मन का मीत

October 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी का सफ़र है,
कभी कड़वा कभी सुहाना
मिलते हैं अच्छे दोस्त यहां,
कभी दुश्मन भी मिले माना
पर तू चल अपनी राह पथिक,
ज़िन्दगी है, सब चलता है
कभी भला लगे, कभी खलता है
नभ का उजला सितारा बन,
कभी किसी की राहों का दीप,
यूं ही करते रहना उजाला..
बन के किसी के मन का मीत..

*****मीत का अर्थ_____ मित्र, दोस्त

*****✍️गीता

हार हुई आज नारी की

October 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हार हुई आज नारी की,
चढ़ी भेंट दुराचारी की
सारे-आम कत्ल कर गया,
ना आई उसे कुछ दया
बेहया घूम वो रहा है,
समाज क्यूं सो रहा है
मानवता मर रही है,
दानवता फली फूलती,
मानवता क्यूं डर रही है
ये भारत पर अभिशाप है,
होता निश-दिन यहां पाप है
जिस मुल्क में, कातिलों के खिलाफ
फांसी की सज़ा ना हो,
तो ये कैसा इंसाफ़
फ़िर क्यूं होगा इन्हें खौफ
कातिल घूम रहे बेख़ौफ़
कभी चार्ज-शीट दाखिल हुई,
कभी बयान गवाहों के
कभी कैसी लगी अर्जी,
कभी नासूर लगे अफवाहों के
फ़िर भी मासूम के घरवाले,
कई-कई वर्षों तक ,
राह तकें नतीजों की
कभी निर्भया कभी ,
कोई और बहन बेटी
क्यूं भेंट चढ़ी दुराचारी की..

*****✍️गीता

*ज़िन्दगी की सफलता*

October 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आनन्द दें अच्छे दिन,
बुरे दिन देते अनुभव
तो कोसें ना किसी दिन को,
ज़िन्दगी की सफलता में
दोनों की जरूरत है मानव..

*****✍️गीता

दीप

October 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दीप जलता रहा,
जब बहुत देर तलक
लौ भी टिमटिमाने लगी,
लो तेल भी हुआ ख़त्म
और उसकी जान भी,
डगमगाने लगी….

*****✍️गीता

प्रदूषण की मार

October 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रदूषण की मार,
सह रहा संसार
रोको इस प्रदूषण को मनुज,
वरना फिर पछताओगे
दूषित होती रही धरा यूं ही
तो कैसे रह पाओगे
वायु प्रदूषण यूं ही होता रहा तो,
शुद्ध पवन की सांस कहां से आएगी
दूषित पवन से बीमार होते जाओगे
वन कटे, उपवन हटे
हरियाली कम होती गई,
गर्मी का स्तर बढ़ा गर,
जलवायु प्रदूषण ,ऊष्मीकरण होगा
मनुज कैसे तुम सह पाओगे
जल प्रदूषण किया तो,
धरती बंजर हो जाएगी
फ़िर क्षुधा मिटाने की खातिर
फल, फूल कहां से लाओगे
ध्वनि प्रदूषण के चलते,
मानसिक शांति नहीं मिल पाएगी,
ऐसा ही रहा तो एक दिन
मानसिक रोगी बन जाओगे
तो जाग हे मनुज,
आने वाली भावी पीढ़ी की ही खातिर
कुछ संयम से कुछ नियंत्रण से
लगा ले लगाम इस प्रदूषण पर
दे दे सौगात नई पीढ़ी को..

*****✍️गीता

**दोस्तों की दरकार**

October 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्तों का दिल से सम्मान है,
उनकी दोस्ती पर हमें,अभिमान है
दोस्ती होती है ,सुधा समान,
सुधा की एक बूंद ही महान है
निज स्वार्थ से ऊपर उठी जो दोस्ती,
उस दोस्ती में दोस्तों की जान है
हकीम भी नब्ज़ देख कर कहें,
बीमारी नहीं है कोई भी तुझे
बुझ रहा है मन तेरा अगर,
जा, दोस्तों की तुझे दरकार है..

