सावन में

July 10, 2020 in Other

बरस रहा सावन देखो अपने आंगन में।
तृण तरुवर सब नहा रहे निज कानन में।।

वृक्ष की व्यथा

July 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

धरती जल रही अम्बर जल रहा
जल रहा सकल जहान ।
हाल कहे क्या पशु-पक्षियों के
हैं व्याकुल सब इन्सान ।।
सघन छाँव करके मैं तरूवर
सबको पास बुलाया ।
खुद जलकर सूरज किरणों से
सब की जान बचाया ।।
खाया पीया बैठ यहाँ पर
सब भागे जल के भीतर ।
छम-छम छप-छप छपाक -छप-छप
केहरि मृग अहिगण और तीतर ।।
मस्त मगन हो नहा रहे सब
पशु पक्षी संग-संग इन्सान ।
‘विनयचंद’ कोई मुझे भी ले चल
बीच दरिया में करूँ स्नान ।।

सावन की फुहार

July 8, 2020 in Other

बरस रही सावन की फुहार
रिमझिम -रिमझिम रिमझिम -रिमझिम।
धरती पर छा गई बहार
आओ नाचें छम-छम छम-छम छम-छम।।

चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर

July 5, 2020 in Poetry on Picture Contest

लेके काँधे पे बन्दूक
दिल में देशप्रेम अटूट
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।
न हीं जीवन की मोह
न हीं परिजन बिछोह
देश के खातिर दिया सब कुछ है छोड़।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
ये हमारे वीर सिपाही
लड़ने में न करे कोताही
जलती धरती अंबर बरसे घनघोर।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
नहीं किसी से वैर है
न अपना कोई गैर है
भारत माँ की रक्षा में है न कोई थोड़।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
विस्तारवाद नहीं इनकी चाह
विकासवाद के चलते राह
५६ इंच की सीना देख यार पुड़जोर।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।
कारगिल में था वैरी रोया
रोया था गलवान में।
दुश्मनों के छक्के छुराए
डरे नहीं बलिदान में।।
‘विनयचंद ‘ इन वीरों के दिल से लागे गोर।
चल पड़े हैं वीर देखो शरहद की ओर।।

गुरु के चरणकमल

July 5, 2020 in Other

गुरुवर तव चरणन में, है तीन लोक राजित।
जिसने लिया सहारा, वो खुशियों में विराजित।।
लाखों कमल है जग, तव चरण कमल आगे।
दिल में बसा ‘विनयचंद ‘ बन जाओगे बड़भागे।।

चांद सितारे

July 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नभमंडल को देख
हमने तो बस ये सीखे हैं।
एक चांद के बिना
लाखों सितारे फीके हैं।।
प्रेम नगर में आकर भी
प्रीत की रीति न सीखे हैं।
दु:ख दरिया को पार करे वो
जीवन के शुद्ध सलीके हैं।।

शहीद को सलाम

June 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

शरहद पर से पापा मेरे फोन किए थे शाम को।
कुछ दिन धीरज रखना बेटा आऊँगा मैं गाम को ।।
पढ़ना लिखना खेल कूद में सदा रहो तुम आगे।
दादा दादी और अम्मा का रखना ध्यान बड़भागे।।
तेरे खातिर ढेर खिलौने लाऊँगा मैं ईनाम को।।
कुछ दिन धीरज रखना बेटा आऊँगा मैं गाम को।।
देख नहीं सकते दादाजी कान न सुनते दादी की।
फिर भी सुनाते हमें कहानी शरहद के शहजादी की।।
अम्मा मेरी पूजा करती सदा आपके नाम को।
जल्दी आना पापा मेरे अपने घर और गाम को।।
ठीक ठाक से रहना पापा अपना ख्याल खुद रखना।
नहीं चाहिए मुझे खिलौने बन्दूक लेकर आ जाना।।
फौजी बनकर मैं भी पापा रक्षा करूँ आवाम को।
हुआ सबेरा घर बाहर मचा तहलका था भारी ।
दौड़ दौड़कर हँसता रोता बालक खोल किवाड़ी।।
ये नादान कैसे समझेगा आखिर इस कोहराम को।
करके फोन और गुमसुम होकर आएगें अब शाम को।।
ताबूत बीच में ओढ़ तिरंगा लेटे हो क्यों पापा।
ये आना भी कैसा आना मना रहे सब स्यापा।।
उठ जाओ और पकड़ अंगुरिया मुझे घुमाओ गाम को।
‘विनयचंद ‘के अश्रुपुष्प संग स्वीकारो एक सलाम को।।
जल्दी आना पापा मेरे अपने घर और गाम को।।

