Abhishek kumar
इजाजत है
December 26, 2019 in शेर-ओ-शायरी
इजाजत है आपको!
मेरे बारे में कुछ भी सोचिए
बेवफ़ा सोचिए,अदावती सोंचिये
आपकी तरह हमसे यूँ
लफ्जों की दगेबाज़ी नहीं होती।
आओ तो जरा
December 25, 2019 in शेर-ओ-शायरी
साल भी खत्म होने को आया,
सब आये पर तुम न आये।
इंतजार चार दिन और है तुम्हारा,
फिर आये तो फिर क्या आये???
पत्थर
December 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी
जनाब!अपने दिल को सम्हाल कर रखिये,
दुनिया से आप इसको जरा बचा कर रखिये।
असर हुआ है अगर इस पर किसी की बात का,
तो अपने दिल को पत्थर-सा का बना कर रखिये।
ज़िन्दगी
December 21, 2019 in गीत
तेरे मुखड़े में मुझको रब की तस्वीर दिखती है, तेरे माथे पे बिंदिया चाँद सी खूब सजती है, तेरी आँखो में तारों का बड़ा सुंदर नजारा है, तेरे चेहरे पे सूरज का बड़ा अच्छा उजाला है।। मैं रब से तुझको पाने की इबादत रोज़ करता हूँ, हो दिन या रात तेरे चाँद से चेहरे को तकता हूँ, तू मुझसे दूर है तो क्या हुआ ये मेरे हमसफर, तेरी तस्वीर से तो रात दिन मैं बात करता हूँ।। खुली हो आँख तो तेरे चेहरे को ही पाउ, अगर नींद आ जाए तेरे सपनो में खो जाउ, भुला तुझको तो मैं अब एक पल भी नही सकता, तमन्ना दिल की है मेरे महबूब तुझे देखू तुझे पाउ।। तेरे हाथो में मेहंदी रंगों वाली खूब सज़ती है, तेरे पैरो की पायल छन् छन् खूब करती है, तेरी आवाज़ से खिलते हो जैसे फूल उपवन के, तेरी जुल्फो के उड़ने से हवाएं खूब चलती है।। तेरी आँखो के काज़ल से घटा सावन की छाती है, तेरे उड़ते दुपट्टे से बिजलिया तड़क जाती है, अगर छलके तेरी आँखो से एक भी बूंद अस्को की, बिना मौसम गगन से बारिशे हो ही जाती है। तेरी मुस्कान से खिलते न जाने पुष्प कितने है, तुझे देखने को घर तेरे आते पंछी कितने है, तेरी आँखो के खुलते ही निकलती सूर्य की किरणे , तेरी याद में दिलवर मेरी अँखिया बरसती है।।
Tera hua mai
December 16, 2019 in गीत
प्यार फूलों से कितना किये जा रहा, दूर रहके भी तेरा हुआ जा रहा। तुम अपने उपवन में हर दम महकते रहो, भौरा बनकर मैं तेरा हुआ जा रहा। प्यार के राग को तुम छुपाती हो क्यो, फूलों की डालियों सी शर्माती हो क्यों। खिलती कलियो के जैसे है तेरी हँसी, खुशबू होकर चमन में ना आती हो क्यो। माली बनकर तुम्हे तोड़ लूंगा प्रिये, दिल में तुझको सजोकर रखूँगा प्रिये। तुम आओ तो दिल मेरा सज़ जायेगा, गीत शृंगार का एक नया गायेगा
ज़िन्दगी
December 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी
जी लो जीभर के
ज़िन्दगी की आरज़ू है
जो मिला है
अच्छा है
जो ना मिला
उसकी जुफ्तज़ू है
प्यार
December 14, 2019 in शेर-ओ-शायरी
ढ़लते दिसंबर के साथ इश्क़ भी तेरा ढ़ल गया।
तू तो कहता था कि बिना मेरे
तेरा मन कही नही लगता….
अब तू बता कि वो तेरा प्यार कहाँ गया?
