नदी किनारे

July 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

नदी के दो किनारों पर मेरी नज़र टिकी थी,
एक छोर पे मैं और दूजे छोर वो खड़ी थी,
समन्दर था लहरें थीं कश्ती थी सामने,
इन सब के मध्य भी मेरी मोहब्बत डटी थी।।
राही (अंजाना)

मजबूर

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जितना पास बुलाया वो उतना दूर होता गया,
रात का अन्धेरा रौशनी में चूर होता गया,
खुदा की बनाई इस मशहूर दुनियाँ में,
इंसा खुद इंसा के हाथों ही मजबूर होता गया।।
राही (अंजाना)

आजाद

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

आजाद भारत के आजाद परिंदे न रहे,
हम अपने ही देश के बाशिंदे न रहे।।
राही (अंजाना)

इज्जत

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हर रोज़ मेरी इज़्ज़त को तार-तार किया जाता है,
ये गुनाह मेरे साथ क्यों बार-बार किया जाता है।।
राही (अंजाना)

गुनाह

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मुझे मरे गुनाहों की कोई सफाई नहीं देनी,
मुझे तुम्हारी मोहब्बत में उम्र कैद मंजूर है।।
राही (अंजाना)

तरक्की

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बहुत तरक्की कर ली मेरे गांव ने मगर,
मेरी गरीबी का बादल छटा ही नहीं।।
राही (अंजाना)

मोसम

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कोई माहौल कोई मौसम नहीं देखता,
जब प्यार सच्चा हो तो कोई पर्दा नहीं देखता।।
राही (अंजाना)

आँगन

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तेरी यादों के आँगन में मेरा मन खिल जाये,
जैसे खुली हवा में कोई पंछी मण्डराये,
तेरी समृति की छवियों का जब लगे मेला,
मेरा शांत उम्मीदों का फिर मन भर जाए।।
राही (अंजाना)

तसल्ली

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तसल्ली है के तुम मुझे याद नहीं करती,
मेरी तस्वीर को रखकर उससे प्यार नहीं करती।।
राही (अंजाना)

दरार

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

टूटकर बिखर जाने को तैयार रहती है,
गर कच्ची हो चिनाई तो दीवारों में दरार रहती है,
इस ज़मी पर आकर मुम्किन है मोहब्बत की गिरफ्त में आना,
नहीं तो सारी ज़िन्दगी यूँही ख़ाकसार रहती है।।
राही (अंजाना)

हवाएँ

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जब जी चाहे बुला लेता हूँ,
मैं तेरी यादों को अपना बना लेता हूँ,
पहुंचता नहीं जब कोई पैगाम मेरा तुझतक,
मैं हवाओं को फिर अपना गुलाम बना लेता हूँ।।
राही (अंजाना)

घड़ी की सुइयों का आपस में मिलना बन्द है

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

घड़ी की सुइयों का आपस में मिलना बन्द है,
जिस रोज़ से तेरा मुझसे आकर मिलना बन्द है।।

– राही (अंजाना)

किस्मत को अपनी तू कस मत

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

किस्मत को अपनी तू कस मत,
देदे ढील तू अपने अरमानों को,
सोते हैं तो सो जाएँ किस्मत जगाने वाले,
जागने दे तू हर घड़ी अपने ख़्वाबों को,
किस्मत को अपनी…
बदलती नहीं है हाथों को लकीरे सुना है,
जिनके हाथ ही नहीं तू देख उनके इरादों को,
उठती हैं थमती हैं समन्दर में लहरें पल-पल में,
जो टकरा कर भी लहर लौटती है फिर किनारे से टकराने को,
तू देख उसकी हिम्मत ए हिमाकत को॥
किस्मत को अपनी..॥

– राही (अंजाना)

आओ किताबों के पन्नों से बाहर निकल चलते हैं

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आओ किताबों के पन्नों से बाहर निकल चलते हैं,
काले अक्षरों से निकल रौशनी की ओर चलते हैं,
बहुत पढ़ लिए विषय इन किताबों के,
आओ हकीकत के दो पन्ने पलट कर देखते हैं।।
राही (अंजाना)