क्यों छोड़ दिया

June 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर कदम साथ देने का वादा किया
सिर्फ दो ही कदम चलके छोड़ दिया।
तूने खाई थी कसमे साथ जीने की
मौत आने से पहले हीं क्यों तोड़ दिया।।
बड़ी आश से मैंने पकड़ाई थी अंगूरिया
मंजिल आने से पहले हीं क्यों छोड़ दिया।
मुश्किल बड़े हैं इश्क़ के राह में
क्यों अनजानों से नाता जोड़ लिया।।

हमीद हो गया

June 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी

धरती से उठ कर हमीद हो गया।
माँ तेरा लाल आज शहीद हो गया।।

सुनु देशक कसम

June 18, 2020 in मैथिली कविता

चीन केर मोबाइल नञ
कीनबय पिया सुनु देशक कसम।
टी वी नञ लेबय सी डी नञ लेबय
नञ लेबय चाइनीज़ झमकौआ।
घड़ी नञ चाही केमरा नञ चाही
नञ चाही सजावट कें चीज चमकौआ।
देशक त्यौहार आ देशक समान हम
कीनबय पिया सुनु देशक कसम।।

तेरा लाल सो रहा

June 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चुप हो जा मेरी माता
बीच तिरंगे तेरा लाल सो रहा।
भारत माँ का रक्षक
थककर चैन की नींद सो रहा।।
सपने में भारत माँ संग
खुशियों की खेती है बो रहा।

कलम की लड़ाई आज हम भी करेंगे

June 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कलम की लड़ाई आज हम भी करेंगे।
जनताओं में चेतना
सैनिकों में साहस
देश भक्ति का भाव आज सबमें भरेंगे।
कलम की लड़ाई आज हम भी करेंगे।।
कलम की आंसू आज शोला बनेंगे।
दुश्मनों के ख़ातिर बम गोला बनेंगे।।
‘विनयचंद ‘दुश्मन अब रो रो मरेंगे।
कलम की लड़ाई आज हम भी करेंगे।।

चार सिंघों की शहादत सलाम

June 18, 2020 in Other

शहीदों की सूची में
पंजाबियों का नाम है अव्वल।
आज भी चार सिंघों ने
देकर शहादत काम किया है अव्वल।।
प्रणाम करो ऐ ‘विनयचंद ‘
बार बार बन हम्बल।

शहीदों को श्रद्धांजलि

June 18, 2020 in मुक्तक

विनयचंद यूँ रो रो कर
कितने को श्रद्धांजलि दोगे।
आँसू कम पड़ जाऐंगे तेरे
आखिर कितना रोओगे।।
सभी शहीदों के खातिर
अब अपना शीश झुकाता हूँ।
एक जन्म क्या हर जन्मों में
आभार तेरा फरमाता हूँ।।
जय जवान…. जय हिन्दुस्तान।।

शहादत के सात फूल

June 18, 2020 in मुक्तक

बीस वीरों की टोली में
ये सात रत्न बिहारी हैं।
शहादत के सात फूल पे
‘विनयचंद ‘बलिहारी है।।

शहीद चंदनकुमार के सम्मान में

June 18, 2020 in मुक्तक

शहीद चंदनकुमार भोजपुर वाले
तुम्हें झुककर सलाम हम करते हैं।
फूल कहाँ अपनी अंजली में
निज अश्कों का दान हम करते हैं।।
🌹 ॐशांतिॐ 🌹

शहीद गणेश हंसदा के सम्मान में

June 18, 2020 in मुक्तक

सिंहभूमि के सिंह थे तुम
गणेश हंसदा भैया।
तेरी शहादत अमर रहेगी
सदा सर्वदा भैया।।
सम्मान सहित ये ‘विनयचंद ‘
प्रणाम करेगा सदा सदा।
साहित्य कलम से करता हूँ
बिहार केसरी तुम्हें अदा। 🌹