Raajdulara
December 14, 2019 in गीत
है इस जगत की सारी खुसिया, मातृभूमि के चरणो में। माँ ही है इस जग की जननी , है सारा ही जा उससे। उसकी एक प्यारी लोरी में ,सातों स्वर मुझको मिलते है। उसके मीठे बोल मुझे, इस जीवन से अच्छे लगते है। माँ का आँचल तो ,मुझको इस जीव जगत से प्यारा है। हर बेटा इस जग में अपनी माँ का राजदुलारा है।
एहसास
December 13, 2019 in गीत
मैंने भी एहसास किया ,मैं देख दृश्य वो रोया हूँ। तम्बू में रहते परिवारों के बच्चों में कितना खोया हूँ।। वो नन्हे मासूम से चेहरे जो कितने भोले भाले है, बचपन में सर ले लिया बोझ, वो कोमल पग वाले है। उनके चेहरे की मासूमी में प्यारी सी किलकारी है, उनकी कुटिया उनके जीवन में इस जी जगत से प्यारी है। उनका बचपन कितना सा अंजाना है, देख कोठियों के बच्चों को मन ही मन सकुचना है,।। उनको मिलते पैसे बेटे कुछ मेले में जाकर खा लेना, कुछ उनको वहा नही मिलता मा का चिमटा बस ले चलना।। यह देख दृश्य उन झोपड़ियों का फिर लेख आज यह लिखता है, उन ऊचे महलो वाले से घर गरीब का अच्छा लगता है।
बेवफाई की ठण्ड
December 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ये दोस्त!देखो आखिर लग ही गयी तुम्हे बेवफाई की ठण्ड।
कितना कहा था कि मेरे प्यार और वफ़ा की चादर ओढ़ कर रखना।
सर्दी और बेबस गरीब बच्चे
December 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
रूह भी कांपती है ठंडक मे कभी- कभी,
याद आती है हर मजबूरियाँ सभी तभी।
इन्सान को ज़िन्दगी की कीमत समझनी चाहिये,
जो हो सके मुनासिब वह रहम करना चाहिये।
जीवन है बहुत कठिन कैसे यह सब बताऊँ?
मजारों पर शबाब के लिए चादर क्यों चढ़ाऊँ?
ठिठुरता हुआ मुफलिस दुआयें कम न देगा,
खुदा क्या इस बात पर मुझे रहमत न देगा।।
महफ़िल
December 6, 2019 in शेर-ओ-शायरी
संवर कर आऊँगा जब तुम्हारी महफिल मे,
निगाहें तुम्हारी सिर्फ मुझ पर ठहर जायेगी।
देखेंगे जब सब तुम्हारे होठो पर हल्की-सी हँसी,
महफ़िल मे हमारी मोहब्बत ही चर्चा बन जायेगी।।
आरज़ू
December 3, 2019 in शेर-ओ-शायरी
आरज़ू नही रखता कि पूरी कायनात मे मशहूर हो शक्सियत मेरी।
जनाब! आप जितना जानते हो बस उतनी ही है पहचान है मेरी।।
बदल गये हो तुम
December 3, 2019 in Other
कितना बदल गये हो तुम
इंतजार किया जी भर कर उनसे मिलने की कोशिश भी की,
कहाँ रह गये वो जिन्होने हर वादा निभाने की कसम भी ली।
आसान भी तो नही है सूर्य की किरणों की तरह बिखर जाना,
खुद की खुशियों को न्यौछावर कर दूसरो को खुशी दे जाना।
माना बहुत व्यस्त है जिन्दगी की उलझनों मे वह आजकल,
पर कहाँ रह गये जो मुझे याद करते थे हर दिन हर पल।
शायद खुशी मिलती होगी तुम्हे मुझे यूं तड़पता हुआ देखकर,
मेरा क्या?तुम खुश रह लो मुझे दुनिया मे तन्हा छोड़कर।
बोलो मिट गयी है यादे या भुलाने की कोशिश मे लगे हो तुम,
क्या?अब भी न मनोगे कि कितना ज्यादा बदल गये हो तुम।
मिनी पेट्रोल पंप
December 1, 2019 in लघुकथा
मिनी पैट्रोल पम्प
समर अपनी नयी बाइक से फर्राटे भरते हुये घर से निकला।वह अपनी किराने की दुकान का सामान लेने लालपुर जा रहा था।रास्ते मे उसकी बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया।वहाँ कोई पैट्रोल पम्प नही था।पूछने पर पता चला कि यही धरमपुर मे गुप्ता जी के वहाँ पैट्रोल मिल जाता है। फिर क्या था?समर अपनी बाइक घसीटता हुआ पहुँचा और आवाज लगायी,गुप्ता जी!पैट्रोल दे देना।
तभी गुप्ता जी की लड़की मिनी आयी और समर से बोली,पिता जी घर पर नही है?आपको कितना पैट्रोल चाहिये?
