by Pragya

कहे कवि! परीक्षा की अब करो तैयारी

April 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हंसी आ गई मुझको कि
अब आया तुमको होश,
जब यहां अवसान पड़ा था
तब ना आया यह जोश
अपना यह जोश संभालो
करो परिश्रम
यदि पड़ जाओ अकेले तो
देंगे साथ हम
देंगे आपका साथ अगर पड़ गये अकेले
यह मंजिल पाने की खातिर
कितने पापड़ बेले
अब तुमको भी पढ़कर
आगे बढ़ना है
असफलताओं से हार कर
ना पीछे हटना है
कहे कवि !
कि परीक्षा की अब करो तैयारी
है चुनाव आने वाला,
आईं हैं बैकेंसी भारी…..

by Pragya

बेटा बीमार है….

April 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेटा बीमार है
ना होश है
ना करार है
कल से एक निवाला तक
गले ना उतरा
बेटे को बहुत बुखार है
क्या करूं ?
कैसे जियूं !
यही तो मेरे जीवन का आधार है

by Pragya

“बेदर्द से इश्क”

April 10, 2021 in शेर-ओ-शायरी

क्यों कोई मोहब्बत के
काबिल नहीं होता ?
क्यों हर किसी के सीने में
दिल नहीं होता ?
क्यों होता है उसी बेदर्द से इश्क !
जो इस दिल के काबिल
नहीं होता…!!

by Pragya

अब फिर से उस तरफ से खत आ रहे हैं….

April 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब फिर से उस तरफ से
खत आ रहें हैं
वो अपने नुमाइन्दों से मेरी खैरियत
पुंछवा रहे हैं….

हमारी फिक्र है या हमारी आरजू
हम कैसे हैं ? बस वो यह
जानना चाह रहे हैं…

भूल बैठे थे हम उन्हें
कल परसों ही
आज फिर हम बीमार हुए
जा रहे हैं…

शायद उन्हें एहसास हो आया है
अपनी खताओं का
या वो बस हमें यूं ही
सता रहे हैं…

मुद्दतों बाद हमनें जीना सीखा है
उन बिन और
अब वो लौटना चाह रहें हैं….

अब फिर से उस तरफ से
खत आ रहे हैं
वो हमारी खबर लेने
घर आ रहे हैं….

by Pragya

आराध्य:- हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ

April 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

कि अब ना बजती
बंशी की धुन कहीं
गइयों को ठौर नहीं
माखन चुराने आ जाओ…

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

दुर्योधन यहां अब बड़े
निर्भीक हैं
द्रौपदियों का ना अब
बढ़ता चीर है
कौरवों को मिटाने आ जाओ…

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

मीरा की भक्ति का
कोई मोल नहीं
अब वो राधा, अब वो प्रेम नहीं
निश्छल प्रेम सिखाने आ जाओ

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

by Pragya

सुबह होगी:- स्वर्ण रश्मियों को झोले में लेकर….

April 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुबह होगी
हाँ, सुबह होगी
लेकर स्वर्ण रश्मियों को
अपने झोले में
कुछ खंगालेगी
गेहूं की अधपकी बालियों को
लहलायेगी
उलझी हुई वृक्षों की लटों को
सुलझाकर
नदियों को काला टीका लगाकर
कुछ गुनगुनाएगी
समुंदर में स्नान कर
अपनी भीगी जुल्फों को
पुष्पों पर झटक कर
इतराएगी….