शहीद जयकिशोर सिंह के सम्मान में

June 18, 2020 in Other

पावन जन्मभूमि है वैशाली
महावीर भगवान की ।
सिंह जयकिशोर की शहीदी को
दो फूल चढ़ाऊँ मान की।।

शहीद अमनकुमार के सम्मान में

June 18, 2020 in Other

समस्तीपुर के अमनकुमार।
ऋणियाँ रहेगा तेरे बिहार। ।।
तेरी कुर्बानी का हिन्दुस्तान।
प्रणाम करेगा ससम्मान 🌹 🌹

शहीद सुनील कुमार के सम्मान में

June 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर रहा नमस्कार
तुम्हें बारम्बार
आज सारा बिहार।
तेरे बलिदान को
देश के गुमान को
भैया सुनील कुमार।
‘विनयचंद ‘का प्रणाम
अश्रु बूंद का इनाम
तुझ पर सब न्योछार। 🌹

शहीद कुन्दन ओझा के सम्मान में

June 18, 2020 in Other

शहीद कुन्दन ओझा तुम शहीद हो गए।
सारे भारत में देशभक्ति के बीज बो गए।।
सारे झारखंड संग बिहार भी सलाम कर रहा।
‘विनयचंद ‘ऐसे ब्राह्मण पूत पर गुमान कर रहा।।
कुन्दन ओझा का बलिदान 🌹
याद करेगा हिन्दुस्तान 🌹 🌍 🌹

शहीद कुन्दन यादव के सम्मान में

June 18, 2020 in Other

कुन्दन था मेरा कुन्दन यादव
कुन्दन बन के बीच सितारों में।
फिर गहना बन निकलोगे तुम
खालिस हो कर अंगारों में।।
तेरी शहादत अमर रहेगी
हर बच्चा बच्चा गाएगा।
गान तुम्हारे नाम का ये
‘विनयचंद ‘.नित गाएगा।।
तेरी शहादत को सलाम 🌹 🌹

नमकहलाल बनो

June 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खाया नमक देश का तो
थोड़ा नमकहलाल बनो।
बेशक बिपक्ष बन बैठे हो
पर भारत माँ का लाल बनो।।
समर मरन और शत्रु दलन का
सबूत मांगना क्या समीचीन है ?
प्रमाण चाहिए खोतों को तो
तेरा ठीकाना वही पाक व चीन है ।।
शर्म करो कुछ निज पुरखों पर
जो (42 हजार वर्ग किलोमीटर )
बृहत भूभाग गवाया था।
निज करणी के कारण हीं तो
अपना हिन्दुस्तान लजाया था।।
शमशीर ‘विनयचंद ‘बन न सको
तो ,एक अटूट-सा ढाल बनो।
नमक खाया देश का तो
थोड़ा नमकहलाल बनो।
बेशक बिपक्ष बन बैठे हो पर
भारत माँ का लाल बनो।।

वो भक्त भला क्यों अनाथ हो

June 15, 2020 in Other

हर कांटे फूल बन जाएंगे
शिवशंकर तेरा साथ हो।
कृपा तुम्हारी जिस पर हो
वो भक्त भला क्यों अनाथ हो?

देशी पढ़ुआ

June 14, 2020 in Other

बिन बारिश मेंढक बोले
चीटियों की चले जमात।
‘विनयचंद ” सब कहे सयाने
निश्चित होवेगी बरसात ।।

शायरी

June 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछआम ऐसे होते हैं
जो खाए नहीं जाते।
जब खास के साथ हो
तो सताए नहीं जाते।।

