सूक्ति

November 25, 2019 in हाइकु

मात पिता की कर वंदन।
सेवा सतत सहित निज तन मन धन।
होवे आयु बल विद्या यशवर्द्धन ।।

दोहा

November 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक पुत्र गुणवान रहे, मूरख ना दस बीस ।
बहुत सितारे ना करे, एक चन्द्र की रीश।।

माखौल कभी मत करना

November 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी जुल्फ को नागिन मत कहना
एक दिन तुमको डस जाएगी।
तीर नजर को मत कहना
तेरे अँखियों में धस जाएगी।।
काली जुल्फे बदली है जो
तुझ पर हीं बरसाएगी।
नजरें मेरी नील कमल जो
तेरे नयनों में बस जाएगी।।
”विनयचंद ‘रे माशूक का माखौल कभी मत करना।
राह-ए-मुहब्बत में एक दिन पछताओगे वरना।।

श्याम छवि

November 24, 2019 in हाइकु

शीश जटा एक बेणी लटकत
लटकत लट लटकन मुखचंद्र पे वारिद ऐसे
लुकछिप खेल करत हो जैसे।।

निरखत बाल मुकुंदा

November 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

काली कम्बली काँधे पर शोभित
अरुण अधर अरुणाभ कपोल श्याम रंग मुखचंदा
विनयचंद नित निरखत बाल मुकुंदा।।

गिला यूं मिलेगा

November 24, 2019 in ग़ज़ल

सोचा था किसने सिला यूं मिलेगा।
मुहब्बत में मुझको गिला यूं मिलेगा।।
कसमे वफा को जो तोड़ जाए
तड़पते हुए दिल जो छोड़ जाए
सह न सके जो हवा का एक झोंका
कागज का मुझको किला यूं मिलेगा।। मुहब्बत में….

चाँदनी भी कम नहीं है

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

राग है ,अनुराग है , रागिनी भी कम नहीं है।
चाँद का क्या गीत गाएँ चाँदनी भी कम नहीं है।।

ममता की मूरत

November 23, 2019 in हाइकु

जिसकी सबको बड़ी जरूरत है
अगली पगली जैसी तैसी दिल की खूबसूरत
माँ ममता की मूरत है ।।

हम सब भारतवासी हैं

November 23, 2019 in गीत

सौभाग्य हमारा है बंधु, हम सब भारतवासी हैं।
सुखी रहे सब लोग यहाँ, इसके हम अभिलाषी हैं।।
धरती को हम माता कहते
गैया पूजी जाती हैं।
वृक्ष सभी यहाँ देव रूप हैं
नदियाँ पूजी जाती हैं ।।
नाहर बैल हंस नहीं केवल, काग श्वान भी सुखरासी हैं।
सौभाग्य हमारा है बंधु हम सब भारतवासी हैं।।
जाति धर्म का भेद नहीं है ।
काले गोरे का खेद नहीं है।।
शब्द ब्रह्म का आदर करते, बेशक हम बहुभाषी हैं।
‘विनयचंद ‘रे भूप यहाँ पर होता एक सन्यासी है।।

भजन

November 21, 2019 in गीत

भज ले राम राम तू राम।
योग यज्ञ व्रत देव न ऐसा, न हीं तारक धाम।
सेवा पूजा ध्यान न लावे, जप ले मात्र सुनाम।। भज…..
निश दिन पाप करे बड़ प्राणी. उल्टे सीधे काम।
राम राम गा राम को पावे. जीवन में आराम।। भज….
राम नाम ने सबरी ताड़े, ताड़े भगत तमाम।
ध्रुव प्रह्लाद विभीषण मीरा,ताड़े तुकाराम।।भज…..
विप्र अजामिल नारि अहिल्या, पहुँचें हरि के धाम।
‘विनयचंद ‘नर देही को तू, मत करना बेकाम।। भज ले राम

