नया साल

January 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नई उमंग होगी, नए तरंग होंगे
नया सौगात होगा इस नया साल में। ।
गम के बिना खुशी मिले।
रूदन के जगह हँसी मिले।।
आप सबको इस नया साल में ।।
गम न कर तू बीते साल पुराने का।
सोच नहीं कर अपने हाल पुराने का।।
सोच सदा तू नया करेंगे, अबके इस नया साल में।।
किसी को खुशी मिली किसी को गम मिला।
किसी को ज्यादा तो किसी को कम मिला।।
बीत गया जो साल पुराना आखिर जिस हाल में।
पर पौ बारह हो सबका। इस नया साल में।।
दोस्त तो आखिर दोस्त हैं दुश्मनों को भी प्यार देना।
मतलबपरस्ती छोड़ कर सबको सच्चा व्यवहार देना।।
“विनयचंद “हो बीस हीं बीस सबका इस नया साल में।।

बीस बन गया

December 31, 2019 in शेर-ओ-शायरी

देख देख यारा मेरा टीन एज खतम हो गया।
साल बीसा मैं बनके सबसे बीस बन गया।।

खास बना ले

December 31, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तुम अपने दिल की प्यास बना ले।
अलविदा कहने से पहले इतिहास बना ले ।
जा रहा हूँ मैं कहके ऐ मेरे दोस्त
आने वाले बरस को कुछ खास बनाले।।

नसीहत

December 29, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जो ठहर जाए वो हवा नहीं होती,
दुनिया में हर मर्ज की दवा नहीं होती ।
विनयचंद खुद सम्हाल अपने दिल को ,
क्योंकि यहाँ अदा- ए-वफा नहीं होती।।

20-20 में

December 27, 2019 in मैथिली कविता

उनैस बीस केॅ फेर सॅ निकलू
दुर्भाव घैल केॅ फोड़ू।
आबि रहल अछि बीस बीस
दिल केर नाता जोड़ू।।

घैल-घड़ा फेर-चक्कर

धैर्य

December 27, 2019 in मुक्तक

निश्चित छोड़ अनिश्चित को धावे ।
मुट्ठी से निश्चित खोवे अनिश्चित हाथ न आवे ।
“विनयचंद “धैर्य बिना क्या पावे?

प्रबोधन

December 27, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आनन्दपुर छूट गया हमें इसका तनिक मलाल नहीं।
इस गम को कैसे झेललेंगे ,दो वीरा अपने नाल नहीं।।
दूर गया नहीं हमसे , तेरा वीरा ,मेरे सोना मेरेकाका ।
धर्म ध्वजा के रुप तुम्हारा वीरा होगा सबका आका।।
हम क्षत्रिय कभी गम नहीं करते, जीवन और मृत्यु का।
देश, धर्म,, मानवता के खातिर, वरण करते मृत्यु का।।
बलिदान धर्म पर होने वाला, सीधा जन्नत को जाता है।
“विनयचंद “यह मानव का तन लाख मनन्त से पाता है।।

कश्मीर

December 26, 2019 in मैथिली कविता

अखण्ड भारत देश हमर।
कश्मीर धरा पर स्वर्ग जेकर।।

तेरे बिन मुझे कुछ चाह कहाँ

December 25, 2019 in शेर-ओ-शायरी

वो तख्त कहाँ वो ताज कहाँ
वो कलगीधर सा शाह कहाँ।
हे दशमपिता हे गुरु गोविन्द
तेरे बिन मुझे कुछ चाह कहाँ।।
,,,,,,,,कोटि कोटि प्रणाम,,,,,,,,,

ये ‘एहसास ‘भी क्या चीज है

December 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये एहसास भी क्या चीज है?
असत्य को सत्य में
तुरन्त बदल देती है ,
ये एहसास।
मन में आस्था जगे
तो दिल में भगवान
प्रकट करती है,
ये एहसास।।
एहसास हीं तो आस्था की बीज है।
ये एहसास भी क्या चीज है?
जब हर जीवों के दिल में
उतर जाते हैं और
हर जीवों का दिल में
एहसास होता है।
तभी तो दिल में
दया, धर्म, परोपकार
के भावों का
विश्वास के साथ
वास होता है।।
“विनयचंद “सब में खुद को देख वरना तू क्या चीज हैं ?
खुद को खुदा बनादे वो भाव भी अज़ीज़ है।
ये एहसास भी क्या चीज है? ये एहसास भी क्या चीज है?