लौटकर शीघ्र आऐंगे बाद-ए-कहर

June 9, 2020 in Poetry on Picture Contest

चल रहे छोड़कर हम तो तेरा शहर दोस्तों।
लौटकर शीघ्र आऐंगे बाद- ए-कहर दोस्तों।।
साथ तेरा मिला हमें कदम -दर-कदम।
चीन से आके वाइरस ये बड़ा बेरहम।।
है ये कैसा मचाया जुल्म -ओ-कहर दोस्तों।
चल रहे छोड़कर हम तो तेरा शहर दोस्तों ।।
मेहनत से हमने भी तुझको अन धन का भंडार दिया।
तूने भी तो मुझको निज बच्चे -सा हीं प्यार दिया।।
बैठ के खाऊँगा आखिर कब तक इस कदर दोस्तों।
चल रहे छोड़कर हम तो तेरा शहर दोस्तों।।
लौटकर शीघ्र आऐंगे बाद -ए-कहर दोस्तों।।

देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया

June 7, 2020 in Poetry on Picture Contest

देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया ?
जिसे अपना बनाया वही बेगाना शहर हो गया।।
लेके दिल में तमन्ना था आया यहाँ।
बन्द सब कुछ हुआ अब जाए कहाँ?
न खाने को कुछ है बचा और जीना दुष्कर हो गया।
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया।।
बन्द फैक्टरी हुई सब धन्धा गया।
कार रिक्शा चलाना भी मन्दा भया।।
अब तो किराये के घर से भी बेघर हो गया।
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया।।
कोई पैदल चला कोई साईकिल सवार।
बस ट्रक से चला कोई यू•पी• बिहार।।
कुछ अफवाहें उठी व टीशन पे भगदर हो गया।
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया। ।
बड़ी मुश्किल से कुछ रेलगाड़ी मिली।
जैसे तैसे श्रमिकों हित सवारी मिली।।
बांध मुख पे सब पट्टी आठों पहर हो गया।
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया।।
गाड़ी चलती रही मन मचलता रहा।
देख खिड़की से हर मन पिघलता रहा।।
गांव जाकर भी सब के सब बेघर हो गया।
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया।।
आत्मनिर्भर बनो एक स्लोगन मिला।
भूखे प्यासे को वाह क्या भोजन मिला।।
देख दुनिया ‘विनयचंद ‘ किधर का किधर हो गया।
देखो कैसा कोरोना का जग में कहर हो गया। ।??

बृक्ष :पर्यावरण के मूल ३ =

June 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

शुद्ध रहे ये आबोहवा
सदा जीवन के अनुकूल।
बृक्ष लगाओ चारों ओर
सड़क सरित के कूल।।
हरे पौध बृक्षों से है
धरती की हरियाली।
वातावरण भी सुरभित होंगे
होगी जीवन में खुशहाली।।

वायु: पर्यावरण के मूल २

June 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर बर्षा आकाश सदा
पानी सबको देता है।
बृहत उदर का होकर भी
आखिर हमसे क्या लेता है?
एक वायु का प्यासा है ये
शुद्ध हवा तुम देना जी।
उन्नत वायु में अपने तुम
घोल जहर न देना जी।।

पानी : पर्यावरण का मूल

June 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पत्थर भी पानी देता है
पर पानी में क्या घुलता है?
धरती पानी लेती है तो
फिर फिर पानी मिलता है।।
पानी के प्रति पानी रखो
ना पत्थर दिल इंसान बनो।
पर्यावरण का प्रथम तत्व का
कर संरक्षण उपयोग करो।।

ढूँढते हैं

June 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बनके दुश्मन बहार का
नजारे बहार ढूँढते है।
दिल में रख वैमनस्य
जनाब प्यार ढूँढते हैं।।

निर्जला एकादशी

June 2, 2020 in Other

एकादशी का व्रत है आज बंधुओं निर्जला।
भक्त उपासक की सदा सर्वदा होवे भला।।

भीमसेनी एकादशी

June 2, 2020 in Other

की विनती थी भीमसेन ने
प्रभु वेद व्यास के चरणों में।
उपवास एकादशी करते हैं
रख प्रीत सभी हरि चरणों में।।
वृक अग्नि नित जलती है
पितामह मेरे पेट के भीतर।
शांत न होती तबतक जबतक
अन्न अकूत न डालूँ भीतर।।
मैं भी करूँ उपवास सदा
ये कहते मुझ से सब भ्राता।
मात्र एक व्रत बतलाओ प्रभु
हो पापहारिणी बहुसुखदाता।।
जेठ शुक्ल की एक एकादशी
निर्जल होकर रख लो भीम।
जन्म जन्म के पाप कटेंगे
सुख पाओगे वत्स असीम।।
प्रकाश में लाया भीमसेन ने
एतदर्थ भीमसेनी कहलाती है।
अश्वमेध सहस व वाजपेय सौ
यज्ञ फल की ये महती दाती है।।
पठन श्रवण जो करे हमेशा
‘विनयचंद ‘महात्म एकादशी।
सुख शांति से जीवन कट जाए
कभी न आए बीच उदासी।।