*****✍️गीता

ज़िन्दगी से

October 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत मिला इस ज़िन्दगी से,
सब कुछ कहां,किसे हासिल मगर
रह ही जाता है, किसी का “काश”,
और, कहीं किसी का “अगर”..

*****✍️गीता

धनुष उठा श्री राम का

October 24, 2020 in Poetry on Picture Contest

धनुष उठा श्री राम का,
रावण की अब खैर नहीं
चलो आज विजय की बात करें,
हो कहीं किसी से,बैर नहीं
त्रेता युग में रावण ने,
श्री राम को ललकारा था
सीता माता का हरण किया,
अतएव राम ने मारा था
आज के युग में देखो,
रावण ही रावण आए हैं
तू राम बन, संघार कर
संकट के बादल छाए हैं
अपने भीतर का राम जगा,
भारत में फैला तिमिर भगा
नारी पर हुए जुल्मों का,
हे युवा, तू ही इंसाफ़ दिला
अशोक-वाटिका में भी सीता,
रही सुरक्षित उस युग में..
कभी,अपने ही घर
कभी आते-जाते
कोई सीता नहीं सुरक्षित
बड़ी असुरक्षित, कलियुग में
बलात्कार,कहीं भ्रूण हत्या
कहीं एसिड अटैक की खबर सुनी,
भारत की नारी, कब तक झेलेगी
कोई तो आए, राम सा गुणी
ये सब सम्भव कैसे होगा
कुछ विचार मन में आए,
साझा करती हूं, समाज से
एक प्रण लिया जाए..
जो उंच-नीच और संस्कार के,
अब तक पाठ पढ़ाए पुत्री को
वहीं पाठ और संस्कार ,
अब पुत्रों को भी दिए जाएं..

*****✍️गीता

*दोस्ती*

October 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

*****हास्य – रचना*****
कछुए और खरगोश की,
पांच मील की लग गई रेस
तीन मील पर खरगोश ने देखा,
कछुआ तो अभी दूर बहुत है
थोड़ा सा आराम करूं
ना…ना वो सोया नहीं
ये पुरानी नहीं, ये तो है कहानी एक नई
खरगोश ने लगाया दीवार पर एक टेका
उसे सामने ही दिख गया एक ठेका
दो-तीन लिटिल-लिटिल
पीने के बाद…
खरगोश को आई, कछुए की याद
कछुआ भी धीरे-धीरे , आ गया करीब
खरगोश ने कहा कछुए से
थोड़ी सी लिटिल-लिटिल पीने से
थकान दूर होती है….
कछुआ भी मान गया
और लगा ली लिटिल-लिटिल
दोस्ती देख कर खरगोश की,
कछुए के चेहरे पे आया नूर
भर के बोला वो..
अपनी आंखों में सुरूर
मैं लोगों की बातों में आया,
तुम संग मैं क्यूं रेस लगाया
हम दोनों दोस्त रहेंगे सदा
मिलते रहना ,फोन भी करेंगे यदा-कदा
दोस्ती की फिर खाई कसमें,
दोस्त हुए फिर दोनों पक्के
पी कर थोड़ा लिटिल-लिटिल

*****✍️गीता

चमत्कार

October 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी, है एक चमत्कार
हर सांस इसकी है,
प्रभु का उपहार
प्रभु की दी हुई नेमत है ये,
यूं कुछ भी कह के
ना कर बेकार..

*****✍️गीता

*जाने कहां चला गया*

October 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो, लेखन में मेरी
बहुत मदद करता था
कहीं कुछ कभी
ग़लत लिख देती
तो, काट के ठीक
किया करता था
सुन्दर-सुन्दर समीक्षाएं भी
उसके ही दम पे
किया करती थी
वो ना दिखता था
तो कितनी डरा करती थी
ये राज़ की बात है,
आज बताती हूं
जाने कहां चला गया,
वो मेरा गुलाबी पैन..
आज उसकी स्याही
ख़तम हो गई..