दर्पण

November 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सीसा का एक टुकड़ा हूँ
कहते लोग मुझे हैं दर्पण।
गुण औगुन को दर्शाने
नर समाज को मेरा समर्पण।।
सबको उसका रूप दिखाता।
मेरे सम्मुख जो भी आता।।
कीट पतंग और नर तन।
मैं तो हूँ एक दर्पण।।

कर्ज माता पिता का

November 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

है मोल कहाँ इस दुनिया में
जो बूंद एक का चुका सके।
मात पिता का कर्ज है कोई
दिल देकर भी मुका सके।।
कहना कभी विरुद्ध नहीं।
होके इन पर क्रुद्ध नहीं।।
सेवा में होवे कमी नहीं।
आँखों में आए नमी नहीं।।
वरद हस्त हो इनका जिसपर
उसे ‘विनयचंद ‘कौन झुका सके।
है मोल कहाँ इस दुनिया में
जो बूंद एक का चुका सके।।

माँ की आँचल

November 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब जन्नत की चाहत हो
माँ की आँचल में आ जना।
शाश्वत स्वर्ग सुखों को तुम
पल में आकर पा जाना।।
नंदनवन भी यहीं मिलेगा
यहीं मिलेगा इन्द्रासन।
बेशक मिट्टी के होंगे पर
ऐरावत होगा सुखासन।।
होगा अश्व उच्चैश्रवा
यद्यपि चाबी से चलने वाला।
अपने मन की गति रहेगी
न कोई वैरी छलने वाला।।
मधुर मनोरम गान भी होगा।
अमर सुधा का पान भी होगा।
सर्व सुलभ सुख छोड़ ‘विनयचंद ‘
दूर बहुत मत जाना ।।
माँ की आँचल में आ जाना।
माँ को मत विशराना.. माँ को नहीं भुलाना।।

तुम सबला हो

November 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे अबले ! तुम सबला हो।
तुम हीं शक्ति
तुम हीं भक्ति
तुम मुक्ति अचला हो ।
हे अबले ! तुम सबला हो।।
विद्या बद्धि वाणी तुम हो।
अन्नपूर्णा कल्याणी तुम हो।।
धन दाती माँ कमला हो।
हे अबले! तुम सबला हो।।
धरा रुप धर पालन करती।
गंग तरंग जग पावन करती।।
भगत, जगत सब तेरे
फिर क्यों तू विकला हो।
हे अबले ! तुम सबला हो।।
भूल रही तू निज शक्ति को
किस ममता में पड़कर।
दंभ द्वेष पाखण्ड हरो माँ
जग जननी तू कली बनकर।।
मातृशक्ति भारत की बेटी
तू पूर्वा तुम नवला हो।
हे अबले ! तुम सबला हो।।

किया प्यार तुमसे

November 16, 2019 in गीत

किया प्यार तुमसे, मैं करता रहूँगा।
रस्म- ए-वफा को निभाता रहूँगा।। किया…….
सूरत तुम्हारी मैं दिल में बसाई ।
अपना बनाने की चाहत है आई।।
मिलो न मिलो मुझसे बुलाता रहूँगा।
किया प्यार तुमसे मैं करता रहूँगा।। किया…..
छुप-छुप के देखूँ यही चाह मेरी।
कहीं भी रहो खुश नहीं आह मेरी।
हरेक गम मैं तेरा उठता रहूँगा।
किया प्यार तुमसे मैं करता रहूँगा।। किया,,,,
‘विनयचंद ‘लग जा गले यार मेरे।
किया मैं कबूल अब तो तुझे यार मेरे।।
सातो जनम तक संग-संग रहूँगा।
किया प्यार तुमसे मैं करता रहूँगा।। किया……
मैं भी अब तेरे संग संग रहूँगी।
किया प्यार तुमसे करती रहूँगी।। किया……

बहार- ए-गुलशन बुला रहा है

November 15, 2019 in ग़ज़ल

चले भी आओ मनमीत मेरे
बहार- ए-गुलशन बुला रहा है।
सजाई महफिल है प्रीत मेरे
बहार- ए-गुलशन बुला रहा है।।
नजरों के आगे तुम्हारा डेरा
धड़कनों में समाए हुए हो।
जस्न-ए-मुहब्बत करीब अपने
काहे को देरी लगाए हुए हो।
रस्म -ए-वफा के संगीत मेरे
बहार- ए-गुलशन बुला रहा है।।