चमकौर की वो रात

December 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

धोर अंधेरा शीत लहर संग
बादल नभ से किनमिन है।
घेर लिया मुगलों ने हमको
बचना अब नामुमकिन है।।
परवाह नहीं वो हजारों में
पर हम भी पूरे मन भर हैं।
आज्ञा दे दो हमें पिताजी
लड़ने को हम तत्पर हैं।।
कुँवर अजीत थे सतरह के
और पंद्रह के जुझार थे।
लड़ने लगे जब सिंह के जैसे
वीर बड़े बलकार थे।।
रात शांत होने से पहले
शांति चहुदिश छाई थी।
शांत हो गए वीर भी दोनों
बलिदानी की ऋतु आई थी।।
“विनयचंद “इन साहबजादे को
नमन करो सौ बार।
मातु पिता वीरा के खातिर
जीवन किया न्योछार।।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,सतश्री अकाल,,,,,,,,,,,,,,,,,

सरवंश दानी को प्रणाम

December 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

धर्म बचाने के खातिर अपना सर्वस्व बलिदान दिया।
हुए पिता कुर्बान थे उनके पुत्रों ने भी बलिदान दिया।।
कटा दिए सिर एक एक कर पर चोटी नहीं कटाई।
अनशन कर प्राण दिया पर जूठी रोटी नहीं खाई।।
ऐसे सरवंश दानी को दिल से सब प्रणाम करो।
“विनयचंद “निज देश धर्म का सदा सहृदय सम्मान करो।।
,,,,,,,,,,,,,,,,शहीदों को कोटिशःप्रणाम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे

December 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
सुना के कहानी बाल वीरों की सब को हम रुला देंगे।
रात अंधेरी थी घनघोर
नभ में बादल थे पुरजोड़।
निकल पड़े परिवार सहित
किला आनन्दपुर छोड़।।
जज्बा एक मलाल नहीं दुश्मन को मौत सुला देंगे।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे।।
मुगल सैनिकों से बच बचकर
पहुँचे सरसा नदी किनारे।
परिवार बिछोरा हुआ यहीं पर
दुश्मन आ गए इनके आरे।।
आँखों में आंसू पी गए सोच दुश्मन को आज रुला देंगे।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे।।
होने लगा युद्ध भयंकर
चमकौर की धरती पर।
भारी पड़ गए चालीस इनके
हजारों मुगल सैनिकों पर।।
विजित हुए पर दो बालक की बलिदानी कैसे भूला देंगे?
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे।।
बिछुड़ पिता बालक से
जंगल जंगल भटके।
दो बालक दादी संग
बावरची घर जा अटके।।
धोखा दिया बिधिना ने इसको हम कैसे भूला देंगे?
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे।।
कैद किया मुगलों ने आकर
शीतल बुर्ज में बन्द किया।
झुका न पाया लालच दहशत
धर्म का सिर बुलन्द किया।।
छोड़ दिया ये कहकर कल फाँसी पे झुला देंगे।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
हुआ विहान बालक दोनों को
बीच दीवार चुनवाने लगा।
घटने लगी सांसों की गिनती
पर मन में न इस्लाम जगा।।
सरवंश दानी की शहादत को “विनयचंद “कैसे भूला देंगे?
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
,,,,,,,,,,,,,,,नमन शहीदों को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे

December 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
सुना के कहानी बाल वीरों की सब को हम रुला देंगे।
रात अंधेरी थी घनघोर
नभ में बादल थे पुरजोड़ ।
निकल पड़े परिवार सहित
किला आनन्दपुर छोड़।।
जज्बा एक मलाल नहीं दुश्मन को मौत सुला देंगे।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
मुगल सैनिकों से बच बचकर
पहुँचे सरसा नदी किनारे।
परिवार बिछोरा हुआ यहीं पर
दुश्मन आ गए इनके आरे।।
आँखों में आंसू पी गए सोच दुश्मन को आज रुला देंग।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
होने लगा युद्ध भयंकर