मिनी बहुत ही सुन्दर व आकर्षक थी।समर उसे निहारता ही रह गया।उसकी सांवरी सूरत देखकर वह सब कुछ भूल सा गया।और अचानक पूँछ बैठा,क्या नाम है आपका?क्या करती हो? मिनी ने कहा पैट्रोल कितना लेगे? समर बोला,दो लीटर दे दीजिये। मिनी आयी और पैट्रोल बाइक मे डालकर चल दी। समर ने कहा,मैने आपसे कुछ पूछा था?मिनी ने कहा,मै मिनी हूँ और सिविल एग्ज़ाम की तैयारी कर रही हूँ।समर ने भी अपना परिचय दिया और चल दिया।
समय बीतता रहा और समर जानबूझकर गुप्ता जी के वहाँ पैट्रोल लेने जाता रहा ताकि वह मिनी को देख सके। समर हर पल मिनी के ख्वाबों मे ही खोया रहता था।लेकिन वह अपने प्यार का इज़हार करने से डरता था क्योंकि मिनी उच्च शिक्षित थी और वह निरक्षर।
जब भी समर बाइक लेकर गुप्ता जी के वहाँ जाता तो मिनी ही पैट्रोल डालने आती और दोनो खूब बाते भी करते।एक दिन मिनी की बस छूट गयी तो समर उसे लालपुर मे कोचिंग तक छोडने गया।रास्ते मे समर ने कई बार सोचा कि वह अपने मन की बात कह दे।पर कह न सका। उसने मिनी से पूछा,शादी के बारे मे क्या ख्याल है?तुम्हे कैसा लड़का पसंद है? तब मिनी ने बताया कि उसकी शादी दिल्ली मे बैंक मैनेजर के साथ पक्की हो गयी है।और अगले माह वह परिणय सूत्र मे बँध जायेगी।
इतना सुनकर तो जैसे समर के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी।मिनी को कोचिंग छोड़कर तुरंत ही वह घर की ओर चल पड़ा।रास्ते मे सोच रहा कि मिनी मुझ जैसे निरक्षर से क्यो प्यार करेगी?क्यो शादी करेगी? समर ने अपनी दुकान खोलना भी बन्द कर दिया और शहर जाना भी छोड़ दिया।दिन भर एकान्त मे वह रोया करता और सोचता रहता कि काश!मिनी,उसकी मिनी!उसकी जिन्दगी मे होती।
लगभग दो महीने बीत गये।समर आज किसी काम से लालपुर जा रहा था।तभी धरमपुर गाँव आते ही उसे मिनी की याद सताने लगी। फिर क्या था?वह अपनी बाइक लेकर चल दिया गुप्ता जी के घर की तरफ और सोच रहा कि अब तक तो मिनी की शादी हो गयी होगी और वह आराम से अपनी ससुराल दिल्ली मे होगी।
समर पहुँचा तो देखा कि गुप्ता जी के घर मे ताला लगा हुआ है।पास पड़ोस मे पूछने से पता चला कि सब अस्पताल गये है। समर अस्पताल पहुँचा तो गुप्ता जी मिल गये और बताने लगे कि घर में रखे पैट्रोल मे आग लग गयी जिससे मिनी का चेहरा झुलस गया।उसकी शादी का रिश्ता भी टूट गया।गुप्ता जी जोर जोर से रोने लगे।समर के तो होश ही उड़ गये कि उसकी मिनी के साथ ये सब क्या हो गया?
