Categories: शेर-ओ-शायरी
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मां तूं दुनिया मेरी
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रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
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वासना की गंदी हवा बह रही है । चारों-तरफ अत्याचार फैल रही है । त्राहि-त्राहि करते संत आज जगत में । दुर्जनों की गर्जना धरा…
बहुत बढ़िया
धन्यवाद
जो नारी को बदनाम करें,
गंगाजल को अपवित्र कहे,
हम ऐसे को स्त्री से जन्मा ना कह के,
मुर्गी के अंडे की औलाद कहें|
😃😃😃😃😃😃😃
😀😀😀
आपकी समीक्षा से
एक पल को हंसी आ गई
आपके हृदय में नारी के प्रति
सम्मान देख कर
हार्दिक खुशी हुई
जो पुरुष नारी के दामन पर उंगली उठाए, वह पुरुष नहीं, कापुरूष है।
🙏🙏
धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
🙏🙏
धन्यवाद
सुंदर
🙏
🙏🙏