भाव पुराने होते हैं

December 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कविताएँ नई होती हैं, पर भाव पुराने होते हैं।
गैम्बलर बदल जाते हैं, पर दाव पुराने होते हैं।।
कितना भी लेबुल बदलते रहो
पर शराब पुराने होते हैं।
नए कम्बल हो या टाट पुराने
पर ताव पुराने होते हैं।।
“विनयचंद “एक शब्द का नहीं प्रभाव पुराने होते हैं।।

जवानी लिख देव

December 21, 2019 in मैथिली कविता

अहॅक नामे हम बचपन जवानी लिख देव।
सोझा बैसू हम अप्पन कहानी लिख देव।।

क्यों छोटी छोटी बातों को बड़ा बनाते हो

December 21, 2019 in मुक्तक

क्यों छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाते हो?
भोली-भाली जनताओं से बगावत कराते हो।।
क्या कभी जनताओं को सत्य से रुबरू कराते हो?
कोड़े कागज पर दस्तखत से पहले शर्त समझाते हो?
फिर क्यों छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाते हो?
जनताओं को हथियार की तरह इस्तेमाल मत करो।
भारी पलड़ा से उठा -उठा कर अपनी जेब मत भड़ो।।
हल्के को भारी करने का क्या यही एक तरीक़ा है?
दंगा और बगावत फैला कर जीवन का रंग फीका है।।
जब हर बात बात में कानून बतियाते हो।
फिर क्यों छोटी छोटी बातों को बड़ा बनाते हो?

पूस की रात को

December 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को ?
झकझोर रहा है मेरे दिल की जज़्बात को ।
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को?
घनघोर अंधेरा छाया है
देख मेरा मन घबराया है
सनसन करती सर्द हवाएँ कपकपा रही मेरे गात को।
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को ?
टाट पुराने को लपेटा
खेतों में मंगरु है लेटा
सर्दी और चिंता के कारण नींद कहाँ उस गात को?
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को ?
फसल बचाने को पशुओं से
जाग रहा है खेत में।
डर आशंका और ख़ुशी के
भाव जग रहे हैं नेत में।।
भगवान बचाए रखना केवल इस एक रात को।
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को?
शबनम की बूंद बदल गई
कैसे एक बारिश में।
टप-टप बूंदों के संग-संग
आए ओले रंजिश में।।
सह नहीं पाई फसल मंगरु के एक हीं आघात को।
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को?
मौसम से लड़ -लड़ कर हालात से लड़ नहीं पाया।
देख टूटते सपने को “विनयचंद ” सह नहीं पाया।।
एक किसान की दुखद कहानी कैसे कहूँ इस बात को?
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को?

बहुत याद आएगा मुझे मेरा गाँव

December 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत याद आएगा मुझे मेरा गाँव।
पनघट पे हलचल पीपल की छाँव।।
भोली -सी सूरत, मंदिर की मूरत,
टनकती वो घंटियाँ निर्मल मुहूरत,
खेतों में खरहा मुंडेरों पे कांव।
बहुत याद आएगा मुझे मेरा गाँव।।

ये प्यार

December 17, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मुहब्बत जता के इनकार नहीं किया जाता।
जमाने को बता के प्यार नहीं किया जाता।।

भोर

December 15, 2019 in शेर-ओ-शायरी

अंधेरों में इतना कहाँ जोर है ।
आ रहा है सूरज हुआ भोर है।।

साईं भजन

December 14, 2019 in गीत

“एक मालिक सभी का “कहने वाले।
सुन साईंं मेरे शिरडी वाले ।।
राम को पूजा कृष्ण को पूजा।
अल्ला ईसा देव नहीं दूजा।।
एक मस्जिद को द्वारका कहने वाले।
सुन साईंं मेरे शिरडी वाले।।
पानी भर -भर दीप जलाया।
दुखियों का सब कष्ट मिटाया।।
अपना सबको कहने वाले।
सुन साईंं मेरे शिरडी वाले।।

