दुर्लभ पेड़
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:-
बहुत सारी वनस्पतियों में,
बस एक ही है वो जादुई पेड़!
हरा -भरा ,घना -निराला,
अलग-अलग सी कलियां उसकी,
खुबसूरत तने का ताना-बाना,
रंग बिरंगी पत्तियां! देखो,
अनोखा दृश्य बिम्ब करें ,
तीन रंगा फूलों का गुच्छा,
हृदय को प्रसन्न करे।
प्रकृति का है ये अनुपम सौंदर्य,
ऐसी विविधता में एकता,
शायद ही कहीं और मिले।
इस पेड़ की शोभा पक्षियों को भाती,
जो भी आता, यही रह जाता,
सौंदर्य में उसके वो खो जाता।
फूलों का रंग; हरा , सफेद , केसरिया!
हरियाली, शान्ति, और बलिदान ,
सबको यहां पहचान मिले,
रहते सब मिलजुलकर साथ,
मुस्कुराते -से सब मेहमान मिले ,
उन सबकी ये अनमोल मोहब्बत,
पेड़ को और गुणवान करें।
मगर पेड़; पर एक कौआ आया,
सभी रंगों को उसने भड़काया,
सुन केसरिया तु है कितना अद्भुत!
पेड़ को सुन्दर तुमने बनाया,
हरे रंग ! तू है बहुत तेजस्वी,
कान में उसके बहुत फुसफुसाया,
सफेद !अगर तू ना हो तो ,
पेड़ कुरूप बने और पेड़ों सा।
मगर, कौआ थोड़ा नासमझ बेचारा!
चालाकी उसकी ना चले; यहां पर,
क्योंकि हरा मिला है केसरिया से ,
सफेद घुला है इन दोनों में।
प्रेम भावना, भाईचारे से,
सबका महान योगदान है,
तभी तो पेड़ दुर्लभ बना!
सबके समान महत्त्व से।
और तभी तो पेड़ अद्भूत बना!
सबके असीम सौंदर्य से।
—मोहन सिंह मानुष
काव्यगत विशेषताएं
भाव—>
पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां पर विभिन्न परंपराओं, विविध संस्कृतियों, अनेक प्रकार की भाषाओं और बहुत सारे धर्मो के लोग; आपस में मिलजुल कर भाईचारे के साथ रहते हैं। विविधता में एकता यहां की मूल पहचान है कविता में यही भाव संजोए गए हैं
प्रतीकात्मक शैली के अनुरूप दुर्लभ पेड़ महान देश भारत का प्रतिनिधित्व करता है,
कलियां–परंपराओं ,रंग बिरंगी पत्तियां- विभिन्न भाषाओं, पक्षी- विदेशी नागरिकों,
तीन रंगा फुल – विभिन्न धर्मो,कौवा- राजनीति एवं राजनेताओं इत्यादि का प्रतीक है
समस्त पेड़ का मानवीकरण किया गया है।
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Prayag Dharmani - August 16, 2020, 10:39 am
भाषा का पूरा प्रयोग, सहज भाव, सुंदर चित्रण
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 11:50 am
बहुत बहुत आभार प्रयाग जी 🙏
Geeta kumari - August 16, 2020, 12:26 pm
बहुत सुंदर रचना
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 12:28 pm
बहुत बहुत आभार मैडम जी 🙏
Pragya Shukla - August 16, 2020, 12:32 pm
उत्तम विचार
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 1:04 pm
बहुत बहुत आभार 🙏
Satish Pandey - August 16, 2020, 12:33 pm
लक्षणा का सुंदर प्रयोग, सुन्दर
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 1:05 pm
बिल्कुल सर !थोड़ा अलग लिखने की कोशिश 🙏हार्दिक धन्यवाद
Rajiv Mahali - August 16, 2020, 1:07 pm
बहुत खूब
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 1:35 pm
बहुत बहुत आभार धन्यवाद सर
प्रतिमा चौधरी - August 16, 2020, 1:19 pm
लक्षणा शब्द शक्ति और प्रतीकात्मक शैली का सुंदर प्रयोग करते हुए, भारत की महानता व विविधता में एकता को प्रदर्शित करती हुई बहुत ही सुंदर कविता👏👏
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 1:39 pm
बहुत बहुत आभार
Virendra sen - August 16, 2020, 2:35 pm
खूबसूरत रचना
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 3:27 pm
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - August 16, 2020, 2:52 pm
खूबश
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 3:27 pm
🙏🙏🙏
pritam pritam - August 16, 2020, 6:45 pm
bahut he sunder poem
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 7:15 pm
Thank you bro
Śøñü Bøhãť - August 16, 2020, 6:47 pm
bahut khub
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 7:16 pm
धन्यवाद
Sagar Singh - August 16, 2020, 7:09 pm
Bahut hi Sundar poem
मोहन सिंह मानुष - August 16, 2020, 7:16 pm
Thank you bro
Army boy - August 18, 2020, 6:23 pm
बहुत ही सुन्दर कविता
मोहन सिंह मानुष - August 18, 2020, 6:45 pm
धन्यवाद जी
RAHUL MUDAD - August 18, 2020, 6:28 pm
Very nice
मोहन सिंह मानुष - August 18, 2020, 6:43 pm
Thank you
Parveen Kukreja - August 18, 2020, 7:54 pm
Very nice
मोहन सिंह मानुष - August 18, 2020, 8:20 pm
Thank you sir
Rajkumar Sharma - August 18, 2020, 8:46 pm
It’s very nice
Once more
मोहन सिंह मानुष - August 18, 2020, 8:48 pm
Thank you bri
मोहन सिंह मानुष - August 18, 2020, 8:52 pm
Thank you bro