मेरे दामन को..!!
मेरे दामन को सरेआम दागदार कहता है, गंदी नाली का कीड़ा है तू गंगाजल को अपवित्र कहता है..!!
मेरे दामन को सरेआम दागदार कहता है, गंदी नाली का कीड़ा है तू गंगाजल को अपवित्र कहता है..!!
मुझे जख्म लगते ही वो सिलने बैठ जाता था… बात इतनी-सी थी कि वो बिना धागे के सिलता था…
❤❤ अभिव्यक्ति दिल से ❤❤ _______________ बेइन्तहां मोहब्बत थी उनसे हमें एक छींक पर भी जान निकलती थी हमारी…. ना जाने क्यूँ उन्हें हमसे मोहब्बत…
नारी हूँ मैं मुझे इस बात का गर्व है… नारी का जीवन बसंत का पर्व है… अपने सुगंधित पुष्पों से नारी महकाती है घर-गगन हरियाली…
जब मैं कली बन मुस्कुराई अली तब ही प्रियतम बन आए अली… घेरा मुझको बाहुपाश में डूब गई मैं प्रेमपाश में… प्रिय चले गए वनवास…
आज बहुत व्यथित थी बार-बार निगाहें दरवाज़े तक जाकर लौट आ रही थीं…. ना जाने कहाँ रह गए वो! मेरा बेचैन मन मुझे अधीर कर…
नई भोर है सूर्य का स्वागत करेंगे हम… खिड़कियों से पर्दे हटा किरणों से नहाएगे हम.. तितलियों के पंख से चुरा लेंगे तमाम रंग फीके…
कितना नादान था वह बचपन जब… माँ मुझे चाँद की कटोरी में खिलाती थी… मैं खाना खाने में नखरे हजार दिखाती थी… पर माँ चाँदनी…
मनु की संतान पर तंज कसने की कोशिश की है मैनें.. नया विषय और भारत की समस्याओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा…
संवेदनाएं कहाँ रहती हैं आज-कल, मैं यह जानती नहीं.. लोग क्यों जलाते हैं नफरत के चिराग मैं यह जानती नहीं.. ऊब चुकी हूँ जिन्दगी से…
कितनी प्यारी होती हैं बेटियाँ, प्रेम की मूरत होती हैं बेटियाँ.. आती है जब परिवार पर आँच कोई, सबसे आगे खड़ी होती हैं बेटियाँ… प्यार…
O my ganesh ji Your glory is infinite … Today we all need your blessings very much… Hey Ganesh! All your troubles … All the…
शीर्षक:- पिता:-बरगद का वृक्ष पिता वह बरगद का वृक्ष है जिसकी छांव में हमें प्रेम, स्नेह तथा सुरक्षा मिलती है.. पिता नारियल का वह फल…
शरीफों की सभा लगी फिर लुटती रही क्यों द्रौपदी? दु:शासन के दुराचार पर संवेदना क्यों मर गई? यही पूँछे द्रौपदी हर सड़क और हर गली……
कोशिश कर आगे बढ़ने की बंदे, तुझमें है सिंहों-सा दम… ना मान हार तू लहरा दे, अपनी ताकत से जग में परचम… नित अग्रसर हो…
कुछ खार जमाने में हर चमन में होते हैं, चुभते हैं जिस्म को लहूलुहान कर देते हैं, तो कुछ खार लफ्जों से घायल कर देते…
There is no bread without hard work, there is no happiness in the poor’s house… No matter how much you fly with a feather of…
Tell the lamps, be in a little leisure, now some darkness is also good… People have faces here and there is a lot of mystery…
Why do you feel bad so soon! So angry Not a good thing I explained to you earlier Don’t be so impatient about small things…
Seeing this season of weather today, something like a stir in the heart started happening now… Seeing you, Noor sa tera mukhda darling, she is…
Would know if persuading How are you Few days of life More in your wish Sacrificed And cry a few nights Yearning for your memories…
❤ you were the only one❤ ——————————————– Whom to tell your story No one is your friend You were the only one.. Who used to…
🌹🌹 Rimjhim-rimjhim clouds rained all day.. I love your lover Neither day nor night Comfort me Cloudy rain All day my tears Oh dear! Now…
A black cloud! just listen After visiting the streets, they should also know that the spring has arrived … Restless heart With your drops So…
Now identify yourself with the eyes The condition of my heart … Because the lips have been stitched for years due to fear of public…
There used to be a time! When we used to be scattered in your arms like rose petals .. Now just the scent of that…
Relax ‘wanders from one place to another in search of this one word.. Finds its fathom But it stops in your name .. Of course…
I do not understand anything except you.. Neither sleep nor peace and agreement.. Mahafil also no longer likes These are everyday stories, let’s go anyway…
कोई वजूद नहीं था तुम्हारा मेरे बिना.. यूंँ ही गुमसुम बैठे रहते थे.. मैंने ही आकर तुम्हारी जिंदगी में रंग भरे होठों को मुस्कुराना सिखाया,…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- कल ही लिपटे थे दामन से क्यूँ आज तिरंगा ओढ़ चले? दो कदम चले थे साथ अभी क्यों आज मुझे…
ना जाने क्या है इन आँखों में कुछ ठहर-सा गया है.. रोती हैं तेरी यादों में पर वक्त गुजर-सा गया है..