गमों के आसमान का तू परिंदा क्यों है

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गमों के आसमान का तू परिंदा क्यों है,
झूठी उम्मीदों की ज़मी पर तू ज़िंदा क्यों है,

सिकोडे हैं हौंसलों के तू क्यों पर अपनें,
उम्मीदों पर न टिके तू वो वाशिंदा क्यों है।।
राही (अंजाना)

स्वप्न

July 10, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जब रात स्वप्न में मैं सोया था,
एक गहरे समन्दर में खोया था,
दूर दूर तक सच कुछ नहीं था,
मैं एक झूठी दुनियाँ में रोया था,
राही (अंजाना)

मुख

July 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

उसका मुख देखना जारी रहा,
मेरा प्यार उस पर भारी रहा।
राही (अंजाना)

परिंदा

July 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

गमों के आसमान का तू परिंदा क्यों है,
झूठी उम्मीदों की ज़मी पर तू ज़िंदा क्यों है,

सिकोडे हैं हौंसलों के तू क्यों पर अपनें,
उम्मीदों पर न टिके तू वो वाशिंदा क्यों है।।
राही (अंजाना)

बहु

July 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

उस पल को तो आना ही था,
तुझको विदा हो जाना ही था,
ये रीती रिवाजों की ज़ंज़ीर थी,
जिसमे तुझे बन्ध जाना ही था,
बेटी रही तू मेरी जान से प्यारी,
तुझको बहु बन जाना ही था।।
राही (अंजाना)

ख़बर

July 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अपने ग़म और खुशियों के बीच दूरी रखता हूँ,
मैं राही अंजाना मगर सबकी ख़बर रखता हूँ।।
राही (अंजाना)

साहिल

July 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तैरने निकला था समन्दर ने मुझको सहसा डरा दिया,
फिर लहरों ने ही कश्ती को मेरी साहिल दिला दिया।।
राही (अंजाना)

किताब

July 9, 2018 in शेर-ओ-शायरी

आओ किताबों के पन्नों से बाहर निकल चलते हैं,
काले अक्षरों से निकल रौशनी की ओर चलते हैं,
बहुत पढ़ लिए विषय इन किताबों के,
आओ हकीकत के दो पन्ने पलट कर देखते हैं।।
राही (अंजाना)

हिसाब

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मेरी खुशियों और गमों का भी हिसाब रखते हैं,
न जाने क्यों लोग मुझसे इतना प्यार करते हैं।।
राही (अंजाना)

भगवान

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हक मेरे भगवान पर सारे बाशिंदों का है,
किसी एक के घर का वो पहरेदार नहीं।।
राही (अंजाना)

बिजली

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अब घर में बिजली का मेरे बिल नहीं आता,
तेरे प्यार की रौशनी में हर कोना घूम लेता हूँ।।
राही (अंजाना)

चेहरा

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

सारे आईने अपने घर से बाहर निकाल फैंके,
तुम्हारी आँखों में ही जब चेहरा अपना देख लिया।।
राही (अनजाना)

मौसम

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जब से तेरे प्यार के मौसम की चपेट में आया है,
राही पर किसी मौसम का कोई असर नहीं होता।।
राही (अंजाना)

पहचान

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अच्छा बनने के लिए अच्छे लिबास पहन लूँ,
ये कौन सा पैमाना है मेरी पहचान का।
राही (अंजाना)

रुखसत

July 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

लौट कर आते ही नहीं जाने वाले इस डर से,
लोगों को रुखसत करना ही छोड़ दिया मैने।।
राही (अंजाना)

मुट्ठी

July 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी एक अनसुलझी पहेली सी नज़र आती है,
कभी किसी कि सगी तो कभी सौतेली सी नज़र आती है,
रूठना रूठ कर मान जान जाना इंसानों की फितरत होगी,
पर ज़िन्दगी गर रूठ जाए तो ज़िद्दी सी नज़र आती है,
खेलती है खिलाती है हंसती है रुलाती है पल पल कितने ही रंग दिखाती है,
जिस तरह निकल जाती है बन्द मुट्ठी से रेत,
यूँही ज़िन्दगी भी हाथों से सरकती सी नज़र आती है॥
राही (अंजाना)