हम सब भारतवासी छी

December 14, 2019 in मैथिली कविता

किएक नें हमरा गुमान हेतय
हमसब भारतवासी छी।
देशक सुरक्षा में जान जेतय
हमसब भारतवासी छी।
कलम सॅ लिखय छी बन्दूको उठायब।
देशक दुश्मन पर खूब गोली चलायब।।
हमर निष्ठा सॅ देशक सम्मान हेतय
हमसब भारतवासी छी।
किएक नें हमरा गुमान हेतय
हससब भारतवासी छी।।

मेरा प्यार

December 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तुम मेरे पास रहो या रहो मुझसे दूर।
मेरा प्यार कम न होगा करुँगा भरपूर।।

ऐ बेदर्द सर्दी! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं

December 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ बेदर्द सर्दी ! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं।
कहीं मंद शीतल हवाएँ ।
कहीं शबनम की ऱवाएँ ।।
दिन को रात किया कोहरे का कोई जवाब नहीं।
ऐ बेदर्द सर्दी ! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं।।
कोई चिथड़े में लिपटा ।
कोई घर में है सिमटा ।।
कोई कोट पैंट में भी आके बनता नवाब नहीं।
ऐ बेदर्द सर्दी,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।।
रंग बिरंगे कपड़ों में बच्चे ।
आँगन में खेले लगते अच्छे ।।
दादा -दादी के पहरे का कोई हिसाब नहीं।
ऐ बेदर्द सर्दी ! तुम्हारा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।।
रंग -बिरंगी फूलों की क्यारी।
पीले खेत सरसों की न्यारी।।
मटर मूंगफली गाजर के खाने का कोई जवाब नहीं।
ऐ बेदर्द सर्दी…………………………………………………।।
खोज रही है धूप सुहानी ।
जड़-चेतन व सकल प्राणी।।
एक सहारा जिसका सबको ऐसा कोई लिहाफ नहीं।
मन की गर्मी रख “विनयचंद ” ऐसा कोई ताव नहीं।।
ऐ बेदर्द सर्दी!…………………………………………………।।

धरती की व्याकुलता

December 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

व्याकुल धरती बुला रही है
फिर से झाँसी की रानी को।
बहुत हुआ अब नहीं सहेंगे
शैतानों की मनमानी को।।
गली गली में गुंडे बैठे
हर नुक्कड़ अपराधी है।
जाति धर्म की राजनीति में
बँट गई दुनिया आधी है।।
करूँ भरोसा किस पर बोलो
देख पड़ोसी की शैतानी को।
व्याकुल धरती बुला रही है,,,,,,,,,।।
अरमानों से बांध रही थी
राखी जिस कलाई पर।
रक्षक तेरा बन नहीं पाया
लानत है उस भाई पर।।
उस बेचारे का दोष भला क्या
कैसे कोसूँ निहत्थै की जवानी को।
व्याकुल धरती बुला रही है,,,,,,,,,, ।।
जननी अब बेटी न जनना
फूलन देवी पैदा कर ।
राजबाला वर्मा हंटरवाली
किरण बेदी पैदा कर।।
बेलन चिमटा कलछी खचरचन
बाहर निकलो लेकर हाथ मथानी को।
व्याकुल धरती बुला रही है,,,,,,,,,,,,,,।।
कोई तुम्हारा भाई नहीं है
न कोई रिश्तेदार यहाँ ।
केवल अपराधी है वह
जो करे अनाचार यहाँ।।
“विनयचंद “हर पुरुष वर्ग भी
खड़ा मिलेगा अगवानी को।।

वीर गीत

December 8, 2019 in गीत

एक हाथ में ध्वजा तिरंगा, काँधे पर बन्दूक हैं।
भारत माँ का वीर सिपाही, लक्ष्य बड़ा अचूक है।।
कदम चाल में चलते हमसब, भारत माँ की रक्षा में।
रहे सुरक्षित शरहद अपनी, वैरी न आए कक्षा में।।
देश धर्म पे बलि-बलि जाऊँ, शपथ बड़ा अटूट है।
भारत माँ का वीर सिपाही……………………………….।।
चाह नहीं अपनी है वीरों, दुनिया पर अधिकार करें।
लेकिन अंगुल एक धरा का, कभी नहीं हम हार करें।।
“विनयचंद “इस दिल में केवल देश प्रेम अटूट है।
भारत माँ का वीर सिपाही……………………….।।

