by Amita

नववर्ष

January 10, 2024 in हिन्दी-उर्दू कविता

नये वर्ष में नये तराने गाएंगे।
खुशियों की चहुँओर बहारें लाएंगे।
सुखता,संपन्नता व्याप्त हो चहुँ दिस में
कष्ट न वाणी से हम अब पहुँचाएंगे।।

नूतन विहान नव मंजुल मंगल हो जाए
आशीष नेह ईश्वर का हम सब पाएँ।
आशाओं के सुमन खिलें घर आंगन में
मानस पटल पर छाए स्वप्न साकार हो जाएँ।।

प्रफुल्लित प्रमुदित मन का कोना-कोना हो जाए
मन देशप्रेम से सराबोर अब हो जाए।
अमन चैन खुशहाली की बारिश हो,
नववर्ष सभी का मंगलमय हो जाए।।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता “नव्या”
कानपुर,उत्तर प्रदेश

by Amita

मां शैलपुत्री (मनहरण घनाक्षरी)

March 22, 2023 in Other

चैत्र नवराते आए, खुशियां अपार लाए,
नवरुप अंबे मां के, जयकार कीजिए।

प्रथम दिवस आए, शैलपुत्री मन भाए,
कैलाशवासिनी अंबे, दर्शन दे दीजिए।

कमल त्रिशूल धारी,करे वृषभ सवारी,
श्रद्धा सुमन अर्पित, मां स्वीकार कीजिए।

मोक्षदानी वरदानी,भवप्रीता महारानी,
देविआदि शक्तिरुपा, कृपादृष्टि कीजिए।

✍️… अमिता

by Amita

दीप जले हर घर आंगन में

October 21, 2022 in Poetry on Picture Contest

कार्तिक मास अमावस घनेरी
प्रकाश पुंज बिखरा तिमिर मिटाने आई है
दीप जलें हर घर आंगन में
शुभ दीपावली आई है।

श्री गणेश लक्ष्मी कुबेर अनुकंपा बरसाते
धन्य धन्य पूर्ण कार्य सब करते
अंधकार से प्रकाश की ओर करें अग्रसर
आशीर्वाद स्नेह से अभिसिंचित करते।

पूर्ण कर वनवास ,लंकापति रावण वध
अयोध्या नगरी लौटे रघुराई
दीपोत्सव पावन पर्व की पड़ी रीति
असत्य पर सत्य की विजय पताका लहराई।

उमंग प्रेम मन उल्लासित करता
दीपक दैदीप्तिमान हो जग को प्रकाशित करता
फुलझड़ियां रंगोली मिष्ठान की महक
पर्व स्वच्छता खुशहाली का संदेशा देता।

मिटे कलुष तम मन में जो छिपा
स्वच्छ शीतल निर्मल बनाने आई है
दीप जलें हर घर आंगन में
शुभ दीपावली आई है।।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता “नव्या”

by Amita

*मां चंद्रघंटा*(मनहरण घनाक्षरी)

April 4, 2022 in Other

स्वर्ण कांति आभा धारी, करे सिंह की सवारी,
घंटाकार अर्धचंद्र,मां का ध्यान कीजिए।

सुख शांति दिव्य शक्ति, चंद्रघंटा मां की भक्ति,
मणिचूर चक्र मन, मां आन विराजिए।

तीन नेत्र दस हाथ, गदा बाण चक्र साथ,
विराट स्वरूप मैया, दर्शन दे दीजिए।

कष्ट निवारण करो, भय शोक दूर करो,
बुद्धि विद्या दान दो मां, पाप नष्ट कीजिए।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता
कानपुर, उत्तर प्रदेश

by Amita

*रंगीली होली*

March 17, 2022 in Poetry on Picture Contest

रंगीली होली का आया त्योहार,
आओ सब मिलकर मनाएं।
सतरंगी रंगों से सराबोर,
अबीर-गुलाल लगाएं।।
फाल्गुन पूर्णिमा बसंती रंग बरसे,
प्रीत के रंग में हिय मन हरसे,
भर पिचकारी रंगों की बौछार,
होली सब मिलजुल कर मनाएं।
नीला गुलाबी लाल नारंगी,
अनंत खुशियां रंग बिरंगी,
छल क्लेश बुराई का हो नाश,
मन में छिपा मैल मिटाएं।
प्रेम सद्भावना आपसी भाईचारा,
होली है पावन त्यौहार हमारा,
असत्य पर सत्य की जीत,
विजय पताका फहराएं,
रंगीली होली का आया त्यौहार,
आओ सब मिलकर मनाएं।।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता

