खुशियों का त्यौहार

March 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खुशियों का त्यौहार है होली
प्यार से मनाऐंगे।
दोस्त तो आखिर दोस्त है
दुश्मन को भी गले लगाऐंगे।।

होली का त्यौहार

March 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रंग बरसे गगन से देख मेरे यार।
आओ
मिलकर मनाऐं होली का त्यौहार।।

होली में

March 6, 2020 in हाइकु

होली में होगी ना अबकी हुरदंग।
ना पानी ना कीचड़ ना दारु ना भंग
खुशियाँ हीं खुशियाँ प्यार का रंग ।।

हिन्दी गजल

March 6, 2020 in ग़ज़ल

गम के आँसू सदा हीं बरसता रहा।
मेरा जीवन खुशी को तरसता रहा।।
मैंने मांगा था कोई ना सोने का घर
प्यार की झोपड़ी को तरसता रहा।
ना तुम्हारा रहा ना हमारा रहा
गेन्द-सा दिल हमेशा उछलता रहा।।
गैर की है दुनिया में तेरी खुशी ,फिर
तेरा मन मेरे मन को काहे लपकता रहा।
जरा बचके निकलना ‘विनयचंद ‘यहाँ
प्यार की राह अश्कों से धधकता रहा।।

हम भारत हैं

March 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

“सारे जहाँ से अच्छा “जो कह दे
वो इकबाल कहाँ से लाऊँ?
“हिन्दोस्तां हमारा ” कह दे
वो इकबाल कहाँ से लाऊँ?
अपने देश को अपना कहो तो
आखिर क्या घट जाएगा?
ध्वजा तिरंगा के खातिर
अपना शीश कट जाएगा।
छाती ठोक कहने वाला
“आजाद”लाल कहाँ से लाऊँ?
कोई हिन्दू बन लड़ता है
कोई मुस्लिम का सरदार।
सिक्ख ईसाई दलित बना सब
कोई बाभन का अवतार।।
“हिन्दी हैं हम” कहने वाला
वो इकबाल कहाँ से लाऊँ?
बाँट के सबको जाति धरम में
आपस में लड़वा दे जो।
करा के दंगा हर कूचे में
आम खास मरवा दे जो।।
ऐसे नेता के झाँसे में
‘विनयचंद ‘ हरगिज़ न आऊँ।
हम भारत हैं भारत अपना
यही गान मैं दिल से गाऊँ।।

खेल रंग वाला

February 27, 2020 in गीत

सजनी है गौर और
सजना क्यों काला?
आओ हम खेलें
खेल रंग रंग वाला।
लाल से रंग दो
हरे से रंग दो।
नीला और पीला
गुलाबी से रंग दो।
रंग डालो अज बेनीआहपीनाला।
आओ हम खेलें खेल रंग वाला।।
तन को रंगो सब दिलवर के रंग से।
मन को रंगो आज प्रेम के रंग से।।
विनयचंद मिटा दे भाव नफरत वाला।
आओ हम खेलें खेल रंग वाला।।

फाग

February 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुमधुर ध्वनि मुखरित है होली के राग का।
लो आ गया भैया महीना रंग बिरंगी फाग का।।
धरती भी रंगीन है
अम्बर भी रंगीन है।
नवल कुसुम संग पत्र नवल है
सुरभित जगत नवीन है।।
नफरत की होलिका जला विनयचंद
प्रेम प्रज्वलित आग का।।

फजल

February 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उलझन भड़ी ज़िन्दगी को सरल लिख रहा हूँ।
तुम्हारे प्यार को ज़ुबान -ए-गजल लिख रहा हूँ।।
एक गुनगुनाहट भड़ी आवाज़ देकर ऐ प्रीतम
तेरी वफाओं के दास्तान -ए-फजल लिख रहा हूँ।।

विनती

February 16, 2020 in Other

मुझको भजन की लगन लगादे मुरारी।
नाम गाऊँ मैं हर पल तुम्हारी।।

भजन की लगन

February 16, 2020 in Other

मैं करूँ मैं करूँ प्रभु तेरा भजन।
भर दे भर दे प्रभु मुझमें इतनी लगन।।

दीप जलाओ शहीदों के नाम

February 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

एक दीप तो जला ‘विनयचंद ‘
मजार- ए-शहीद पे।
देश गुनुनाएगा तेरे लिए
नगमा हमीद के।।

गुल -ए-गुलाब कहता है

February 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गुल -ए-गुलाब कहता है
इतना हमसे ओ प्रीतम
मजार -ए-शहीद पर चढ़ा देना।
खुशबूओं से,सराबोर कर दूँगा तुझको
जरा मेरा भी मान बढ़ा देना।।