अधूरे हैं

December 6, 2019 in गीत

तुम्हारे होंठों की सरगम बिन
मेरे गीत अधूरे हैं।
मेरी नजरों से रहते दूर तुम
मेरे प्रीत अधूरे हैं।
तुम्हें खोकर सारी दुनिया जीतूँ
मेरे जीत अधूरे हैं।
‘विनयचंद ‘ वफा के बिन
मनमीत अधूरे हैं।।

घर: एक मंदिर

December 5, 2019 in मुक्तक

हे लक्ष्मी तुम कितनी चंचला हो?
खुद भी नहीं ठहरती एक जगह पर
और औरों को भी भटकाती।

घर से दफ्तर जाकर भी
भटके भर दिन गाँव नगरऔर इधरोधर
फिर भी बाक बाण छेदे छाती।

झल्ला के घर को आया
बैठी थी दुर्गा दरवाजे आसन लगाकर
शीश चूम मुख माथे सहलाती।

आँगन में बैठी काली रूप
आव भगत से दुखरे को लेती हर
मधुर शब्द कह स्वरा बहलाती।

मिल जाए नव तन मन
“विनयचंद ” रे सब सुख बसे जहाँ पर
वो दुनिया बस घर कहलाती।

पहचान

December 4, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तशरीफ़ कैसे रखे अभी फ़रमान बाँकी हैं।
हाले दिल क्या कहे अभी पहचान बाँकी है।।

एक माँ की हालत

December 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं अपराधी की माँ बनकर
जिन्दा रहूंगी आखिर कबतक?
किस मनहूस घड़ी में जन्म दिया
जो झेल रही हूँ तुमको अबतक।।
किया कलंकित दूध को मेरे
नजर गड़ा अबलाओं पर ।
खून किया तू मेरे दिल का
मासूमों को बेइज्जत कर।।
परवरदिगार तू मुझे उठा ले
या फिर इस कुकर्मी को।
दे दूँगी मैं खुद हीं फांसी
आखिर इस अधर्मी को।।
विनयचंद रे ऐसी नारी
घर घर में जब होवेगी।
हर बाला, सुरक्षित होगी
फिर कोई माँ नहीं रोवेगी।।

खंजर हीं साथी

December 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा।
अपने हीं तो आँचल खींचे
अपने खड़े हैं शीश झुकाए।
बने गुलाम धर्मवीर सब
अंधा राजा देख न पाए।।
नास्तिकता के बीच में कृष्ण का आना सपना होगा।
देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा।।
श्राप अगर देना चाहोगी
गंधारी आएगी आड़े।
नारी का वैरी नारी हो तो
कौन वैरी का बुत्था झाड़े।।
अपनी रक्षा खुद करने को खंजर साथ में रखना होगा।
देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा।।

मेरा चेहरा

December 2, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जब भी तेरा नाम लेकर तुझको कोई बुलाएगा।
मेरा चेहरा तेरे मन के परदे पर नजर आएगा।।

गणपति वंदना

December 1, 2019 in गीत

आओ मनाएँ गणपति गणेश को।
गौड़ी नन्दन पुत्र महेश को।।
लम्बोदर गजवदन विनायक।
प्रथम पूज्य सब देव सहायक।।
करुणाकर करुणेश को, आओ मनाएँ……।।
सिद्धि बुद्धि को देने वाले।
संकट सबके हरने वाले।।
वरदायक मंगलेश को, आओ मनाएँ…….।।
ऋद्धि सिद्धि के प्रीतम प्यारे।
खड़ा “विनयचंद “तेरे द्वारे।।
मेरे काटो कठिन कलेश को, आओ मनाएँ…..।।