*****✍️गीता

खामोशियां

October 21, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खामोशियों की भी,
होती है एक ज़ुबान
कह जाती हैं बहुत कुछ..
बस, सुनने वाला चाहिए…

*****✍️गीता

पत्नी देवो भव:

October 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

राजा दशरथ ने माना कहना,
अपनी पत्नी कैकेई का
एक वचन की खातिर देखो,
बहु-बेटे वन में जाते हैं,
प्राण त्यागने पड़े भले ही,
आज दशरथ जी पूजे जाते हैं।
श्री राम ने माना,
कहना सीता जी का
स्वर्ण-मृग के पीछे दौड़े,
चाहे उस घटना के कारण
राम-सिया दोनों ही बिछुड़े
हम उनके गीत बिछोह
के गाते हैं..
श्री राम पूजे जाते हैं ।
मंदोदरी की कही ना मानी,
रावण था कितना अभिमानी
मारा गया राम के हाथों,
सम्मान नहीं वो पाता है
और,आज तक जलाया जाता है ।
तो बगैर अपना दिमाग लगाए
करो वही जो पत्नी चाहे,
ये सूत्र बड़ा उपयोगी
जीवन सुखमय और यशस्वी बनाए ।
“जन-हित में जारी
आगे मर्ज़ी तुम्हारी”

*****✍️गीता

***आत्मा की शांति*

October 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब हम चले जाएंगे,
ये दुनियां छोड़कर
करोगे याद हमको,
कभी ना कभी तो
ऐसा क्या हुआ था,
जो हम चल दिए
सोच कर फरियाद करोगे,
कभी ना कभी तो
बस, इतनी सी इच्छा है हमारी,
अन्तिम समझ कर तुम मान लेना
कि हमको दुआओं में याद रखना,
अपनी जुबां पे, तुम सदा ही,
हमारे नाम की मिठास रखना
ना भी मानो, तो मर्ज़ी तुम्हारी
एक हवन करा लेना
आत्मा की शांति को हमारी..

*****✍️गीता

लम्हे..

October 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी से कुछ लम्हे,
बचाती रही
एक बटुवे में उन्हें,
सजाती रही
सोचा था कि फुरसत से
करूंगी खर्च,
ज़िन्दगी में
इसीलिए बचाती रही,
कुछ लम्हे
कुछ अपने लिए,
कुछ अपने अपनों के लिए
फ़िर ज़िन्दगी बीतनी थी,
बीत गई…
एक दिन सोचा,बटुआ खोलूं
बटुआ खोला….
एक भी लम्हा ना मिला,
कहां गए, मेरे सब लम्हे
कोई जवाब भी नहीं मिला
फ़िर सोचा, चलो आज थोड़ी
सी फुरसत है,
मिलती हूं खुद से ही..
जा के आइने के सामने खड़ी हो गई
बालों में कुछ चांदी सी पड़ी थी,
वो कुछ-कुछ मेरे जैसी ही लगी
वो आइने में,पता नहीं कौन खड़ी थी..

*****✍️गीता

कमाल है..

October 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

***ये तो कमाल ही है***
सहेली, नहीं है किस्मत
फ़िर भी रूठ जाती है
पहेली,नहीं है बुद्धि,
फ़िर भी उलझ जाती है
आत्म-सम्मान, नहीं है बदन
फ़िर भी चोट खाता है
और इंसान, नहीं है मौसम
फ़िर भी देखो ना ,बदल जाता है..

*****✍️ गीता

बदला..

October 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हम बदला नहीं लेते
किसी से,
बस, निकाल कर के
इस दिल से,
उसे भूल जाते हैं..

*****✍️गीता

तमाचा

October 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी

एक तमाचा सा खाया,
ऐ ज़िन्दगी आज
कोई बात नहीं,
ज़िन्दगी कुछ सिखा ही गई…

*****✍️गीता

ज़िन्दगी अधूरी…

October 20, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सुनते हैं, किसी के जाने से,
ज़िन्दगी अधूरी नहीं होती
मगर ये भी सच है कि,
उसकी कमी पूरी नहीं होती..