समर वार्ड मे गया मिनी बिस्तर पर लेटी थी।समर ने धीरे से आवाज दी,मिनी! मिनी ने जैसे ही समर को देखा तो रोने लगी और बोली कहाँ चले गये थे तुम?बोलो? देखो!मेरे साथ क्या हो गया?
समर ने मिनी को शान्त कराया और फिर कहा कि वह बहुत दिनो से कुछ कहना चाहता है। मिनी बोली तो बताओ ना।समर ने मिनी का हाथ थामते हुये बोला कि क्या वह उससे पहले दिन से ही बहुत प्यार करता है। मिनी बोली तब की बात और थी अब तो वह सुन्दर भी न रह गयी।
समर ने कहा कि उसे इससे कोई फर्क नही पड़ता।बस मिनी तुम ये बताओ कि तुम मुझ जैसे निरक्षर से शादी करोगी? इतना सुनकर मिनी की आँखों से आँसू बहने लगे और उसे देखकर समर भी ……
हौसला
December 1, 2019 in गीत
हौसला
‘बिन मेहनत के रोटी नही मिलती,गरीब के घर मे खुशियाँ नही सजती।
हौसलों के पंख से उड़ान कितनी भी भर लो,पर पेट की भूख नही मिटती।
फौलादी इरादों से साँसो का दामन थाम रखा है,वरना यहाँ मौत भी आसान नही मिलती।
सुना है सारा संसार रंगोत्सव मना रहा है,पर यहाँ कोरी किस्मते कहाँ रंगती।
जद्दोजहद है जिन्दगी मे कि किसी दिन सुकून मिलेगा,उसी दिन सतरंगी यह चेहरा भी सजेगा।
मजबूरी मे मजदूरी कर मजबूरी से निपटते है,हम गरीब होली पर भी पसीने से ही रंगते है।’
चाय और बालश्रम
November 30, 2019 in Other
चाय पर चर्चा
दूध के सारे दाँत समय से पहले ही टूट गये,
जिन्दगी की शुरुआत मे ही विधाता रूठ गये।
मजबूरियों ने हाथ मे चाय की केतली क्या पकडाई,
मैने करीब से देखी अपने बचपन की अंगडाई।
चाय की चुश्कियों मे अभिषेक अब मिलावट हो गयी,
आडी तिरछी जिन्दगी की सारी लिखावट हो गयी।
चाय से ज्यादा अब चाय पर चर्चा हो रही है,
इसकी बिक्री मे भी भारी गिरावट हो गयी है।
जरूरी नही हर एक चाय बेचने वाला चौकीदार बने,
क्योंकि गरीब के बचपन पर भारी इसकी गर्माहट हो गयी है
कड़वाहट
November 30, 2019 in गीत
कड़वाहट
दुनिया मे जो है कड़वाहट वह मिर्च पर भारी है,
मेरे जीने का हुनर मेरी मौत पर अब भारी है।
दिन भर मजदूरी करके अपना परिवार पालता हूँ,
इस तरह आराम पर मेरी मेहनत बहुत भारी है।
सुख की अनुभूति हो इतनी कभी फुरसत ही नही मिलती,
सुकून नही मिलता क्योंकि मुझ पर जिम्मेदारियां बहत भारी है। मुझे आराम के लिए घर या मुलायम बिस्तर नही चाहिये,
तुम्हारे चैन,सुकून पर मेरी बेपरवाह नींद बहुत भारी है।
उम्र है ढ़लान पर फिर भी अजीब सा जूनून रखता हूँ,
ये दुनियावालो तुम्हारी जवानी पर मेरा बुढ़ापा बहुत भारी है।
अपना गाँव
November 30, 2019 in Other
गाँव की मिट्टी
गाँव की मिट्टी मे सौंधी सी खुशबू आती है,
रिश्तों मे अपनेपन का एहसास कराती है।
चलती हुई पावन पवन मन को छू जाती है,
नीम और बरगद की छाया पास बुलाती है।
