भोजपुरी लोकगीत कजरी – रोपनिया ना |

June 12, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी लोकगीत कजरी – रोपनिया ना |
जबले मिलिहे ना झुलनिया |
हम ना करबे रोपनिया ना |
जबले बाजीना छम छम पयजनिया|
हम ना करबे रोपनिया ना |
हमसे हरदम सइया करेला बहाना |
अबले दिहला ना एकहू गहना |
चाहे बरसे झम झम पनिया |
हम ना करबे रोपनिया ना |
जब जब जोतेला तू हरवा बइलवा|
रहिला हमहू हरदम सइया सांगवा |
टप टप चुये मोर दलनिया |
हम ना करबे रोपनिया ना |
नईहर के पावल अबले पहिनली |
दुई गो गहनवा बलाए सहेजली |
बिया पियरईहे चाहे बरसे पनिया |
हम ना करबे रोपनिया ना |
चाहे जेतना मनावा चली ना बहाना |
ला खाला आपन नुन रोटी खाना |
पहिन झूलनी बनबो तोहार सजनिया |
हम ना करबे रोपनिया ना |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत -हमार काली मईया |

June 12, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देवी गीत -हमार काली मईया |
चली अइली चरन तोहार काली मईया |
पूरा कर दा मनसा हमार काली मईया |
जापिला हरदम माई तोहार सुनर नामवा |
सुफल करा हमरो माई मानुष जनमवा |
मारी तिरीसुलवा भगावा दुखवा मुदइया |
पूरा कर दा मनसा हमार काली मईया |
तोहरी चरनिया बसे सारा सुखवा संसार हो |
दुनिया मे देवे नाही तोहसे बढ़ के दुलार हो |
फेरि दा नजरिया बदला बिगड़ल समइया |
पूरा कर दा मनसा हमार काली मईया |
जगवा मे फइलल सगरो कोरोना महमरीया |
दूर करा महमारी माई इहे हमरो बिनीतिया |
आवा हमरे देशवा माई होजा तू सहइया |
पूरा कर दा मनसा हमार काली मईया |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

कविता – बरखा तुम आओ

June 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता – बरखा तुम आओ
मिटे जलन तपन गर्मी बरस तुम जाओ |
मनाए हम उत्सव तेरा बरखा तुम आओ |
तप रहे खेत ताल नदी पोखर तुम कहा |
फटी जमीन प्यासे सब पशु पक्षी यहा |
कबसे राह निहारे तेरी तरस तुम खाओ |
मनाए सब उत्सव तेरा बरखा तुम आओ |
बृक्षों हरियाली नहीं गाती कोयल मतवाली नहीं |
दिखे जन खुशहाली नहीं होती तन रखवाली नहीं |
तपते तन अब कर सरस तुम जाओ |
मनाए सब उत्सव तेरा बरखा तुम आओ |
बन के फुहार बारिस बौछार तुम लपको |
रिमझिम मधुर झंकार बन तुम हर्षो |
संग मेघो लबालब खेतो मल्हार तुम गाओ|
मनाए सब उत्सव तेरा बरखा तुम आओ |
प्रिय को प्रियतमा की खबर मिली नहीं |
हिय मिलन की चाह कली खिली नहीं |
काली घटाओ प्रिया जुल्फों लिपट तुम जाओ |
मनाए सब उत्सव तेरा बरखा तुम आओ |
बन बिजली चमको सजनी रुप सम दमको |
धरती कोख पनपे रूपसी जस तुम लहको |
श्रिंगार प्रकृति तन मन कर तुम जाओ |
मनाए सब उत्सव तेरा बरखा तुम आओ |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

बाल गीत – मजदूरी ना कराना |

June 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल
श्रमिकों के नाम प्रस्तुत मेरी एक बाल गीत
बाल गीत – मजदूरी ना कराना |
लगा लॉक डाउन बाल मजदूरी ना कराना |
भूखे बच्चो भोजन कराना जी हुज़ूरी ना कराना |
अबोध बच्चो को प्यार का सहारा है |
माँ बाप के प्यार ने जीवन उनका सुधारा है|
नन्हें हाथो हथोड़ा ना कोई थमाना |
भूखे बच्चो भोजन कराना जी हुज़ूरी ना कराना |
जीना खाना पढ़ना रहना अधिकार है |
खेलना कूदना हँसना उपचार उनका है |
गरीब बच्चों ना तुम कभी सताना |
भूखे बच्चो भोजन कराना जी हुज़ूरी ना कराना |
नन्हें बच्चे भारत का भविष्य है जानो |
बागडोर देश हाथ होगी ये तुम मानो |
मरते बच्चो जान है सबको बचाना |
भूखे बच्चो भोजन कराना जी हुज़ूरी ना कराना |
चाहिए जिन हाथो खिलौना जूठन थमाते हो |
मिलना पुचकार जिनको गालिया सुनाते हो |
उदास मुखड़े अब मुस्कान है खिलाना |
भूखे बच्चो भोजन कराना जी हुज़ूरी ना कराना |
बाल मजदूरी भारत मे अपराध होती है |
निर्दयी मालिक से मासूमियत रोती है |
प्यारे बच्चो हाथो कलाम है थमाना |
भूखे बच्चो भोजन कराना जी हुज़ूरी ना कराना |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

कविता- इंसान मे जानवर

June 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता- इंसान मे जानवर
हाथी एक जानवर मगर
इंसान की इंसानियत ढोता रहा |
थके मांदे एक शेर के बच्चे को
अपनी सुंढ मे ढोता रहा |
इंसान कहने को आदमी मगर
जानवर से बदतर होता जा रहा |
गर्भवती हथिनी को
बम भरा फल खिलाये जा रहा |
दर्द की हद को हराने
जल के अंदर साँसे रोक
मुंह को जल मे सुबाए
पानी और पानी पिता रहा |
खड़े खड़े अपनी जिंदगी की
साँसे रोके जा रहा |
पशु हिंसक हो सकता था
कितनों को रौंद सकता था
मगर दर्द सारा खुद सह लिया |
तोड़ अपने साँसे
दुनिया से बिदा हो लिया |
सम्झना मुश्किल है
जानवर इंसान बन गया
या जानवर मे इसान जिंदा हो रहा |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल- प्यास पानी हो गई |

June 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- प्यास पानी हो गई |
तुझसे बीछड़ दर्द इश्क अब कहानी हो गई |
आँख से उमड़ा समंदर प्यास पानी हो गई |
छलकता सागर आंखो से सैलाब की तरह |
तेरी यादे मेरी रोज रातो की रवानी हो गई |
खिलते फूल देख तेरा हंसना याद आता है |
सिसकती ओस की बुंदों की जवानी हो गई |
आती है बहारे तेरे लहराते आँचल की तरह |
चर्चा तेरे मेरे इशक सबकी जुबानी हो गई |
जितना भूलना चाहा तुम उतना याद आए |
तू पास नहीं यादे सारी तेरी निसानी हो गई |
तेरे इश्क का जादू है कभी उतरता ही नहीं |
करके इश्क तुझसे शायद नादानी हो गई |
जब भी याद आओ साथ तुम भी आ जाओ |
तेरी हर निसानी अब और सयानी हो गई |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल- अवकात नही |