कुछ इस तरह से
कल सुबह होगी…..

by Pragya

पेट में हैं दांत…!! मैं मजदूर कहाऊं

April 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

नही हाथ में उंगलियां
पर पेट में हैं दात
जितना कमाती है किस्मत
उतना खाती आंत
उतना खाती आंत
करूं क्या मुझे बताओ
मेरी हालत पर
तुम ना हमदर्दी दिखाओ
काम कराओ
फिर मुझको दो
हक का दाना
मजदूर हूँ पर
मजबूर ना हमें बतलाना
कर्म करके भरता हूँ पेट
मुफ्त की मैं ना खाऊं
हूँ मजदूर इसी कारण
मैं मजबूर कहाऊं…

by Pragya

ओ लेखनी ! सुन बात मेरी ( हाईकु विधा से अलंकृत )

April 8, 2021 in Haiku

जापानी विधा:- हाईकु कविता
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ओ लेखनी ! सुन बात मेरी
लिख अब दीन हीनों का दर्द तू
बढ़ चल कर्म पथ पर…

रह अडिग और बन सबल
भेद सारे खोल दे मन के तू
भाव सारे बोल दे अब…

पथिक को रस्ता दिखा कर
युवा को दिला कर जोश – उत्साह भर
सच सदा तू लिखती रहे…

ओ लेखनी ! सुन बात मेरी
निश दिन तू तप कर भाव में
निखरती रहे यह दुआ है…

by Pragya

ओ रोशनी ! चली आ….

April 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ रोशनी! चली आ
बीता तम
हुआ सवेरा
जगमग कर दे यह जग
ओ प्रकाशपुंज !
भर प्रकाश जीवन में
पुष्पों की लालिमा से
महक उठे यौवन
ओ रोशनी ! चली आ
बीता तम
हुआ सवेरा…

by Pragya

“मेरे वाचन में हो सच्चाई”

April 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे वाचन में हो सच्चाई
व्यक्तित्व में हो अच्छाई

हे देव ! मुझे ऐसा वर दो
मुझको मानवता दे दिखलाई

ना कभी किसी का दिल तोड़ूं
किसी पर आई आंच को सिर ले लूं

जब बोलूं सदा ही सच बोलूं
पशुओं की पशुता को छोंड़ूं

हर ओर बिखेरूं मैं खुशियाँ
रंगो से भरी हो यह दुनिया

सद्कर्म करूं और मन तोलूं
ना कभी किसी का घर तोड़ूं

हे देव ! महेश, ब्रह्मा, विष्णु
मैं मोक्ष प्राप्त कर तुझमें मिलूं….

by Pragya

तान छेंड़ मुरली की गीत नया गा गया ( माधुर्य से अलंकृत )

April 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तान छेंड़ मुरली की
गीत नया गा गया
मेरी झुर्रियों भरे
यौवन में कसाव आ गया
पपीहे पीह-पीह
बजने लगी जब
कान बीच
मृदंग बजे जीवन में
यों उछाल आ गया
मटकी धर सीस
चली कुंज गली राधिका
अधरों धर मुरली
प्रज्ञा’ मेरा श्याम आ गया
आज हुई प्रीत की जो
बात रात सपनों में
मुझको भी याद
मेरा प्रथम प्यार आ गया….

by Pragya

अभी कहाँ तू थककर बैठ गया ! तुझे क्षितिज तक जाना है…

April 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन में उत्साह हो
मन नाचे बनकर मोर
हे युवा ! तू परिश्रम कर
सफलता मिलेगी घनघोर
अभी तो तूने जीवन की
बस एक दोपहरी देखी है
अभी तो तूने सावन की
बस पहली बारिश देखी है
अभी तो तुझको अपनी हथेली पर
भाग्य का दिनकर उगाना है
भावों का मंथन करके तुझको
साहित्य का सागर पाना है
अभी कहाँ तू थककर बैठ गया
तुझे क्षितिज तक जाना है….

by Pragya

इश्क किया है जी, हमने इश्क किया है…

April 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

दर्द से जियादा
हमें दर्द मिला है
इश्क किया है
जी, हमने इश्क किया है
कुछ मिली खुशी तो
हमें गम भी मिला है
इश्क किया है
जी, हमने इश्क किया है

by Pragya

सिसक रही तन्हाई, अब साथी से क्या होगा ????

