*संघर्ष*
जीवन रण है संघर्ष भरा,
अनगिनत शूल पथ में बिखरे,
मेहनत परिश्रम अथक प्रयास,
कंटक प्रसून बनकर निखरे।
*********************
महामारी काल संघर्ष पूर्ण,
कितने कुलदीपक काल ग्रास बने,
सांसों की डोर पड़ी कमजोर,
आजीविका संसाधन सब छूटे।
**********************
तिनके से उजड़े घर उपवन,
किलकारियों की जगह सन्नाटा पसरा,
नियम पालन बचाव बने संजीवनी,
सामान्य हुई परिस्थितियां जनजीवन सुधरा।
**********************
बाधाएं विकट चाहे कितनी आएं,
विश्वास दीप ना बुझने दें,
संकट में संबल हो प्रगाढ़,
दृढ़ संकल्प अंतस उजास कर दे।
**********************
धैर्य साहस लगन से लक्ष्य भेदना,
सदा सत्यपथ अग्रसर करना,
त्रिलोक स्वामी बनकर सहारा,
नैया भवसागर पार करा देना।
स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता
कानपुर,उत्तर प्रदेश
तिनके से उजड़े घर उपवन,
किलकारियों की जगह सन्नाटा पसरा,
नियम पालन बचाव बने संजीवनी,
सामान्य हुई परिस्थितियां जनजीवन सुधरा।