*दीपावली अयोध्या की*

November 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नभ से सुर सब देख रहे थे,
धरा पे कितने दीप जले
“जय श्री राम”, के उद्घोष से,
गूंजी अयोध्या, सरयू के तीरे
लाखों की संख्या दीपों की,
कौन कहे निशा अमावस की
जगमग-जगमग हुई अयोध्या,
नगरी है श्री राम की
ज्योति-पर्व की इस बेला में,
आलोकित हर मन का आंगन
घर-घर दीप जले हिन्द में,
आलोकित हर घर का आंगन
हिन्द हर्षित हो उठा है,
उल्लास की लहर चहुं ओर,
लखन, सिया संग श्री राम पधारे
नृत्य कर उठा मन का मोर
भरत-मिलाप का दृश्य देख कर,
हो उठे सब भाव-विभोर
आज प्रसन्न हैं कौशल्या माई,
राम लखन संग सीता आई

*****✍️गीता

*धनतेरस की बधाई*

November 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

धनतेरस का पर्व है,
सजे हुए बाज़ार,
घर में अपने लाओ
आज नए-नए उपहार
दीपों से सजे हुए हैं,
सबके आज सदन
आपस में गले मिलें,
स्वच्छ करें निज मन
सरस्वती के साथ पूजें,
लक्ष्मी और गणेश
मेधा संग धन आएगा,
तो सुधरेगा परिवेश
मद में मत हो जाना,
मनु, पाकर धन अपार
धन के संग मिले सदा ही,
बुद्धि का उपहार
चांदी की पालकी में,
मां लक्ष्मी आईं
आपको परिवार सहित,
धनतेरस की बधाई..

*****✍️गीता

*अरमानों को पलते देख लिया*

November 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिठाई की दुकान से कुछ दूर,
एक निर्धन बालक को
मैंने कुछ सिक्के गिनते देख लिया
हां, मैंने उस बालक की आंखों में,
एक सपना पलते देख लिया
चाह उसे भी होती होगी,
नए वस्त्र पहनने की
उसकी उसी पुरानी कमीज़ को,
मैंने धोते-सुखाते देख लिया
मैंने पूछा बेटा कुछ लोगे क्या,
वो शरमा कर भाग गया
मैंने उसकी नन्हीं आंखों में,
स्वाभिमान को पलते देख लिया
फ़िर अपनी मां के संग,
उसको मैंने दिए बेचते देखा
मैंने उस बालक के मन के,
अरमानों को पलते देख लिया
हम अपने घरों को
रौशन करने में व्यस्त रहे,
उस निर्धन बालक को
औरों के घरों की चमक देख कर,
ख़ुश होते मैंने देख लिया..

*****✍️गीता

*इन्तजार में*

November 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो दूर तक फैला नीला आसमां,
सांझ हो रही है,अब तो आजा ना
ये लम्हे बिताऊं तुम्हारे साथ,
आजा ना, करते हैं कुछ देर बात
देखती हूं राह, तेरी इंतजार में

*****✍️गीता

“शुभ-दीवाली हो”

November 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दीवाली की धूम मची है,
रौनक है बाजारों में
लेकिन तुम भूल ना जाना,
सुन्दर-सुन्दर दिए बनाए
अपने देश के कुम्हारों ने
दिए मोल ले कर उनसे तुम,
उनका भी पर्व मनवा देना
महीनों मेहनत की होगी,
तब जाकर इतने दीप बने
तुम्हारा घर भी रौशन होगा,
उनके घर भी पर्व मने
उनके भी बच्चे खाएं मिठाई,
उनके मुख पर भी लाली हो
जगमग उनका भी घर चमके,
उनकी भी शुभ-दीवाली हो

*****✍️गीता

प्रदूषण रहित दीवाली

November 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पटाखे नहीं जलाना इस बार,
ये नियम अपनाना इस बार
पवन प्रदूषित हुई हिन्द की,
सांस सुलभ ना आएगी
दीवाली का पर्व दोस्तों,
बस दीपों से रौशन हो इस बार
श्री राम जी के अवध आने का स्वागत,
दीप जलाकर करना है,
मां लक्ष्मी और गणपति का पूजन,
दीपों से रौशन करना है
ना कोई बम,पटाखे फूटें
ना कोई शोर करना इस बार