अपने घर आँगन की तो बात ही निराली है,
गूलर के पेड़ पर बैठ कोयल गाती मतवाली है।
पानी और गुड़ से स्वागत की शान निराली है,
सभी मेहमानों को इसकी मधुरता खूब भाती है।
कोल्हू से गन्ने का रस पीकर हम मौज मनाते है,
हम गाँववाले कुछ इस तरह गर्मी भगाते है।
हप्ते मे हम दो दिन ही गाँव की बाज़ार जाते है,
हरी सब्जियां और आवश्यक सामान घर लाते है। जोड़,घटाना,गुणा,भाग मे हम थोड़े कच्चे होते है,
लेकिन रिश्तों को निभाने मे एकदम पक्के होते है।
Apne ban payenge
November 30, 2019 in गीत
वही है चाँद पर अब उससे ख्वाहिशे बदल गयी,जिन्दगी ने लिए इतने मोड़ कि मायने बदल गये।
बचपन में जिस चाँद को मामा कहते थे,अब महबूब की सूरत मे उसको ढूँढने लगे।
जिन पगडंडियो पर आवाजें लगाकर चलते थे,आज उन्हे छोड़ शहर की ओर चल दिये।
अब कोई बड़ा बुजुर्ग गलती पर डांटता नही,क्योंकि हम खुद को बहुत बड़ा समझने लगे।
छुट्टियों मे अपनी टोली संग खूब धूम मचाते थे,पर अब हम चहारदीवारी मे रहने लगे।
नानी,बुआ और मौसी के वहाँ अब न आना जाना होता है,हम तो अब खुद मे व्यस्त रहने लगे।
जो रूठ जाता था सब मिलकर उसे मनाते थे,बड़ी सादगी से सारे रिश्ते नाते निभाते थे।
अब अगर गलती से भी कोई हमसे रूठ गया,तो पक्का मानो उससे रिश्ता नाता टूट गया।
अब फुर्सत ही नही मिलती कि सबकी फिक्र कर सके,कुछ अपनी कहे और दूसरों की भी सुन सके।
हम सब अपनी मस्ती मे रहते है,उसे फिक्र नही,तो मुझे क्या?बस यही सोचते रहते है।
हमने खुद को एक दायरे मे समेट लिया,जो न चल सका साथ उसे हमने छोड़ दिया।
बचपन सा प्यारा मन अब हम कहाँ से लायेगे?क्या रिश्तों की कीमत हम सब समझ पायेंगे?
क्या फलक पर चांद तारे सज पायेंगे,जो है अपने क्या अपने बन पायेंगे?
कैसे समर्पित कर दूँ
November 30, 2019 in Other
कैसे समर्पित कर दूँ
आप लिखते खूब हो पर कभी गाते नही हो,
मंच पर सबकी तरह नजर आप आते नही हो।
आपकी रचनाओं मे जीवन की सारी सच्चाई दिखती है,
हर पाठक को उसमे अपनी ही परछायी दिखती है।
आप कभी-कभी कड़वी बात भी लिख देते हो,
लोगों को दर्पण मे उनका अक्स दिखा देते हो।
कुछ लोग आपसे अन्दर ही अन्दर जलते है,
पीठ पीछे आपकी खूब अलोचना करते है।
पाठक से इतने सवाल सुनकर मुझे अच्छा लगा,
फिर हर एक बात का मै भी जवाब देने लगा।
मै जीवन की कड़वी सच्चाई शान से लिखता हूँ,
इसीलिये कुछ लोगों की आँखों को खलता हूँ।
जो जलते है मुझसे वो बराबरी कर सकते है,
है हुनर तो वो भी चंद पंक्तियाँ लिख सकते है।
शायद जीवन की डगर बहुत टेढ़ी-मेढ़ी होती है,
अगले पल क्या होगा ये बात हमे न पता होती है।
बोलो ऐसी अनिश्चितता को किस तरह लयबद्ध कर दूँ ,
और अपनी अधूरी छवि को कैसे मंच को समर्पित कर दूँ!!