वीरों का वेलेंटाइन

February 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी की माशूक
किसी की मंगेतर।
किसी की नवोढ़ा
किसी के प्रियवर।।
मन का तार जोड़ के बैठी
प्रिये तुम कब आओगे?
वेलेंटाइन आ गया
प्रिये तुम कब आओगे?
भारत माँ के वीर सिपाही
हमको शरहद प्यारी है।
दिया गुलाब धरती ने पहले
जिसका दिल आभारी है।।
रक्त कुसुम ले माँ भारत को
आखिर कब प्रपोज करोगे?
दिल से निकलकर दुनिया में
आखिर कब तुम छाओगे?
‘विनयचंद ‘ हम वीर युवा के
इससे बड़ा क्या वेलेंटाइन होगा?

दिल के जख्म

February 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछ जख्म दिखाए जा नहीं सकते।
घायल किया जिसको तुमने
दिल चीर दिखाए जा नहीं सकते।।

इश्क़

February 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इश्क़ यदि मासूम है तो बगावत क्यों होती है। ः
मतलबपरस्त है तो इनायत क्यों होती है।।

मासूमियत

February 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरी मासूमियत को हथियार मत बनाना।
दिल में दगा रखकर प्यार मत बनाना।।
मैं तो खाके धोखा खामोश रह जाउँगा
खुद को बेबफाओं का सरदार मत बनाना।।

वरद हाथ

February 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

झर झर नीर झरे नैनन से
बीच हथेली रख मुखरे को।
बिलख बिहारी विनती करते
वो कैसे सहेगी इस दुखरे को।।
देर भयो ग्वारन संग खेलत
भूखा प्यासा लाल तुम्हारो।
फिर भी मैया मारन चाहे
पकड़ हथेली मुझको मारो।।
चोट लगे केवल माँ मुझको
छाले दाग न लगे हाथ को।
विनयचंद ‘ कभी पीड़ न आवे
आरतहर के वरद हाथ को।।

कान्हा के मुख कान्हा

February 5, 2020 in Other

कान्हा तूने माटी खाई
डाँट के बोली मैया।
ना ना कह शीश हिलाया
नटखट बाल कन्हैया।।
छड़ी दिखाकर मैया बोली
मूंह तो खोलो कान्हा।
मुख में सारा विश्व दिखाया
कन्हा मुख में कान्हा।।
मायापति की माया में
मैया बेहोश पड़ी थी।
दूर हुई कान्हा की माया
मैया स्वस्थ खड़ी थी।।
विनयचंद ऐसे मायापति का
निश दिन ध्यान धड़ो रे।
जीवन को न माया ठगेगी
अपना कल्याण करो रे।।

मर्यादा

February 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मनमौजी बनकर चलना
ये कैसी आजादी है।
बिन मर्यादा के जीना
जीवन की बर्बादी है।।
अनुशासन न कोई बंधन है
न तुम पर कोई थोप रहा।
एक सफलता की कुंजी है
सुख सम्पदा सौंप रहा।।
विनयचंद मर्यादित रह
नर हो अथवा कोई नारी।
गुरु शिष्य और पुत्र पिता
सुख पावे नित चारी।।

दिल

February 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

किसी ने पत्ता कहा पीपल का
किसी ने पान पत्र समरूप कहा।
किसी ने मुट्ठी जैसा दिल माना
तो कर लो दुनिया मुट्ठी में।

आँचल

February 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूँ तो मूँह बांधकर घुमा करती हूँ डगर-डगर।
पर सिर पे आँचल रखने से जी घबराता क्योंकर।।

धूप

February 3, 2020 in Other

सम्मुख अग्नि सेवन कर पीठ सेव तू धूप।
रीढ़ सुदृढ़ रहे सदा कबहु घटे नहि रूप।।

जस्न- ए-जिन्दगी

February 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जस्न- ए- ज़िन्दगी एक शौक होता है।
मौत के बाद तो सब बेख़ौफ होता है।।