*****✍️गीता

ठंड में ठिठुरता जीवन

November 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सड़क किनारे बैठ कर,
वो कपड़े सिया करता है
सर्द हवा का झोंका,
उसको भी दर्द दिया करता है
कभी जलाकर आग,
बदन ताप लिया करता है
ये सर्दी का मौसम,
उसको भी संताप दिया करता है
एक पुरानी सी शॉल को,
बदन पर लपेट लिया करता है,
इस कड़कती सर्दी में भी
ज़िन्दगी जिया करता है
बिन स्वेटर के भी,
फुर्ती से काम किया करता है,
ये कोहरा, ये ठंडा मौसम
उसको भी परेशान किया करता है..

*****✍️गीता

*उपहार*

November 10, 2020 in मुक्तक

आपको मिलता है जो,
देखभाल और प्यार
आपके ही व्यक्तित्व को,
हमारी ओर से है उपहार..

*****✍️गीता

*मां की याद*

November 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब भी होती हूं उदास,
बहुत याद आती हो मां
याद आती हैं बचपन की बातें,
मेरे लिए जागती, तुम्हारी रातें
याद आता है….
तुम्हारा नई-नई बातें सिखाना,
कभी गुस्से से डांटकर,
वो चुपके से पुचकारना
बहुत याद आता है मां,
तुम्हारा स्नेह भरा हाथ
तुम्हारी वो मीठी बातें,
तुम्हारे कोमल स्पर्श का एहसास,
बहुत याद आता है मां..

*****✍️गीता

गुज़रे पल..

November 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गुज़रे पलों को याद ना कर,
ख़ुदा से उनकी फ़रियाद ना कर
जो नसीब में है वो होकर रहेगा,
तू कल के लिए…
अपना आज बरबाद ना कर..

*वही एहसास*

November 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

थकान नहीं मुझे,आराम चाहिए
तू दूर नहीं, मेरे पास चाहिए
आंख लग जाए आज जी भर के मेरी,
मां, तेरी गोदी का वही एहसास चाहिए..

*****✍️गीता

*अहोई-अष्टमी के तारे*

November 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बच्चों का मंगल मनाती,
आई अहोई-अष्टमी
चांदी के मनकों की,
मां, मंजुल माला पहनती
मां दिन भर व्रत है करती
चांदी के मोती-मनके पिरोकर
बच्चों की शुभ-कामना करती
हलवा-पूरी का भोग बनाकर,
अहोई माता की हो वन्दना
दीप जलाकर करें कथा,आरती
सुत-सुता हेतु, शुभ-कामना
हर मां की है, यही भावना
आंखों के तारों के शुभ हेतु,
आसमान के तारों को जल देती मां
दीप जलाकर करे आरती,
कितना शगुन मनाती मां
मां, सी कोई और ना होगी,
कितनी प्यारी होती मां ।

*****✍️गीता

*सूर्य-देव का रथ आया*

November 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सात रंग की किरणें लेकर,
सूर्य-देव का रथ आया
सूर्य-रश्मि की सौगात लेकर,
रौशन करता पथ लाया
नई आशाएं लाता है प्रतिदिन,
जीवन कुछ नहीं,आशा के बिन
आशा पर ही दुनियां अडिग है,
ये सुखद संदेशा है लाया
सात रंग की किरणें लेकर,
सूर्य-देव का रथ आया
तम से घबराया,जब जग सारा,
सूर्य-रथ लाया दिवस सुनहरा
लाल,पीली,बैंगनी आदि किरणों से,
फैलाया है उजियारा
नभ की आभा का, सौन्दर्य देखो
उषा-काल की बेला में,
अम्बर पर लालिमा छाई
नई उमंग लेकर आई अंशु,
मानो मेला सा है आया
सात रंग की किरणें लेकर
सूर्य-देव का रथ आया,

*****✍️गीता

*प्रतीक्षा में पिया की*

November 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रात रूपहली रजत छिड़कते,
झिलमिल तारों संग
आ गए चंद्र-किशोर
देख ऐसी छटा अम्बर पर,
किसका मन ना हो विभोर
एकान्त रात्रि, शान्त पवन है,
कुछ शान्त-अशान्त सा,मेरा मन है
रात रूपहली, प्रतीक्षा में पिया की
बैठी थी मैं अकेली
नभ में चांद बादल की,
ओट में आ गया
ऐसा लगा था देख कर,
जैसे वो शरमा गया
कोई अपना मुझे भी,याद आ गया
एक सपना सा खुली आंखों में छा गया..

