अपनी धुन में मगन मजदूर

December 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ठंड में ठिठुरता जाता है,
कोई शिकवा भी ना कर पाता है
उसका ना कोई ठौर-ठिकाना,
दूजे का भवन बनाता है
ठक-ठक, खट-खट की आवाजों में ही,
पूरा दिवस बिताता है
ना निज का कोई ठौर-ठिकाना
मालिक का भवन बनाता है
घर में चूल्हा जले दो वक्त,
वो अपना खून जलाता है
अपना ना कोई ठौर-ठिकाना
दूजे का भवन बनाता है
रात की बात मत पूछो साहिब
आग जलाकर दिन भर की थकन मिटाता है
खुद का ना कोई ठौर-ठिकाना,
दूजे का भवन बनाता है
सुबह-सुबह फिर वही मजूरी,
करने को वह जाता है
खुद की एक छोटी सी झुग्गी,
किसी और का भवन बनाता है
आज चोट लग गई बांह पर,
पर यहां किसी को किसी की परवाह कहां
बस एक चाय, बीड़ी पी कर ही
फिर काम पर लग जाता है
बीड़ी कितना नुकसान करे देह को,
कौन इसे समझाता है
अपनी ही धुन में मगन मजदूर वो,
बस काम ही करता जाता है
_____✍️गीता

*आ जाना प्रीतम*

December 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दूर क्षितिज में जब दिन ढल जाए,
नभ पे थोड़ी लाली छाए
पंछी भी अपने बसेरे में आएं
ठंडी-ठंडी चले हवाएं,
चांद-सितारे भी आ जाएं
एक आस का दीपक जलाऊंगी
तब तुम भी आ जाना प्रीतम,
मेरे मन का तिमिर भगाना प्रीतम
____✍️गीता

अटल-जयंती

December 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं,
कर्तव्य पथ पर जो मिला
यह भी सही वह भी सही,
वरदान नहीं मांगूंगा,
हो कुछ भी पर हार नहीं मानूंगा”
अटल बिहारी वाजपेई जी की कविता की कुछ पंक्तियां
25 दिसंबर 1924 को,
अटल बिहारी वाजपेई जी का,
ग्वालियर में, ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ
आज है उनकी जन्म-जयंती
पिता, कृष्ण बिहारी वाजपेई जी,
कवि और अध्यापक थे,
माता कृष्णा देवी कुशल गृहिणी
बहुत जीवंत व्यक्ति थे अटल,
नाम के अनुरूप ही रहे सदा अटल
उनकी समाधि का नाम भी है “सदैव अटल”
राजनीति के शिखर पुरुष थे,
तीन बार बने भारत के प्रधानमंत्री
13 दिन के लिए 1996 में
13 महीने के लिए 1988 से 1999 तक
फिर 1999 से 2004 तक
शासन नहीं किया,..किया सुशासन
उनके कार्यों को है शत्-शत् नमन
देश को अभूतपूर्व ऊंचाइयों के,
शिखर तक पहुंचाया
1998 में राजस्थान के,
पोखरण में परमाणु परीक्षण कर,
दुनिया को चौंकाया
अमेरिका पाकिस्तान समेत कई देश
रह गए दंग , उन्हें कुछ समझ ना आया
ऐसे थे हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल
16 अगस्त 2018 को हो गया उनका निधन
कवि अटल जी को मेरा कोटिश: नमन
“मौत से ठन गई “लिखी निधन से कुछ दिन पूर्व..
“जूझने का मेरा इरादा ना था,
मोड पर मिलेंगे ये वादा ना था
मैं जी भर जिया मैं मन से मरूं,
लौट कर आऊंगा कूच से क्यूं डरूं
दबे पांव चोरी-छिपे ना आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा”
कवि और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की
जयंती पर उनको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम
______✍️गीता

