एक दर्द, अनकहा सा (कहानी)
एक दर्द ,अनकहा सा साल में कितने सारे मौसम आते हैं और चले भी जाते हैं, मगर जब भी वसंत और बारिश का मौसम…
एक दर्द ,अनकहा सा साल में कितने सारे मौसम आते हैं और चले भी जाते हैं, मगर जब भी वसंत और बारिश का मौसम…
गमज़दा सा हूं ;उसके लिए जो तुमने मेरे साथ किया। और बहुत ही निशब्द सा है, यह दर्द जो तुमने मुझे हर पल दिया। मगर…
पहली बार जगे थे , जो अरमान ! तुम्हें देखकर! वो ,निहारने का अंदाज अभी भी रमा है, मेरे जहन में । आंखों का आंखों…
कहीं तो छुपा है, किसी ना किसी कोने में, दुबका हुआ सा, मौके की तलाश में, कम या फिर ज्यादा, मगर छिपा जरूर है, हर…
बहुत दिनों से ढूंढ रहा था, जिसे मैं डगर -डगर, वह मुझे घर के पास ही मिल गया। कौन कहता है विभीषण मर गया ,…
एटीएम सी है जिंदगी मेरी , जब तक कैश होता है, तब तक प्रेम की बरसात और लोगों की आवाजाही होती रहती है।
मुझे निगलने चला था , नाग-सा अभिमान मेरा, मगर मोर से संस्कार; मेरी मां के , मुझे बचा लेते हैं।
कोई मुझे समझाओं, मैं समझना चाह रहा हूं, ये ग़म की आंधी है, वो उड़ जाएंगी, ज़रा सा दिल्लासा दो, मैं तड़पे जा रहा हूं।…
सहनशीलता की तू देवी , हर किरदारों में ढल लेती, ‘मानुष’ तेरी महिमा का , करता गुणगान है , हे! सबला, तू महान है। अर्धांगिनी…
आ ! मेरे पास आ , ओ री ! नींद, तुम्हें मैं लोरी सुनाता हूं , मुझे तो तुम सुलाती नहीं, चल मैं तुझे सुलाता…
निकला था मैं ढुंढने , कोई ऐसा इंसान , जो बिल्कुल खुश , बिल्कुल सुखी, बिल्कुल स्वस्थ, चिन्तामुक्त, तेज़युक्त, मुझे मिला ! पर वो इंसान…
श्याम का समय, बहुत जल्दी में थे वे लोग, तेज तेज कदमों में, अजीब सी हलचल, चेहरे पर रोनक, कुछ पाने की लालसा, एक के…
चलो होड़ लगाते हैं, ओ री! बारिश तेरी, मेरे नयन झरने से। ओह! मगर तुम हार जाओगी, ये झरना तो पूरी रात बहता है, और…
एक पपीहा बैठा खेत में , देख आसमान को चिल्लाएं! बहुत हुआ सब्र , अब तो बरस जाओ प्रभु! मेरी इच्छाओं पर , मेरी अभिलाषाओं…
बुरे वक्त में जो छोड़ जाए , सपने दिखाए और दिल तोड़ जाए, फिर अच्छे वक्त में वापिस लौट आए , उसे स्वार्थ ना कहें…
बात बहुत छोटी सी, मगर कंकड़ का पहाड़ बना देती है वो, कब तक उस पर अपना हक जताएं , पल भर में ही बेगाना…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- बहुत सारी वनस्पतियों में, बस एक ही है वो जादुई पेड़! हरा -भरा ,घना -निराला, अलग-अलग सी कलियां उसकी, खुबसूरत…
अगर दबा है कोई दर्द हाले दिल में , तो खुलकर रो लीजियेगा हमदर्द होते हैं; ये आंसू हमारे, ज़ख्मों को जरा धो लिजियेगा।
नमन मेरा उन परवानों को, आजादी के दीवानों को, कुछ जाने से ,कुछ अनजाने से, क्रान्ति के मतवालों को, खेल गए जो मौत से, निडर…
मैं किसी फटी डायरी के पन्नों सा, जो हवा में उड़ रहे है इधर- उधर, मगर अफसोस ! पढ़ने वाला कोई नहीं। ……..मोहन सिंह मानुष
एक शब्द ने मुझे हिला डाला , अच्छी चल रही थी जिंदगी, मगर रुला डाला। ये शब्द बड़ा मीठा सा, तीखा सा, बड़ा परेशान करे…
जिन्हें समझते थे हम औरों से अलग, वो भी आज, ज़माने से निकले। जिनसे थी हमें चन्द खुशियों की आरज़ू, वो भी आज ,दर्द के…
बहुत भीड़ है मन्दिर में, मस्जीद में शोर-शराबा है, मेरा हृदय महल बहुत खाली-सा यहां विराजमान हो जाओ, प्रभु! फिर मेरे लिए यहीं अयोध्या और…
दो डॉक्टर बर्ताव के ! एक कड़वी दवा खिलाएं, दूजा मीठी दवा पिलाएं, ‘मानुष’ मीठी से करें परेहज नीम ही नीरोगी होए।