उदन्त मार्तण्ड
November 30, 2019 in गीत
उदन्त मार्तण्ड
‘उदंत मार्तण्ड’ है हिन्दी पत्रकारिता की आधारशिला,
‘प्रथम हिन्दी समाचार पत्र’ होने का इसको मान मिला।
पण्डित युगुल किशोर शुक्ल ने था इसको प्रारंभ किया,
अपनी प्रतिभा व निजी संसाधनो से इसका सम्मान किया।
’30 मई 1826′ को इसका प्रथम अंक प्रकाशित हुआ,
इसमे ‘मध्यदेशीय भाषा’ का ओज प्रस्फुटित हुआ।
यह पत्र ‘पुस्तकाकार’ मे कलकत्ता से छपता था,
पूरे देश मे लगभग 500 प्रतियों मे बिकता था।
डेढ़ वर्ष मे ‘उदंत मार्तण्ड’ के 79 अंको का प्रकाशन हुआ,
यह पत्रकारिता क्षेत्र मे ‘मील का पत्थर’ साबित हुआ।
‘उदंत मार्तण्ड’ के कारण पण्डित युगुल किशोर शुक्ल याद किये जाते है,
’30 मई’ को हम सब मिलकर ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस’ मनाते है।”
Samajhdaar
November 30, 2019 in शेर-ओ-शायरी
समझदार
जब से अपनी नज़र मे बेहिसाब-सा मैं लापरवाह हो गया हूँ,
सबको लगता है कि अब मै बहुत समझदार-सा हो गया हूँ।।
Pichhe kya hatna
November 30, 2019 in Other
पीछे क्या हटना?
मंच भी बदल जायेंगे,किरदार भी बदल जायेंगे,
वक्त के साथ चलते रहो,मंजर भी बदल जायेंगे।
हमेशा अपनी हिम्मत और हुनर पर भरोसा रखना,
जो ठीक लगे दिल को वही काम जूनून से करना।
हाथ की लकीरें का क्या?बनती है और बिगड़ जाती है,
कर्म हो अच्छे तो भाग्य भी खुद ही सुधर जाती है।
बेफिक्र होकर हमेशा बुलंदियों पर निगाह रखना,
उठ गये जो कदम तो अब पीछे क्या हटना।।
Kadar kar lo
November 30, 2019 in गीत
कदर कर लो यारो
“ईश्वर ने जो दिया है उसकी कदर कर लो यारो,
सम्भाल लो जिन्दगी इसकी फिकर कर लो यारो।
सबको सब कुछ नही मिलता पर कुछ तो सोचो,
तुमको जो मिला वो बहुतों को नसीब नही होता।
कभी खुशी कभी गम तो आते रहते है जिन्दगी मे,
पर खुद को हर हालात मे सम्भाले रखना यारो।
कभी भूल से भी मुकद्दर को कोई दोष मत देना,
क्योंकि सभी खाली हाथ यहाँ आते है दोस्तों।
मेहनत से भी किस्मत की लकीरें बदलती है यहाँ,
इसलिये अपने हुनर को आजमाना तुम दोस्तो।
बुराई का रास्ता गलती से भी न अपनाना यारो।
क्योंकि सिकन्दर भी खाली हाथ जाते है दोस्तो।।”
मेरी मेहनत
November 29, 2019 in गीत
मेहनतकश औरत
खुशियाँ किसी तख्तोताज की मोहताज़ नही होती,
धन दौलत ही खुशियों का प्रतिमान नही होती।
होठों पर मुस्कान गरीब के भी सज सकती है,
खुशियाँ सिर्फ अमीरो की जागीर नही होती।
मेहनतकश औरत के चेहरे पर पसीना भी जंचता है,
खूबसूरती सिर्फ पाउडर और लिपिस्टिक मे नही होती।
सुनहरे ख्वाबों के समन्दर बसते है चमकीली आँखो मे,
बह न जाये इसी डर से बेवक़्त इनसे बरसात नही होती।
पसीने की बूंदे सजती है ललाट की लालिमा बनकर,
माथे की बिन्दिया ही केवल सच्चा श्रृंगार नही होती।