*****✍️गीता

प्रभु का इंसाफ़

October 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

करके भ्रूण-हत्या
दो बेटियों की,
उसने दो बेटे फ़िर पाए
खुश हो कर मस्त घूमता,
कहता सौभाग्य जगाए
बड़े हुए जब बेटे उसके,
दो बहुएं घर में आईं
सास-ससुर की अवहेलना
करने में, कोई कसर ना उठाई
बेटे भी अब मुंह चढ़ाकर,
घर में घूमा करते
क्या हुआ है,सबको अचानक
दोनों पति-पत्नी सोचा करते
हर दिन, क्लेश होता था घर में,
सब मान-सम्मान गंवाया
एक दिन दुखी मन से,
वो बोला प्रभु से..
प्रभु, कहां चूक हुई है मुझसे,
ये कैसा संकट आया
रोता था दिन-रात तड़पता,
पूछा करता प्रभु से
प्रभु, मेरे साथ ये क्या हुआ
मैनें तो अपने जीवन में,
किसी का दिल भी नहीं दुखाया
एक दिन प्रभु सपने में आए,
उसको ये समझाया,
तेरा पाप ही तेरे आगे,
दुर्दिन बन कर आया
जिन दो बेटियों की तुमने
भ्रूण-हत्या करवाई है,
वे ही अब बहुएं बनकर बदला
लेने आई हैं, वे बदला लेने आईं हैं..

*****✍️गीता

**हुआ है पहली बार**

October 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हुआ है ज़िन्दगी में पहली बार,
2020 ने रचा इतिहास
किसी ने भी नहीं देखीं
होली से दिवाली तक,
स्कूल की.. छुट्टियां
फकत हमने ही देखी हैं..

*****✍️गीता

कतल

October 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कतल कर दो मेरा तुम,
ज़रा सी फुरसत निकाल के
यूं इंतजार में तुम्हारे,
हमसे तड़फा नहीं जाता…

*****✍️गीता

फुरसत

October 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी

फुरसत से करेंगे हम,
कभी बातें मोहब्बत की
लम्हे भी चुराए बहुत,
ज़िन्दगी में फुरसत ही ना मिली

*****✍️गीता

मौसम और माहौल

October 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्तों में उल्लास रहे जब हमारे,
मुस्कुरा उठते हैं, तब लब हमारे
व्यथित हो जाए कोई दोस्त गर,
व्याकुल हो जाएं हम भी इधर
कोई दुखी होता है गर उधर कहीं,
कैसे खुश रहेंगे हम इधर हैं यहीं
गर कोई बैरी बाहरी, दिल को दुखाए,
दूर से नमस्ते करें, तुरंत निकल जाएं
करें नज़र अंदाज़ उसे, नज़रों में ना लाएं
माहौल ऐसा है, मौसम भी कैसा,
ना गर्मी, ना सर्दी सुहाना समां है,
मन हो रहा है, जाने कैसा कैसा..

*****✍️गीता

कविता के भाव

October 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता में वो भाव नहीं हैं,
जो मैं कहना चाहूं
स्वर में वो माधुर्य नहीं है
जो तुम्हें सुना मैं पाऊं
वाणी में वो चातुर्य नहीं है
कैसे मैं समझाऊं
कविता में वो भाव नहीं है
कैसे तुम्हे सुनाऊं
फ़िर भी ना घबराऊं
मैं, मन तुम भी ना घबराना
धीरे – धीरे सीख ही लूंगी
कविता में भाव भी लाना..

*****✍️गीता

मास्क लगाना है

October 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

*****हास्य रचना*****

कल शाम को
बाज़ार गई थी
लाने को अपना कुछ सामान
सात महीने पहले सिलाया ,
नया सूट पहना,
लॉक डाउन ना होता तो
अब तक तो हो जाता वो पुराना
पहले चुनरी उठाई
चेहरे पे थोड़ी क्रीम लगाई
लिपस्टिक लगाने को,जैसे ही उठाई
ओह, मास्क भी लगाना है
ये बात याद आई
बेचारी लिपस्टिक अभी तक रो रही है
सात महीने में तो उठाई थी,
पता नहीं क्यूं कर गई मुझे
इग्नोराय नमः

*****✍️गीता

काम ही काम

October 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

घर के काम
बाहर के काम
काम की तो जैसे
बारिश हो रही है
सुकून के कुछ पल मिल जाएं
हम भी कुछ हंसें, बोलें
ऐसी ख्वाहिश हो रही है

*****✍️गीता

सरोवर

October 17, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दिखे शांत सरोवर का उर,
भीतर हो रही हलचल
रह-रह कर उठती हैं लहरें,
बता रही व्याकुलता प्रतिपल..