ये 🌙 गर न होता

November 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये चाँद गर न होता
होती ये काली रातें।
दो प्रेमियों के दिल की
रहती अधूरी बातें।।
नौका विहार नाहीं
नहीं प्यार प्यार होता।
मस्ती में मस्त निशचर
उपद्रव हजार होता।।
मायूस ये चकोरा
बिन चांदनी के होते।
कवियों के दिल विनयचंद
न जागते न सोते।।
न होती चंद पंक्ति
न होती ये कबिता।
साहित्य खाली होता
न होती प्रेमगीता।।
दीदार कर विनयचंद
आकाश के परी को।
जिसने लगाया भू पर
साहित्य के झड़ी को।।
…………..पं़विनय शास्त्री…………

ये 🌙 गर न होता

November 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये चाँद गर न होता
होती ये काली रातें।
दो प्रेमियों के दिल की
रहती अधूरी बातें।।
नौका विहार नाहीं
नहीं प्यार प्यार होता।
मस्ती में मस्त निशचर
उपद्रव हजार होता।।
मायूस ये चकोरा
बिन चांदनी के होते।
कवियों के दिल विनयचंद
न जागते न सोते।।
न होती चंद पंक्ति
न होती ये कबिता।
साहित्य खाली होता
न होती न प्रेमगीता।।
दीदार कर विनयचंद
आकाश के परी को।
जिसने लगाया भू पर
साहित्य के झड़ी को।।
…………..पं़विनय शास्त्री…………

वक्त का घोड़ा

November 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिन गुजर जाता है
सदा सुबह शाम वाला।
वक्त का घोड़ा अगर
होता लगाम वाला।।
कोई कहीं भी इसको
सशक्ति खींच लेता।
चाबुक भला क्यों न मारे
हिलने नहीं वो देता।।
पल भर कहीं न रुकता
चलता सदा हीं जाता।
जो पीठ पर है बैठा
मंजिल वही तो पाता।।
क्षण एक न गवाओ
आलस में विनयचंद।
वरना ये द्वारे कामयाबी
हो जाएगें एकदम बंद।।

ना जाने किस दिन आ जाए काल तोहार

November 11, 2019 in गीत

राम नाम का जाप करो रे मुख से बारम्बार।
ना जाने किस दिन आ जाए काल तोहार। ।
लख चौरासी चक्कर खाया।
फिर कहीं जाके नर तन पाया। ।
मानुष का तन विषय भोग में मत करना बेकार।
ना जाने किस दिन आ जाए काल तोहार।।
नरक यमालय नदी बैतरणी।
गर्भवास व जीवन मरनी।।
दुख दुनिया है मेरे भैया दुखों का भण्डार।
ना जाने किस दिन आ जाए काल तोहार।।
भजन बिना कुछ काम न आए।
धन – दौलत सब यहीं रह जाए।।
विनयचंद रे राम नाम का सदा करो ब्योपार।
ना जाने किस दिन आ जाए काल तोहार।।
……………….पं़विनय शास्त्री………………

अब मिलने में कितनी कहो देर है

November 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

फूल राहों में तेरे बिछाया सनम
अब आने में कितनी कहो देर है।
तेरी सूरत को दिल में बसाया सनम
अब मिलने में कितनी कहो देर है।।
मेरे धैर्य की होगी कितनी परीक्षा सनम
अब मिलने में कितनी कहो देर है।
विनयचंद करे कितनी प्रतीक्षा सनम
अब मिलने में कितनी कहो देर है।।

इससे बड़ी खुशी क्या होगी

November 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जन्मभूमि मिल गई राम को
इससे बड़ी खुशी क्या होगी?
सुबह का भूला आया शाम को
इससे बड़ी खुशी क्या होगी?
चौदह साल बाद रघुवर को
मिला अबध का राज।
सदियों बाद मिला है बंधु
न्याय राम को आज।
बरसाओ सब फूल गगन से
पत्थर मत बरसाना।
विनयचंद रे भाईचारे का
धर्म नहीं विशराना।।