*****✍️गीता

कोरोना तेरा सितम हो गया

November 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

महफ़िलों से डरने लगे हम,
कोरोना का जबसे हुआ है सितम
महकती थी जिन लोगों से ज़िन्दगी,
उनसे अब मिलना हुआ है कम
कम क्या, समझो बंद ही हो गया,
कोरोना तेरा बहुत सितम हो गया
तेरे ना जाने का अब तो गम हो गया
टीका आने की राह देखते-देखते,
मौसम भी देखो नम हो गया
कोरोना, तुझे माफ़ करे ना ये दुनियां,
तू परेशानी का सबब हो गया..

*****✍️गीता

*नटखट देवर*

November 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भाभी के पीछे-पीछे,
देवर डोल रहा है
भाभी-भाभी, कहता-कहता,
देखो क्या बोल रहा है
बोला, भाभी तुम सबसे सुन्दर
भाभी बोली काम बताओ,
यूं ना मुझे मक्खन लगाओ
देवर थोड़ा शरमाया,थोड़ा सा वो घबराया
बोला, अपने मामा की बेटी का,
दे दो ना भाभी नम्बर
जब से उसको देखा है,
मेरा चैन खोया है
वो तो चैन से सोती होगी,
तेरा देवर ना सोया है..

*****✍️गीता

न कहो बेटी पराई है

November 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसने कहा कि,
बेटी पराई है
ये वो शख्सियत है,
इस दुनियां की
जो मायके और ससुराल,
दोनों जगह ही छाई है
ससुराल में सब कहें,
क्या रौनक लगी है,
देखो, घर में बहू आई है
रसोई की महक से,
घर में हुई चहक से
पड़ोसी भी जान जाएं,
कि बेटी घर आई है
तो, न कहो कि बेटी पराई है

*****✍️गीता

फलों से लदा पेड़

November 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

झुकता है फलों से लदा
पेड़ सदा,
सूखा पेड़ तो
अकड़ता ही है,
अकड़ उसकी ना,
किसी काम की
ना कोई फल है,
ना छाया पथिक को,
आराम की..

*****✍️गीता

*करवा चौथ पूजन*

November 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

करवा पूजन चली सखी संग,
देखो आज सुहागन
आज चांद की राह देखती,
पहन के चूड़ा, कंगन
धूप,दीप से रौशन करती घर,
गौरी मां से, मांगे साजन का साथ
चांद देख , साजन की करे आरती,
पिए जल पिया के हाथ
आशीष ले कर,
सास-ससुर से सौभाग्य वती का
देखो हर्षित हुई सुहागन,
लाज से मुख मंडल दमका

*****✍️गीता

*सौभाग्य मांग लूं चंदा से*

November 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज सजूं साजन की खातिर,
ओढ़ के सुर्ख चुनरिया
हाथों में मेंहदी पिया नाम की,
पहनूं लाल चूड़ियां
माथे पर बिंदी चमके सदा,
साजन तेरे नाम की
तेरी हो गई साजन मैं तो,
जबसे बाहें तुमने थाम ली
मांग सिंदूर सदा चमके,
पैरों में पायल भी खनके
साजन व्रत रखूं तुम्हारे लिए,
चंदा को अर्घ्य चढ़ाऊं मैं,
सौभाग्य मांग लूं, चंदा से
साथ सदा साजन का पाऊं मैं

*****✍️गीता

याददाश्त..

November 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

याददाश्त अच्छी ना हो तो,
अच्छा रहता है
बेकरार रहते हैं वो,
जिन्हें सब याद रहता है..