रितुराज के आवन पे

February 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रितुराज वसंत के आवन पे
बसुधा ने कण कण सजा लिया है ।
शबनम की बारिश से धरणीधर
और तृण तरुवर सब नहा लिया है।।
पत्र पुराने त्याग दिए बृक्ष सब
नव किसलय तन चढ़ा लिया है।
कुछ रक्तिम कुछ हरे -हरे
बगिया ने नव परिधान सजा लिया है।।
पहन पुष्पों का आभूषण
कुदरर ने निज अंगों को सजा लिया है।
फूलों ने भी कसर न छोड़ी
खुद को खुशबू से महका लिया है।।
पत्र -पुष्प से सज गई धरती
पतंगों से नीलाम्बर भी सजा लिया है।
भ्रमर तितलियाँ कोयल संग
“विनयचंद “ने भी कुछ गुनगुना लिया है।।

दतमंजन

February 1, 2020 in मैथिली कविता

उत्तम चिड़चिड़ी मध्यम भाँटि।
सब सॅ सुन्दर दोमट माँटि।।

पढ़ुआ

February 1, 2020 in मैथिली कविता

जतऽ गाछ नञ बृक्ष।
ओतऽ अंडी महाबृक्ष।।

मधुमास

January 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आया है मधुमास धरा पे
रंग -बिरंगी खुशियाँ लेकर।
वृक्षों ने परिधान बदलकर
नवल पत्र दल बगिया लेकर।।
पर्वत खेत बाग सब कुसुमित
धरा गगन अज रंगिया केसर।
“विनयचंद “इस रितुराज का
कर स्वागत दिल देकर।।

मधुमास सुहाना आया

January 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मधुमास सुहाना आया है
धरती के आँगन में।
रक्तिम कुसुम सजाया है
प्रकृति के माँगन में।।
दुल्हन -सी है सज गई धरती
अम्बर मौर सजाया।
भ्रमर तितलियाँ बने बराती
पर्वत ढोल बजाया।।
संग मयूरी लेकर मोर
छम-छम नाच दिखाया।
“विनयचंद “भी कोयल बन
स्वागत गान सुनाया।

सचमुच ये रितुराज है

January 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सचमुच ये रितुराज है।
तेरे स्वागत में प्रकृति ने वसुधा के कण कण को सजाया।
बाग – बगीचा बहती सरिता खुशबू से तरुवर नहलाया।।
कोमल किसलय कोमल कुसुम मदमस्त कामराज है।
सचमुच ये रितुराज है।।

आया वसंत आया वसंत

January 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आया वसंत आया वसंत ।
बोल रहा है आज दिगन्त।।
पतझर ने कहा तरुवर से
बनकर किसलय आया वसंत।
पत्तों ने कहा फूलों से
खुशबू बनकर आया वसंत।।
आया वसंत आया वसंत।
बोल रहा है आज दिगन्त।।
खुशबू ने कहा मधुकर से
मधुररस बनकर आया वसंत।
भौरों ने कहा कोयल से
सुरीले स्वर बन आया वसंत।।
आया वसंत आया वसंत।
बोल रहा है आज दिगन्त।।
कोयल ने कहा अंबर से
धरा सजाया है वसंत।
“विनयचंद ” अम्बर में
पतंगें लहराया वसंत।।
आया वसंत आया वसंत।
बोल रहा है आज दिगन्त।।

वसंती कुदरत

January 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खेतों में है फूली सरसों
धनिया महके गम गम।
बाग बगीचे सजे हुए हैं
रंगीले पुष्पों से हरदम।।
धरती को रंग डाला
कुदरत ने रंगों से।
हमने भी अंबर को रंगा
रंग विरंगे पतंगों से।।
निर्मल बुद्धि श्वेत रंग को
काम रंग रंग डाला।
सकाम ज्ञान पथ का पथिक
विनयचंद मतवाला।।