रो लेता हूँ

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इस बंजर-सी धरती पर कुछ अश्कों के बीज बो लेता हूँ।
जब जब तुहारी याद आती है तो छुप छुप के रो लेता हूँ।।

वो तेरे समतूल नहीं

May 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कौन कहता है
बहार- ए-चमन में फूल नहीं।
हैं तो बहुत प्रीतम
मगर वो सब तेरे समतूल नहीं।।

तम्बाकू निषेध दिवस पर

May 31, 2020 in Other

लेते तम्बाकू देखकर
नकल न करना बाप के।
जान चली जाएगी तेरी
साथ न जाएंगे कोई आपके।।

तम्बाकू निषेध दिवस पर

May 31, 2020 in Other

ना बनो ना बनो बीड़ी सिगरेट का आदी।
दमा टीबी कैंसर से होगी तेरी बर्बादी।।

तम्बाकू निषेध दिवस पर

May 31, 2020 in Other

मत कर रे जिन्दगानी तू हवाले तम्बाकू के।
पत्थर वाले दांत तुम्हारे टूटेंगे बिन चाकू के।।

तम्बाकू निषेध दिवस पर

May 31, 2020 in Other

दूर रहो सब सदा सर्वदा
तम्बाकू से कोसो कोस।
जीवन सुखमय होंगे तेरे
नहीं करोगे कभी अफसोस।।

चौपाई

May 29, 2020 in Other

कामधेनु आनन्दी माता।
सुरभि कन्या जग विख्याता।।५।।

चौपाई

May 29, 2020 in Other

गिरिजापति गोधाम बनाया।
हरिपूजन अभिषेक कराया।। ४।।

चौपाई

May 29, 2020 in Other

शिव सत धाम गई एकबारा।
शिव कीन्हा गोकुल विस्तारा।। ३।।

चौपाई

May 29, 2020 in Other

दक्ष सुता सुरभि कल्याणी।
कश्यप भार्या बहु सुखदानी।। २।।

चौपाई

May 29, 2020 in Other

जय गौ माता जनकल्याणी।
नहि कोई तुम सम वरदानी।। १।।

दोहा

May 29, 2020 in Other

गण गौरी माँ शारदे गुरुवर अरु गोपाल।
चरणनि मस्तक धार के गोगुण गाऊँ पाल।।

शायरी

May 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूँ ना बुलाओ करके नजर के इशारे
इस दिल पे तो डाका पर जाएगा।
भला तुम्हारा क्या बिगड़ेगा
मेरा सब कुछ लुट जाएगा।।

मिथिलाधाम

May 28, 2020 in मैथिली कविता

पूव बहति कोशी महारानी
उत्तर पर्वतराज हिमालय ।
पच्छिम गंडकी गंग नारायणी
दक्षिण सुरसरि गंग नीरालय।।
मध्य विदेहक धाम विराजित
सुन्दर अति सुखधाम।
‘विनयचंद ‘ई छथि मिथिलाधाम।।

मिथिलाधाम

May 28, 2020 in मैथिली कविता

पूव बहति कोशी महारानी
उत्तर पर्वतराज हिमालय ।
पच्छिम गंडकी गंग नारायणी
दक्षिण सुरसरि गंग नीरालय।।
मध्य विदेहक धाम विराजित
सुन्दर अति सुखधाम।
‘विनयचंद ‘ई छथि मिथिलाधाम।।

धन केर बाजे घाँटी

May 28, 2020 in मैथिली कविता

धन केर बाजे घाँटी।
ई बात अहाँ केर खाँटी।।

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