April 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सिसक रही तन्हाई
अब क्या साथी से होगा ?
जब मन के घाव बने नासूर
तब मरहम से क्या होगा ?
हम तो अपने ही घर में
हाँ, हो गये एक रोज पराये
बन बैठे आज फफोले
थे जो तुमने घाव लगाये
अभिमन्यु- सा तुमने
मुझको चक्रव्यूह में घेरा
जब हाथ था मैने बढा़या
तब तुमने ही था मुंह फेरा
मंजिल-मंजिल करके तुम
फिर मुझसे दूर गये थे
क्या भूल गये वो दिन तुम
जब मुझसे दूर गये थे…

by Pragya

“परिपक्व बंधन”

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमारे परिपक्व बंधन पर था
घोर अंधेरा छाया
एक भंवरे ने आकर के
तेरा हाल बताया
तेरी बेचैनी पर मेरी आँख
भर आई
तेरी नादानी पर मुझको
हँसी खूब है आई
ये कैसा अल्हण पन है ?
यह फागुन का मौसम है
आ बाँहों में तू आ जा
यह मन अब भी पावन है
है तूने दूरी बनाई
है पास तुझे ही आना
एक वादा अब कर देना
फिर दूर कभी ना जाना….

by Pragya

कोरोना का कहर, हर गली हर शहर

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोरोना का कहर
हर गली हर शहर

फिर से बढ़ रही है यह बीमारी
जनता मरती जाती बेचारी

आई है वैक्सीन नवेली
तुम आज ही लगवाओ सहेली

अपनी फिर से करो सुरक्षा
फिर से ठप्प हो गई शिक्षा

तुम कहीं भी घूमने जाओ
लेकिन मास्क लगाकर जाओ

मत लो तुम इसको हल्के में
मिलती जान नहीं सस्ते में

ना हो किसी को यह बीमारी
यही प्रार्थना है ईश ! हमारी

by Pragya

हम रचयिता हैं, हम कालिदास हैं…

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह साहित्य महज
चंद लेखनियों का गुलाम नहीं
हम जैसे कितने आएगे और कितने जाएगे
हर कवि जोड़ेगा एक पन्ना और
अनगिनत पाठक पढ़ते जाएगे
कुछ ऐसा लिखेंगे हम और
कुछ ऐसा कर जाएगे
जो साथ अधूरा ही छोंड़ गये
ऐसे इतिहास को मिटाते जाएगे
जोड़ेगे कुछ अध्याय हम
जीवन के इतिहास में
कुछ फेर बदल भी करते जाएगे
हम रचयिता हैं, हम कालिदास हैं
आने वाली पीढ़ी को कुछ बेहतर दे जाएगे…

by Pragya

“साहित्य है समाज का दर्पण”

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्वयं को निखारना पड़ेगा
अभी और अग्नि में तपना पड़ेगा
ऐ लेखनी ! अभी तो तुझे
दूर तक जाना है
पाठक के हृदय में उतरना पड़ेगा
इस जिन्दगी के सफर में
कोई तो हो आधार
जिसको अपनी माला में
पिरोना पड़ेगा
साहित्य है समाज का दर्पण’
इसे तो पारदर्शी करना पड़ेगा….

by Pragya

मैं फिर भी तुमको चाहूंगी (साहित्य को समर्पित)

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिथ्याओं पर आधारित
है साहब ! सोंच तुम्हारी
अब तो सारी बातें हैं
लगती झूँठ तुम्हारी
मेरी अभिलाषा का
है तुमने जो उपहास किया
मेरी करुण व्यथा का
है तुमने जो अपमान किया
ना कभी माफ कर पाऊँगी
ना हिय से उसे भुलाऊंगी
ऐ साहित्य ! तुझे मेरा प्रणाम
मैं फिर भी तुमको चाहूंगी।।

by Pragya

तेरी खामोशियां

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी खामोशियां आज भी
गीत गाती हैं
लबों पर मेरे
मुस्कान आती हैं
रात थम जाती है
उस वक़्त
जब भी तेरी याद आती है ।।

by Pragya

तेरे अंतस् में सखी…

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे अंतस् में सखी
उठा है जो भी ताप
कल वह सब बुझ जाएगा
जब आएगा नवल प्रभात
इच्छा यह मेरी है कि विजय
होगी तुम्हारी
जिस कारण तुम रूठी
वह बातें मिथ्या सारी
तेरी मंजिल तुझको कल मिल जाएगी
प्रज्ञा फिर भी यहीं रहेगी
लौट कहीं ना जाएगी….

