नादान पौधा

नन्ना-सा ,एक छोटा-सा ,
टहनी बड़ी, मगर कोमल-सा,
अकेला मनोहर पौधा,
तेज हवाओं में ,वो झूला झूले,
कभी इधर कभी उधर,
क्रीडा ललाम बड़ी सुहावनी,
बारिश में वो नृत्य करें,
मगर माली ठहरा क्रुर-सा,
पौधा उसे नापसंद करें,
बांध दिया उसने उसको,
मोटी-सी एक डंडी से,
हो गया बेचारा कैदी-सा,
पकड़ा-सा कोई भेदी-सा,
कैसे हवाओं में वो झूमे,
कैसे धरती को वो चूमे ,
पल-पल पुरानी यादें,
मन में एक विद्रोह करें,
मगर बड़ा हुआ जब पौधा,
माली से क्यों प्रेम करें?
माली से बहुत प्रेम करें।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. माता पिता का संतान के प्रति दिए गए संस्कार रूपी स्तम्भ से बांधकर सामाजिक परिवेश में सफल इंसान बनाने की प्रक्रिया को
    पौधा और माली के रूप में सुन्दर और यथार्थ प्रस्तुति।
    बहुत खूब।

  2. बहुत सुंदर समीक्षा शास्त्री जी ,
    आपने तो मेरे हृदय से लगभग सभी भाव निकाल लिए,👌👏👏👏👏
    बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद 🙏

  3. बेहद खूबसूरत तरीके से एक पीढ़ी और दूसरी पीढ़ी के तारतम्य को दिखाया है। अति सुन्दर चित्रण

  4. प्रतिकात्मक शैली का बहुत सुंदर प्रयोग
    जैसे आंधी तूफान से बचाने के लिए माली पौधे को लकड़ी की छड़ से बांधता है उसी प्रकार माता पिता अपने बच्चों को संस्कारों के द्वारा अच्छे बुरे का भेद कराते हैं
    बेहतरीन रचना

+

New Report

Close