June 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- अवकात नही |
चाहे जितना ज़ोर लगा ले दुशमन डर हमे कोई खास नहीं |
डरा दे भारत कोई अफसोस मगर इतनी भी अवकात नही |

लौकी का बतिया नहीं भारत जो अंगुली देख मुरझा जाये |
गर्व हमे विरो अपने मत कहना हमे तुमपर विश्वाश नहीं |

सर बांध कफन सीमा डटे रहते हरदम है तुमको सलाम |
दम इतना कहा दुशमन जो सह सके हमारा आघात नहीं |

जिस जननी ने जन्म दिया सिर चरणों उसके झुकाते है |
लड़ते लड़ते मर जाये गर दे न सके विजय सौगात नहीं |

हट गया चीन पीछे सीमा पर सुन भारत की ललकार को |
छिन सकता जान मगर छिन सकता भारती जज़बात नहीं |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

कविता- इंसान मे जानवर

June 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता- इंसान मे जानवर
हाथी एक जानवर मगर
इंसान की इंसानियत ढोता रहा |
थके मांदे एक शेर के बच्चे को
अपनी सुंढ मे ढोता रहा |
इंसान कहने को आदमी मगर
जानवर से बदतर होता जा रहा |
गर्भवती हथिनी को
बम भरा फल खिलाये जा रहा |
दर्द की हद को हराने
जल के अंदर साँसे रोक
मुंह को जल मे सुबाए
पानी और पानी पिता रहा |
खड़े खड़े अपनी जिंदगी की
साँसे रोके जा रहा |
पशु हिंसक हो सकता था
कितनों को रौंद सकता था
मगर दर्द सारा खुद सह लिया |
तोड़ अपने साँसे
दुनिया से बिदा हो लिया |
सम्झना मुश्किल है
जानवर इंसान बन गया
या जानवर मे इसान जिंदा हो रहा |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत- दे दा दरसनवा |

June 9, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देवी गीत- दे दा दरसनवा |

हाथ जोड़ी माई के मनाई दिन रात हो |
दे दा दरसनवा सिरवा रखा तनी हाथ हो |
केहु नईखे आगे पीछे तोहरो बा सहारा |
डुबत नईया मइया लगाई दा किनारा |
भटकत भक्त माई दे दा आपन साथ हो |
दे दा दरसनवा सिरवा रखा तनी हाथ हो |
सगरो नगरिया मइया लउकेला अनहार बा |
लेला पुजनिया हमरो सुना बिनती हमार बा |
अबोध बलकवा माई हम हइ अनाथ हो |
दे दा दरसनवा सिरवा रखा तनी हाथ हो |
फूल अड़हुलवा मालवा माई हम चढ़ाइब |
गइया के घियवा सोना दियना जराइब |
झुलेली झुलूआ माई निमिया के गाछ हो |
दे दा दरसनवा सिरवा रखा तनी हाथ हो |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत- माई के दीवाना |

June 9, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देवी गीत- माई के दीवाना |
मन मगन हो गइल माई के दीवाना |
गावे भजन पूजे माई के जमाना |
बिना माई केहु कल्याण ना होला |
बीना किरीपा केहु महान ना होला |
लुटावेली माई आपन प्यार के खजाना |
मन मगन हो गइल माई के दीवाना |
बिधाता के लिखल केहु कइसे मिटाई |
माई किरीपा सब दुख दूर हो जाई |
अइली माई भइल मौसम सुहाना |
मन मगन हो गइल माई के दीवाना |
ऋषि मुनि देव सब केहु पूजेला |
जोरी जोरी हथवा चरण मे झुकेला |
करा दरसनवा करा ना बहाना |
मन मगन हो गइल माई के दीवाना |
जग जननी जगदंबा काली कहाली |
नामवा बहुत बाकी सबसे पुजाली |
रूपवा निहारी भारती भाईले मस्ताना |
मन मगन हो गइल माई के दीवाना |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत- घंटा घनघोर |

June 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भोजपुरी देवी गीत- घंटा घनघोर |
बजे लागल घंटा घनघोर |
भरी गइल अँखिया के कगरी |
घेर लेलस माई भाव बड़ी ज़ोर |
तरसे मोर बरसत नयनवा |
माई काहे दिहली हमरा के छोड़ |
बजे लागल घंटा घनघोर |
धई धई धोवेले चरनिया |
भारती हिया हहरे हिलोर |
चूमी चूमी माई के चरनवा |
देखा माई तनी हमरी ओर |
बजे लागल घंटा घनघोर |
मगन गगन देव लोग हरषे |
अंजुरी फूल बरसे सिर ओर |
कंवल काली अँखिया काली माई |
देखा तनी भक्त भारती ओर |
बजे लागल घंटा घनघोर |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल- खुबसुरत ख्वाब हो |

June 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- खुबसुरत ख्वाब हो |
मेरे इश्क ए सफर का तुम जवाब हो |
मेरे महबूब तुम एक खुबसुरत ख्वाब हो |
सिवा तेरे किसी की चाहत न रहीं अब |
बागो बहारों का तुम खिलता गुलाब हो |
नहीं कोई तुझसा हसीन कोई जमाने मे |
पहली शुबह का उगता तुम आफताब हो |
लाखो पैमानो का नसा तेरी आंखो मे है |
ताउम्र कभी उतरे न तुम वो शराब हो |
तब्बसुम तेरा होठो कलिया शर्मा जाये |
हुश्न ए जन्नत हूरों तुम खूब शबाब हो |
हंसी ऐसी तेरी जैसे तर्र्नुम झरनो का |
भूल न पाये जिसे तुम वो एहसास हो |
दिल लगाया तुमसे क्या गुनाह किया |
जान बन गई जिंदगी की तुम सांस हो |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपूरी देवी गीत (आल्हा धुन) – मइया न देर लगाय |

June 9, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपूरी देवी गीत (आल्हा धुन) – मइया न देर लगाय |
मुंह से महिमा केतना सुनाये,कालिका बरनी ना जाय |
जेतना गाई ओतना पाई ,गावत गावत पार ना पाय |
जय जय हे काली भवानी ,किरपा तोहरो गवलो ना जाय |
हाथ जोड़ी के जे भी पुकारे ,देवी उनपर खुश होई जाय |
नारियल सुपारी फूल चढ़ावे ,माई मगन तब होई जाय |
बड़ी दयालु मोरी काली माई ,आवत कबों ना देर लगाय |
लाल चुनरिया चम चम चमके , रूपवा माई निरख ना पाय |
जे भी पूजे उ फल पावे ,भगतन झोली खाली ना जाय |
ढ़ोल नगाड़ा घंटा बाजे , बजे शंख रहे गगन घहराय |
जगमग जगमग ज्योति जरावे ,धूप कपूर रहे सब महकाय |
काली माई मूहवा उजारा ,जीभवा लप लप लाल लपकाय |
माई चरण सब शीश झुकावे ,वर देवे माई हाथ उठाय |
जादू टोना भूत परावे ,जब जब नाम काली गोहराय |
छप छप कांटे दुखवा हरावे ,थर थर बैरी भाग पराय |
माई के आरती भारती गावे ,जागा मईया ना देर लगाय |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल- मै ही अंदर था |