संयम दिवस

December 1, 2019 in शेर-ओ-शायरी

एड्स दिवस बनाने वाले
काश! संयम दिवस भी बनाया होता।
बह्मचर्य का पालन करके
समय से पहले ना कोई जान गवाया होता।।

मेरा प्यार होगा

November 30, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तेरी गिलाओं का बदला मेरा प्यार होगा।
तू हीं मेरा पिछला और तू हीं
अगला मेरा प्यार होगा।।

ये मत पूछो

November 30, 2019 in शेर-ओ-शायरी

क्यों प्यार किया ये मत पूछो।
अपनी आकुलता का कैसे
इजहार किया ये मत पूछो।।

मुहब्बत की दुनिया

November 30, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मुहब्बत की दुनिया में कदम जो रखेगा।
मुश्किलों से हीं दामन उसका भड़ेगा।।

देवी गीत

November 29, 2019 in मैथिली कविता

माँ भवानी केॅ दर्शन करय लय चलू।
बेरंग जिनगी केॅ रंग सॅ भरय लय चलू।।
माँ भवानी…. माँ भवानी…….
लाल चोला आ चुनरी सेहो छै लाल।
लाल बिन्दिया आ चूड़ी करय छै कमाल।।
मांग अप्पन सिनुर सॅ भरय लय चलू।
माँ भवानी केॅ दर्शन करय लय चलू।।
माँ भवानी….. माँ भवानी
पियर साड़ी छै पियर माँ केर सिंगार।
मांग टीका आ नथुनी पियर छै हार।।
आय विनती “विनयचंद “करय लय चलू।
बेरंग जिनगी केॅ रंग सॅ रंगय लय चलू।।
माँ भवानी केॅ दर्शन करय लय चलू।
माँ भवानी…. माँ भवानी….

जिम्मेवार महाभारत का

November 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब दुःशासन खींच रहा था,
द्रुपद सुता की साड़ी।
शीश झुकाए सब पांडव थे
विलख रही थी नारी।।
विलख रही थी नारी
धर्म धुरंधर भी थे मौन।
युद्ध हुआ महाभारत का
जिम्मेवार हुआ फिर कौन।।

श्रेष्ठ किस्मत

November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

ब्रह्ममुहुर्त में जगना सीखो
दिन करो जो मेहनत।
निशा काल आराम करो तो
श्रेष्ठ रहेगी तेरी किस्मत।।

खालिस

November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

अमृत बेले बिस्तर छोड़ो
दिन में करो न आलिस।
देर रात न जागो तो
बन जाओगे खालिस।।

बेरहम

November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मैंने तो तुझे रहमदिल समझा था
पर तुम तो बड़े बेरहम निकले।
सिर्फ़ जख्म दिखाने मैं आया था
पर तेरे कुचे से घायल हम निकले।।

जीवन की आग

November 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

अगर आग घर में लगाए कोई
पानी से उसको बुझा देंगे हम।
लगाए जो जीवन में आके कोई
इन अश्कों से कैसे बुझाएगे हम।।

संबंध विच्छेद

November 26, 2019 in शेर-ओ-शायरी

टूटे प्रेम अनादर से
मिला सके न अल्लाह।
मोती टूटे ना जुड़े
कित लेपन कर लाह।।

दोहा

November 26, 2019 in Other

बिन मांगे मोती मिले
मांगे मिले न भीख।
कृष्ण सुदामा की कथा
देती है यह सीख।।

परी

November 26, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बिना पंख की बेटी होती
फिर भी कहते परी मेरी।
बेटा दूर नजर से हो
फिर भी कहते छड़ी मेरी।।

पिता का राजकुमार

November 26, 2019 in शेर-ओ-शायरी

पिता नहीं कोई राजा बेटा राजकुमार हीं होता।
दुर्लभ दर्शन मिले जहाँ ऐसा एक प्यार हीं होता।।

दोहा

November 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

विनयचंद रे कर सदा, नारी का सम्मान।
पूजित होते ये जहाँ, रमते तहँ भगवान।।

दोहा

November 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पुराण अठारह लिख गए, वेदव्यास भगवान।
परोपकार बड़ पुन्य है, परपीड़ा पाप महान।।

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