*****✍️गीता

कल्पना और हकीक़त

October 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कल्पना की दुनियां,
बहुत ख़ूबसूरत
हकीक़त इससे कहीं तो जुदा है
कभी मेल खाती, कभी दूर जाती
हकीक़त की दुनियां है,
कल्पना सी कहां है ..

*****✍️गीता

क्रोध ना किया करें, क्रोध से रहें परे

October 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्रोध ना किया करें,
क्रोध से रहें परे
गुस्सा है माचिस की तीली सा,
औरों को जलाने से पहले
खुद को जलना पड़ता है
ये वो विष हैं जो,
औरों को पिलाने से पहले
खुद को पीना पड़ता है
अगर आप हैं सही तो,
गुस्सा करने की ज़रूरत नहीं
यदि गलती से हो जाए गलती,
तो गुस्सा करने का हक ही नहीं
शांति भी एक शक्ति है,
इस शक्ति की पहचान करें
स्व-चिंतन से सोचें सब कुछ,
फ़िर इसका रस-पान करें
प्रतिबिंब ना देख सकें,
हम कभी खौलते पानी में
सच्चाई ना दिखलाई देगी,
कभी क्रोध की अग्नि में
क्रोध में विध्वंस छिपा है,
शांति में सुख का है वास
आज अभी अपना कर देखो,
मिट जाएंगे सारे त्रास

*****✍️गीता

यात्रा मां वैष्णो देवी की

October 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर के शेर की सवारी,
आई माता रानी प्यारी
आई शुभ नव-रात्रि,
मांग लो मुरादें ,माता रानी से
ऊंचे पर्वत पर मंदिर मां का,
बेहद लंबा रस्ता है, यहां का
बाण-गंगा का शीतल जल,
करता रहता है कल-कल
पौड़ी-पौड़ी चढ़ते जाओ,
जय माता की कहते जाओ
देखो ये है अर्धकुमारी,
यहां कुछ खा-पी लें,
सब नर और नारी
ऊंचे पहाड़ और गहरी खाई,
हाथी-मत्था की आई चढ़ाई
समाप्त हुई अब चढ़ाई भारी,
ये सुंदर साझी छत है सारी
आगे चलें तो दिखलाई दिया
माता-रानी का भव्य भवन,
ले पूजा-प्रशाद यहां पर,
लाल चुनरी माथे पर,बांध रहे सब जन
भव्य आरती शुरू हो गई,
जयकारे से गूंज उठा मां का भवन
यही है माता रानी का द्वार,
दर्शन कर को अपरम्पार
नारियल चढ़ा कर ज्योत जलाएं,
मां के पिंडी रूप में,दर्शन पाएं
*******जय माता की*******

*****✍️गीता

दस मिनट का ब्रेक

October 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऑन लाइन कक्षाएं चल रही थी,
हमें कुछ बातें भी खल रही थी
आज शोर कुछ ज्यादा ही था,
किसी से किया एक वादा भी था
अपने भी काम कुछ कम नहीं होते,
पढ़ाने का आज, इरादा नहीं था
सिर दुख रहा था,
बच्चों का शोर सुनकर,
कुछ सुकून सा पाया
दस मिनट का ब्रेक लेकर,
फ़िर गोल-गप्पों के आग्रह आए
ख़ूब सारे गोल-गप्पे भी बनाए
इमली के पानी के साथ
सबने आनन्द ले के खाए ..