June 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- मै ही अंदर था |
बहर – मुजतस मुसम्मन मखमुन महजूफ
अरकान -मुफाएलुन फ़एलातुन मुफाएलुन फेलून
1212 1122 1212 22
काफिया – दर ,रदीफ़ – था
*************************************
ढूँढना उसे कहा जिधर देखो उसी का मंजर था |
जब कुए मे झांक कर देखा तो मै ही अंदर था |
नजर उठा कर देखो हर तरफ उसी का नजारा है |
करके सजदा देखा दीदार उसका कितना सुंदर था |
दिखता नहीं वो गर लगा लिया चशमा बुराई का |
दिल से पुकार देखा उमड़ता प्यार का संन्दर था |
चाहत नफरत मोहब्बत सब उसी का बदला रूप |
जिसने जितना चाहा उसे वही मस्त कलंदर था |
मीरा का श्याम रुक्कमनी सत्यभामा कृष्ण कहो |
गोप गोपिया ही नहीं कान्हा राधा का दिलवर था |
मंदिर मस्जिद या गिरिजा गुरुद्वारा मे ढूंढो उसे |
दिल से मानो खुदा वरना पड़ा रास्ते का पत्थर था |
आई जो मुसीबत क्यो इतना घबराते भारती तुम |
हाथ दोनों उठाकर जो पुकारा वही हमारा रहबर था |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली |

June 5, 2020 in भोजपुरी कविता

विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक बधाई |
भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली |
बचावा तनी धरती माई मौका फिर तोहार ना मिली |
मिटावा जनी सुनर अइसन ई संसार ना मिली |
केतना सुखवा चाही मिली छहवा कहा राही |
लगावा पेडवा हम कही ठिकाना ना कही |
जनवा बचावेके कही जोगाड़ ना मिली |
मिटावा जनी सुनर अइसन ई संसार ना मिली |
कबो आवे बाढ़ तूफनवा बरसे बिन मौसम सवनवा |
कही तरसे पानी परनवा धधके कही अगिया बनवा |
भिंगावे मनवा अइसन कबों फुहार ना मिली |
मिटावा जनी सुनर अइसन ई संसार ना मिली |
कही गरमिया जान सुखावे कही जड़वा हाड़ कंपावे |
सुख गईले ताल तलैया मर गइली चील चिरईया |
चूक गईला फिर मौका दुबार ना मिली |
मिटावा जनी सुनर अइसन ई संसार ना मिली |
काटी काटी पेड़ के तनवा बन गइले महल भवनवा |
उखाड़ फुखाड़ पर्वत बनवा लउके सगरो शमशनवा|
बीजरी बरखा के कबों टंकार ना मिली |
मिटावा जनी सुनर अइसन ई संसार ना मिली |

कुपित भईली प्रकृति महारानी ,
आइल सुनामी लेके प्रलय तूफानी |
देखा दुनिया के बिगड़ल कहानी |
धरती बचावा ना करा मनमानी |
फिर भारती कर जोरी पुकार ना मिली |
मिटावा जनी सुनर अइसन ई संसार ना मिली |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल – फूल मुरझा नहीं सकता |

June 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल – फूल मुरझा नहीं सकता |
काफिया – अझा ,रदीफ़ – नहीं सकता
बहर- हजज मुसझन सालिम
अरकान – मुफाइलून मुफाइलून मुफाइलून मुफाइलून
1222 1222 1222 1222
ये मत समझो खिला जो फूल मुरझा नहीं सकता |
हारा नहीं मै जिंदगी से उलझनों सुलझा नहीं सकता |
कह दो कोई कोरोना से अपनी हद मे रहे
इतना डरा नहीं हूँ मै उसे समझा नहीं सकता |
बंद कर ले तू अपने दिल के सब दरवाजे |
दिल तेरा कोई दीवार नहीं आ जा नहीं सकता |
रोक नहीं सकेगा मिलने से इश्क मे धर्म कोई |
मेरा महबूब कोरोना नहीं जिसे अपना नहीं सकता |
बनाया रहनुमा तुझे हमने खुदा बनके दिखाओ |
हमारी रोटी के मसले अब तुम उलझा नहीं सकते |
चढ़ तो आया है चीन तू भारत की सीमा पर |
मगर जान ले सीमा ए हिन्द जिंदा जा नहीं सकता |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी गीत- देशवा बढ़इहा ये भईया |

June 2, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत- देशवा बढ़इहा ये भईया |
खुलल लोक डाउन अब खूब कमइहा ये भइया |
करिहा कमाई आपन जनवा बचइहा ये भइया |
अपने गउआ के खूब चमकइहा |
परती खेतवा अपने हरवा चलईहा |
उगली सोना खेतवा पसीना खूब बहइहा ये भईया |
खुलल लोक डाउन अब खूब कमइहा ये भइया |
जाइके शहरिया नाही ठोकर अब खाएके |
सिरवा झुकाई ना इज्जतीया गवावेके |
जेतना जुटी ओतने घरवा खइहा ये भइया |
खुलल लोक डाउन अब खूब कमइहा ये भइया |
करबा जे किसनिया धरतिया हरियाई |
भरल रही धनवा ना अनवा ओराई |
अपने लइकन के खूब पढ़इहा ये भइया |
तोहरे करनवा बनी देशवा महान हो |
तुही हवा अन्नदाता तुही किसान हो |
आगे बढीहा अपने देशवा बढ़इहा ये भइया |
खुलल लोक डाउन अब खूब कमइहा ये भइया |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत –फेरिहा ये मइया |

May 24, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देवी गीत –फेरिहा ये मइया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
सुधिया तनी हमरो आज लिहा ये मइया |
सब के त दिहलु माई अन धन सोनवा |
अंधरन के अँखिया बाझिन के ललनवा |
चरनिया तनी डलतू हमरो टूटही मड़इया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
परमहंस ठाकुर माई दरसन दिहलु |
कालीदास मूरख आँख अंजन कइलू |
भक्त रहशू माई भइलू तू सहइया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
कलकता के काली माई महिमा महान हो |
तोहरे किरीपा से होला जगमग जहान हो |
कहीया लेबू माई अब तू हमरो खबरिया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
छोडब ना चरनिया चाहे जान चली जाई |
धुरिया चरनिया माई मथवा लगाई |
डालीदा आपन भारती दया के चदरिया|
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी गीत- फिर उहे दिनवा |

May 24, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत- फिर उहे दिनवा |
फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही |
रोवत चिरइया कबों चहकीहे की नाही |
फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही |
छाईल बा सगरो कोरोनवा के कहरिया |
बंद भइले माल सगरो बंद बा बज़रिआ |
बगिया बहार कली चटकीहे की नाही |
फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही |
भागी पराई लोगवा घरवा लुकाईले |
रोजी रोजगार शहरवा बन हो गईले |
गोरी गजरा फूल महकिहे की नाही |
फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही |
भईले मजबूर मजदूर चले पैदल डहरिया |
दाना पानी मिले नाही कठिन सफरिया |
सावन झूला डार लटकिहे की नाही |
फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही |
दया करा दईबा भगावा देशवा कोरोनवा |
दूभर कइलs जान बैरी देश दुशमनवा |
बरतिया नचनिया नाच मटकिहे की नाही |
फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत –फेरिहा ये मइया |

