तुम भी तो कभी जताते तो
इशारो इशारो में गुफ्तगू करते हो,
कभी दिल का भी हाल सुनाते तो।
कभी खयालों में खुशबू से महक उठते हो,
आखिर तुम्हारी रजा क्या है बताते तो।
सैकड़ों राही मिले सफर – ए- जिंदगानी में,
तुम इतने दिलकश क्यों लगते थे
इसका सबक बताते तो।
तुम्हारी अनकही बातें मुझे कैसे सुनाई दे जाती हैं,
यह पागलपन समझाते तो।
थम सी जाती है यह सांसे
तेरी आहट के बिना,
क्यों बहक जाती हैं तेरे नाम से
बतलाते तो।
ताउम्र सफर तय किया एक दूजे के बिना,
तुम्हें भी मेरी आरजू थी
यह जताते तो!
एक बार ही सही धीरे से कह जाते वह शब्द,
और जिंदगी भर निशब्द
हम तुम्हें गुनगुनाते तो।
निमिषा सिंघल
Good
Thank you
बहुत खूब
🌺🌺
Waah
❤️❤️💐💐
Good
🌺🌺🌺🌺🙏🙏
Nice
बहुत-बहुत आभार
वाह
बहुत धन्यवाद आपको
👉👉