खुशियाँ किसी तख्तोताज की मोहताज नही होती।।
Attitude
November 28, 2019 in शेर-ओ-शायरी
मै भीड़ मे नही हूँ शामिल,मेरा जिन्दगी जीने का अन्दाज़ निराला है।
मुझे दुनिया के दिखावे से कही ज्यादा अपना ‘ऐटिट्यूड’ प्यारा है।।
Kayamat
November 28, 2019 in शेर-ओ-शायरी
सूरज की किरणे भी सुबह-सुबह कयामत ढ़ा रही है,
पूछ रही है,कैसे है वो?जिनकी तुम्हे याद आ रही है।
Kismat
November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी
हाथ की लकीरों का क्या?बनती है और बिगड़ जाती है।
भरोसा मेहनत पर रखो, किस्मत खुद ही सुधर जाती है।।
Behisab
November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी
हुनर रखता हूँ दर्द-ए-दिल छिपाने का पर मेरे अरमान मचल रहे है,
मेरे अश्क़ो पर बारिश की बूंदे भी अब तो बेअसर से दिख रहे है।
उनसे मिलने को अब तो हम उन्ही से फरियाद कर रहे है।
देखो!अब तो खतरे के निशान के ऊपर मेरे जज्बात बह रहे है।।
Samjhdaar
November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी
जब से अपनी नज़र
मे बेहिसाब-सा
मैं लापरवाह हो गया हूँ,
सबको लगता है कि अब
मै बहुत समझदार-सा
हो गया हूँ।।
माई का लाल
November 26, 2019 in गीत
” देशहित में जो प्राण हते, वही माई का लाल हैं।
सीमा पर करे सुरक्षा,जागे दिन हर रात है।
उन सपूतो को वन्दन करता,मेरा देश महान है।
उन्ही के कारण हम है सुरक्षित, उन्ही से अपना मान है।
सर्दी,गर्मी ,बारिश में भी वो हमेशा तैनात है।
और हर हाल दुश्मन को देता मात है।
उन रण बांकुरों को “अभिषेक” दिल से करता सम्मान है।
उन्ही से पावन धरा का पल पल बढ़ता मान हैं। ”
शिक्षा
November 26, 2019 in Other
“शिक्षा ही जीवन का आधार है,
इसके बिना जीवन निराधार है।
शिक्षा ही जिन्दगी का सच्चा अर्थ बताती हैं,
सत्य और अनंत उन्नति का मार्ग बताती है।
शिक्षक नित नवीन सबक सिखाते है,
सब को स्वाभिमान से जीना सिखाते है।
बिन पढ़े लिखे लोग पशु समान होते है,
जो न पढ़ाये अपने बच्चे वो मातु पिता दुश्मन समान होते हैं।
जिंदगी में शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए।
‘खूब पढ़े खूब बढ़े” ये जीवन का मूलमंत्र होना चाहिए।।”
नेताजी
November 26, 2019 in Other
मेरे देश के नेताओं का अजीब हाल हो गया,
गरीबो के लिए लड़ते लड़ते वो मालामाल हो गया।
चुनाव में हाथ जोड़कर घर घर जाता हैं,
हर किया वादा निभाने की कसम खाता है।
चुनाव जीतने पर वो खुशियां मनाता हैं,
फिर सबको जाति धर्म के नाम पर लड़ाता है।
किये गए सारे वादे वो पल में भूल जाता है,
नेताजी का दर्शन भी दुर्लभ हो जाता है।
हमारे देश मे पचपन का भी युवा नेता कहलाता है,
देश का युवा पढ़ लिखकर भी
बेरोजगार रह जाता है।
अनपढ़ बन नेता अपना काम चलाता हैं,