May 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भोजपुरी देवी गीत –फेरिहा ये मइया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
सुधिया तनी हमरो आज लिहा ये मइया |
सब के त दिहलु माई अन धन सोनवा |
अंधरन के अँखिया बाझिन के ललनवा |
चरनिया तनी डलतू हमरो टूटही मड़इया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
परमहंस ठाकुर माई दरसन दिहलु |
कालीदास मूरख आँख अंजन कइलू |
भक्त रहशू माई भइलू तू सहइया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
कलकता के काली माई महिमा महान हो |
तोहरे किरीपा से होला जगमग जहान हो |
कहीया लेबू माई अब तू हमरो खबरिया |
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
छोडब ना चरनिया चाहे जान चली जाई |
धुरिया चरनिया माई मथवा लगाई |
डालीदा आपन भारती दया के चदरिया|
नजरिया तनी हमरो पर फेरिहा ये मइया |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी देवी गीत – होखत दरशनवा |

May 17, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देवी गीत – होखत दरशनवा |
मह मह महकत बा भवनवा |
कालिका जी के होखत दरशनवा|
सोनवा से साजल माई दरबार बा |
तोहरे खातिर छोड़ली घरबार बा |
बलका रोई बरसत बा नयनवा |
कालिका जी के होखत दरशनवा|
मह मह महके गरवा लाल अड़हुलवा |
चम चम चमके हथवा माई त्रिशूलवा |
जय जय जैकार गुंजत बा गगनवा |
कालिका जी के होखत दरशनवा|
लह लह लहके माइके चुनरिया |
चह चह चहके मेहँदी अंजोरिया |
झूमी भगता नाचत बा मगनवा |
कालिका जी के होखत दरशनवा|
माई के चरनिया सिर मथवा लगाई|
गाई गीतिया भारती मईया मनाई |
नाची नाची लोगवा गावत बा भजनवा |
कालिका जी के होखत दरशनवा |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना |

May 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना |
प्रिया प्रिय बिना देह हिय बिना |
नीर क्षीर बिना भोजन खीर बिना |
उत्सव उदास उपहार बिना |
सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना |
खेत अन्न बिना कोष धन बिना |
विचार मन बिना आचार बेद बिना |
कैसा रिस्ता ब्यवहार बिना |
सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना |
प्यार भाव बिना यार चाह बिना |
तलवार वार बिना सागर खार बिना |
डूबे नैया पतवार बिना |
सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना |
भाई बहन बिना संतान दमपत्ति बिना |
चलन रहन बिना दान संपत्ति बिना |
अतिथि अपमान सत्कार बिना |
सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना |
किलकारी बाल बिना कुल खानदान बिना |
ससुर दामाद बिना कन्या दान बिना |
लज्जित दुल्हन संसकार बिना |
सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना |
नईहर मात बिना नानी नात बिना|
पीहर पति बिना काम रति बिना |
बेबस बचपन पुचकार बिना |
सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल- भूख के मारे हुये है |

May 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- भूख के मारे हुये है |
भूख ले आई शहर हम भूख के मारे हुये है |
छोड़ चले शहर को हम भूख के सताये हुये है |
कोरोना के कहर ने बदल दी है जिंदगी मेरी |
वाइरस से पहले भूख की आग जलाए हुये है |
बड़े बेआबरू होकर निकले सफर जरिया नहीं |
जाये तो जाये किधर हम मंजिल भुलाए हुये है|
कटता नहीं ये सफर हुकूमत का पहरा बहुत है |
चलना हुआ दुशवार नहीं दिनो से खाये हुये है |
थम जाएगी कब सांस गाँव भी अपना दूर है |
पैदल सही दिल उम्मीद मंजिल जगाए हुये है |
भूख लाई थी शहर भूख लौटा ले जा रही हमे |
पास दाना न पानी जेब सुखी रोटी दबाये हुये है |
कब मिल पाएंगे हम अपनो से हमे क्या मालूम |
लड़खड़ाते कदमो हम उधर नजरे गड़ाए हुये है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

चंद मुक्तके – विजय हमारी है |

May 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चंद मुक्तके – विजय हमारी है |
प्रभु की माया होगा कोरोना का सफाया |
इसी मंसा मोदी ने लोक डाउन लगाया |
चहुं ओर मचाया हाहाकार छुपा दुशमन |
धीरे धीरे सबने मिलकर है असर घटाया ||1||

लौटकर खुशी फिर घर सबके लुभाने लगी |
बच्चो की खुशिया उछल कूद मचाने लगी |
बूढ़े जवान सभी लेते सांस राहत की अब |
उठाया कदम दमन अब असर दिखाने लगी ||2||

ग्रीन गुलाबी लाल रंगो बंटा देश का हिस्सा |
हटी पाबन्दिया कुछ कही मर्ज का किस्सा |
किया इतना सब्र थोड़ा और कर लेंगे हम |
खड़ा किया जो हउआ कट बचा मात्र बित्ता ||3||

लड़ना जिवन का काम चाहे दुशमन शैतान |
होगी विजय हमारी लड़ेंगे नहीं करेंगे आराम |
होगा जो नियम हम हर हाल मे मान लेंगे |
रासन पानी कि किल्लत ना करेंगे घमासान ||4||
खुद से ज्यादा रक्षा वतन की प्यारी है |
भारत की आन बान शान सबसे न्यारी है |
न थकना न रुकना ना झुकना है हमे |
खुल जाएँगे सारे बंधन जो हमने गुजारी है||5||

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

कविता- जीत लेंगे |

May 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता- जीत लेंगे |
अबतक तो जीते है हम आगे भी जीत लेंगे|
विजय भारत नाम इतिहास पन्नो लिख लेंगे |
लड़ी है लड़ाइया कितनी हार ना मानी हमने |
छुपे दुश्मन कोरोना को हम बाहर खींच लेंगे |
भारत हर खासो आम देश के साथ लड़ाई मे |
जरूरत पड़ी वतन को अपने लहू सींच लेंगे |
थोड़ा असर तो दिखाया दुशमन ने आते आते |
मरने ने देंगे किसी अपने उसे बांहों भींच लेंगे |
कभी डरे नहीं क्यो डरे हम दुश्मन कायर से |
हमारी लड़ाई हम ही लड़कर खुद जीत लेंगे |
अपना ही नहीं हमे दुनिया का भी ख्याल है |
बचाकर जान गैरो दुनिया को हम सीख देंगे |
फैलाया कोरोना वाइरस चीन मानवता दुशमन |
सुखी रोटी खाये मगर ना हम उससे भीख लेंगे |
हो चुका अधमरा कोरोना कातिल अबतब है |
निकलेंगे जल्द हम घरो ईश्वर हम आशीष लेंगे |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजभोजपुरी गीत = बलमुआ ना अईले |पुरी देशभक्ति गीत-भारत देशवा हमार |

April 30, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत = बलमुआ ना अईले |
धक धक धड़के मोर छतिया |
हे सखी मोर बलमुआ ना अईले |
नींदिया ना आवे सारी रतिया |
हे सखी मोर बलमुआ ना अईले |
लोगवा कहेला देशवा कोरोनवा आइल बा |
लागल लोकडाउनवा कहा सजनवा भुलाइब बा |
बंद बा मोबाइलवा होवे नाही बतिया |
हे सखी मोर बलमुआ ना अईले |
चिंता सतावे कैईसे होइहे मोर सजनवा |
सुना पड़ल सेजिया सुना बा अंगनवा |
कहवा से अईले बैरी कोरोना नतिया |
हे सखी मोर बलमुआ ना अईले |
सजना बिना बेकार सिंगार का करी हम |
जबले ना अइहे इंतजार अब करी हम |
साले बहुत हमके पिया के सुरतिया |
हे सखी मोर बलमुआ ना अईले |
मिलिहे कोरोनवा उनके अगिया से जारब |
अईहे पिया जब उनके नजर उतारब |
कोरोनवा के आवे हाली मऊतिया |
हे सखी मोर बलमुआ ना अईले |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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भोजपुरी देशभक्ति गीत-भारत देशवा हमार |