*****✍️गीता

*संघर्ष ही विजय है*

November 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

संघर्ष ही विजय है,
ये वो पथ है ज़िन्दगी का,
जिसमे,सदा जय ही जय है
विजय है मंज़िल अगर,
संघर्ष ही रास्ता है
इस जीवन की बस,
यही दास्तां है..

*****✍️गीता

सब्र की कद्र

November 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब्र करें,और सब्र की कद्र करें
ये रास्ता कठिन है लेकिन,
ये दास्तां है विजय की
सदा ही जय हो सब्र की

*****✍️गीता

दर्द..

November 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दर्द से ही उपजे कविता,
ये तो सबने ही जाना
दर्द में भी हंस सके जो,
उसे ज़माने ने माना

*****✍️गीता

*दिल*

November 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो हरदम काम करे,
तनिक भी ना आराम करे
वो दिल ही तो है,
ख़ुश रखना उसे सर्वदा,
औरों का हो, या हो अपना..

*****✍️गीता

*सावन सूना है*

November 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन पर इतना सन्नाटा,
ना देखा पहले कभी
क्या हुआ, ये क्यूं हुआ,
कहां चले गए सभी
सावन सूना सा है,
कवियों कलम उठालो
फ़िर से भर दो रंग
अपनी कलम से,
फ़िर से सभा सजालो

*****✍️गीता

इस दिल को ना बेज़ार करो

November 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब चारों ओर अंधेरा हो,
किसी डर ने आपको घेरा हो
छोड़ के उस डर को,
आगे की जीत का सोचो
जो ख़्वाब सजाए थे कभी,
आपने अपने अपनों के लिए
उन ख़्वाबों की ही खातिर,
इस दिल को ना बेज़ार करो..

*****✍️गीता

वतन की खातिर

November 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिस वतन का खाना खाते हो,
डाल के अपनी थाली में
आज उसी वतन के हित की खातिर,
उसी वतन की मिट्टी के, दीए जलाना
अबकी बार दिवाली में
चीन की लड़ियां नहीं जलाना,
सरहद पर बैठा, सैनिक जल जाएगा
तड़प कर रो उठेगी वो मां कहीं,
जिसके लाल के खून से, लाल हुई थी जमीं
जिसके लाल की जान छीनी,
सरहद पर जा कर पूछो,
वो था एक बैरी चीनी

*****✍️गीता

*पर फ़ैला ले भारती*

November 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

शस्त्र उठा लो अब सीते,
श्री राम नहीं आएंगे
करनी होगी खुद अपनी रक्षा,
श्री रघुनाथ नहीं आएंगे
शस्त्र उठा लो हे द्रौपदी,
श्री श्याम नहीं आएंगे
सभा में अपने भी,अपने ना रहे
बिगुल बजा, कर शंख-नाद,
श्री श्याम नहीं आएंगे
झांसी की रानी सम बन जा,
तीर, तलवार उठा ले अपने
लड़ना होगा तुझे अकेले,
मोती भाई, रघुनाथ सिंह दीवान नहीं आएंगे
पर फ़ैला ले भारती,
उड़ जा ऊंची उड़ान
बन जा क्षितिजा तू,
ये कलियुग है, मेरी जान
तुझे संभालने अब कोई,
भगवान नहीं आएंगे…

*****✍️गीता
*भारती का अर्थ है — भारतीय नारी

*बेला*

November 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरा नाम बाबूजी ने,
बड़े लाड से रखा था
बेला……
मेरे जन्म पर एक
पौधा भी रोपा था,
बेला का…..
बेला के फूल की तरह,
खिलती रही, बढ़ती रही
यौवन की दहलीज चढ़ती रही,
बेला का पौधा, तो बाबूजी ने रखा
अपना घर महकाने को,
मुझे भेज दिया,ससुराल
उनका घर महकाने को,
पति के घर में, पहले-पहले,
ज्यादा मन ना लगता था
फ़िर हौले-हौले,
जब हुआ प्यार
जीवन में आने लगी बहार
दो फूल खिले जीवन में,
पहले अंश आया, फिर गुड़िया आई
घर-आंगन महक गया ,
जीवन में आने लगा निखार
बेला नाम भी लगने लगा साकार..