by Amita

*कलम अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम*

March 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

कलम गढ़ो अविराम सत्यता,
ना डिगो निडर निर्भीक चलो।
यह कलम धार निरंतर बनी रहे,
उर प्रबल वेग नित जोश भरो।।
*********************
लिखो पुण्य गाथा वीरों की,
कुछ जीवन अपना धन्य करो।
यशगान करो मां भारती का,
देशप्रेम की अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करो।।
*********************
उकेरो अल्फ़ाज़ कोरे कागज पर,
अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनो।
लेखनी का ना हो दुरुपयोग,
दीन दुखियों असहायों की पीड़ा लिखो।।
**********************
हे! कलम लिखो प्रेरक विचार,
स्वर्णिम अक्षर इतिहास गढ़ो।
मोहताज नहीं लेखनी कभी किसी की,
स्वच्छंद चलो,आजाद रहो,आबाद रहो।।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता
कानपुर, उत्तर प्रदेश

by Amita

*संघर्ष*

February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन रण है संघर्ष भरा,
अनगिनत शूल पथ में बिखरे,
मेहनत परिश्रम अथक प्रयास,
कंटक प्रसून बनकर निखरे।
*********************
महामारी काल संघर्ष पूर्ण,
कितने कुलदीपक काल ग्रास बने,
सांसों की डोर पड़ी कमजोर,
आजीविका संसाधन सब छूटे।
**********************
तिनके से उजड़े घर उपवन,
किलकारियों की जगह सन्नाटा पसरा,
नियम पालन बचाव बने संजीवनी,
सामान्य हुई परिस्थितियां जनजीवन सुधरा।
**********************
बाधाएं विकट चाहे कितनी आएं,
विश्वास दीप ना बुझने दें,
संकट में संबल हो प्रगाढ़,
दृढ़ संकल्प अंतस उजास कर दे।
**********************
धैर्य साहस लगन से लक्ष्य भेदना,
सदा सत्यपथ अग्रसर करना,
त्रिलोक स्वामी बनकर सहारा,
नैया भवसागर पार करा देना।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता
कानपुर,उत्तर प्रदेश

by Amita

*आशाओं के दीप जले*

November 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

विश्वास से संबल मिले,
आशाओं के दीप जले,
निराशा का भाव तजकर,
कर्तव्य पथ बढ़ते चले।
**********************
स्वाभिमान को ना चोट पहुंचे,
अभिमान मन में ना पले,
आत्मविश्वास से परिपूरित,
उम्मीदों के सुमन खिले।
**********************
साहस धीरज शील भाव,
श्रद्धा समर्पण मन में रखें,
प्रशस्त हो जाए मार्ग सुंदर,
विकट बाधाएं सब टलें।
*********************
अथक परिश्रम निरंतर प्रयास,
मन में रखकर अटल विश्वास,
कर्तव्य पथ बढ़ते चले,
आओ नया इतिहास गढ़े।।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता

by Amita

भारत देश महान(दोहे)

September 4, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

शिरोमणि संसार का, भारत देश महान।
उच्च शिखर आसीन हो, प्यारा हिंदुस्तान।।(१)
***********************
विविधता में एकता, है इसकी पहचान।
बोली भाषाएं अलग, धर्म और परिधान।।(२)
***********************
प्रहरी बना हिमालय,नदियां करें निनाद।
संस्कृति फूले फले सदा, हिंद देश आबाद।।(३)
***********************
पंछी का गुंजन यहां, मद्धिम बहे बयार।
माटी है चंदन यहां, बरसे प्यार अपार।।(४)
***********************
प्रेम सुमन मन में खिलें, सौहार्दपूर्ण परिवेश।
द्वेश, दंभ ना क्लेश हो, बने स्वर्णिम हिंददेश।।(५)
***********************
भारत मां की शान को, दे जाएं बलिदान।
तिरंगा हरदम लहराए, सर्वस्व करें कुर्बान।।(६)
स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता

by Amita

*जीवन है अनमोल*

August 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन है अनमोल,
इसे व्यर्थ में ना गंवाइए,
चलना सदा सत्य पथ पर,
बाधाओं से ना घबराइए।
*****************
कर अथक निरंतर प्रयास,
सफलता को पाइए,
मन में जो पाले ख्वाब बड़े,
उन्हे सार्थक कर दिखाइए।
*****************
मिलेंगी राह में मुश्किलें,
उन मुश्किलों से लड़ जाइए,
रहना अडिग जो पथ चुना,
फिर कदम पीछे ना हटाइए।
*******************
काबिज़ हो जाए जो उच्च शिखर,
अहम् भाव मन में ना लाइए,
सीखने की लालसा सदा हो मन में,
बड़ों का आशीर्वाद पाने को झुक जाइए।
*********************
मीठी वाणी बोल कर,
सबका मन लुभाइए,
करना ईश की बंदगी,
आशीर्वाद ईश्वर का पाइए।
******************
करना है सर्वस्व न्योछावर,
मां भारती का कर्ज चुकाइए,
नतमस्तक हो दुनिया सारी,
स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम लिख जाइए।

स्वरचित मौलिक रचना
✍️…अमिता गुप्ता

by Amita

मां शारदे स्तुति

July 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

🌹🌹🌹🌹🌹🌹
वीणावादिनी मां पद्मनिलया,
ज्ञान का दीप जला देना,
तिमिर मिटे अज्ञानता का,
मां पथ आलोकित कर देना।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
श्वेतवस्त्रा मां सुरवंदिता,
आन कंठ सुर भर देना,
शीश नवाऊं तेरे चरणों में,
वरद हस्त सिर रख देना।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
रहूं सदा कर्तव्य पथअग्रसर,
मां सत्य मार्ग दिखला देना,
विनती सुनो हे! मातु हमारी,
साहस,शील हिय भर देना।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वरचित मौलिक रचना
✍️…अमिता गुप्ता

by Amita

शिव भोलेशंकर

July 27, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे! महेश्वर शंभू दीनानाथ,
कृपादृष्टि बरसाओ देना साथ,
हम शरण तिहारी आए हैं,
करूं विनती जोडूं दोनों हाथ।

शशिशेखर विश्वेश्वर दिगंबर,
तुम परमपिता हो परमेश्वर,
सिर जटा में गंगा की धारा,
कहलाते जटाजूट गंगाधर।

भस्म रमाए श्यामल तन पर
तुम देते हो मनवांछित फल
देवों के देव महादेवा,
तारक शाश्वत भव दिगंबर।

त्रिनेत्रधारी, ललाट चंद्र विराजे
हे कैलाशवासी मस्तक चंदन साजे,
ओढ़े मृगछाला बाघांबर
गल सर्पों की माला छाजे।
(आप सभी को श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐)

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता

by Amita

मातृ-पितृ दिवस (२५ जुलाई)

July 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

साया चाहूं मात-पिता का,
जीवन में हर पग पग पर,
देना खुशियां हे! परमेश्वर,
मात पिता का दामन भर।

करूं वंदना कर कमलों से,
रज को सजाऊं माथे पर,
मिलता आशीर्वाद स्नेह,
सज जाता फिर आंगन घर।

मां की ममता करुणा न्यारी,
सारे दुख हर लेती है,
अमृत की गागर बन जाती,
सत्य मार्ग दिखलाती है।

पापा ने कांधे पर बिठाकर,
जीवन का सार सिखाया है,
कभी ना डिगना कर्तव्यपथ से,
उंगली थाम आगे बढ़ाया कोटि

कोटि नमन अनुपम छवि को,
जो हर पल साथ निभाया है,

by Amita

सुख और दुख

June 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुख-दुख सिक्के के दो पहलू,
जीवन में आते जाते हैं,
अच्छाई और बुराई का,
फर्क हमें बतलाते हैं।
दुख में सब सुमिरन करते हैं,
श्री हरि- हरि नाम जपते हैं,
अनुभूति हुई ज्यों सुख की,
नारायण को बिसराते हैं।
लालच लोलुपता का चक्कर,
मानव को स्वार्थ मदांध करें,‌
अहंकार का वशीभूत,
दुख के फेरे में पड़ जाए।
सुख दुख होते हैं क्षणिक मात्र,
समता का भाव तुम निहित करो,
स्थितियां बन जाएंगी अनुकूल,
परमात्मा का धन्यवाद करो।