April 26, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देशभक्ति गीत-भारत देशवा हमार |
जहा बहे गंगा निर्मल धार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
उत्तर हिमालय गगनवा के चूमे |
दखिन सगरवा लहरवा मे झूमे |
लहकल खेतवा बहे पूरवा बयार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
जहा के जवान सिमवा पर दहाड़ेले |
धई दुशमनवा बहिया उखाड़ेले |
एक के बदले बदला चुकावेले हजार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
बिंध बिंधवासिनी वैशणु जम्मू बिराजेली |
कामरूप कामाख्या दखिन काली माई साजेली |
देवघर बाबाधाम होला जय जय जैकार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
झरखांड बिहार बाड़े देशवा के शान हो |
यूपी गुजरात आज हऊवे मोर जान हो |
रामराज आइल देशवा जगवा बधाई सरकार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
झाँसी क रानी माहाराणा के देशवा |
आजाद भगत सिंह गांधी शुभाष के देशवा |
फह फह फहरे झण्डा माने सारा संसार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
थर थर काँपे दुश्मन कुंवर सिंह के नाम हो |
मारी तलवरिया करे दुशमन तमाम हो |
काटी के बहिया आपन चढ़ावे गंगा जी के धार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
बीर बिरसा के गाथा बखान हम करीला |
सिधु कान्हु के परणाम उनके नाम हम करीला |
झन झन तेगवा करे दुश्मन के ललकार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |
देशवा के माई हरदम शेरवा जनमावेली |
दुधवा पियाई उनकर सिनवा बढ़ावेली |
आवे न पावे दुश्मन सीमा यही पार |
उहे बाटे भारत देशवा हमार |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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कविता- कौन जानता था |

April 26, 2020 in भोजपुरी कविता

कविता- कौन जानता था |
कर्मवीर होंगे बेचैन अपने घर कौन जानता था |
राह निहारेंगे कब ताला खुलेगा कौन जानता था |
आयेगा ऐसा भी एकदिन देखेगी दुनिया दुर्दिन |
इसान खुली हवा को तरसेगा कौन जानता था |
बाग बगीचा माल बाजार सिनेमा सब सुने पड़े |
कोई किसी से नहीं मिलेगा कौन जानता था |
मिलना गले तो दूर हाथ भी मिला सकते नहीं |
महफ़िलों खूब सन्नाटा पसरेगा कौन जानता था |
नुक्कड़ पर चाय की चुस्की पंचायत नहीं लगेगी |
बारात बाजा बैंड अब न बजेगा कौन जानता था |
जो जहा वही पड़ा है कब मिलेंगे सवाल खड़ा है |
ट्रेन प्लेन मोटर अब ना चलेगा कौन जानता था |
मामी मौसा मौसी नाना नानी फोन पर मिलते |
हर रिस्ता मोबाइल पर मिलेगा कौन जानता था |
ईस जाने कब लॉक डाउन हटेगा बाजार खुलेगा |
बिछड़े अब मिलेंगे कोरोना मरेगा कौन जानता था |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

भोजपुरी गीत – होले होले डोले |

April 18, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत – होले होले डोले |
तन मोरा होले होले डोले |
मन मोरा डरे डरे बोले |
कोरोना केहु जान ना ले ले |
तन मोरा होले होले डोले |
आइल कहा से बैरी कोरोनवा |
घाइल भइल सगरो जमनवा |
डरे केहु दुअरिया ना खोले |
तन मोरा होले होले डोले |
धक धक मोरा जियरा करेला |
लुक छुप सबके कोरोना धरेला |
हाली हाली हथवा तू धो ले |
तन मोरा होले होले डोले |
सोचा कइसे कोरोना भगाई |
रही रही लोगवा सबके डराई |
योद्धा कोरोनवा बजुआ मे तोले |
तन मोरा होले होले डोले |
रहिया केवनों ना लोगवा से सटके |
जहिया जहवा रहिया तू फरके |
धधकी जीयरा उठे मोरा शोले |
तन मोरा होले होले डोले |
मुहवा मसकिया लगईहा जरूर |
घरवा रहे खातिर सिखला सहुर |
बनिहा मती भईया तू भोले भोले |
तन मोरा होले होले डोले |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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हिन्दी गीत – साथ लड़ेंगे |

April 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दी गीत – साथ लड़ेंगे |
हम साथ रहेंगे साथ लड़ेंगे |
कोरोना से ना हम डरेंगे |
साथ जिएंगे साथ मरेंगे |
कोरोना से ना हम डरेंगे |
छाया विश्व जगत मे अंधेरा |
कब होगा दुनिया मे शबेरा |
दुशमन हराकर हम रहेंगे |
कोरोना से ना हम डरेंगे |
कितने मरे कितने गिनते है साँसे |
कितने मरीज कितने लगते है खाँसे |
कातिल कोरोना भगाकर रहेंगे |
कोरोना से ना हम डरेंगे |
इंसानो का दुश्मन चीन बना है |
सारी दुनिया चैन छिन रहा है |
दोस्त उसे ना कभी हम कहेंगे |
कोरोना से ना हम डरेंगे |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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गजल -जीत लेंगे कोरोना |

April 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल -जीत लेंगे कोरोना |
जीत लेंगे कोरोना तेरा नाम मिटा देंगे |
मुरझाए चेहरों पर मुस्कान खिला देंगे |
पहले न जान पाये अब जान चुके तुझे |
तू पहचान हमे तुझको पानी पीला देंगे|
आता हमे हिफाजत करनी खुद अपनी |
आया तू जहा से तुझे वही लौटा देंगे |
बहुत मचा लिया उत्पात अब रुक जा |
कोरोना योद्धा तुझे मार लिटा देंगे|
लगा लॉक डाउन अब तेरा वार न चले |
जलती तेरी जीवन लौ अब मिटा देंगे |
मानव दुशमन वायरस टिक न पायेगा |
दो पल का जीव गहरी नींद सुला देंगे |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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कविता -सुरक्षित वही है होता |

April 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता -सुरक्षित वही है होता |
कोरोना देखे ना जात जान सभी लेता |
रहता ज़ो घर मे सुरक्षित वही है होता |
पहने न मुख बाहर मास्क खतरा बहुत |
बचके रहना सभी आदमी आम या नेता |
धोना हर घंटे हाथ अपना उपाय यही है |
सब है एक समान अनपढ़ या वेद वेता |
न भीड़ न जलसा ना महफिल सजानी है |
रहना बनाके दूरी सभी जीत वही है लेता |
लगा नहीं युही लोक डाउन कारण बड़ा है |
तोड़ा जो नियम कोरोना बीमार कर देता |
जीत लेता भारत जंग पर लापरवाही हुई |
जारी जंग कोरोना देश संकट पार है खेता |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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भोजपुरी गजल- कोरोना के कहर जारी बा |