राम नाम का महत्ता

November 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

………….पिछले का शेषांश……………
है चमत्कार कैसा स्वामी मैं भी तो जानूँ।
राज आपके नाम का मैं भी तो पहचानूँ।।
शक्तिरूप सती नारी से सत्य नहीं छुपा पाया।
रावण नाम लिखते मेरे मन में ख्याल आया।।
रा लिखते राम कहा वण लिखते वन जाए।
विनयचंद इस रामरुप को भला कौन डूबा पाए।।
……… . पं़विनय शास्त्री

राम नाम का महत्ता

November 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सेतु बनाकर सेना संग राम जब लंका।
लंका के गलियों में होने लगी ये शंका।।
जिसके नाम का पत्थर भी
सागर पे गया है तैर।
स्वामी तोसे करु विनती
नहीं बढ़ाओ उनसे बैर।।
चमत्कार तो राम के जैसा मैं भी कर सकता हूँ।
पत्थर क्या पूरा पर्वत पानी पर तैरा सकता हूँ।।
एक छोटा टुकड़ा ही
तैराओ जो पानी में।
मैं भी देखू दम कितना
है लंकापति की वाणी में।।
लो मंदोदरी एक पत्थर पानी में अब छोड़ रहा।
सचमुच तैर गया वह मंदोदरी का कर जोड़ रहा।।
कैसे तैरा
आगे………..

हनुमान भजन

November 9, 2019 in गीत

हनुमान गदाधारी श्रीराम के प्यारे हैं।
करते हैं सदा भक्ति सीता के दुलारे हैं।।
सुग्रीव पे विपति पड़ी।
रिशमुक पे चरण धड़ी।।
श्रीराम मिलाए हैं दुखरे को मिटाए हैं।
हनुमान गदाधारी श्रीराम के प्यारे हैं।।
रीछपति नल नील।
दक्षिण को गए सब मिल।।
अंगद के संंग संग ये सिय खोज में धाए हैं।
हनुमान गदाधारी श्रीराम के प्यारे हैं।।

मेरी चाहत

November 9, 2019 in Other

तुम मुझे चाहती हो
इसका मुझे पता तो नहीं।
मेरा तुझको चाहना
शायद मेरी खता तो नहीं।।

रसखान

November 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पान खाने गया था वो पनवाड़ी के पास।
एक सलौना सा सूरत था नजरों के पास।।
लाल लाल होंठ थे उसके और घुंघराले बाल।
श्याम रंग और तिरछी चितवन टेढ़े मेढ़े चाल।।
कोमल कोमल पाँव मनोहर बिन जूते का देखकर।
चित्रलिखे से बने मियाजी टगे चित्र को देखकर।।
होश में आके पूछ गए ये बालक कौन कहाँ का है।
यमुना तट पर वृन्दावन है ये बालरुप जहाँ का है।।
पान रहा पनवाड़ी के पास भागा वृन्दावन की ओर।
हाथ में जूते और सलवार लेकर पहुँचें भोरे भोर।।
लीलाधर सलवार पहनकर दर्शन दिए सभी को।
विनयचंद के ठाकुर ने दास किया रसखान कवि को।।

नन्दकिशोर

November 9, 2019 in गीत

रक्तिम अधर रक्तिम कपोल
श्याम वरण था उसका।
कजरारी नयना थी उसकी
नरम चरण था उसका।
घुंघरे घुंघरे बाल थे उसके
मेरा वो चितचोर था।
विनयचंद वो रसिया जिसका
नाम नन्दकिशोर था।

