❤ दिल के छाले…!!

❤❤ अभिव्यक्ति दिल से ❤❤
_______________
बेइन्तहां
मोहब्बत थी
उनसे हमें
एक छींक पर भी
जान निकलती थी
हमारी….
ना जाने क्यूँ उन्हें
हमसे मोहब्बत
ना हुई!
इसमें भी शायद
खता थी हमारी..
जब वो बीमार होते थे
हम हमेशा उनके
पास होते थे…
फिर भी नहीं की
कदर उसने हमारी..
शायद इसमें भी
खता थी हमारी…
किसे दिखाएं
अपने दिल के छाले!
कोई नहीं समझेगा
मोहब्बत हमारी…
उल्टा मुझी पर
हँसेगा जमाना
जो भी सुनेगा
कहानी हमारी…

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Responses

  1. बहुत शानदार प्रज्ञा जी..गजब लिखा है बस आखिरी लाइन में आपने ‘कहानी हमारी’ वर्ड यूज़ किया है जो singular word न होकर plural word है इसलिए अगर आप पहली लाइन में ‘उल्टा मुझी पर हँसेगा’ की जगह ‘उल्टा हमीं पर हँसेगा’ लिखेंगी तो और बेहतर हो जाएगा ।

  2. ये ज़माना बड़ा ही लापरवाह-सा,
    इश्क और वफ़ा को ,
    हमेशा देर से समझता है।
    👌बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति

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