स्वरचित मौलिक रचना
अमिता गुप्ता

by Amita

संभालो रिश्तों की डोर

June 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यूं बदल गया परिवेश,
बदल गए रिश्ते,
आधुनिकीकरण के दौर में,
फरेबी हो गए रिश्ते,
झूठी आन बान शान,
पैसे की ताकत पर झुकते रिश्ते,
इसकी अंधी चाहत ने,
खोखले कर दिए रिश्ते,
एक समय कभी था ऐसा,
रिश्ते एकता के सूत्र में पिरोए रहते थे,
आदर स्नेह भाव मन में रहता,
दुख दर्द आपस में बंटते थे,
प्रेम ,सौहार्द भावना खत्म हुई,
रिश्तो से कर लिया किनारा है,
एकाकीपन में गुजरे जीवन,
फीका लगता जग सारा है,
कहीं थम न जाए सांसो की डोर, बचा लो तुम रिश्ते,
मिटाओ मन में छुपा जो बैर,
संभालो तुम रिश्ते।
–✍️ अमिता गुप्ता

by Amita

विश्व तंबाकू निषेध दिवस (३१ मई)

May 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तंबाकू है इक मीठा जहर,
जुबां पर गर चढ़ जाए,
सेहत, स्वास्थ्य को हानि पहुंचा,
मानव को मृत्यु द्वार तक ले जाए।
चुटकी भर तंबाकू ने,
हजारों बीमारियों को जन्म दिया,
टीवी, अस्थमा,लंग कैंसर का,
खतरा पल में बढ़ा दिया,
गुटखा,जर्दा,पान मसाला, बीड़ी, खैनी का रूप लिया,
तंबाकू की लत होती ऐसी,
कर देती मन को तुरत अधीर,
आर्थिक,शारीरिक,मानसिक,रूप से,
मानव की सेहत को कर देती क्षीण
सरकार को दोष क्यों देते हैं,
पहले निज अंतर्मन में झांको,
धूम्रपान,गुटके,तंबाकू जैसे मादक पदार्थों को,
ना खाओ औरों को ना खाने दो,
नीतियां बनी कई अब तक,
आगे भी कई बन जाएंगी,
कड़ाई से यदि पालन ना हो,
सब कागजी रह जाएंगी,
जागरूक करो सब निज मन को,
समाज में जागरूकता लाओ,
क्या हैं दुष्परिणाम तंबाकू के,
खुद समझो सबको समझाओ,
*तंबाकू ले लेगी जान*
तंबाकू निषेध के मंत्र को,
सब जन मिलकर अपनाओ,
विश्व तंबाकू निषेध दिवस की सार्थकता,
चरितार्थ करके अब दिखलाओ।।
✍️–अमिता गुप्ता

by Amita

जीवन से जुड़े “दोहे”

May 27, 2021 in Other

(१)
कारज ऐसे कीजिए,सबके मन को भाए।
संतुष्टि मन को मिले,जन्म सफल हो जाए।।
‌ (२)
कार्य सफल हो जाएगा, रट ले हरि का नाम।
हरि की कृपा जो मिल जाए, बन जाए सब काम।।
(३)
कल पर कार्य न टालिये, समय बीतता जाए।
तज दो आलस तन मन से, सुयश मान बढ़ जाए।।

by Amita

वाणी में मिठास

May 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

वाणी में मधुरता हो,
बैरी भी अपने बन जाए,
मुख से निकले व्यंग्य बाण,
हृदय में नासूर बनाएं,
ह्रदय के नासूर में,
मीठी वाणी का मरहम लगाएं,
अपने हो या बेगाने,
सभी से अपनत्व पाएं।।🥰🥰

by Amita

आतंकवाद विरोधी दिवस (२१ मई)

May 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना जाने ज़मीर कहां खो गया उनका,
जो आतंकियों का साथ निभाते हैं,
हिंसा, नफरत का पाठ सीख कर,
दहशत,डर फैलाते हैं।
मजहब ,जिहाद के नाम पर,
मानव जाति को लड़वाते हैं,
स्वयं आतंक की शरण लेते,
औरों को आतंकी बनाते हैं,
26/11 जैसे हमलों से,
सबका दिल दहलाते हैं,
मानवता का भाव त्याग,
हैवानियत पर उतर आते हैं,
मस्तिष्क का गर सदुपयोग करें,
कुछ नया सृजन कर सकते हैं,
आतंकवाद की राहें छोड़,
भले मानुष वह बन सकते हैं,
आतंकवाद गर मिट जाए,
राष्ट्र सर्वोच्च शिखर पर अलंकृत हो जाए,
खुशियां घर आंगन में छाए,
अमन-चैन सुख शांति देश में काबिज हो जाए।।

by Amita

कोरोना महामारी पर आल्हा(२)