*****✍️गीता

गोल-गप्पे

October 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गोल-गप्पे खाने का,
बहुत ज्यादा मन किया
कोरोना के कारण,
बाज़ार जाना भी बंद हुआ
तो…., यू-ट्यूब खोला,
रेसिपी उठाई
जो-जो उसने बोला,
वैसे ही हाथ चलाए
अरे वाह, मेरी कड़ाही में भी देखो
स्वादिष्ट गोल-गप्पे बन कर आए

*****✍️गीता

कागज़ और कलम

October 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कागज़,कलम की बातें सुनकर,
मैं लिखना सा भूल गई
कागज़ ने कहा कलम से,
जब तुम चलती हो मुझपे
कहो ये कैसा अहसास है,
कलम ने कहा……
हमें भी नहीं पता,
बस यही लगता है हमें
कि आप हमारे पास हैं..

*****✍️गीता

मोहब्बत

October 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये ही तो मोहब्बत
का रोना हो गया
मोहब्बत तो जैसे
कोरोना हो गया,
एक को हुई, तो
दूजे को भी ही गई
इस दिल का यही
तो रोना हो गया

*****✍️गीता

वक्त

October 15, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वक्त ने फंसा दिया है,
कभी रुला, कभी हंसा दिया है
उनसे कहो, परेशान नहीं हैं हम
वक्त की ही बात है, नहीं है कोई गम

मोहब्बत हो गई

October 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक कतरा ना ,
अश्क का बहाया हमने,
दिल ही दिल में सब
दबाया हमनें
गुनगुना सा बदन
जब होने लगा
दिल ने बताया….
उफ्फ ये तो मोहब्बत हो गई..

*****✍️गीता

ऐसी क्या बात है

October 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हास्य – रचना
*************
श्रीमान जी थके – थकाए घर आए,
आते ही पत्नी से बोले…
गर्मी बहुत है,थोड़ा पानी लाना,
पत्नी बेचारी, बड़ी आज्ञाकारी
बोली ,अभी आई
और, आधे का भी आधा ग्लास पानी लाई,
श्रीमान जी गुस्से में बोले….
ये क्या, इतना कम पानी क्यूं लाई
आपने ही तो कहा था, “थोड़ा पानी लाना”
कहते – कहते पत्नी जी मुसकाई
श्रीमान जी बोले…..
थोड़ा कहा था तो,
थोड़ा ही दोगी क्या…..
पत्नी बोली, जैसा आपने कहा
वैसा ही तो किया,
श्रीमान जी अभी तक नाराज़ हैं
पत्नी की समझ ही नहीं आ रहा
कि ऐसी क्या बात है….

ज़िन्दगी क्या है..

October 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जन्म लेने पर बंटी मिठाई,
श्राद्ध हुआ तो खीर खिलाई
जन्म की मिठाई से,
शुरू हुआ एक मेल
श्राद्ध पर आ कर,
ख़त्म हुआ वो खेल
और विडम्बना ये है कि,
जिसके नाम का मीठा आता है,
दोनों ही मौकों पर,
वो ही ना खा पाता है
ज़िन्दगी क्या है……..
आकर नहाया…….,…
और नहा कर चल दिया
इन दोनों ही स्नानों के बीच…
कोई ज़िन्दगी जीता है और
कोई ज़िन्दगी मरता है….

*****✍️गीता

**इंतजार एक मैसेज का**

October 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आलू, मटर,टमाटर की,
सब्जी बनी स्वाद
नमक डालना भूल गई,
जब आई आपकी याद
मैसेज टोन सुनाई दी,
तो भागी-भागी आई
इस चक्कर में देखो मैंने,
रोटी एक जलाई
फ़िर टोन सुनी,
पर मैसेज ना आया
स्क्रॉल करती रही स्क्रीन को,
उफ्फ , गैस पे रखा हुआ,
दूध भी उबल आया….
परेशान थी, हैरान थी
मैसेज ना आया हाए,
इसी चक्कर में उफ्फ ,
मेरी ठंडी ही गई चाय..