दोहा

January 29, 2020 in Other

कुदरत ने रंग डाला देखो आज दिगन्त।
धरती अंबर में आया मथुर रितु वसन्त।।

क्योंकर छिलका खाए कृष्णा

January 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्योंकर छिलका खाए कृष्णा?
इतिहास हमारा क्या कहता है ?
क्या मतलब है इसका कहना?
एक प्रश्न मन पूछ रहा है
क्योंकर छिलका खाए कृष्णा?
कदलीवन नारायण को प्यारा
कदली से नित होती पूजा।
तभी विदुरजी का कदलीवन
कृष्णा को राजसभा से सूझा।।
प्रेम के वस हो मांग लिए
कुछ खाने को कृष्णा।
क्योंकर छिलका खाए कृष्णा?
भगवान अगर गुद्दा खाए तो
भक्त भला क्या खाएगा?
दम्भ पाखण्ड के भीतर कैसे
मधुर सरस रस रह पाएगा ?
“विनयचंद ” रे मान सदा
ये इतिहास का कहना ।
सचमुच छिलका खाए कृष्णा।।

राम उपासक

January 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

पिता बचन को मान रामजी
गए वास को वन में।
राम उपासक बनके भरतजी
सन्यासी हो रह जीवन में।।

कम नहीं आँकना

January 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूँ तो किसी के गिरेवान में मत झाँकना ।
झाँककर भी किसी को कम नहीं आँकना।
गिरिवर उठाने वाले से बचाकर माखन
क्योंकर छीका नित -नित ऊँचा टाँगना।।

माँ मुझे फौज में भेज दे

January 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ ! मुझे फौज में भेज दे।
ना बेटा ! अपने मन को जरा परहेज़ दे।।
बन जा बेटा आॅफिसर तू
राज करोगे जनताओं पर।
पब्लिक से नेताओं को भी
नाज रहेगा सेवाओं पर।।
साहेब बनकर जीना बेटा
तन मन को कर अंग्रेज दे।
ना बेटा अपने मन को जरा परहेज़ दे।।
अधिकारी और डाक्टर की सेवा
बेशक एक आफताब है माँ।
शिक्षक और नेता की सेवा
दुनिया में माहताब है माँ।।
पूत सपूत बनूँ मैं तेरा
मुझमें देशभक्ति लबरेज दे ।
माँ ! मुझे फौज में भेज दे।।
हठ करके तू माँ के दिल को
क्यों करता मजबूर है।
बाल हठ को दुनिया माने तो
तिरिया का हठ भी मशहूर है।।
कैसे कह दूँ बेटा मेरे
शहादत का तू दहेज दे।
ना बेटा ! अपने मन को जरा परहेज़ दे।।
बहुत कमाने पैसा माता
क्यों न जाऊँ विदेश में।
बाहर भीतर इज्ज़त होगी
क्या रखा स्वदेश में।।
सिर्फ कुछ सालों तक पत्थर का करेज दे।
ना बेटा अपने मन को जरा परहेज़ दे।।
तेरे पीछे क्या बनेगा
कौन करेगा मेरी राखी।
ऐसे हीं भारत माँ की
मुझे करने दो माँ राखी।।
ब्रह्माणी से क्षत्राणी बन
क्षत्रिय धर्म सहेज दे।
माँ ! मुझे फौज में भेज दे।।
बहुत करी परीक्षा तेरी
तेरे मन को पढ़कर।
मातृभूमि तो बेटा मेरे
माँ से भी है बढकर।।
“विनयचंद “तव दामन भर दूँ
दुआ-ए-परवेज से।
माताओं के माँ के खातिर
तन मन धन सब त्येज दे।
जा बेटा ! शरहद को तू सहेज दे।।
आफताब ःः सूरज
माहताब ःः चन्द्रमा
परवेज ःः विजय, शांति

दीदार को बेकरार

January 27, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नब्ज टटोलकर देख ले निर्मोही
तुम्हारे हीं प्यार में बीमार हूँ।
ये दिल दे चुकी कब के तुझको
सिर्फ एक दीदार को बेकरार हूँ।।

तू और मैं

January 27, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तुम्हें देख दिल मेरा चहकता है
जो दुनिया देखूं तो बहकता है।
तुम से है मेरी दुनिया प्रियतम
तेरे दिल में मेरा दिल धड़कता है।।

नसीहत

January 27, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ऐ फूल मेरे बाग के
खुद को लपेट ले।
आ रही है तितलियाँ
खुशबू समेट ले।।

वक्त

January 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वक्त भी एक शिक्षक है
जो देता सच्ची शिक्षा।
वक्त का सम्मान किया जो
नहीं मांगेगा कभी भिक्षा।।

हम तुमसे दफा नहीं होते

January 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी

प्यारे कभी बेवफा नहीं होते।
अपने कभी खपा नहीं होते।
ऐ वक्त हमसे खपा मत होना
क्योंकि हम तुमसे दफा नहीं होते।।