*****✍️गीता

हमसफ़र

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी का कोई हमसफ़र,
कहीं खो जाए अगर
तो ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए,
उसे ढूंढ़ कर ले आएं घर
गलती किसकी है, किस से हुई,
ये सुलझ ही जाएगा मगर,
खो ना जाए , भीड़ में अपना कोई
वक्त रहते संभल जाएं अगर

*****✍️गीता

प्यार की परिभाषा

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

*****हास्य-रचना*****

परदेस में कहते हैं
मेरा बेटा प्यार में है
युवा हो गया है..
किसी के प्यार में पड़ गया
भारत में कहेंगे, सुनती हो..
मैं तो शर्म से गढ़ गया
अपना ये बरखुरदार,
किसी चुडैल के चक्कर में पड़ गया

*****✍️गीता

*मोहब्बत*

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी मोहब्बत के बिना,
नहीं चलती है
एक साथी है जरूरी,
ना हो किसी का कोई,
हमसफ़र, तो उसकी कमी खलती है
हमसफ़र की आंखों में,
दिखें चांद-सितारे
आंखें आइना हैं, मोहब्बत का
ज़िन्दगी जी ले, आंखों के सहारे

*****✍️गीता

खुशियां गरीब की

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

झरने झर-झर बह रहे थे,
समीर के शोर कुछ कह रहे थे
कितना आनन्द आता होगा उन्हें,
जो यहां पे रह रहे थे
ये सोचती-सोचती मैं चली जा रही थी,
वहीं कहीं अंदर को, एक गली जा रही थी
एक घर के आगे रूकी यूं ही
वहां, मंद-मंद सी रौशनी आ रही थी
एक बालक ख़ुशी से बोल रहा था,
ख़ुशी-ख़ुशी नाचता सा डोल रहा था
अरे, सुन ओ कलुआ..
आज पर्यटक बहुत मिले थे
मां की हो गई बहुत कमाई,
आज तो घर में बनेगा हलुआ
आज तो घर में बनेगा हलुआ ।

*****✍️गीता

वो तस्वीर वाली

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तस्वीर में नाचती थी वो,
रात को घुंघरू बजते थे
गीली मिलती थी दीवार सदा,
उसके आंसू उसे भिगोते थे
चूल्हे पे बनाती रोटी मां,
उसकी, ये तस्वीर बना देता
सोचती रहती थी वो,
उस चित्रकार का क्या जाता..

*****✍️गीता

पनघट

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पनघट से पानी लाती
नारी की तस्वीर सजाली कमरे में,
उस रईस ने ये कभी ना सोचा,
ये कौन से गांव की है ।

*****✍️गीता

तस्वीर

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो तस्वीर बिक गई,
कई हज़ार में साहब,
जिसमें एक गरीब का बच्चा,
देखे था सुहाने ख्वाब ।

*****✍️गीता

*जज़्बात छिपाए बैठे हैं*

October 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज वो नज़र चुराए बैठे हैं,
जज़्बात अपने छिपाए बैठे हैं,
हमसे छिपा ना पाएंगे जज़्बात लेकिन,
जाने क्यूं शर्त लगाए बैठे हैं ..

*****✍️गीता

बिजलियां

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपने ही गिराते हैं,
इस दिल पे बिजलियां
गैर तो हल्का सा
धक्का लगने पर भी,
माफ़ी मांग लिया करते हैं ।

*****✍️गीता

*वो कौन था*

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

*******हास्य – रचना*******
वो बाहर आना चाहता था,
पर कुछ था..,
जो उसको रोकता था
कोई तो था..,
जो उसको टोकता था
कोरोना काल में ,
व्याधि के इस हाल में
सब घर में ही थे,
कुछ डर में भी थे
इसलिए मेरा वो ताला,
अन्दर घर में ही रहता
चाहकर भी बाहर ना जा पाता

*****✍️गीता

“एक अवकाश”

October 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

विद्यालय से अवकाश लेकर,
हमने बहुत आराम किया
सारे ताम-झाम से मुक्ति लेकर,
कल, ना कुछ भी काम किया
बचपन की एक सखी से,
दूरभाष पर बात करी
कुछ अपनी कही, कुछ उसकी सुनी
ख़ूब खुश और मस्त रही
लेकिन मेरा ही अवकाश था,
मैनें तो आराम किया,
कुछ सखियों को काम बहुत था
कुछ सखियां व्यस्त रहीं..