गीता जयंती

December 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दु पंचांग के अनुसार,
आज मार्गशीर्ष मास की,
शुक्ल पक्ष की एकादशी है
दिन है शुक्रवार
मार्गशीर्ष मास की,
शुक्ल पक्ष की एकादशी को
पवित्र ग्रंथ भगवत्-गीता की,
मनाई जाए जयंती
जिसको कहते हैं गीता जयंती
ब्रह्म-पुराण के अनुसार,
द्वापर युग में आज के दिन
कलयुग से मात्र तीस वर्ष पूर्व,
मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को,
श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया
सब लोगों को ये संदेश दिया,
कर्म किए जा ए इन्सान,
फल की चिंता मत करना
फल तो देगा ही भगवान
महाभारत के दौरान,
अर्जुन के मन में उत्पन्न हुए थे जो भ्रम-भाव,
उनका करने समाधान
कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था,
अर्जुन की दुविधा को दूर किया था
आज के दिन भगवत्-गीता का उद्भव हुआ,
कान्हा जी ने ये उपदेश दिया
शरीर अस्थाई है आत्मा है स्थाई,
आत्मा अजर है आत्मा अमर है
शरीर बदले जैसे परिधान,
आत्मा भी बदले परिधान
तन केवल आत्मा का परिधान है
तेरा कर्म ही तेरा स्वाभिमान है
सत्-कर्मों की तरफ अग्रसर करें गीता का ज्ञान,
कर्मों से ही है मानव तेरा सम्मान
______✍️गीता

पिकनिक

December 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

***** हास्य रचना*****
************************
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी,
वर्ष के अंतिम दिनों में ही सही
बच्चों की पिकनिक का कार्यक्रम बनाया है
आप सोच रहे होंगे,
ऐसे माहौल में ??
हमने सोचा………..
आखिर बच्चे ही तो हैं,
भूल गए अपना स्कूल
उन्हें याद दिलवाने को
पिकनिक मनाने,
स्कूल बुलवाया है
____✍️गीता

क्रिसमस दिवस

December 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

25 दिसंबर रात 12:00 बजे,
ईसा मसीह का जन्म दिवस है
25 दिसंबर है आज क्रिसमस दिवस है
मान्यता है कि…..
सांता क्लॉज़ आता है,
बच्चों के लिए उपहार लाता है
क्रिसमस ट्री सजाते हैं
एक तारा ऊंची डाली पर लगाते हैं
सब मिल-जुल कर गाते हैं,
सब मिल-जुल कर खाते हैं
लेकिन कोरोना काल में,
व्याधि के इस हाल में
उद्यान भोज तो ना हो सकेगा,
जो भी है घर में ही पकेगा
पहनेंगे सब नए परिधान
ख़ूब धूमधाम से मनेगा त्यौहार
गिरे बर्फ🌨️ की ठंडी बौछार,
🎅 सांता लाएगा उपहार
____✍️गीता

शबरी की प्रतीक्षा

December 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कई वर्षों की प्रतीक्षा के बाद,
जब शबरी के आश्रम आए श्री राम
शबरी ने कहा श्रीराम से,
आए हो तुम तो निज काम से
रावण का वध ना करना होता
तो तुम इस वन में क्यूं आते बेटा
राम हुए गंभीर फिर कहा,
रावण का वध तो बहाना ही था,
आपके पास तो आना ही था
ताकि भविष्य स्मरण रख सके,
कि प्रतीक्षाएं होती हैं पूरी
समाज के किसी भी व्यक्ति की,
कोई इच्छा रहे ना अधूरी
राम-राज्य को है ये जरूरी
यह सुनकर शबरी की आंखों में,
भर आया स्नेह का जल
बोली बेर खाओगे राम,
मुस्कुराकर हां भरी प्रभु ने
और बेर खाने लगे श्री राम
_____✍️गीता

*इंटरनेट बंद हो जाए तो*…

December 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोचो कुछ दिन के लिए
इंटरनेट बंद हो जाए तो..
क्या करेंगे हम क्या करोगे तुम,
कविता प्रकाशित नहीं कर पाएंगे सावन पर हम
घर के कामों में ही उलझा रहेगा तन
लेकिन फिर भी मोबाइल में ही लगा रहेगा मन
बार-बार करेंगे चैक इंटरनेट आया कि नहीं,
फिर सोचेंगे किस तरह दिन बीतेंगे यूं ही
हां, थोड़ी सी छुट्टी मिल जाएगी ऑनलाइन काम से,
हम भी सो पाएंगे थोड़ा आराम से
आराम तो मिल जाएगा,
पर मनोरंजन दिखा जाएगा पीठ,
ना हो पाएगी फ़िर कोई गूगल मीट
हां, मन नहीं लगेगा सावन के बिन,
आप सभी को याद करके बीतेंगे दिन
खाली समय में कुछ वीडियोज़ बनाएंगे,
हां ये बात है कि उन्हें शेयर नहीं कर पाएंगे
फेसबुक व्हाट्सएप से भी टूट जाएगा नाता,
ना मिलेगा यूट्यूब पर कोई गीत गाता
अच्छा सा खाना बनाएंगे ताकि ना हों बोर,
लेकिन अंदर से दिल मांगेगा कुछ मोर…
…… लेकिन यह कोरी कल्पना थी मेरी,
हकीकत में ऐसा कभी कुछ ना होगा
तो बिंदास मुस्कुराओ क्या ग़म है,
ज़िन्दगी में किसकी तनाव कम है…
______✍️गीता
.

