेज की लालसा मनुष्य के मन में ना होती
तो आज दुनिया,
बेटा और बेटी में फर्क ना समझती।।
वृक्षारोपण कवच है।।
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
वृक्षारोपण कवच है
वृक्षारोपण ही वैक्सीन
वृक्षारोपण से धरती सुंदर हो
हो मन हरा रंग भरा रंगीन
हो मन हरा भरा रंगीन
सुगंधित पुष्प खिलेंगे
धरती उपवन बनेगी
देवता आन मिलेंगे।।
अपने जन्मदिवस पर एक पौधा लगाओ
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सुंदर-सुंदर वृक्ष हैं
सुंदर-सुंदर पात
वृक्षारोपण करके ही
प्रदूषण से मिलेगी निजात
प्रदूषण से मिलेगी निजात
सैकड़ों वृक्ष लगाओ
अपने जन्मदिवस पर
एक-एक पौधा सभी लगाओ
वृक्ष लगाने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ेगा
महामारियों से निजात मिलेगी, प्रदूषण घटेगा।।
आस्तीन का सांप
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
भेड़िए की शक्ल लिए
बैठा हर इंसान
इनसे अब कैसे भला
बच पाएगी जान,
बच पाएगी जान
करें अब कौन उपाय ?
जब आस्तीन का सांप
दोस्ती यार निभाए।।
ब्लैक फंगस का वार”
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
कोरोना से जूझता था
हर एक परिवार
तभी कहीं से आ गया
ब्लैक फंगस का वार,
ब्लैक फंगस का वार
हाय ! है बड़ा भयानक
जिसको यह लग जाए
मृत्यु हो जाए अचानक
कैसे-कैसे लोग हैं
मिटता जाए संसार
कोरोना अभी ना खत्म हुआ
आ गया ब्लैक फंगस का वार।।
नैनों के तटबंध
May 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नैनों के तटबंध से
बहे अश्रु की धार
मुख तो पट बंद हैं
भीतर घोर अन्धकार
भीतर घोर अंधकार,
कहां से दिया जलाएँ
बैठे-बैठे लुट गए
किसे अब दोष लगाएं??