*****✍️गीता

*शरद पूर्णिमा*

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

शरद पूर्णिमा का चांद आया
झिलमिल सितारों को लिए,
खीर भी बनाई है
कल चाव से सब खाएंगे,
वो अमृत-रस बरसाएगा
सौभाग्य देकर जाएगा
सुन्दर सजीला चांद शरद का,
आंगन में रौनक ख़ूब लगाएगा ।

*****✍️गीता

*रंगा आसमां*

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रंग दो अपने दिलों को,
कुछ इस कदर प्यार से
कि जैसे रंगा हो आसमां,
शाम की बहार से
ना कोई द्वेष हो मन में,
ना कोई दुर्भावना
स्नेह ही बरसे, चहुं ओर,
हो प्रेम की सद्भावना..

*****गीता

*बचपन*

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कागज़ की कश्ती चलती थी
कागज़ का जहाज़ भी उड़ता था,
थे अमीर बहुत तब हम,
वो बचपन कितना, अच्छा था
सखियों संग ,उपवन में जाकर
आंख-मिचौली खेली थी,
स्वादिष्ट बहुत लगता था
वो आम जो थोड़ा कच्चा था,
हां, बचपन कितना अच्छा था
मित्र मतलबी ना होते थे,
अपना टिफिन खिलाते उसको
जो भूल गया था, लाना घर से
कक्षा का कोई भूखा बच्चा था,
वो बचपन कितना अच्छा था..

*****✍️गीता

*आशा की किरण*

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस भ्रामक दुनियां में,
बनूं आशा की किरण
अन्दर ही अन्दर आहत हुई,
फ़िर भी मैं, मुस्काती हूं
कोमल हूं, कमज़ोर नहीं हूं,
खुद को ये समझाती हूं
राह कितनी भी कठिन हो,
देखना चाहती हूं चल के
यूं किसी के कहने भर से,
रुक नहीं मैं जाती हूं
“गीता” नाम से जानी जाती
अपने नाम के अनुरूप ही,
मैं कर्म करती जाती हूं..

*****✍️गीता

*भाग्य*

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भाग्य भरोसे भूल से,
नहीं बैठना है मनुज
प्रभु भी करते हैं,
उनकी ही मदद
जो अपनी मदद,
आप, किया करते हैं..

यहां “आप” शब्द का प्रयोग सर्वनाम में
किया गया है, जिसका अर्थ “स्वयं” है ।

*****✍️गीता

*कर्म*

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर्म ही जीवन का सार,
कर्म ही प्राणों का आधार
कर्म करते हुए हो इच्छा,
सौ वर्ष तक जीने की
कर्म नहीं तो इस दुनियां में
जीना है बिल्कुल बेकार
कर्म,परिश्रम नहीं हुआ तो,
जीवन में ना रुके बहार
कर्म पूजा, कर्म आराधना,
कर्म ही है तेरी साधना
कर्म ,परिश्रम कर मनुज तू
“गीता” की तो यही कामना..

*****✍️गीता

काव्य-गोष्ठी

October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

काव्य-गोष्ठी का हुआ,
कार्यक्रम, शानदार
सावन का धन्यवाद है,
आयोजन किया है पहली बार
सावन कवि सतीश जी ने,
लिया संचालक भार
कविताओं की गूंज उठी मधुर झंकार
सभा सजी सहज सुंदर
बज उठे सितार..

*****✍️गीता

मुखौटे

October 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मुखौटे लगा कर,
आए हैं कुछ लोग
महफ़िल में आज का,
मज़मून क्या है..

*****गीता

ज़िन्दगी की दास्तान

October 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी सुख,कभी दुख
यही देती है ज़िन्दगी
स्वर्ग यहीं है, नर्क यहीं है,
ऊपर, नभ में कुछ नहीं है
ये धरा है , माया नगरी,
स्वर्ग के दर्शन हों कभी,
कभी नर्क भी दिखे यहां
सब कुछ सहना होता है,
यही है ज़िन्दगी की दास्तां..

*****✍️गीता

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