*****✍️गीता

हिंडोला

October 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुन्दर सा वो हिंडोला था,
जिसमें बैठ के ,
मन मेरा डोला था
सुन्दर सी वादियां हैं
सुहाना सा समां है,
बढ़ती ही जा रही हूं
डरती भी जा रही हूं,
ना नभ है, ना धरा है
ये पांव कहां धरा है
तारों के सहारे,
चलती ही जा रही हूं
कब तक चलेगा ऐसे,
सफ़र सुहाना सा ये

*****✍️गीता

मंज़र..

October 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये कैसी राइड है,
ना कर रहा कोई गाइड है
लंबी – लंबी सी राहें हैं,
मानो प्रियतम की बाहें हैं
नदिया भी बह रही है,
हमसे ये कह रही है
आना फिर दोबारा यहां,
ऐसा मंजर होगा कहां
पवन सुनाती है सरगम,
खुशियां ही खुशियां दिखें यहां
मिट जाते हैं सारे ही गम …

*****✍️गीता

ये कश्मीर है..

October 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये कश्मीर है,
कहते हैं, धरती का स्वर्ग इसे
पर कहां रहा ये स्वर्ग अभी,
बदल गई इसकी तस्वीर है
चप्पे-चप्पे पर सैनिक खड़े हैं,
फ़िर भी आतंकवादी यहां आकर लड़े हैं
शॉल, फिरन मिलें सुंदर यहां पे,
केसर, अख़रोट,सेब हैं उम्दा यहां के
डल-झील की अनुपम छटा है,
चिनारों का ऐसा सौन्दर्य और कहां है
अनुपम,अनूठा दृश्य हुआ जब,
कोमल-कोमल बर्फ गिरी
सुन्दर स्थान का नाश किया,
ये कैसा उपहास किया
देख के दिल तो जलता है,
अब आतंक ही यहां पर पलता है
बस अब तो प्रभु से ये अरदास करें,
पहले सा कश्मीर हो,
लोग चैन से इसमें वास करें ।

*****✍️गीता

**सुप्रभात**

October 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

**सुप्रभात**
** ये एक आम शब्द नहीं,
**है बहुत ही खास
**सु—- सुबह से सांझ तक आप
**प्र—- प्रसन्नता पूर्ण रहें
**भा—- भाग्यशाली एवम्
**त—-तनाव रहित हों

*****✍️गीता

मौसम

October 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हो गई है भोर,
गुनगुनी सी धूप है,
ना व्यर्थ का कोई शोर
बदल रहा है मौसम,
तुम ना बदल जाना
अच्छा लग रहा है,
सर्दी का यूं धीरे-धीरे आना

*****✍️गीता

सुबह और सांझ

October 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछ शर्ते लाती है,
ज़िन्दगी की हर सुबह
और कुछ तजुर्बे देकर,
सांझ चली जाती है..

*****✍️गीता

चांद की छटा

October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

निहार रहे थे,
चांद की छटा को हम,
बीच में ये बादल का टुकड़ा
कहां से आ गया..

*****✍️गीता

सरगम

October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन में मेरे आज एक,
सरगम सी बज रही है
पुष्पित हुआ है हृदय,
सुगंधि सी आ रही है
कोई, कहीं दूर से मुझको,
याद कर रहा है
उसको कोई बतादे,
वो भी याद आ रहा है..

*****✍️गीता

जो जान लेता है..

October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो हमें जानता ही नहीं,
उसे हक है, हमें
अच्छा,बुरा कुछ भी क्रहने का
पर जो हमें जान लेता है,
वो हम पर जान देता है ..

दिल मांगे मोर..

October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक पति थे,
थोड़े बोर टाइप
और पत्नी थी उनकी,
दिल मांगे मोर टाइप
कोरोना काल में,
ना कामवाली आती
ना सहेलियों से मिल पाती,
पति से पूछती रहती बेचारी,
कैसी लगती है,बताओ तो आपको ये नारी
पति कभी कुछ बोल देते,
कभी चुपचाप ही निहारते रहते
एक दिन क्या हुआ….
रसोई में गई,चाकू उठाया
कलाई की नस पे लगाया,
और बोली…………..
तारीफ़ करते हो, या काट दूं …

*****✍️गीता

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