by Pragya

अवकाश पर जाएगी ईष्या…

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ रात ! सो जा जरा
कल होगा नया सवेरा
जिसमें उगेगा परिश्रम का सूरज
धूमेगा धरा को निज
अवकाश पर जायेगी ईष्या
मिट जाएगी तेरी हर शंका…

by Pragya

रे मन ! तू परोपकार कर

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

रे मन ! तू परोपकार कर
निज तन की तू थोड़ चाकरी
मानवता कर
रे मन ! तू परोपकार कर
अपने दु:ख को थोंड़
मनुष की सेवा तू कर
रे मन ! तू परोपकार कर
तृष्णा की चांह नहीं कर
सबसे प्रेम करे जा
ईष्या से ऊपर आकर
तू प्रेम किये जा
रे मन ! लिख ऐसा
जिससे भला हो जग का
भोगी का भी जोग जगे
कल्याण हो जग का..

by Pragya

“लक्ष्मीबाई से कुछ सीख”

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

रानी लक्ष्मीबाई ने भारत से किया
प्राणों से बढ़कर प्रेम
देश की खातिर कर दिया
प्राणों का भी होम
प्राणों का भी होम
करके यह देश बचाया
अंग्रेजों के आगे कभी ना
सिर को झुकाया
हंसते-हंसते हवन कर दिया
अपना वीर-शरीर
ओ कुत्सित ! ओ आलसी !
लक्ष्मीबाई से कुछ सीख..

by Pragya

किन्नर होना अभिशाप है !!

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

किन्नर होना अभिशाप है !!
यह जाना जन्म पाकर
जहां भी जाऊं माहौल
बन जाता है हास्यास्पद
मैं तो गौरी शंकर का रूप हूं
हां मैं अर्धनारीश्वर हूं
क्यों नहीं समझते
दुनिया वाले मुझको अपने जैसा
हां तन से हूं विचित्र
पर मन से बिल्कुल वैसा
मेरी दुआएं हर किसी के काम आतीं हैं
लोगों की व्यंगात्मक निगाहें
मेरे मन को छोल जाती हैं
मेरी दुआओं की तरह
मुझे भी अपना लो
प्रेम ना करो तो
थोड़ी मानवता ही अपना लो।।

by Pragya

हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं???

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

लिखने को साहित्य अब
होता है मन बेचैन
इस जीवन की व्यस्तता
लेने ना देती चैन,
लेने ना देती चैन
लिखने को व्याकुल है मन
मन के कागज पर
लिखने को आतुर है तन
हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं ??
मानवता का हो कल्याण ऐसे भाव कहां से लाऊं ??

by Pragya

ओ कवियों की लेखनी! सावन का यह मंच

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन का मंच
*****************
ओ कवियों की लेखनी!
लिखो खूब साहित्य
लिखो खूब साहित्य
सफल हिंदी को कर दो
सावन का यह मंच
पल्लवित पुष्पित कर दो।।

by Pragya

ओ माँ ! :- तेरी पूजा ईश्वर से पहले

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ममता की मूरत है तू
निज प्राणों की सूरत है तू
हे ममता की मूरत !
लक्ष्मी की सूरत है तू
तूने हमको जन्म दिया
खाने को मीठा भोग दिया
महीने रखकर पेट में तूने
अपने रक्त से यह जीवन सिंचित किया
तेरी पूजा इश्वर से पहले
क्यों न हो ? आखिर क्यों न हो ?
तू ही है मेरी प्राणदायनी
तू ही तो गंगाजल है
ओ माँ ! तेरे चरणों में
इस प्रज्ञा’ का नत मस्तक है।।

by Pragya

“प्रदूषण मुक्त हो हमारा भारत”