May 20, 2021 in Other

घर की फुलवारी उजड़ गयी,सब गलियां सूनी हुई जांय,
हंसी ठिठोली अपना सुनावे,सुनने को कान तरस है जाय,
इस महामारी से बचने को एकै उपाय यही सुझाय,
दो गज दूरी मास्क जरूरी, सब जन लेव नियम अपनाय,
वैक्सीनेशन करवा लेव भइया,अपना भविष्य तुम लेव बचाय,
करौ प्रार्थना अपने ईश्वर से,महामारी से हमको निजात दिलाय,
डर दहशत से हम सब उबरे,
अच्छे दिन फिर जल्दी आंय।।

by Amita

कोरोना महामारी पर आल्हा

May 20, 2021 in Other

कोरोना महामारी आयी हाहाकार है दियो मचाय,
अंतर्मन चित्कार करें अब,कैसी दहशत दियो फैलाय,
ज़रा सी खांसी और जुकाम से,पल में अपने दूर हुइ जांय,
बुखार चढ़े ज्यों सौ से ऊपर,घर में क्वारंटाइन हुई जांय,
कोरोना महामारी आई हाहाकार है दियो मचाय,
घर की फुलवारी उजड़ गयी,सब गलियां सूनी हुई जांय,
हंसी ठिठोली अब ना सुनावे,सुनने को कान तरस है जाए

by Amita

परिवार की महत्ता

May 18, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

परिवार है एकता के सूत्र की माला,
जिसमें हर सदस्य समाया है,
जीवन रूपी नैया को,
रंग बिरंगे रंगों से सजाया है,
परिवार है हमारा रक्षा कवच,
जिसने ढाल बनकर,
हमारा अस्तित्व बचाया है,
बिखरे ना कोई परिवार,
बस यही कामना करती हूं,
भाईचारे और सौहार्द का दीप जले परिवारों में,
ईश्वर से मैं यही प्रार्थना करती हूं।।

by Amita

मेघा उमड़ -घुमड़ कर आए

May 13, 2021 in गीत

देखो बरस रही ठंडी फुहार,
बदलियां भर आई।
काले-काले मेघा उमड़ घुमड़ रहे,
गरज गरज कर शोर सुना रहे,
फिर दामिनी तड़की आया झंझावात,
बदलियां भर आई।
वन में नाचे मोर -मोरनी,
प्रकृति का कैसा यह रूप मोहनी,
कुहू -कुहू बोले काली कोयल,
पपीहे ने छोड़ी मधुरिम तान,
बदलियां भर आई।
बरखा की रिमझिम संग गिरते ओले,
ओले देखकर बच्चे बोले,
नन्हे-नन्हे हाथों से बच्चे छूते ओले,
बारिश ने मिटाया संताप,
बदलियां भर आई।।

by Amita

सब यहीं धरा रह जाएगा

May 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह तन तो है माटी का बंदे,
माटी में मिल जाएगा,
जब अंत समय आएगा तो,
सब यहीं धरा रह जाएगा।
किस बात का है अभिमान तुझे,
किस बात पर तू इतराता है,
यह पैसा- कौड़,ऐशोआराम,
जीवन में आता जाता है,
जब तक तू जिए तो ऐसे जिए,
ना कष्ट किसी को हो तुझसे,
सब याद करें अंतर्मन से,
जीवन की अंतिम यात्रा में,ना होगा इतना सामर्थ्य तुममें,
दूजों के कंधों पर जाएगा।
सब यहीं धरा रह जाएगा।।

by Amita

जीवनदायिनी “मां”