वीर जवान

November 9, 2019 in गीत

हम हैं वीर जवान साथियों
शरहद पे लड़नेवाले।
हमसे देश सुरक्षित हम
नहीं किसी से डरनेवाले।।
भूख-प्यास को छोड़ा
छोड़ा घर परिवार।
देश भक्ति का जज्बा
दिल में छोड़ेगे संसार।।
विनयचंद हम देश के खातिर
वीर लड़ाकू मरनेवाले।
हमसे देश सुरक्षित हम
नहीं किसी से डरनेवाले।।

भजन

November 9, 2019 in गीत

मेरी ज़िन्दगी बदल गई तेरे द्वार आके।
हो गया मैं प्यारा सबका तेरा प्यार पाके।।
चला जा रहा था दिशाहीन पथ पर।
उदसीन होकर मैं दुनिया के रथ पर।।
तूने सम्हाला मुझको अपने द्वार लाके।
हो गया मैं प्यारा सबका तेरा प्यार पाके।।
दुनिया में अब तो कुछ भी नहीं है।
तुझे पा लिया फिर मुझे क्या कमी है।।
तुझको रिझाए आज “विनयचंद”गाके।
हो गया मैं प्यारा सबका तेरा प्यार पाके।।
ज़िन्दगी बदल गई तेरे द्वार……………. पं विनय शास्त्री

सिपाही

November 8, 2019 in Other

मैं देश का सिपाही हूँ।
दुश्मन की तबाही हूँ, ।।
काँधे पे बन्दूक है और तिरंगा हाथ है।
कदम मिला चलता, जज्बा एक साथ है।।
देश के खातिर जान जो जाए
करता नहीं कोताही हूँ।

भजन

November 8, 2019 in गीत

सिर्फ एक बार दर्शन तू दे दो
और कोई भी दिल की तमन्न।नहीं है।
साथ कितना मिला जगत में मुझे।
सारे नातों के दीपक पलक में बुझे।।
मुझे अपनी शरण में तो ले लो
और कोई दिल की तमन्न ।नहीं है।
हर कदम पर मैं ठुकराया गया हूँ।
गैर क्या अपनों से भी रुलाया गया हूँ।।
मुझे अपनी शरण में तो ले लो
और कोई दिल की तमन्न।नहीं है।।

अनुराग

November 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरा दीदार हीं,
मेरे जीवन को,
साकार करता है।
तुम जान हो मेरे,
मुहब्बत तुझ से
तेरा यार करता है।।

अबला का आँचल

November 7, 2019 in Other

जब भी कोई हाथ जगत में,
अबला का आँचल खींचा है।
शमशीर सदा हीं टकड़ाया
और रक्त धरा को सींचा है।।

भजन

November 7, 2019 in गीत

ब्रजरज का मस्तक पे चन्दन करू।
मैं श्रीराधे के चरणों में वन्दन करू।।
मैंने जीवन किए अब हवाले तेरे।
आके इसको सम्हालो दाता मेरे।
सामने किसके जाने क्रंदन करू।
मैं श्रीराधे के चरणों में वन्दन…..

मोर का नाचना

November 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बादलों को देख मोर झूम-झूम नाचता।
मोरनी है साथ फिर व्योम क्यों निहारता।।
बादलों की चाह में
मोरनी के प्यार में,
या फिर नयनश्रवा के हार में
पंख को पसारता।
बादलों को देख मोर झूम-झूम नाचता।

मोर का नाचना

November 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बादलों को देख मोर झूम-झूम नाचता।
मोरनी है साथ फिर व्योम क्यों निहारता।।
बादलों की चाह में
मोरनी के प्यार में,
या फिर नयनश्रवा के हार में
पंख को पसारना।
बादलों को देख मोर झूम-झूम नाचता।

भजन

November 7, 2019 in गीत

मुझ शरणागत की रख ले लाज प्रभु।
मैं दर तेरे पे आया हूँ देखो आज प्रभु।।
तुमने कितने पापी तारे नाम गिनाया जा नहीं सकता।
जो भी तेरे दर पे आता खाली झोली जा नहीं सकता।।
तेरा रंक भगत भी पाया तख्त- ओ-ताज प्रभु।
मैं दर तेरे पे आया हूँ देखो आज…………
ना मांगू मैं धन और दौलत ना चांदी न सोना।
विनयचंद को देदे दाता मन मंदिर का कोना।।
नहीं निज भक्तों से होते नहीं नाराज प्रभु।
मैं दर तेरे पे आया हूँ देखो आज……….