खुशियों की दुकाने भरने की खातिर

July 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुशियों की दुकाने भरने की खातिर,
दर्द की तस्वीरें खरीदी जाती हैं,
खुद की तारीफों के पन्ने भरने को,
क्यों सरेआम न्यूज़ बटोरी जाती हैं।।
राही (अंजाना)

ओस की बूंदों सी वो मुझको नज़र आती है

July 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओस की बूंदों सी वो मुझको नज़र आती है,
जब छूने चलों उसको तो वो झट से छटक जाती है,
पेड़ पौधों पर हक ऐ प्यार जताती है मगर,
मेरी मौजूदगी सी भी जैसे दुश्मनी निभा जाती है।।
राही (अंजाना)

हर एक काम में हुनर अपना दिखाती है

July 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर एक काम में हुनर अपना दिखाती है,

हर मुश्किल से जैसे लड़ना सिखाती है,

जल्द ही गिरकर उठते नहीं हम लोग,

वो हर बार बढ़कर हौंसला बढ़ाती है,

खुली आँखों जिसे ठोकर मारते हैं अक्सर,

वो सोती नींदों में हमारा घरौंदा बनाती है।।

राही (अंजाना)

साथ

July 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

वो मेरे घर में मेरे साथ नहीं रहती,
वो मेरी होकर भी मेरे पास नहीं रहती,
वो है मगर दूर मुझसे रहती है,
वो दिल है तो धड़कन मेरी साथ नहीं रहती।।
राही (अंजाना)

मरहम

July 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जख्म हो तो मरहम लगाना ही पड़ता है,
दिल में कुछ तो छुपाना ही पड़ता है,
बोल दो हर बात ज़ुबा से जरुरी तो नहीं,
कभी खामोश भी तो हमें ही हो जाना पड़ता है।।
राही (अंजाना)

दिल

July 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

दिल लेकर भी जब मेरा चैन नहीं आया उन्हें,
उन्होंने मेरे ख्वाबों को भी अपने नाम कर लिया।।
राही (अंजाना)

मोहब्बत

July 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत ऐ इम्तेहान की इंतहा तो तब हुई,
जब दिन में भी उसके ख्वाबों से बाहर न आ सके हम।।
राही (अंजाना)

जहमत

July 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मुझे कुछ भी कहने की ज़हमत नहीं होती,
वो खुद ब खुद मेरी आँखों से छलक जाती है।।
राही (अंजाना)

खेल खेलने बैठा तो खिलाड़ी न मिला

July 7, 2018 in मुक्तक

खेल खेलने बैठा तो खिलाड़ी न मिला,
एक बन्दर को उसका मदारी न मिला,
ज़िन्दगी की बिसात में हम कुछ फंसे ऐसे,
कि हमारी चालोन को कोई जबाबी न मिला।।
राही (अंजाना)

चाल

July 6, 2018 in शेर-ओ-शायरी

खेल खेलने बैठा तो खिलाड़ी न मिला,
एक बन्दर को उसका मदारी न मिला,
ज़िन्दगी की बिसात में हम कुछ फंसे ऐसे,
कि हमारी चालो को कोई जबाबी न मिला।।
राही (अंजाना)

घड़ी

July 6, 2018 in शेर-ओ-शायरी

घड़ी की मरम्मत तो करा लूं मगर,
अपने समय को ठीक कराऊँ कैसे।।
राही (अंजाना)

छोटी बातें

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोटी छोटी बातों से ही बन्धन से बन्ध जाते हैं,
हम अपनों से भी जादा अक्सर दूजों से जुड़ जाते हैं,
कुछ कहना हो तो खुलकर हम अपने मन की कह जाते हैं,
कुछ रिश्तों में रहकर हम मन ही मन मुस्काते हैं।।