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रदूषण मुक्त हो हमारा भारत
यही कोशिश करनी है।
स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत की
जगानी है जन-जन में अलख और
स्वयं भी स्वच्छता की बात करनी है।
हवाओं में कितना जहर भर गया है
गांवों को मानुष शहर कर गया है ।
निजी प्रयासों से हमको
अब यह पहल करनी है ।
हर शहर हर गली को स्वच्छ करके
हमें वह गांधी जी की बात सफल करनी है ।
प्रदूषण मुक्त हो हमारा भारत
अब यही कोशिश करनी है ।

by Pragya

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान”

March 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”
———————————-
एक बेटी को शिक्षित करने से
दो कुल शिक्षित हो जाते हैं।
फिर भी ना जाने क्यों लोग
अपनी बेटियों को नहीं पढ़ाते हैं ।
जल्दी शादी करने की
जाने क्या जल्दी होती है।
जो बेटियां पढ़ने नहीं जाती
उनकी क्या मजबूरी होती है ??
नि:शुल्क शिक्षा होने पर भी
क्यों नहीं बेटियां पढ़ पाती हैं ??
सफल होती है हर क्षेत्र में वह
जिस क्षेत्र में बेटियां जाती हैं ।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ”
यह अभियान निरर्थक है ।
जब तक समाज में सड़ी सोंच के
जीवित रहे समर्थक हैं।
इस सोच से निकलकर
हम सब हम सबको बाहर आना है ।
प्रण करना है हम सबको
अपनी बेटियों को पढ़ाना है।।

by Pragya

“नशा नहीं जिंदगी अपनाओ”

March 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

“नशा नाश का दूजा नाम तन, मन, धन तीनों बेकार।।”
++++++++++++++++++++++++++++++++

नशा नहीं जिंदगी अपनाओ
अपने परिवार को हादसों से बचाओ।
होली हो या हो दिवाली या हो कोई त्यौहार
जुआ चरस गांजा से बच के रहो मेरे यार।
बच के रहो मेरे यार प्यार से गुजिया खाओ
मदिरा पीकर तुम कभी वाहन ना चलाओ।
मदिरा पीकर वाहन चलाने से होती है दुर्घटना
नित सड़कों पर होती रहती हैं ऐसी घटना।
जीवन है अनमोल इसे ना यूं ही गंवाओ
हिल मिल के तुम रहो प्रेम से त्यौहार मनाओ।।

by Pragya

भारतीय त्योहार- “होलिका दहन”

March 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

“होली का त्यौहार”
××××××××××××××
होली में जल गए
सभी के दुख और कलेश
चूनर ओढ़ी थी बुआ ने
जा लिपटी विष्णु भक्त के
बैरी जलकर भस्म हुए
बच गए भक्त प्रह्लाद
विष्णु ही सत्य है एक
कहता है होली का त्यौहार
मिट जाए सबके कलेश
फैले चारों और सौहार्द
मिल जुलकर रहना सिखलाता है
होली का त्यौहार।।

by Pragya

ऐ सखि साजन !! ( होली स्पेशल ) विरह गीत

March 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

रंगने नहीं आया
सांवरिया मुझको ए सखी !
मैं बैठी हूं पलके बिछा कर
आया ना सखि साजन मोरा!
सब खेले गुलाल पिचकारी
मैं बैठी हूं कोरी- कोरी
जिसके रंग में रंगना चाहूँ
वह ना आया हो गई दोपहरी
रंग दे मुझको अपने रंग में
जैसे चाहे वैसे रंग लगाए
आया ना सखि! साजन मोरा
मैं बैठी हूं पलके बिछाए।।

by Pragya

खुशियों के बीच आप दर्द भूल जायें…

March 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो है अपने खुद ही
दर्द को पहचान लेंगे
मुनासिब नही है
जाहिर वो हर बात करे
आपके दर्द से वाकिफ़
पूरी तरह से है,
नासूर न बने दर्द
इसलिये चुप रहते है।
दुआ है कि हालात
कुछ ठीक हो जाये,
खुशियों के बीच आप
दर्द को भूल जाये।

by Pragya

मैं गुजरा हुआ वक्त हूं…

March 27, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मैं गुजरा हुआ वक्त हूँ…
समंदर की लहर नही जो लौटकर फिर साहिल पर आऊँगा।
फैसला आपका है…
कदर करो या यूं ही जाने दो मुझे पर मैं फिर से मौका न दे पाऊँगा।

by Pragya

“अंतस् में है पीर”