लाचारी

November 7, 2019 in Other

गाँव की एक चिड़ियाँ शहर को गई।
ना जाने उसकी अस्मत कहाँ खो गई।।
बूढ़ी माँ से वो बोली
मैं बेटी नहीं हूँ लड़का तेरा।
भाई अच्छे से पढ़ना
तूहीं छोटू तूहीं है बड़का मेरा।।
इतना कहते हुए वो रो गई ।
गाँव की एक चिड़ियाँ शहर को,,,,

थक गई ,खोज कर, नौकरी हर जगह।
कुछ मिले मतलबी कुछ हुए बेअसर।।
अब तो मजबूर इस कदर हो गई।
गाँव की एक चिड़ियाँ शहर को,,,,,,

शर्म का अब तो घूंघट हटाना पड़ा।
गंदगी को भी खुद से सटाना पड़ा।।
नसीबा के आगे बेधड़क सो गई।
गाँव की एक चिड़ियाँ शहर को,,,,

कोई बरफी कहे कोई चमचम कहे।
विनयचंद अँखियों से आंसू बहे।।
संग अश्कों के जीवन लिए रो गई।
गाँव की एक चिड़ियाँ शहर को,,,,, =

प्रेम का पागल

November 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम फूल हो तो मैं कोई काँटा नहीं जानम।
तेरा स्पर्श कोमल है मेरा चाँटा नहीं जानम।।

तुम चाँद हो नभ के, मैं चकोर हूँ जानम।
तुम मेघ अम्बर के , मैं तो मोर हूँ जानम।।

मेरे प्रेम को तू ना समझो है ये तेरी मर्जी।
मैंने तो तेरे दर पे लगाई आश की अर्जी।।

अपनालो या ठुकरा दो ,शिकवा हम नहीं करते।
विनयचंद प्रेम का पागल मुहब्बत कम नहीं करते।।

गाँव के किसान

November 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

शहर को देखने वाले
जरा तुम गाँव भी देखो।
वदन पे गर्द मत देखो
फटे वो पाँव भी देखो।।

गुजरते नार कीचड़ से
हमें नित फीड हैं देते।
मखाना वो कहे जिसको
लोटस सीड हम कहते।।

विनयचंद प्रेम कर इनसे
ये पालनहार हैं अपना।
सुख के नींद सोकर भी
न तोड़ो औरों का सपना।।

गजल

November 6, 2019 in ग़ज़ल

तेरी सूरत सदा रहती नजरों के पास
नाम हाथों पे लिखने से क्या फायदा?
तुम रहते सदा मेरे दिल में प्रिये
सामने आके मिलने से क्या फायदा?
दिल जख्मों को सहता मेरा इस कदर
अब जख्मों को गिनने से क्या फायदा?
विनयचंद मुहब्बत के सागर में आ
साहिल पे कंकर बीनने से क्या फायदा?

मेंने पीना छोड़ दिया

November 5, 2019 in गीत

गाना न कोई अब रिन्दाना
मैंने पीना छोड़ दिया।
बोतल तोड़ी जाम मैं तोड़ा
साकी से नाता तोड़ लिया।
मैंने पीना’……… . ….. . ।।
पीबाकों से नहीं अब याराना
नहीं अपने रहे अब बेगाना
मयखाने की डगर अब छोड़ दिया।
मैंने पीना छोड़ दिया।।

प्यार की दुनिया

November 5, 2019 in Other

था प्यार करने से पहले रंगीन ज़माना।
प्यार करके बनाया गमगीन जमाना।।
न भूख रही न हीं प्यास रहा
हर पल तुम्हारा आभाश रहा
अब तो अपना हुआ एक दो तीन जमाना।
प्यार करके बनाया गमगीन जमाना।।
प्यार किया नहीं चोरी करी
दुनियां मेरे क्यों पीछे पड़ी
बदनाम किया नामचीन जमाना।
प्यार करके बनाया गमगीन जमाना।।
प्यार करना है साहस का काम यारों
प्यार के रास्ते में ना होना नाकाम यारों
विनयचंद होगा फिर से रंगीन ज़माना।