राही अंजाना

पोटली

July 5, 2018 in शेर-ओ-शायरी

यादों की पोटली तेरी खोल के न देखूंगा,
आँखों की कोठरी मैं खोल के न देखूंगा,
तू जब समझी नहीं मेरी ज़ुबानी ये कहानी,
तो अब खामोशी के एहसासों की कोई टोकरी न देखूंगा।।
राही (अंजाना)

पहचान

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जात-पात के बन्धन में एक पुतला बनकर इतराता है,

क्यों छोटी छोटी बातों पर ही तू अपनों को ठुकराता है,

एक माँ की सन्तान है पर क्यों अलग-थलग मंडराता है,

अपने ही घर में तू कैसे अपनों को हाथ लगाता है,

नारी जाति सम्मान ही क्यों पैरों से कुचला जाता है,

रिश्तों के चिथड़े अखबारों में क्यों खुले आम छपवाता है,

संस्कारों की प्रकृति विशेष का क्यों दम भरकर दिखलाता है,

जब अपनी ही प्रवर्ति से तू अपनी पहचान बनाता है,

जब नग्न यहाँ कोई आता है और नग्न यहाँ से जाता है,

फिर क्यों अपनी माँ के माथे पर अपमान का तिलक लगाता है।।
राही (अंजाना)

हुनर

July 5, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हुनर तुम्हारे तुम पर ही आजमाए गए,
तुम जुल्मी बस हमारे ही कहाये गए।।
Rahi

यूँ तो नज़रन्दाज़ नहीं करते लोग खामियाँ मेरी

July 3, 2018 in मुक्तक

यूँ तो नज़रन्दाज़ नहीं करते लोग खामियाँ मेरी,
तो मैं भी क्यूँ दिखाऊं खुलकर उनको खूबियां मेरी,
अभी सीख रहा हूँ तैरना तो हंसी बनाने दो मेरी,
जब डूब कर समन्दर से निकल आऊंगा तो देखेंगे वो करामात मेरी॥
राही (अंजाना)

ढह गए कितने ही ईमान ऐ मकाँ एक बोतल की चाहत में

July 3, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ढह गए कितने ही ईमान ऐ मकाँ एक बोतल की चाहत में,
मगर बोतल ने बिक कर भी अपना ज़मीर नहीं छोड़ा।।
– राही (अंजाना)

टुकड़े माँ के दिल के हजार हो गए

July 2, 2018 in शेर-ओ-शायरी

टुकड़े माँ के दिल के हजार हो गए,
जिस पल बंटवारे में उसकी ममता आई।।
– राही (अंजाना)

सौगातें

June 30, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बनाकर बातों से बातें, यहां बातें निकलती हैं,

यूँ ही, ज़िन्दगी के सफर की रातें निकलती हैं,

के जिंदा है जो ग़र कोई, तो अपनी वो ज़ुबाँ खोले,

यहाँ बेजुबानों की जुबाँ से भी खुराफातें निकलती हैं,

बड़ी मुददत से बैठी थीं, जो दिल के सुराखों में,

पड़े जम के जो बारिश, तो कहीं करामातें निकलती हैं,

हकीकत की ही आँखों से न सब मोती निकलते हैं,

कभी ख़्वाबों की सोहबत से भी सौगातें निकलती हैं।।

राही (अंजाना)

करामातें

June 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बनाकर बातों से बातें, यहां बातें निकलती हैं,

यूँ ही, ज़िन्दगी के सफर की रातें निकलती हैं,

के जिंदा है जो ग़र कोई, तो अपनी वो ज़ुबाँ खोले,

यहाँ बेजुबानों की जुबाँ से भी खुराफातें निकलती हैं,

बड़ी मुददत से बैठी थीं, जो दिल के सुराखों में,

पड़े जम के जो बारिश, तो कहीं करामातें निकलती हैं,

हकीकत की ही आँखों से न सब मोती निकलते हैं,

कभी ख़्वाबों की सोहबत से भी सौगातें निकलती हैं।।

राही (अंजाना)

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