*मिलन*

December 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

*****कल रात*****
शनि का बृहस्पति से हुआ मिलन,
चार सौ वर्षों के बाद,
दो दोस्तों की दूरी मिटी,
दोनों ने किया आलिंगन
चार सौ वर्षों के बाद
ख़ुश हो रहे हैं तारे सभी,
ख़ुश हो रहा है गगन
चार सौ वर्षों के बाद
मन में प्रेम हो तो होता है मिलन,
फ़िर मिलन हो भले ही,
चार सौ वर्षों के बाद
अर्धचंद्र चमक रहे हैं,
नभ की छटा निराली है
अद्भुत दिख रहा है गगन,
चार सौ वर्षों के बाद
1623 में मिले थे,
मिल रहे हैं अभी
फ़िर मिलेंगे कह कर गए हैं,
ना जाने मिलेंगे अब कभी
शनि-बृहस्पति की इतनी करीबी,
है शुभ समाज के लिए
शुभ घड़ी देखो चली आई,
चार सौ वर्षों के बाद
दोनों ग्रहों को साथ-साथ है नमन,
चार सौ वर्षों के बाद
_____✍️गीता

मेरी दुआ

December 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हारे अधरों से छू कर,
मेरे गीतों का सम्मान हुआ
तुम पंख पसारे उड़ो नील गगन में,
दिल से निकली है यह दुआ
तुम्हें यह सारा जग जाने,
तुम्हारा सब लोहा मानें
जो तुम चाहो वो सब मिले,
रब चाहो तो रब मिले
सारी खुशियां हो तुम्हारे द्वार,
कर जाओ तुम ये बेड़ा पार
_____✍️गीता

*मंज़िल की ओर*

December 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब कदम उठे मंज़िल की ओर,
महकने लगी दिशाएं चहुं ओर
आशीष मिले हैं अपनों से,
कानों में गूंजा विजय श्री का शोर
वर्षों की मेहनत रंग लाई,
उल्लास के क्षण संग लाई
अब ना रुकना राही,
होने वाली है मन चाही
प्रभु का भी तेरे सिर हाथ है,
फ़िर डरने वाली क्या बात है
_______✍️गीता

*बीते पल*

December 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बीते पल क्यूं करें विकल,
ये पल तो एक धरोहर हैं
उन हसीन यादों को,
राही दिल में लेकर चल
फिर बीते पल ना करें विकल
पायल सी झंकार करे मन,
हर्षित हो हम रहें प्रसन्न
प्रभु की दी हुई नेमत को,
हाथ जोड़कर है नमन
_____✍️गीता

रजाई की महिमा

December 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

**हास्य रचना**
***********************
सुबह-सुबह उठो नहीं,
रजाई में पड़े रहो
सूर्य की लाली हो
या पापा की गाली हो,
तुम निडर उठो नहीं,
तुम निडर डटो वहीं
बेशर्म बन के अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
बहुत ज्यादा ठंड है,
ये ठंड बड़ी प्रचंड है
हवा भी चल रही,
धूप नहीं निकल रही
कोहरे की दस्तक द्वार पर,
और भी खल रही
बहुत ठंडा जल है,
ठंड बढ़ रही प्रतिपल है
माननी नहीं है हार,
पड़ ना जाओ तुम बीमार
चाय का अनुरोध हो,
कोई उठाए उसका विरोध हो
प्रातः हो या रात हो,
बस, रजाई में पड़े रहो
______✍️ गीता