काव्य

November 5, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

अश्क आँखों से बहता हो
लबों पर मुस्कुराहट हो।
दया से दिल लबालब हो
मन में प्रेम की आहट हो।।
निकलकर भाव जो आये
वही तो काव्य है प्यारे।।
लगे प्रेमालाप में पक्षी
परम आनन्द का कायल।
लगा जो तीर- ए-शैय्याद
हुआ मुनिवर का मन घायल।।
दिया जो श्राप वाणी से
बना एक काव्य वो प्यारे।।
समझो पीड़ औरों का
विनयचंद जिन्दगानी में।
बनोगे ज्ञान का सागर
जो सेवा कर जवानी में ।।
लिखा जो कोड़े कागज पर
नहीं वो काव्य है प्यारे।।

श्याम की मुरली

November 3, 2019 in गीत

श्याम ने मुरली बजाई कि घर से गोपियाँ निकली।
इधर से गोपियाँ निकली
उधर से गोपियाँ निकली
श्याम ने मुरली बजाई कि घर से गोपियाँ निकली।।
पीलाती दूध बच्चे को कलेबा कर रही कोई।
लगी परिजन की सेवा में मीठी नींद में सोई।।
सुनकर वंशी की धुन को घर से गोपियाँ निकली।।
श्याम ने मुरली बजाई कि घर से गोपियाँ निकली।।

कवि कहलाओगे

November 1, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी होंठों को देखते हो।
कभी बालों को देखते हो।।
कभी आँखों को देखते हो।
कभी गालों को देखते हो।।
दिल में उतर के देखो तो
फिर कवि कहलाओगे।।

कभी लंबू को देखते हो।
कभी नाटों को देखते हो।।
कभी फूलों को देखते हो।
कभी काँटों को देखते हो
दिल में उतर के देखो तो
फिर कवि कहलाओगे।।

नसीहत

October 31, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कृष्ण के भजने पर कभी राम
पराए नहीं होते।
पंथ बदलने पर भी भगवान
पराए नहीं होते।।
दम है अरदास में तो अजान
पराए नहीं होते।
कतरा-ए-लहू एक हो तो इंसान
पराए नहीं होते।।
खुदगर्ज बनकर न जी अंजान
पराए नहीं होते।
“विनयचंद “दुनिया में मेहमान
पराए नहीं होते।।
पं़विनय शास्त्री

दीपावली

October 28, 2019 in गीत

दिल का दीप जलाओ सजनी
आई मधुर दिवाली रे।
प्रेम भाव का तेल भरो और
सेवा सत्य की बाती।
संकल्प ज्योति से प्रज्ज्वलित कर
जगमग कर सुखरासी।।
वीर सपूत को अर्पण करो अबकी
मधुर दिवाली रे।।
दिल का दीप जलाओ सजनी
आई मधुर दिवाली रे।।

शुभकामनाओं के साथ
पं़विनय शास्त्री

विनती

October 25, 2019 in गीत

मिले काँटे या मुझको फूल।
पर हो मेरे अनुकूल।।

इतना सुख न देना स्वामी जो मुझ में अभिमान जगाए।
इतना दुख न देना मालिक जो मुझको पल पल तड़पाए।।
सुख दुःख में ये विनयचंद कभी जाए न तुमको भूल।
मिले काँटे या मुझको फूल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

थन सम्पत्ति का ठाठ मिले या टूटी फूटी खाट मिले।
भोजन मधुर दिन रात मिले या निराहार दिन आठ मिले।।
पर विनयचंद की झोली में प्रभु मिले तुम्हारी चरण धूल।
मिले काँटे या मुझको फूल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, =
पं़विनय शास्त्री

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