April 15, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गजल- कोरोना के कहर जारी बा |
बच के चला कोरोना के कहर जारी बा |
भइल जहा मनमानी अब सबकर बारी बा |
ई कोरोना ह चिन्हे ला ना केहु के भाई |
रहा घर मे लुकाई येही मे समझदारी बा |
लागल लॉक डाउन नियम सबके मानेके |
रही ला कुछ दिन अउर लड़े के तैयारी बा |
जे ना मानी उ जान से जाई केहु का करी |
माना बात भारती देशवा से वफादारी बा|
लड़े जे सीमा योद्धा कहल जाला उनके |
युद्ध हउवे कोरोना साची बात हमारी बा |
संग अपने बाल बच्चन के खियाल करा |
कोरोना बैरी के चाल तलवार दुधारी बा |
कहल जाला आजादी केकरा अब बुझाइल |
भाई परिवार छुटल अकेले रहल दुश्वारी बा |
बांधी के हिम्मत करेजा कठोर करा अब |
घरवे से लड़ा लड़ाई कृपा बाँके बिहारी बा |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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भोजपूरी गीत – लुका जाला केहु |

April 15, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपूरी गीत – लुका जाला केहु |
कोरोना से जेतना जब डरा जाला केहु |
बच जाला जब घरवा लुका जाला केहु |
एकरा ज़ोर देखवला मे भलाई नईखे |
जान आपन बचवला जग हँसाई नईखे|
निकलल जे बाहर कोरोना धरा जाला केहु|
सर्दी खांसी बुखार एकर निसानी हउवे|
चीन से चलल बीमारी एकर कहानी हउवे |
मानीना लॉकडाउन कबहु मरा जाला केहु |
मचल दुनिया हाहाकार कोरोना देख ला |
जेतना होखे कूड़ा कर्कट अब तू फेंक ला |
होशियार देख कोरोना परा जाला केहु |
सटा जनी सबसे दुरही रहा समझल करा |
निकला जब बहरिया मास्क लगावल करा |
तोड़े जे नियम पुलिस पिटा जाला केहु |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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कविता – भीम हमारा अभिमान |

April 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अंबेडकर जयंती कि हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाये
कविता – भीम हमारा अभिमान |
किया निर्माण जो भारत का सविंधान |
सत सत नमन भीम हमारा अभिमान |
दिलाया अधिकार सबको जिसने समान|
बाबा भीम को करता नमन हिंदुस्तान |
दबे कुचले दलित पिछड़े राह दिखाई |
रहना कैसे मिल सबको सीख सिखाई |
हुआ अपनो खातीर बाबा जो कुर्बान |
सत सत नमन भीम हमारा अभिमान |
मिले शिक्षा सबको बाबा कि ईक्षा थी |
खुद बना बैरिस्टर ऊंची उसकी दीक्षा थी |
ब्यर्थ न जाये बाबा का अब बलिदान |
सत सत नमन भीम हमारा अभिमान |
खाकर ठोकरे खुद हार ना माना कभी |
मान सम्मान होता क्या न जाना कभी |
गुदड़ी का लाल देते जिसे सभी सम्मान |
सत सत नमन भीम हमारा अभिमान |
अगड़ो पिछड़ो लड़कर है भेद मिटाया |
डरे सहमे दलितो ऊंचा स्थान दिलाया|
आज जयंती तुम्हारी तुमको है प्रणाम |
सत सत नमन भीम हमारा अभिमान |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
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कविता – तो बच जाने दो |

April 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविता – तो बच जाने दो |
बढ़ गया लोक डाउन तो बढ जाने दो |
जान है जरूरी माल से तो बच जाने दो |
इतने दिन बीते कुछ दिन और गुजारेंगे |
घर की बिखरी चिजों को थोड़ा सवारेंगे |
आखिर कट रही जिंदगी तो कट जाने दो |
जो बताया गया वो हमसे निभाया गया |
हाथ धोना घर रहना मास्क लगाया गया |
योद्धा लड़ रहे कोरोना तो निपट जाने दो|
अपनी ही नहीं परवाह जान गैरो भी करनी |
घर मे रहो खाओ चाहे नमक रोटी चटनी |
चढ़ रहा कोरोना गर फांसी तो चढ़ जाने दो |
कभी सोचा नहीं देखना पड़ेगा यह दिन भी |
रहना पड़ेगा सबसे दूर मन होगा खिन्न भी |
पके गेंहू खेतो मे कटे नहीं तो सड़ जाने दो |
रहोगे जिंदा और भी फसले उगा लोगे तुम|
मनाओगे खुशिया और तबले बजा लोगे तुम|
चढ़ा हत्थे योद्धाओ कोरोना तो चढ़ जाने दो |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
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हास्य ब्यंग्य कविता- थक गया मै |

April 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हास्य ब्यंग्य कविता- थक गया मै |
बढ़ गया लोकडाउन घर मे पक गया मै |
माँजकर बरतन झाड़ू पोंछा थक गया मै |
करता था कभी श्रीमती जी के आराम को |
करके रोज चूल्हा चौकी घर नच गया मै |
बच्चे संभालो खाना बनाओ मैडम खुश है |
फुरसत ना मिले काम कभी झक गया मै |
कब खत्म होगा कोरोना बाजार नजारा होगा |
मिली ना गरम चाय माथा मथ गया मै |
जरूरी है रहना घर मे कोरोना खतरा बाहर|
धो धो कर साबुन हाथ आधा कट गया मै |
कहती श्रीमती जी गए गर बाहर रिपोर्ट करूंगी |
सुन सुन कर बात मैडम नथनी नथ गया मै|
कहती लगे न मन किताब पढ़ो कविता लिखो |
मन ना लगे कविताई आधा झटक गया मै |
बाजार बंद शहर बंद मोहल्ला बंद क्या करे |
बिना शब्जी चटनी बेस्वाद खाना गटक गया मै |
हे प्रभु अब तो रहम करो कोरोना खत्म करो |
खिले हंसी सबके मुख इसी सोच महक गया मै |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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भोजपुरी गीत- करा ना नादानी पिया |

April 10, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत- करा ना नादानी पिया |
माना मोर कहनवा करा ना नादानी पिया |
घरवे मे रहा मती जा खरिहानी पिया |
फइलल बा कोरोनावा सगरो नगरिया |
मती जा बहरिया रहा हरदम पजरिया |
पड़ल बा बज़रिआ अब सुनसानी पिया |
घरवे मे रहा मती जा खरिहानी पिया |
जेवन जेवन कहबा तेवन हम खिआइब |
नेटिया से देखि तोहके जेवना हम बनाइब |
मसकिया लगावा करा ना मनमानी पिया |
घरवे मे रहा मती जा खरिहानी पिया |
मारल जाई कोरोनवा गउआ होई गुलजार हो |
खुली जाई लॉक डाउनवा तब लुटिया बहार हो |
चिंता छोड़ा चला क ला चाय पानी पिया |
घरवे मे रहा मती जा खरिहानी पिया |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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गजल- कोरोना शैतान क्यो है |