गीतों का गुलदस्ता

December 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज कोई गीत नहीं है,
गीता के, गीतों के गुलदस्ते में
रीता है गुलदस्ता मेरा,
रीता ही लेकर आई हूं
कुछ अपने मन की कहने,
कुछ आपके मन की सुनने आई हूं
आज जल बहुत ठंडा था,
गरम आंसुओं से मुंह धो कर आई हूं
लेकिन आपके सम्मुख,
मैं उसी मुस्कान में आई हूं
आज तो केवल ख़ामोशी है,
ख़ामोशी ही पढ़ लेना
आज कोई गीत नहीं है,
रीता गुलदस्ता लाई हूं
_______✍️गीता

कभी-कभी

December 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी-कभी,
छोटी-छोटी खुशियां भी
दे जाती उल्लास के पल
कभी कभी छोटे-छोटे दुख भी,
कर जाते दिल को घायल
क्या छोटा है क्या बड़ा
ये हम ही तो तय करते हैं
कभी किसी की एक छोटी सी बात,
दे जाती खुशियों की सौगात
और कभी किसी का कुछ ना कहना ही,
दे जाता दिल को आघात
ये निर्भर करता है हम पर
हम किसको कितना चाहें,
और कोई हमें कितना चाहे
कभी-कभी ऐसा होता है
कोई ना जाने…
कभी-कभी कैसा होता है
____✍️गीता

*विजय दिवस*

December 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज विजय दिवस है
1971 में भारत-पाक युद्ध में,
भारत को मिली जीत का उत्सव है
आज विजय दिवस है
राष्ट्रीय समर-स्मारक पर,
अखंड ज्योति जलती है दिल्ली में,
उसी ज्योति से अग्नि लेकर,
प्रज्वलित करी चार मशाल
उन्हें लेकर जाया जाएगा
परमवीर और महावीर चक्र पाने वालों के गांव
इस तरह किया जाएगा योद्धाओं का सम्मान
16 दिसंबर का दिवस है,
सुनो आज विजय दिवस है
1971 के युद्ध-स्थलों की मिट्टी को,
राष्ट्रीय समर-स्मारक पर अर्पित करने को
दिल्ली लाया जाएगा
इस तरह देश के वीर शहीदों का,
सम्मान बढ़ाया जाएगा
भारत के प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री
जल थल और वायु सेना के प्रमुख
आए नमन करने शहीदों को,
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के सम्मुख
वतन के उन शहीदों को,
हाथ जोड़कर मेरा भी नमन
16 दिसंबर का दिवस है,
सुनो, आज विजय दिवस है
______✍️गीता

बर्फ के फाहे

December 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बर्फ के फ़ाहे गिरे सारी रात,
चिपके रहे टहनियों के साथ
सूर्य-रश्मि का मिलते ही ताप,
मोती बन बूंद-बूंद बिखर गए,
हिम के दूधिया से श्वेत कण
धूप में और भी निखर गए
कांप रहा है ठंड से सारा शहर,
बढ़ता ही जा रहा है ठंड का कहर
हिम की ऐसी हुई बरसात,
बर्फ के फ़ाहे गिरे सारी रात..
_______✍️गीता

सखी

December 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐसी क्या बात है सखी,
क्या हो तुम मुझसे नाराज सखी
करके चुनरी का ओला सखी,
क्यूं कर दिया अबोला सखी
ना कोई संदेश ना दूरभाष सखी,
आती है तेरी बहुत याद सखी
क्या मुझसे हुई कोई भूल सखी,
तेरा अबोला दे हृदय में शूल सखी
______✍️गीता

गीत

December 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो मुझसे यूं बोले,
तुम बहुत प्यारी हो
तुम सबसे न्यारी हो
कभी-कभी कलेजा जलाती हो,
फिर भी मुझे बहुत भाती हो
लिखती रहती हो कविताएं तुम,
इतना सब कैसे कर पाती हो
कभी-कभी क्रोधित होती हो,
कभी बरसाती हो नेह मुझ पर
कभी बात करती हो प्यार से,
कभी-कभी बहुत सताती हो
गीता हो तुम गीत गाती जाती हो
_____✍️गीता

*टूटा तारा*

December 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

टूटे तारे के बारे में,
किसने कब सोचा है
उससे मांगे सब दुआ,
यह ना पूछे कोई भी
बता तेरे संग क्या हुआ
क्या कोई तेरा साथी छूटा,
तारे क्यूं तेरा दिल टूटा
वह टूटा, टूटता ही गया
बिछड़ गया अम्बर से सारे,
रोने लगे फिर बाकी तारे
अगर उसके टूटने पर,
अम्बर से छूटने पर
रोक लेते वहीं पर उसको,
देते थोड़ा सा प्यार
तो आज वो भी चम-चम चमकता,
बीच उनके रहकर दमकता
_____✍️गीता