March 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अंतस् में है पीर
पीर का रोना रोकर
नहीं भला कोई बन पाया
है सब कुछ कर-कर
कदम- कदम दे साथ फिर
गया छोंड़ वह राह
उसकी राह निहारती
है प्रज्ञा दिन-रात
रात ये बड़ी निराली
सजी है महफिल सारी….

by Pragya

लुटे दिल में कहाँ दिये जलते हैं !!!

March 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तारीफों जो पुल बांधते हो
अच्छें लगते हैं
बातों ही बातों में हँसा
देते हो
ये अंदाज अच्छे लगते हैं
यूं तो मोहब्बत हम भी
करते हैं
पर उसे सरेआम नहीं करते हैं
बुरे नहीं हैं तुम्हारे दिल के जज्बात
मगर
लुटे दिल में ओ साहिब !
दिये कहाँ जलते हैं ??

by Pragya

“लेखनी की ताकत”

March 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

होगी बेशुमार दौलत
आपके पास
पर हमारे पास गजब का हुनर है
देर से ही सही पर इंसान
समझ जाते हैं
किसी दूसरे पर आश्रित ना होकर
खुद कमाते हैं और खुद खाते हैं
जिस कुर्सी पर आज तुम
जमकर बैठे हो साहब !
उस कुर्सी को हमने ठुकराया है
बिना रिश्वत की है हमारी रोजी- रोटी
रिश्वत की रोटी को हमने ठुकराया है
अपनी आवाज की दम पर हम
लाखों दिलों में घर करते हैं
लेखनी की ताकत” से
रोज कितनों की तकदीर लिखते हैं
अपने मोहब्बत की सलामती
हम अपनी दम पर रखते हैं…

by Pragya

नासमझ:- ना समझ हैं हम

March 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जवाब तो तुम्हारी
हर बात का है हमारे पास
पर हम तुम्हारी किसी बात
का जवाब देना जरूरी नही समझते..

ये मत समझना
ना समझ हैं हम और कुछ नहीं समझते
हम तो उनमें से हैं जो
अनकही बातों को भी सुन लेते हैं
तुम्हें क्या लगता है ?
हम तुम्हारी बात नहीं समझते !!!!

by Pragya

धोखे

March 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

प्यार के धोखों से
इतना तंग आ गये हम
कि अब मोहब्बत के सिवा
सब अच्छा लगता है…
कहने को तो मोहब्बत
हमने भी बहुत की थी…

by Pragya

“गुदड़ी का लाल”

March 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेबस बालक की होली
कैसे हो रंगों से भरी ?
एक तो तन पर फटे पुराने
चीथड़े लिपटे हैं
दूजे दो निवालों की खातिर
दुधमुहे बालक तरसते हैं
कितना कठिन होगा इनका जीवन
यही सोंचकर हम सिहरते हैं
बेबस और लाचारी में
कैसे इनके दिन कटते हैं !!

by Pragya

होली स्पेशल पोएट्री:- कब आएंगे श्याम

March 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

होली की धूम मची
कान्हा की खातिर राधा सजी
बैठी नैन बिछाकर
होंठों पर रंग लगाकर
श्याम के रंग में रंग जाऊं
बन जाऊं मैं चाँद
पुष्पों के संग खेलकर
कब आएंगे श्याम ?
कब आएंगे श्याम ?
बैठकर बाट निहारूं
चित खोकर गोपाल
हाय ! तेरी बाट निहारूं
रंग दे ऐसे रंग में
जो ना उतरे जीवनपर्यन्त
अब तो आ जा सांवरे
सब्र का होता अंत…

by Pragya

“गलतफहमियां”

March 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ गलतफहमियां
पाल ली तुमने
हमें लेकर
गलत धारणा बना ली
हम बुरे हैं भले हैं जैसे भी हैं
बस तुम्हारे हैं
किसी और की आली
क्यों मान ली तुमने।।

by Pragya

पावस बहती आंखों में…..