April 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- कोरोना शैतान क्यो है |
काफिया – आन ,रदीफ़ – क्यो है
खौफ मे कोरोना से इंसान क्यो है |
घर अपने आदमी परेशान क्यो है |
हुआ लॉक डाउन लॉक घर मे रहो |
तोड़कर कायदा कानून नादान क्यो है |
बाजार बंद उसको मौका मिल गया |
बढ़ाकर कीमत बनता बेईमान क्यो है |
चूल्हा नहीं जला घर उसके रासन नहीं |
कांपता ही नहीं उसका ईमान क्यो है |
लगी जितनी बंदीसे वो मानता नहीं |
फिर बीमार सारा अब खानदान क्यो है|
कायम रहेगी और भी लंबी पाबन्दिया |
संभालो खुद को हर कोई हैरान क्यो है |
जबतक रहोगे घर मे महफूज रहोगे |
जाता जल्दी नहीं कोरोना शैतान क्यो है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
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भोजपुरी गीत- अब कोरोनवा ना |

April 8, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत- अब कोरोनवा ना |
मिले कईसे आई सजनी तोर भवनवा ना |
डर लागे हमके पड़ल पीछे अब कोरोनवा ना |
ढेर दिन बीतल तोहसे मिले नाही पवली |
तरस गईले नैना तोहके देखे नाही पवली |
धीरज धरा सजनी माना मोर कहनवा ना |
डर लागे हमके पड़ल पीछे अब कोरोनवा ना |
लॉक डाउन लागल सगरो गाड़ियो ना चलेला|
ताला लागल रेल अब तो बजरियो ना खुलेला |
तड़पेला मनवा हमरो बरसे अब नयनवा ना |
डर लागे हमके पड़ल पीछे अब कोरोनवा ना |
रहती हम चिरईया धनिया उडी चली अवती |
अंखिया जूड़वती तोहके गरवा हम लगवती |
जहर मिलावे मिली कोरोनवा अब पवनवा ना |
डर लागे हमके पड़ल पीछे अब कोरोनवा ना |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

हिन्दी कविता- समय गिन रहा |

April 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दी कविता- समय गिन रहा |
लोक डाउन हुआ है हर कोई
समय गिन रहा है |
खत्म कब होगा बाहर का बनवास |
हर कोई समय गिन रहा है |
खाये जा रहा डर कोरोना का |
कोई कोरोना योद्धा बन लड़ रहा |
जान की फिक्र नहीं अपनी
वाइरस खात्मे का दवा जड़ रहा |
हर कोई समय गिन रहा है |
जब रहते बाहर घर आने को
मन ललचता था कब जाए|
बीबी बच्चो माँ पिता जी खातिर
कुछ लेकर जाये उनसे मिल पाये|
अब घर मे रहना ही हमे खल रहा |
हर कोई समय गिन रहा है |
बाहर तो खतरा है कोरोना का |
कोई आ ना जाए पोजिटिब कोरोना का |
हर घड़ी भय उसका पल रहा है |
हर कोई समय गिन रहा है |
लगे है सारे चिकित्सक प्रसासन शाषन |
लड़ने की जंग कोरोना को भगाएँगे |
प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राज्यमंत्री सभी |
भुजाए अपनी कोरोना तौल रहा है |
हर कोई समय गिन रहा है |
लड़ी लड़ाइया कितनी ये भी जीत लेंगे|
आता जो दुशमन सामने कबका मैदान
मार लिए होते हम सब |
अदृश्य दुश्मन खून सबका खौल रहा है |
हर कोई समय गिन रहा है |
हुआ लोक डाउन सबको साथ निभाना है |
घर मे ही रहना सबको बाहर नहीं जाना है |
खत्म होगी कहानी कोरोना एक दिन |
होगी रौनक बाजार माल मुहल्ले मसिन |
दिल सबका अब ये बोल रहा है |
हर कोई समय गिन रहा है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

भोजपुरी गीत – तनी कोरोनवा से बचके |

April 8, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत – तनी कोरोनवा से बचके |
चला गोरी तनी कोरोनावा से बचके |
जइहा बजरिया रईहा लोगवा से हट के |
चला गोरी तनी कोरोनावा से बचके |
जइबु जे बज़रिआ कोरोनवा लगी जाई |
केतनो भगइबु हरदम लगवे उ आई |
मुंहवा पे मास्क लगईहा तू डटके|
चला गोरी तनी कोरोनावा से बचके |
हर एक घंटवा हथवा तू धोइहा |
अपने संगवा तू आपन घरवा बचइहा|
संका होखे बीमारी जांच करईहा तू फटके |
चला गोरी तनी कोरोनावा से बचके |
बैरो कोरोनवा केहु के ना छोड़ेला |
राजा हो रंक सबही के उ धरेला |
रही जिनिगिया खूब बज़रिया मे घूमिहा |
जेवन करी तेवन खूब चदरिया मे किन्हिया |
किन लिहा सड़िया जेवन मनवा मे जँचके |
चला गोरी तनी कोरोनावा से बचके |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

भोजपुरी गीत -उनके नजरवा से |

April 6, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत -उनके नजरवा से |
जान मारेली उ हमसे अँखिया लड़ाइके |
जियरा जुड़ावेली हमसे दिलवा लगाइके |
होसवा उड़ल बा हमार देखी उनके कजरवा से |
बरछी धंसल बा हमरे दिलवा उनके नजरवा से |
हमसे कहेली उ तू हमार बाड़ा राजा |
आके हमरे दिलवा मे राजा समाजा |
अँखिया उठावे त हो जाला बिहान |
नजरिया मे बसल बा उनकर मुस्कान |
हमके लुकाला गोरी तू अपने अब अंचरवा से |
बरछी धंसल बा हमरे दिलवा उनके नजरवा से |
सालन के पालल तोहके दिलवा हम दिहली |
तोहरे बिना गोरी भइल पगलवा हम रहली |
दिलवा लगाई भइलू हमार जान |
तू ही हमार रानी तू ही हमार चान |
जइहा मत कबहु गोरी तू कबों हमरे पजरवा से |
बरछी धंसल बा हमरे दिलवा उनके नजरवा से |
राखब हम तोहरा बनाके आपन रानी |
तोड़ी हमार दिलवा कबो करिहा जनी नादानी |
गउआ के मनई हई हम किसान |
बड़ा निक लागे गलिया करिया नीसान |
निकलल बा चान निकले जईसे कारे बदरवा से |
बरछी धंसल बा हमरे दिलवा उनके नजरवा से |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

हिन्दी कविता – दिये जलाए |

April 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दी कविता – दिये जलाए |
आज भारत ने खूब दिये जलाए |
अपनी एकता का परिचय दिखाये|
जल कोरोना भस्म हुआ या नही|
है संकट मे फिर भी जस्न मनाए |
घरो बंद जिंदगी उम्मीद तलासती|
हर दिल चाह कोरोना मार भगाये |
लौट आई हंसी थोड़ी देर ही सही |
जोश मे कुछ ने बम पड़ाके उड़ाए |
हिन्द की आवाम हार नहीं मानेगी |
हर गम मे खुशी हम तलाश लाये |
आज या कल कोरोना मीट जाएगा |
रखे सावधानी एक दूजे दूरी बनाए |
वो देखो जगमग अंबर है लौ दिया |
मान ले ताप कोरोना आप मिटाये |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