अधिकारियों पर भी खूब रौब जामाता हैं।
दिन रात वो दौलत शोहरत कमाता है,
पांच साल बाद उसे जनता का होश आता है।।
Dosti
November 26, 2019 in गीत
“रिश्तो में छाँव सा है दोस्ती का मान,
इससे मिलता है हर पल अभिमान।
मित्र हर परिस्थिति में बढ़ाता है हाथ,
कर्ण ने दिया समर में दुर्योधन का साथ।
श्रीकृष्ण ने सुदामा संग मित्रता निभाई,
क्षण भर में ही दरिद्रता मिटाई।
हजारो की भीड़ में कोई ऐसा होना चाहिए,
जो आपको समझे और आप सा होना चाहिए।
दोस्ती की परिभाषा श्रीकृष्ण व कर्ण ने समझाई,
सम्पूर्ण विश्व को इस रिश्ते की सच्चाई समझाई।
मित्र हो श्रीकृष्ण व कर्ण समान,
इन्ही से बढ़ता है मित्रता का मान।।”
सामाजिक हत्या
November 25, 2019 in Other
जिसने तुमको जन्म दिया,जिसने तुमको प्यार से पाला,
बेशर्म!तूने उनको अपने कुकर्मो से कलंकित कर डाला।
प्यार किया था,प्रेम विवाह भी तुम कर लेती,
चुपचाप खुशी से अपने पति संग रह लेती।
तुमने तो अपने पिता की सामाजिक हत्या कर दी,
सरे बाज़ार उनकी इज्जत ही नीलाम कर दी।
दुनिया के आगे घड़ियाली आंसू तुम बहाती हो,
पिता से है जान का खतरा यह सबसे बताती हो।
वो तुम्हे क्या मारेगा,जिसे जीते जी तुमने मार दिया,
अपने कुल की मर्यादा को कालिख से तुमने पोत दिया।
तू!अपने माँ-बाप की न हुई,पति की क्या हो पायेगी!
दुनिया होगी साक्षी एक दिन तू दर-दर ठोकर खायेगी।
मेरा अंदाज
November 25, 2019 in शेर-ओ-शायरी
मै भीड़ मे नही हूँ शामिल,मेरा जिन्दगी जीने का अन्दाज़ निराला है।
मुझे दुनिया के दिखावे से कही ज्यादा अपना ‘ऐटिट्यूड’ प्यारा है।।
आओ सीखे
November 25, 2019 in गीत
प्यारे बच्चों,प्यारे बच्चों आओ मेरे पास,
दूर वहाँ क्यो बैठो हो तुम हो क्यो इतने उदास?
आओ मिलकर पाठ पढ़े कुछ सीखे नयी बात,
मिल जुलकर हम साथ रहे और मन में हो विश्वास।
प्यारे बच्चो…..
सुबह उठो जल्दी से तुम और बोलो सबको शुभ प्रभात,
बस्ता लेकर स्कूल चलो तुम सब ले हाथों मे हाथ।
प्यारे बच्चों…..
नित्य कर ईश्वर की प्रार्थना कर्त्तव्य मार्ग पर डटे रहो,
कोई भी कठिनाई आये पर तुम पीछे न कभी हटो।
प्यारे बच्चों……
पढ़ लिखकर रोज ही सीखो अच्छी-अच्छी बात,
जीवन मे खूब आगे बढ़ो तुम सच्चाई के साथ।
प्यारे बच्चों,प्यारे बच्चों आओ मेरे पास,
दूर वहाँ क्यो बैठो हो तुम हो क्यो इतने उदास?
किस्मत
November 25, 2019 in शेर-ओ-शायरी
हाथ की लकीरों का क्या?बनती है और बिगड़ जाती है।
भरोसा मेहनत पर रखो, किस्मत खुद ही सुधर जाती है।।
लोग कहते हैं
November 25, 2019 in Other
लोग कहते हैं मत पिया
करो आदत
खराब है
मै कहता हूँ
इस दुनियाँ
में सबसे अच्छी
शराब है।
याद आ जाते हैं
November 25, 2019 in शेर-ओ-शायरी
याद आ जाते है अक्सर
सितम वो भी
जो हमे देख
मुस्कुराते थे
आज वो हमसे
मुहं छुपाते हैं ।