March 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

पावस बहती आंखों में
तुम नीर-सा बनकर आए
अविरल बहते रहे
हृदय में कितने छाले उभर आए
किंकर्तव्यविमूढ़ बने हम
तेरा साथ पाकर के
जो बन पाने को आतुर थे
वह ना हम बन पाए
मिथ्या थे वह सारे वादे
मिथ्या थी वह बातें
तेरी याद में सिसक-सिसक कर
रोती थीं मेरी रातें
पावस बहती आंखों में तुम
नीर-सा बनकर आए
अविरल बहते रहे नेत्र से
हम कुछ भी ना कर पाए ।।

by Pragya

एक सुनहरी धूप थी तुम ओ सखी !!

March 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक सुनहरी धूप थी तुम ओ सखी !
पर गैर की टुकड़ी में तुम जा मिल गई ।
ना सोच पाई मैं ना संभल सकी
बस अकेली थी अकेली रह गई ।।

by Pragya

खोजता मन है खिलौना ( प्रगतिवाद से अलंकृत)

March 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

खोजता मन है खिलौना
आसमां छत धरा बिछोना
गेहूं की बाली सी कोमल
और स्वर्ण सी जटाएं
बोलती मिश्री हैं मन में
काली-काली ये फिजाएं
धुंध छाए आसमां पर
कौंध बिजली की उठी
लिपटकर स्वर्ण रश्मि से
एक कली मन में खिली
तीक्ष्ण गन्ध से मन हरा
हो गया सुन्दर सलोना
खोजता मन है खिलौना
खोजता मन है खिलौना ।।

by Pragya

तुम मेरी भावनाओं का अनुवाद हो…

March 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम मेरी भावनाओं का
अनुवाद हो
तुम मेरी आकांक्षाओं का
आकार हो
साकार होगा हर स्वप्न मेरा
गर तुम जो मेरे साथ हो
तुम्हारे स्वप्न मेरे स्वप्नों के
बिम्ब हैं
तुम हमारे हम तुम्हारे
प्रतिबिम्ब हैं
दे ना दे गर साथ कोई
तुम हमारे ही रहोगे
मिलने में प्रियतम हमारे
अब कहाँ विलम्ब है….

by Pragya

चांद की ठंडक, सूरज की गर्मी

March 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

इतना आसान नहीं होता
किसी अपने से बिछड़ जाना
जलाना हर रोज दिल को पड़ता है।
याद आती है उसकी रह-रह कर
फिर भी भूल जाना पड़ता है।
भूल जाने की जद्दोजहद में
दिल के अरमान जलते बुझते हैं।
चांद की ठंडक, सूरज की गर्मी में
बदन को तपाना पड़ता है।।

by Pragya

अपने छूट जाएंगे…

March 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज आसमान छूने को
जी चाहता है मेरा,
मगर यह दिल रोक लेता है।
क्योंकि आसमान पाने की ख्वाहिश में
कुछ अपने छूट जाएंगे।।

by Pragya

कैसे जिया जाए जीवन ??

March 18, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कैसे जिया जाए यह जीवन
नीरस-नीरस लगता जीवन |

बह जाती है सांस कहीं तो
बह जाती है धड़कन |

रूठ जाएं कभी सारे अपने
बन जाएं कभी गैर भी अपने |

उपजे मन में बछोह के बादल
बरसे आंसू बन नैनन |

कैसे जिया जाए जीवन??
कैसे हो जीवन पावन ??

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