दुनिया का बरताव

January 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कौन है शोषित
कौन है शोषक
कैसे फर्क करोगे?
स्वर्ग द्वार भारत को
कैसे नर्क कहोगे?
बस में सफर करते हुए
यही बात मैं सोच रहा था।
भरे सीट थे सारे उसके
फिर भी सवारी कोंच रहा था।।
खड़ गई आके मेरे बाजू में
एक संभ्रात -सी महिला।
सामानोंऔर बच्चों के संग
अस्त-व्यस्त थी महिला।।
मैंने अपनी सीट दे दी
खुद खड़ा होकर।
हुई खाली बाजू की सीट
बच्चे बैठाई सोकर।।
अगले स्टोपेज आकर
चढ़ गई मेरे एक रिश्तेदार।
मैंने कहा मैडमजी थोड़ा
बच्चे को ले लो गोद सवार।।
लगी फुफकारने मेरे ऊपर
करते क्यों बदतमीजी हो!
मुझको रोका उसको टोका
काहे को तुम खीजी हो?
टल गया एक महाभारत
लोगों के बचाव से।
“विनयचंद “अब क्या कहे
दुनिया के बरताव से।।

चंदन तुम सर्प लपेटे रहते हो

January 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चंदन ! तुम सर्प लपेटे रहते हो।
तुम शीतल हो तुम निर्मल हो,
खुशबू तेरे भीतर है।
वैर नहीं है तुम्हें किसी से
हृदय बड़ा पवितर है।।
मलयाचल पर बने तपस्वी
दूर अकेले रहते हो।
चंदन ! तुम सर्प लपेटे रहते हो।।
एक शंकर कैलाश के वासी
सर्पों के मालाधारी हैं।
जहर हलाहल पीकर शंभु
अभयंकर त्रिपुरारी हैं।।
नीलकंठ का नीलापन
तुम भी तो ठक सकते हो।
चंदन ! तुम सर्प लपेटे रहते हो।।
कैलाश शिखर पर जिनका वंदन।
वो तो हैं प्रभु दुष्ट निकन्दन।।
मलय गिरी जब आते हैं।
तपसी रूप हो जाते हैं।।
“विनयचंद “मंगलकारी के
क्यों न संग समेटे रहते?
चंदन !. तुम सर्प लपेटे रहते हो।।

वियोग

January 11, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नब्ज देख के बतला दो
मुझे कौन-सा रोग है।
दिल में तुझे बसाकर भी
आखिर क्यों वियोग है।।

गीत

January 6, 2020 in मैथिली कविता

कोना पठाएब सनेश।
पिया मोर नञ जाऊ विदेश।।
चिट्ठी लिखब कोना छी हम असमर्थ।
फोनक खंभा ठार बनल छै बेअर्थ।।
मोबाइलक नेटवर्क रहय अछि नञ लेश।
पिया मोर नञ जाऊ विदेश।।
कौवा कबूतर केॅ डाकिया बनाएब।
बैरंग चिट्ठी हम फोकट में पाएब।।
सुग्गा कोयली बनि अप्पन भेंट विशेष।
धनी मोर करू जय गणेश। पिया मोर नञ जाऊ विदेश।।

एकता का मोल

January 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

पानी और दूध की दोस्ती है अनमोल।
“विनयचंद “ये साथ हो बिके एक हीं मोल।।

दूध और पानी

January 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

पानी और दूध का एक नहीं रंग रूप।
आकर दोनों साथ में बन जाये समरूप।।

चंदन

January 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

काट दो कुल्हाड़ी से
फिर भी खुशबू हीं दूँगा।
मैं तो मलयाचल का चंदन हूँ
कुछ भी दाम नहीं लूँगा।।

ट्वेंटी ट्वेंटी

January 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल से स्वागत करो सभी साल ट्वेंटी ट्वेंटी का।
बीत गए वो दिन बन्धुओं किसी के फोर ट्वेंटी का।।

नव वर्ष में

January 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दिल में खुशी हो और होंठों पर हँसी हो
जीवन बीते आपका सदा सर्वदा हर्ष में।
मंगल हीं मंगल हो और सुखकारी बीते
हर दिन हर पल हर मास इस नव बर्ष में।।

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