मैं हूं किसान

December 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं हूं किसान,
आप सा ही एक इन्सान
मेहनत से अपनी,
बीज बोता हूं ज़मीं में,
सींचता रहता हूं पौधे
अपनी आंखों की नमी से
देखी है बागों की बहारें,
मेहनत से हम कभी ना हारे
निज मेहनत का सदा देता ही आया,
बंजर धरती पर फसल उगाया
आज ज़रा सा मांग लिया तो,
क्यूं पेट भरों को गुस्सा आया
मैं झेलूं मौसम की मार,
मुझसे यूं ना खाओ खार
मैं सचमुच ही परेशान हूं,
जी हां मैं किसान हूं….
______✍️गीता

क्या पता कल हो ना हो

December 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या पता इस ज़िन्दगी में,
आज सा कल हो ना हो
क्या पता इस ज़िन्दगी में,
अब जैसा पल हो ना हो
आज सी खुशियां ना हो तो..
आज जैसे ग़म ना हों
आज मिल रहा है जितना,
कल उससे भी कम ना हो
क्या पता……
आज मिल रही रौशनी,
क्या पता कल तम भी ना हो
तो आज को खोना नहीं,
खो दिया तो रोना नहीं
आज अगर तेरा ये बीता,
तेरे हाथ से तो ये रीता
_____✍️गीता

दोस्ती

December 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिना स्वार्थ के दोस्ती,
होती है एक औषधि
जहां स्वार्थ और शर्त है प्यार में,
वो टिकता कहां संसार में
दोस्ती का रिश्ता भी खास है,
दोस्ती केवल दोस्ती ही नहीं,
एक दोस्त का विश्वास है
दोस्ती में प्यार है और प्यार में है दोस्ती
दोस्तों पे अधिकार है,अधिकार में है दोस्ती
________✍️गीता

ये जिंदगी..

December 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सरल नहीं है ये जीवन,
पर कठिन भी नहीं है इसे समझना
जिस तुला पर तौलते हो औरों को तुम,
किसी दिन उसी तुला पर,
स्वयं को भी तौलना
कभी जिंदगी का हंसाना,
कभी पाली गलतफहमियां तो
जिंदगी का यूं रुलाना
कभी सज़ा है ये जिंदगी,
कभी मज़ा है ये जिंदगी
कभी भूल गए ग़म अपने,
कभी देखें हम कई सपने
कभी बिखरती हैं ख्वाहिशें
कभी मिलती मुबारक रौशनी
कभी आंसुओं से भरी हुई ,
कभी सुबह सी निखरी हुई
जिंदगी उलझन भी है,
सुलझाओ तो सुलझन भी है
कभी जल गए किसी के अरमान,
कभी जल बरस के पूरे हुए
कभी तपिश मिले जिंदगी से,
कभी ठंडक का हो एहसास,
कभी गुलशन सी लगे ज़िंदगी,
कभी लगे खुशियों की तलाश
मत जाना गुलशन में कभी,
कांटे है बस अपनापन लिए,
किस-किस को सुनाऊं दिल के अफसाने,
कौन बैठा है फुरसत के क्षण लिए
_____✍️गीता

*अलविदा*

December 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सर्द मौसम में,
अश्क भी जम गए
अल्फाज उनके सुनकर,
मेरे हर पल थम गए
शून्य में घूमने लगा,
मेरा वजूद सारा
ज़रा सी धूप लगी तो,
नैन हमारे नम गए
अजीब था उनका अलविदा कहना,
कुछ कहा भी नहीं कुछ सुना भी नहीं
बस अलविदा कहा और विदा हो गए,
क्या सच में वो हमसे जुदा हो गए..
______✍️गीता

अश्क आंखों में आने लगे हैं

December 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो किसी की बातों में आने लगे हैं,
तभी तो हमसे कतराने लगे हैं
मोहब्बत दिख रही है उनकी आंखों में लेकिन,
ना जाने क्यूं नज़रें चुराने लगे हैं
लौट जाते हैं हमारे दर तक आते-आते,
अश्क हमारी आंखों में आने लगे हैं
मोहब्बत हो जाती है कोई करता नहीं है,
ये जानते हैं फिर भी छुपाने लगे हैं
_____✍️गीता