May 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सर्द रातों में मुझे,अपने आंचल में छुपा लेती है मॉं,
गर्मी की तपती दोपहरी में,
असीम ठंडक का एहसास कराती है मॉं,
खुद गीले बिस्तर पर सो कर,
बच्चोंको फूल जैसी सेज देती है मॉं,
स्वयं भूखी रहकर,बच्चों की भूख मिटाने को अन्नपूर्णा बन जाती है मॉं,
मन में असहनीय दर्द लिए,सदा होठों पर मुस्कान रखती है मां,
दूसरों के अश्रु देख,स्वयं द्रवित हो जाती है मॉं,
ममता के मंदिर की लुभावनी मूरत है मां,
आखिर तुमको इतनी शक्ति किसने दी है मॉं??
मन चाहता है,अपनी पंक्तियों से,तुम्हें पराकाष्ठा पर पहुंचा दूं मॉं,
पर चाहकर भी मुझमें,इतना सामर्थ्य नहीं है मॉं।।
(Happy Mother’s Day to all loving & caring womens )🌹🌹💐💐

by Amita

नारी सशक्तिकरण

May 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिन नारी इस जीवन की संकल्पना अधूरी है,
खुशहाल जीवन के लिए, महिला सशक्तिकरण जरूरी है।
समाज में फैली कुप्रथाओं नें,
इनके अधिकारों का हनन किया,
कभी सती हुई,कभी बाल विवाह,
आज दहेज के दंश ने इनका दमन किया,
तोड़ो रूढ़िबद्ध धारणाओं की जंजीरों को,
अब नया सवेरा जरूरी है।
खुशहाल जीवन के लिए महिला सशक्तिकरण जरूरी है।।
कदम से कदम मिलाकर,
देश की नींव सुदृढ़ करना है,
महिलाओं को सशक्त बनाकर,
उनका दामन खुशियों से भरना है,
उपेक्षा का भाव त्याग कर,
दो बोल प्यार के जरूरी हैं।
खुशहाल जीवन के लिए महिला सशक्तिकरण जरूरी है।।

by Amita

तुम जग में नाम कमाओगे(२)

May 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

लो सीख असफलताओं से,अपने अगले प्रयत्न में तुम
जीवन में सफल हो जाओगे।
तुम जग में नाम कमाओगे।।
जो हंसते थे अब तक तुम पर,
वह नाज करेंगे फिर तुम पर,
मन में ठानों करो बड़े काम,
तज दो निराशा के भाव,आशा की किरण जो जलाओगे।
जीवन में सफल हो जाओगे,तुम जग में नाम कमाओगे।।

by Amita

तुम जग में नाम कमाओगे

May 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मत हो निराश,
करो निरंतर प्रयास,
जीवन में सफल हो जाओगे,
तुम जग में नाम कमाओगे।।
आलोचकों को समझो शत्रु नहीं,
यह नई दिशाएं देते हैं,
अपने व्यंग्य बाणों से,
नया मार्ग प्रशस्त कर जाते हैं,
रहो अडिग अपने कर्तव्य पथ पर,
अपनी छवि अंकित कर जाओगे।
तुम जग में नाम कमाओगे।।
क्या हुआ, जो असफल तुम कई बार हुए,
यह चुनौतियां हैं तुम्हें निखारने के लिए,
लो सीख असफलताओं से

by Amita

सब मिलकर करें मजदूरों का सम्मान

May 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब परमपिता परमेश्वर ने हम सबको है सामान बनाया,
ना जाने कितने समाज में ऊंच-नीच ,भेदभाव का नियम बनाया,
मजदूरों की मेहनत पर,
हम सारे सुखों को भोगते हैं,
जिस अन्न को खाते,और जिस घर में रहते,
उसे मजदूर अपने खून पसीने से सींचते हैं,
मानवता के नाते देखें,
मजदूर भी तो एक इंसान है,
चाहे अमीर, चाहे गरीब सबकी तरह,
इनके तन में भी बसती जान है,
मजदूरी करना कोई पाप नहीं,
आजीविका का साधन है इनका,
ऊंच-नीच का भेद मिटाओ मन से,
सब जन मिलकर आभार व्यक्त करो इनका।।
(आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)—अमिता–

by Amita

मनभावन मौसम

April 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बड़ा सुहाना मनभावन मौसम आया है,
बादलों से गिरती बूंदों ने,
धरती का संताप मिटाया है।
बड़ा मनभावन मौसम आया है।।
काले-काले बादल उमड़_ घुमड़ कर आए,
मेढक भी देखो बिलों से निकल,
टर्र_ टर्र का गीत सुनाए,
कोयल ने मीठी वाणी में,
मधुर संगीत सुनाया है।
बड़ा मनभावन मौसम आया है।।
वृक्षों के कोमल पत्तों पर,
हरियाली फिर से भर आई,
गर्मी की तपन ज्यों दूर हुई,
तन मन में शीतलता त्यों आई,
दामिनी तड़की फिर मेघों ने,
ठंडी फुहार बरसाया है,
मस्त पवन के झोंकों ने,
रूह को सुकून पहुंचाया है।
बड़ा सुहाना मनभावन मौसम आया है।।