आजकल बड़े पैतरे आजमाने लगे हो तुम! मुझसे दूर जाने के… इतनी समझ आई कहाँ से तुम में? पहले तो तुम बहुत नादान हुआ करते…
आज बहुत दिनों बाद आई हूँ तुम्हारे दिल की गलियों में.. सफर करने को जरा संभाल कर रखना अपनी धड़कनों को मुझे देखकर कहीं मचल…
ओ मैया! मोरी पीर बड़ी दुखदायी सब कहें मोहे नटवर-नागर माखनचोर कन्हाई। तेरो लाला बरबस नटखट कब लघि बात छपाई। ओ मैया! तेरो कान्हा माखन…
कवियों की नगरी में भी दिल दुखाने लगें हैं लोग ना चाहते हुए भी पास आने लगे हैं लोग। आम जिंदगी से परेशान होकर जी…
लोगों की नज़रों का क्या कहना झटपट रंग जमाते हैं झूँठे-मूँठे रिश्ते खूब बनाते हैं। माँ को कुछ समझते ही नहीं हर गलियारों में शोर…
आज तुम्हारी फोटो देखी जब मैनें स्टेटस पे। मेरे चेहरे पर ग्लो आया जैसे आता है फोकस से। मुझसे राखी बंधवाने की खातिर लेकिन जब…
आज अचानक माँ मुस्काई फोन उठाने के बाद बोलीं आकर खुशखबरी है बैठी मेरे पास सबने पूँछा क्या खुशखबरी ये तो हमें बताओ उत्सुकता में…
सिर्फ धागों की नहीं है अहमियत यहाँ रिश्तो में प्यार की मिठास भी घुलती रहनी चाहिए। सिर्फ तू प्यार जताए तो कैसे चलेगा अक्सर नोक-झोंक…
मेरा मित्र, सखा तो मैं ही स्वयं हूँ, मैं हूँ सुदामा तो मैं ही कृष्ण हूँ। मैं ही सुख- दुख का संयोग हूँ, मैं हूँ…
🌹🌹 Friendship Day special🌹🌹 गजल:- याराना प्रेम से भी बड़ा बन्धन, सुकून आये दोस्ती में। कभी कृष्णा कभी अर्जुन याद आये दोस्ती में। अपनी जिंदगी…
🌹🌹 Friendship Day special🌹🌹 गजल:- 🌹🌹याराना🌹🌹 प्रेम से भी बड़ा बन्धन, सुकून आये दोस्ती में। कभी कृष्णा कभी अर्जुन याद आये दोस्ती में। अपनी जिंदगी…
#Shayri 2liner नींद से मेरी तो अनबन ही रहती है, कभी-कभी आ जाती है मुंह दिखाई के लिए।
गज़ल:- ❤❤ “मेरे दीवाने कहाँ गए” ❤❤ ————————— मेरे ख्वाब सजाने वाले कहाँ गए? मुझे जान-जान कहके बुलाने वाले कहाँ गए? —‐———————————- जो कहते थे…
तुम्हारी राह देखकर ही तो मैं टूट गई हर रिश्ते से ऊपर था तू तेरे इश्क में मैं मगरूर हुई तेरे इश्क का चंदन घिसकर…
जिंदगी में मुकाम और भी हैं मंज़िल एक है पर रास्ते और भी हैं। कितनी छोटी है जीवन की चादर पैर पसारने के आसमान और…
#shayri 2liner इतनी दीवानी नहीं हूँ तेरी जो तेरे प्यार में अपनी नब्ज काट लूंगी, ज्यादा तड़पाया जो तुमने इस रक्षाबंधन तुझको राखी बाँध दूंगी।
#shayri 2liner 🤣 आँखों में पानी लेकर मुझे मत भरमाया करो। मैं तुम्हारी सारी हकीकत जानती हूँ यूं बातें ना बनाया करो।
❤❤ मेरा रक्षाबंधन ❤❤ ——————- दो भाईयों के बीच का झगड़ा जब तक ना सुलझाती बहन बोलो आता कैसे चैन? ———————– सावन है मनभावन है…
कहते हैं नारी पानी-सी होती है जिस रिश्ते में बंधती है उसी की हो जाती है। पर प्रज्ञा की यही वेदना है क्या नारी का…
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