गीता के उपदेश

December 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पतिदेव हर जगह,
शान दिखाया करते थे
“मैं कुछ सालों से,
गीता के उपदेश पर चल रहा हूं”
यह सब को बताया करते थे
लोग भी उनके आगे,
नतमस्तक हो जाया करते थे
फ़िर एक दिन, बचपन के एक मित्र ने,
असलियत कर दी बयान
बोले बेकार की शान है,
“गीता” इनकी पत्नी का नाम है
________✍️गीता

*मम्मी आई लव यू*

December 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्यार की बदलती परिभाषा
**************************
5 साल का बेटा बोले,
मम्मी आई लव यू,
मम्मी भी उत्तर में बोले
बेटा, लव यू टू……
15 साल का बेटा बोले,
मम्मी आई लव यू,
मम्मी बोली, बेटा कितने पैसे दूं
25 साल का बेटा बोले,
मम्मी आई लव यू
मम्मी बोली….
उस लड़की का नाम बता तू,
करती क्या है काम बता तू
40 साल का बेटा बोले,
मम्मी आई लव यू
मम्मी बोली, लव यू..
पर किसी कागज पर साइन ना करूं
______✍️गीता

वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था

December 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गीतों में अपने जज्बात लिखा करता था,
गीतों में मुझसे बात किया करता था
हाथों में लेकर मेरा हाथ,
घंटों चलता रहता मेरे साथ
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
मैं लिखती थी,
वो बहुत अच्छा गाया करता था
मेरा लिखा मुझको ही सुनाया करता था,
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
जब भी होती थी उदास,
कोशिश करता था हंसाने की
दूर जाती थी….
तो बातें करता था पास आने की,
खत भेजकर मुझको बुलाया करता था,
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
आंखों में अश्क आते थे जब मेरे,
बातें होती थी बिछड़ जाने की
मेरे होठों पर रखकर हाथ अपना,
मुस्कुराने की बात किया करता था
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
फरमाइश करता था सदा मुस्कुराने की,
बातें करता था चांद-तारे तोड़ लाने की
मुझे दुनिया घुमाने की बात किया करता था,
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
जब पायल बजती थी मेरे छम छम छम छम
उसके घुंघरू करते थे रुनझुन-रुनझुन
मुझे छम्मक छल्लो कहकर बुलाया करता था,
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
खिल उठती थी उसको देखकर मैं गुलाब सी,
मुझे गुलाब भेंट किया करता था
वो लड़का मुझे बहुत मोहब्बत किया करता था
________✍️गीता

सुख-दुख जीवन का हिस्सा

December 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुख -दुख जीवन का हिस्सा है,
ये तो ज़िन्दगी भर का किस्सा है
निराशा का भाव दे सुख की घड़ी,
आशा का संचार करें, एक नज़र तारीफ भरी
सुख देकर ही सुख मिलता है,
दुख देकर ना कोई सुखी
बारी-बारी जीवन में सुख-दुख आएंगे
नहीं आए तो हम अनुभव कहां से लाएंगे
रोते-रोते भेजा प्रभु ने,
कुछ तो इसका कारण होगा
आगाह किया था शायद हमें,
इतना भी अच्छा ना जीवन होगा
मीठी यादों से मीठी बातों से,
जीवन को सुखी बनाना है
सदा प्रेम से रहना मानव,
सुख-दुख तो आना जाना है ।।
______✍️गीता

*दिल की धड़कन*

December 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आंसुओं को अमृत समझ के पी गए हम,
तुम्हारी जुदाई में इस तरह जी गए हम
तुम्हारे आने की आस पलती रही,
तुम्हारी कमी सदा खलती रही
कभी मन का मकरंद उड़ा,
कभी दिल की कली चटकती रही
किया था बहुत इंतजार, तुम आए..
दिल की धड़कन बढ़ गई,
बिजलियां सी गिर गईं
और, फिजां में खुशबुएं बिखरती रहीं..
_____✍️गीता

बहुत सुहानी सर्दी आई

December 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सर्दी ने शीतलहर का थामा हाथ,
सुहाने लगा कंबल का साथ
दिन में भी धुंध है छाई,
सूरज भी नहीं दे दिखाई
अदरक वाली चाय सुहाए,
गरम परांठे मन को भाएं
आइसक्रीम से टूटा नाता,
गाजर का हलवा है भाता
पालक मेथी सरसों लाई,
बहुत सुहानी सर्दी आई
दिन भी जल्दी छिप जाता है,
सूरज कम ही गरमाता है
प्रात: जल्दी उठना भी चाहो,
उठने देती नहीं रजाई
कोहरा और ठंडा जल लेकर,
बादल संग सर्दी है आई ।।
_____✍️गीता