by Amita

शराब एक अभिशाप

April 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखो, कैसा यह जमाना आया है,
सांझ जैसे बीती,
सुरालय की चौखट पर लाइन लगाया है।
कैसा यह जमाना आया है।।
दिन भर के खून पसीने से,
जितना पैसा कमाया है,
घर बार छोड़ सारी पूंजी,
उस मदिरा पर लुटाया है।
कैसा यह जमाना आया है।।
बीवी बच्चे हो रहे रोटी को मोहताज,
घर की इज्जत नीलाम हो रही,
इन्हें तनिक न आती लाज,
खुद तो पीते और झूमते,
इस शराब की बोतल ने बच्चों पर,
भूखे रहने का कहर बरसाया है,
इस मदिरा के चक्कर ने, राजा को रंक बनाया है।
कैसा यह जमाना आया है,
कैसा यह जमाना आया है??

by Amita

हनुमान जयंती (विशेष )

April 27, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे! अंजनीसुत मारुतिनंदन ,
तुम्हें बारंबार प्रणाम है ।
कलियुग के देवा आन हरो पीड़ा,
जग करता तेरा गुड़गान है।
अपनी स्वामी भक्ति के कारण ,
आप श्री राम के मन को भाए थे ,
जब शक्ति लगी भ्राता लक्ष्मण को ,
आप तन में प्राण वापस लाए थे ,
मेरी भी पुकार सुनो हनुमत ,
इक बार दरश दिखला जाओ ,
अपनी बलशाली दृष्टि से ,
सारे संकट अब हर जाओ,
अमिता करती तुमको वंदन ,
स्वीकार करो यह प्रणाम है ।
हे अंजनी सुत मारुति नंदन तुम्हें बारंबार प्रणाम है ।।
( हनुमान जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं )

by Amita

वीर सैनिक

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

आओ नमन करें उन्हें श्रद्धा से ,
मां भारती की रक्षा के खातिर ,
जो प्राण देश पर न्योछावर कर जाते हैं ।
बड़ी हिम्मत रखते सीने में ,
खुद मिट जाते सब के खातिर ,
और रक्षा का वचन निभाते हैं।।

by Amita

एक बेटी की करुण पुकार

April 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यूँ आई दुनिया में मैं मां ,
जब जिल्लत जग की सहना था ,
मानव समाज के नियमों के ,
ताने बाने में रहना था ।
गर बेटा मैं भी होती तो ,
मेरा मन यूं क्रंदन ना करता ,
गर लाल तूने जाया होता ,
यह घर खुशियों से तेरी झोली भरता ,
घर वालों के तानों से मां,
तेरा मन छलनी ना होता ,
मिलते तुझको सुख के साधन ,
गर जन्म मेरा इस जग में ना होता ।
मत इतरा इतना ऐ इंसान तू,
एक बात मैं तुझको बतला दूं ,
मुझसे ही है अस्तित्व तेरा,
यह परम सत्य ना ठुकरा तू,
बेटियां जो जग में ना होंगी ,
तो बहू कहां से लाओगे ,
अपनी अस्मिता बचाने को ,
अपना वंश कैसे बढ़ाओगे ??

by Amita

प्रभात का संदेशा

April 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बह रही पवन ,खिल रहे सुमन,
कितना अदभुद यह नजारा है,
छंट गया तिमिर, बीती यामिनी,
रवि की किरणों ने पैर पसारा है।
नभ में चिड़ियाँ,कलरव करतीं,
गुंजन यह मधुरिम छाया है,
आलस्य त्याग हे मनुज जाग
पूरब से संदेशा आया है,
धरती का आंचल महक रहा,
नूतन यह सवेरा आया है,
करें धन्यवाद उस ईश्वर का,
जिसने संसार रचाया है,
जिसने संसार रचाया है।