सबसे दुलारी हो! तुम ही प्यारी हो! अक्सर,ये कह तो देता हूं ; मैं प्रिय को मगर ज़रा सा कुछ भी हो जाए, मां याद…
माना दर्द मिला है, बहुत तेरे इश्क में मगर चीस बड़ी ही मीठी है, इस वेदना की।
वैसे नींंद नहीं आती , आजकल मुझे। जबसे देखा हैं , हमदम तुझे किस्मत में हैं, या नहीं तू पर कोशिशें करता हूँ , अब सो…
एक दिन, ऐसे ही मैंने कोशिश की , खुद को खुद में ढूंढने की, अपने वजूद को ; गहराइयों में टटोलने की, अरे! कौन हूं…
एक दिन ऐसे ही मैंने कोशिश की , खुद को खुद में ढूंढने की, वजूद को गहराइयों में टटोलने की, अरे! कौन हूं मैं? लिंग…
दर्द ए इश्क़ और शराब! दोनों एक जैसे हैं, जनाब! नशा चढ़ने पर, ज़माना फर्जी सा लगता है।
दानव तो है, यूं ही बदनाम ग्रंथ-पुराणों में , मैंने देखा है,शैतान! इंसानों में। रूह कांप जाए; हृदय फट जाए, हैवानियत की हदें पैर फैलाए।…
मैं बुरा हूं या नहीं, मगर बनाने वाले बहुत हैं। मैं मौन-सा बना; चुप हूं, क्योंकि नहीं समझने वाले बहुत हैं।
सच्चाई को मारने चला था झूठ आवेग में आकर, मगर इकतफाक से, सच्च ! कहीं मिला ही नहीं।
भ्रम हुआ है तुमको, मैया ! भोला तेरा कृष्ण कन्हैया, माखन नहीं चुरायों है। लांछन लगाएं ब्रजबाला, ग्वालिन बड़ी ही सयानी चपला, मुझको बहुत नचायों…
जीवन क्या है? क्या है जीवन! लकड़ी का कोई फट्टा-सा, पेड़ का कोई पत्ता-सा कब टुट जाएं कुछ पता नहीं, मानो कोई गुब्बारा-सा तैरता मटका…
इक खुशी की चाह में , कितने गमों को गले लगाया हैं, सुकून तो मिला ही नहीं, अब दर्द से ही काम चलाया है!
कोई गरीबी का मारा , कोई बदनसीबी का मारा , कोई वक्त से परेशान हैं , कोई अपनों का मारा । मगर वो बेपरवाह सा,…
तू जिंदगी ! दर्द भरे आसमान सी, मुसीबतें काले बादल है, मगर मैं ठहरा! हौसलों के रॉकेट सा , चीरता मेघों को जाऊंगा, जिंदगी तेरे…
मेरे गम!मुझे तू, इतना रुसवा ना कर , मैं बारिश के इंतजार में हूं, फिर उसमें नहाकर ,सब आंसू बहाकर, तुझे हल्का-सा कर दूंगा।
अभी-अभी धारा से उठे हैं , चलना भी सीख जाएंगे, कभी उठेंगे तो कभी गिरेंगे, कभी बिना गिरे भी संभल जाएंगे।
कौन बुरा; कौन अच्छा, जान पाना; बड़ा ही मुश्किल है। कौन झूठा; कौन सच्चा, हृदय में उतरना मुश्किल है। कौन बैहरूपिया, कौन लंगोटिया, किस में…
ये कातिलों का शहर है, जनाब! यहां किसी को गन से मार दिया; तो किसी को छुरे से , मार दिया। मगर मेरा क़ातिल बड़ा ही…
तूम सागर हो तो , हम लहर है तुम्हारी। तुम वजा हो; उसकी , जो लगी है हमें बीमारी। शायद ही कोई लम्हा हो, जब…
हंसता चहरा रो दिया, आचंल पूरा भीगो दिया, आज पहली बार। बन्जर है अब दिल की जमीं, शायद कुछ थी हम में ही कमी, मायूस…
लम्बे- लम्बे हो गए दिन , रात समुन्दर जैसी हैं , तेरे बिन; इश्क के मंजर में, हालत बंजर जैसी हैं । किया है तूमने…
जिसको बोल कर, मन हो जाए प्रसन्न , ऐसी मेरी यह भाषा है । भाव को मेरे बना दे दर्पण , करती है शब्दों का…
जहां गंगा पवित्र है , वही पवित्र तो नाला भी होता था कभी, अगर गंगा पाप धोती है ! तो नाला पापों को समेटता है…
दर्द की भी भावुकता देखो, दर्द से मेरे वो पिंघल गया। काश तुम्हें वो मिल जाए, इतनी सी दुआ, वो भी कर गया।
हुक्के सी हैं लत्त तुम्हारी, लगी जो ; हम से छुट्टे ना । और रेशम-सा हैं विश्वास हमारा कभी जो तुमसे टूटे ना ।………
कितना अच्छा होता! अगर ऐसे ही हमारे नाम भी अलग होते , और काम भी अलग-अलग होते , मगर, जात और धर्म एक ही होती,…
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