निर्धन की सर्दी

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुबह सवेरे द्वार पे मेरे,
एक निर्धन ने पुकारा
एक बालक था गोद में उसकी,
ठंड से कांप रहा बेचारा
मैंने झटपट एक स्वेटर लाया
और उस बालक को पहनाया
करुण भाव उपजा था मन में,
एक कंबल भी उसे ओढ़ाया
निर्धन की सर्दी बड़ी कठिन है,
सर्दी से निर्धन है हारा
गर तुम्हें क्षमता हो तो,
देना किसी निर्धन को सहारा ।।
______✍️गीता

छांव

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर तरुवर दे केवल फल,
यह ज़रूरी नहीं ज़िन्दगी में
किसी वृक्ष की छाया भी,
सुकून बहुत देती ज़िन्दगी में
जिसने झेली हो तपिश ज़िन्दगी की,
वही सुकूं का सुख जानते हैं
जिनकी फल पर ही रहती निगाहें,
छांव के मायने नहीं मानते हैं ।।

_______✍️गीता

आ अब लौट चलें

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जल जाती हूं ज्वाला सी,
जब अरमान मेरे जलते हैं
लेकिन तुम्हारी नेह-वर्षा से,
वो धीरे-धीरे फलते हैं
मीठे-मीठे बोल बोल कर,
दुनिया वाले छलते हैं
लेकिन तुम्हारी नेह-वर्षा से,
वो जख्म भी ढ़लते हैं
कुछ अच्छा कर पाएं कभी तो,
दुनिया की नज़रों में खलते हैं
लेकिन तुम्हारी नेह-वर्षा से,
अरमान मेरे पलते हैं
जी ना करें इस जहां में
जीने का जहां लोग छलते हैं
आ अब लौट चलें कहीं पर,
यहां से अब चलते हैं

_____✍️गीता

*परिवर्तन”

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

परिवर्तन तो तय है
उससे क्या भय है
प्रतीक्षा कर,
किसी का दिल बदलेगा अगर,
तो किसी के दिन भी बदलेंगे

*****✍️गीता

*एक था राजा एक थी रानी*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक था राजा एक थी रानी
सुनो सुनाऊं एक कहानी
खुशी खुशी दोनों रहते थे
गीत खुशी के गाते थे
प्यार बहुत था दोनों में
एक दूजे पर जान लुटाते थे
फिर एक दिन आया तूफान
बहुत बरसा था उस दिन पानी
बिजली गिरी महल के ऊपर
बहुत हुई राज्य की हानि
टूट गए थे दोनों के दिल
सुनकर आया आंख में पानी
एक था राजा एक थी रानी
टूटे दिल और खत्म कहानी

*****✍️गीता

*मंज़िल*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दीप तले अंधेरा है
निशा के बाद सवेरा है
ना डर देखकर मुश्किल
मंज़िल को तेरा इंतजार है

*****✍️गीता

बेटी हुई पराई

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेटी हुई पराई देखो बेटी हुई पराई,
यह कैसी ऋतु आई देखो बेटी हुई पराई
मेरे आंगन के पौधे की डाली
बड़ी ही नाजुक नाजुक सी
वह थोड़ी नखरेवाली,
मेरे आंगन में जब वह आई
मुझे लगी बहुत ही प्यारी
मेरे मन को बहुत सुहाई
आज विदाई की इस बेला में,
देखो आंख मेरी भर आई
मेरी आंखों से मोती बरसे
ये मोती मैं तुझ पर वारूं,
आजा तेरी नजर उतारूं
बेटी जो चाहे सो ले जा
पर एक चीज मुझे भी दे जा,
यही छोड़ जा अपने नखरे
कहीं किसी को ये ना अखरें
नखरे छोड़ के जब तू जाएगी
देख तू कितना सुख पाएगी
मेरी है बस यही दुआएं
तू जहां भी जाए खुशियां पाए
तू जहां भी जाए खुशियां पाए

*****✍️गीता

*किस्मत*

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

किस्मत से ही बनते हैं,
दिलों के रिश्ते
वरना चंद मुलाकातों से,
कहां रिश्ते बना करते हैं..