by Amita

यह कैसा दिन आया है

April 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कैसा मंजर यह आया है,
चहुंओर अंधेरा छाया है!
कितने कुलदीपक बुझ ही गए,
कितने परिवार यू उजड़ गए,
गर नहीं सचेते अब भी तो,
उठ सकता सिर से साया है,
चहुंओर अंधेरा छाया है!
कहीं ऑक्सीजन की कमी हुई,
कहीं पल में सांसे उखड़ गई,
यह मृत्यु का तांडव रुके यहीं,
बेबसी से उबरें जल्द सभी,
रुक जाए महामारी अब बस,
जिसने चित्कार मचाया है,
चहुंओर अंधेरा छाया है!
जहां लाड- प्यार हमें मिलता था,
वहीं दूर-दूर हम रहते हैं,
स्पर्श न कर सकते हैं उन्हें,
बरबस आंसू यह बहते हैं,
प्रभु अपने पल में बिछड़ रहे,
यह कैसा दिन दिखलाया है,
चहुंओर अंधेरा छाया है!
ईश्वर से प्रार्थना करती हूं,
महामारी को जल्दी निपटा दो,
दुख के बादल छंट जाए सभी,
आशा की किरण अब दिखला दो,
सब स्वस्थ रहें खुशहाल रहें,
प्रार्थना में मेरी यह समाया है,
चहुंओर अंधेरा छाया है!
मेरी सबसे है अपील यही,
सब घर पर रहो और स्वस्थ रहो,
सब मास्क लगाओ और सभी,
सामाजिक दूरी का पालन करो,
मत करो अवहेलना नियमों की,
इन्हें पालन करने का दिन आया है,
चहुंओर अंधेरा छाया है!

by Amita

स्वच्छता की आवश्यकता

April 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्वच्छता कि हम एक नई मुहिम चलाएंगे,
गांधी जी के सपनों को साकार कर दिखाएंगे।
धरती हरी भरी होगी,अब स्वच्छ अपनी मति होगी,
गंदगी के ढेरों की,अब ना कोई अति होगी,
पर्यावरण में चहुंओर सुगंध की बयार हम लाएंगे।
गांधी जी के सपनों को साकार कर दिखाएंगे।।
इक दिन धरा भी झूमेगी,इक दिन गगन भी झूमेगा,
जनता के अथक प्रयासों से,भारत फलेगा -फूलेगा,
मां भारती के कर्ज को मिलजुल कर हम चुकाएंगे।
गांधी जी के सपनों को साकार कर दिखाएंगे।।
प्रारंभ स्वयं से करना है,यह संकल्प मन में ठान लो,
अमिता की करबद्ध विनती को,एक बार सब जन मान लो,
स्वच्छता के संदेश से घर -घर में खुशहाली लाएंगे।
वैश्विक पटल पर हम नया कीर्तिमान स्थापित कर जाएंगे।
गांधी जी के सपनों को साकार कर दिखाएंगे।।
_आप सभी को पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।पृथ्वी दिवस को सार्थक बनाने हेतु स्वच्छता की आवश्यकता को बल देती हुई मेरी 🌍🌍

by Amita

राम नवमी(विशेष)

April 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अवध में बज रही आज बधाई,
हरष रहा मन आज सभी का,हुई धन्य कौशल्या माई,
अवध में बज रही आज बधाई।
विजय पताका नभ में लहर रही,
असत्य की राहें यहीं ठहर गई,
दमन हुआ रावण का क्षण में,
जय श्री राम की गूंज पवन में छाई।
अवध में बज रही आज बधाई।।
शरण तुम्हारी आए प्रभु जी,
हरलो सारे संकट प्रभु जी,
खुशी के दीप जले हर घर में,
राम नवमी आज है आई।
अवध में बज रही आज बधाई।।

by Amita

पृथ्वी दिवस(पृथ्वी की पुकार)

April 20, 2021 in Poetry on Picture Contest

आज यह धरती माता,कर रही हम सब से यह पुकार है।
मुझसे जन्मा अस्तित्व तेरा,और मुझसे ही यह संसार है।।
मत करो क्षरण प्राकृतिक संसाधनों का,
रोपो सब मिलकर वृक्ष कई रोशन होगा सबका कुनबा,
चहुंओर बिछेगी हरियाली,
नदियां देंगी स्वर् कल कल का,
चरणों में अमिता करती वंदन हर क्षण मां तेरा आभार है।
तुझसे जन्मा अस्तित्व मेरा और तुझसे ही यह संसार है।।

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