भोजपुरी गीत- तोहरे प्यार बिना |

April 4, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत- तोहरे प्यार बिना |
गोरी तोहरे प्यार बिना दुनिया अन्हार बा |
मिलबु ना जबले तबले जियल बेकार बा |
प्यार सबके बांटेलु खाली हमरे के डांटेलु |
चिट्ठिया हमार गोरी हंसी हंसी बान्चेलु |
हमहू से बोला हंसी के येही के दरकार बा |
गोरी तोहरे प्यार बिना दुनिया अन्हार बा |
हम नाही जनली प्यार मे दुख बड़ा होला |
ताकेलू ना हमरी ओरिया मुख से त बोला |
प्यार मे डुबल गोरी देखा सारा संसार बा |
गोरी तोहरे प्यार बिना दुनिया अन्हार बा |
केतनों मनाई तोहके हमसे ना मानेलु |
जब देखा तब हमके मोबाइले से डांटेलु |
एक बेरी कही दा तोहके हमसे प्यार बा |
दिलवा के हाल का अब हम कही के बताई |
मनवा मे बसल बाड़ू कहा फाड़ी के देखाई |
मिल जईबु गरवा जहिया हमरो बेड़ा पार बा |
गोरी तोहरे प्यार बिना दुनिया अन्हार बा |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

भोजपुरी गीत- नींदिया भईल फरार |

April 4, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी गीत- नींदिया भईल फरार |
नींदिया भईल फरार जान जबसे तोहसे प्यार हो गईल|
जियल भईल मुहाल नैना जबसे चार हो गईल |
जईसन बा हाल हमरो तोहरो भईल का |
रात दिन खयाल हमरो तोहरो भईल का |
चैना भईल बेहाल परान हमरो जबसे यार हो गईल |
नींदिया भईल फरार जान जबसे तोहसे प्यार हो गईल|
गोरे गोरे मुंहवा आगे चनवा लजाला |
अँखिया के कोर जईसन बरछी भाला |
कैसे होई हमार गुजार जान तोहरो दरकार हो गईल |
नींदिया भईल फरार जान जबसे तोहसे प्यार हो गईल|
गोरी तोहरो चाल हीरिनिया जस डोलेले |
मंद मुस्कान जान करेजवे मे धंसेले |
बदनवा भईल गुलनार हमरो सरकार हो गईल |
नींदिया भईल फरार जान जबसे तोहसे प्यार हो गईल|
फरके जनी रहा हमारे लगवा तू आवा |
हंसी के तू बोला हमसे मोतिया झरावा |
भारती लाचार जान जबसे तोहरो दिलदार हो गईल |
नींदिया भईल फरार जान जबसे तोहसे प्यार हो गईल|
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

हिन्दी गीत- मेरा दिलदार ना मिला |

April 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दी गीत- मेरा दिलदार ना मिला |
मेरा प्यार ना मिला
मेरा दिलदार ना मिला |
करे मुझपर दिल निसार |
वो मेरा यार ना मिला |
ढूँढता हूँ मै उसे गली गली |
पर कही वो मुझे मिली नहीं |
मेरा तलबगार ना मिला |
मेरा दिलदार ना मिला |
चाँद सा मुखड़ा हो उसका |
मेरे दिल का टुकड़ा हो वैसा |
मेरी नाव का पतवार ना मिला |
मेरा दिलदार ना मिला |
गुलाब की कली मुस्कान हो |
चम्पा चमेली गंध उफान हो |
बहे पुरवा बयार ना मिला |
मेरा दिलदार ना मिला |
हो तितलियों सी शोख अदाए |
देख मुझे वो शर्मा जाये |
घाटा सावन की बहार ना मिला |
मेरा दिलदार ना मिला |
काली घनेरी जुल्फों की छांव मे |
पाल छमकाये छन छन पाँव मे |
शर्माए परिया वो हुशनेयार ना मिला |
मेरा दिलदार ना मिला |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

हिन्दी कविता- जीवन ज्योत जलेगी |

April 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिन्दी कविता- जीवन ज्योत जलेगी |
आज जीवन ज्योत जलेगी मानव प्राण भरेगी |
छाई दुविधा कोरोना भारत तिल तिल मरेगी |
वतन की एकता आज दुनिया सारी देखेगी |
आई जो विपदा वायरस जगत पल पल गलेगी |
कौन कहता है कोरोना के कहर हम डर गए |
हराकर कोरोना सभी आवाम जय हिन्द कहेगी |
कर लो सलाम सभी कोरोना युद्ध जवानो को |
डॉक्टर नर्स कर्मी पुलिस सरकार सत्कार करेगी |
बच्चे जवान बूढ़े नारिया लड़ रहे घर मे रहकर |
जलेगे जगमग जब दिये द्वार विपदा कहा रहेगी |
एकमत एकजुट हर घर हर प्रहर सरकार दे रहा |
मिटाकर नाम कोरोना आवाम अब हुंकार गूँजेगी |
जलाकर दिये भूल ना जाना मुंह मास्क लगाना |
बनाना दूरिया लोगो देखना खुशियो की हवा बहेगी|
मिल हर घर की ज्योति दियो बन जाएगी ज्वाला |
भस्म कर कोरोना किटाणु जनता अब ना मरेगी |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

गजल- बचाने चले है |

April 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजल- बचाने चले है |
जान उनकी बचे जो सबको बचाने चले है |
डाल जोखिम मे दरिया प्यार बहाने चले है |
जानते है अंजाम अच्छा नहीं मर भी सकते |
फिक्र लोगो की है मरीज दवा खिलाने चले है |
बखस्ता नहीं ये कोरोना राजा रंक किसी को |
हिम्मत देखिये उसी से नजरे मिलाने चले है|
सब कहते डॉक्टर खुदा का दूजा रूप है यहा |
कुछ जाहिल बेहूदगी अपनी अब दिखाने चले है |
नहीं जानता कोरोना हिन्दू मुस्लिम न और कुछ |
बददिमागी का नमूना वो अपनी लिखाने चले है |
मिलकर भगाओ सब कोरोना मानवता दुशमन है |
लोगबाग पुलिस सरकार कोरोना मिटाने चले है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

भोजपुरी देबी गीत 3 – शक्ति बड़ा भारी |

April 2, 2020 in भोजपुरी कविता

भोजपुरी देबी गीत 3 – शक्ति बड़ा भारी |
काली मईया तोहार शक्ति बड़ा भारी |
हरला हर दुखवा हमरो सुना विनती हमारी |
सगरो जगत मे चर्चा तोहरो खाली होखेला |
बिना मरजी तोहरे केवनों पतवो ना डोलेला |
बिना तोहरे महिमा लउके जग मे अनहारी |
काली मईया तोहार शक्ति बड़ा भारी |
सबके दिहलु माई अन्न धन सोनवा |
अंधरन के आँख दिहलु बाझन के ललनवा |
भरिदा हमरो झोली मईया मांगी हथवा पसारी |
काली मईया तोहार शक्ति बड़ा भारी |
लाली लाली अँखिया काली काली केसिया |
लाल अड़हुलवा गरवा लाली लाली जीभिया |
हमके ना उबरबू माई औरी के उबारी |
काली मईया तोहार शक्ति बड़ा भारी |
करवा मे खप्पर शोभे मथवा बिंदिया लाली |
चमके तलवरिया हथवा काली कलकतावाली |
गाई भजनिया भारती नाचे तोहरो दुआरी |
काली मईया तोहार शक्ति बड़ा भारी |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

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