*****✍️गीता

*दुआएं*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चलने की कोशिश तो करो,
मंजिल भी मिलेगी
राहों में मुश्किल है तो,
मुश्किल भी हटेगी
अंधियारे से ना डरना,
दुआओं से पथ तेरा रौशन रहेगा

*****✍️गीता

“सपने”

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछ ख्वाब भी झूठे हैं,
और ख्वाहिशें भी अधूरी हैं
पर खुश रहने के लिए,
कुछ सपने भी जरूरी हैं

*****✍️गीता

*दोस्ती एक दुआ सी*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्ती एक बूंद सुधा सी
दोस्ती लगे खुदा सी,
दोस्ती है एक दुआ सी
दोस्ती तिमिर में रौशनी,
दोस्ती उजाले की प्रभा सी

*****✍️गीता

शहादत को नमन

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

शत्रु को तोड़ कर लेटा,
तिरंगा ओढ़ कर बेटा
भारत मां की हर मां का ,
सीना फटता जाता है
जब किसी का लाल तिरंगा ,
ओढ़ के आता है
बूढ़े बाप ने देखा जब,
तो आंखों से आंसू निकल गए
बोला मेरी लाठी टूटी,
कैसे अब जिया जाए
दो मासूम पूछे मां से,
पापा क्यों खामोश से हैं
हमें पुकारते भी नहीं है,
नींद में क्यों आए हैं
पत्नी का सिंदूर मिटा जब,
मुंह को कलेजा आ गया
बिंदी भी हटा दी उसकी,
कंगन भी उतार दिया
आंखें सबकी हो गई नम,
तिरंगे में लिपट कर जो आए
उनकी शहादत को नमन

*****✍️गीता

*वंदना*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आ गई मैं मंदिर में,
धोकर अपने हाथ पैर
ताकि संग मेरे ना आए,
कोई कपट कोई बैर
घंटा बजाकर सुना मधुर स्वर,
उसकी तरंगों से धार्मिक हुए विचार
धूप दीप नैवेद्य चढ़ाकर,
करूं वंदना हाथ जोड़कर
पहनाऊं पुष्पों का हार,
भावुक हो भगवान को देखा
हो गई अब आनंदित “गीता’

*****✍️गीता

मेरी अभिलाषा

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बच्चों को पढ़ाती हूं
जो कुछ सीखा अपने गुरु से,
उनको भी सिखाती हूं
कामयाब हो भारत के बच्चे,
निश-दिन करती हूं जतन
अच्छी शिक्षा सीखें बच्चे,
संपन्न हो मेरा वतन
यही सोच है यही अभिलाषा,
मेहनत करती हूं लेकर यह आशा

*****✍️गीता

*जय हो कृषक,जय हो किसान*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खेतों से निकलकर,
राजधानी की सड़कों पर
आ गया है किसान
देखो कितना है परेशान
दिल्ली की सर्दी में,
खुद खाना बना रहा
खुले अंबर के नीचे
देखो रात बिता रहा
सड़कों पर बैठा है उदास,
लेकर आया है कुछ आस
तुम डटे रहो, तुम लगे रहो
हो पूरी तेरी हर कामना
क्योंकि शुद्ध है तेरी भावना
सबको अन्न देता,
अन्नदाता तू है महान
देश की मिट्टी की तू शान,
जय हो कृषक,जय हो किसान

*****✍️गीता

*माँ-बाप के चेहरों पर मुस्कान*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना जाना बड़े मकानों पर
ना जाना उनकी मुस्कानों पर,
ना देख झुक जाना चमक सोने की
ना प्रभाव में आना,सुन खनक सिक्कों की,
जहां बुजुर्गों का हो सम्मान
जहां माँ-बाप के चेहरों पर हो मुस्कान,
जान लेना यह घर अमीरों का है
उस घर के लोगों को प्रणाम

*****✍️गीता

*भलाई*

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भलाई करो गर जीवन में,
वह व्यर्थ नहीं जाती है
यह तो बस प्रभु ही जानें,
वह किस रूप में वापस आती है

*****✍️गीता

प्रभु

November 30, 2020 in मुक्तक

जरूरी है मन का झुकना
प्रभु नहीं मिलते हैं,
मात्र सिर झुकाने से..

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