दिल की खेद

April 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जंग- ए-आजादी के हमसफर
अब काहे को मतभेद है।
कूपहि भंग पड़ी है भैया
यही भाव कचोट रहा
यही दिल की खेद है।।

अनोखा रिश्ता

April 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दो मित्रों का जोड़ा भैया
अमर इतिहास बनाया था।
एक थे ब्राह्मण एक मुस्लिम थे
रिश्ता खास बनाया था।।
जंग- ए-आजादी में कूद गए थे
राम -लखन की जोड़ी बनकर।
“सरफरोशी की तमन्ना “गाए फिरते
गली-गली और घर-घर चलकर।।
क्रांति का पथ प्रशस्त किया
और मातृभूमि को वास बनाया था।। दो मित्रों ़़़़़़।।
हृदय एक थे दोनों के
बेशक़ तन थे अलग- अलग।
राम लखन संबोधन करते
जब भी होते अलग- अलग।
एक साथ हीं झूल गए थे
बली रज्जु खास बनाया था।। दो मित्रों ़़़।।
अमर अनोखा ऐतिहासिक रिश्ता
आखिर जग क्यों भूल रहा।
“सह न ववतु़़”का भाव सदा
भारतभूमि पे मूल रहा।।
‘विनयचंद ‘ जयचंद बनो ना
देश को दास बनाया था।। दो मित्रों ़़़़़।।

जप

April 11, 2020 in Other

‘ज’कार जन्मविच्छेद करे
‘प’कार करे पाप का नाश।
नाम जपो रे राम जपो सब
सुलभ सदा साकेत निवास।।

नाम सुमिरन का बल बड़ा तगड़ा है

April 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

घर से तू बाहर न निकलो जनाब
हर गली में कोरोना का पहरा है।
हाथ धोओ रे साबुन से बारम्बार
हर गली में कोरोना का पहरा है।।
नाक मूँह पर लगाओ हमेशा नकाब
हर गली में कोरोना का पहरा है।
सेनिटाइज रहो न मिलाओ रे हाथ
हर गली में कोरोना का पहरा है।।
हर संभव सब सबका देना रे साथ
हर गली में कोरोना का पहरा है।
जीओ ‘विनयचंद ‘और जीए समाज
नाम सुमिरन का बल बड़ा तगड़ा है।।

दोहा

April 11, 2020 in Other

लहर उठी वैराग्य की , अरु हरिदर्शन की भूख।
धन सम्पति सब लुटा दिए कुटिया तक दी फूक।।

नेता और अभिनेता

April 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नेता से अभिनेता अच्छा
ये मेरा मन भी कहता है।
कभी हँसाए
कभी रुलाए
कभी उपदेशक बन कहता है।
नेता से अभिनेता अच्छा है
ये मेरा मन भी कहता है।।
कभी दिलाए गुस्सा
और कभी बने मुहद्दुसा
ऐसा जोकर बनकर यारों
कष्ट सभी का हरता है।
नेता से अभिनेता अच्छा है
ये मेरा मन भी कहता है।।
नाटक खेल झूठ का है
पर राजनीति तो सच्ची है।
सेवा भाव दिल धर्म भरा हो
देश भक्ति बड़ी अच्छी है।।
ऐसा नेता भी अच्छा है
ये मेरा मन भी कहता है।।

दुनिया एक रंगमंच

April 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुनिया रुपी रंगमंच पे
नाटक निश-दिन होता है।
कभी प्यार है,
कभी पछाड़ है।
नाचे गाए कोई
कोई हँसता रोता है।।
नाटक के इस पृष्टभूमि पर
सकल जीव अभिनेता है।
कोई बना किसान यहाँ पर
कोई सेवक और कोई नेता है।।
कोई टमाटर ऊपजाए
बीच सड़क कोई खाए 🍅
ऐसा भी कोई खोता है।।
दर्शक और निर्देशक का
ध्यान भला जो रखता है।
वही सफल खिलाड़ी है
वही मधुर फल चखता है।।
‘विनयचंद ‘इस नाट्यजगत में
नित पटपरिवर्तन होता है।।

संकल्प

April 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

घर के भीतर बैठे हैं हम
डरकर नहीं कोरोना से।
रहे स्वस्थ समाज हमारा
बचकर आज कोरोना से।।
पीठ नहीं हम दिखा रहे हैं
लड़कर जीतेंगे कोरोना से।
‘विनयचंद ‘रहे देश हमारा
सुखी सुरक्षित नित सोना से।।

को बृषभानुलली सम

April 10, 2020 in हाइकु

धवल चन्द्र सम उसका चेहरा ।
कनक कपोल पे एक तील का पहरा।
अरुण अधर अनार कली सम।।
भृकुटी कमान नजर शर शोभित ।
कुहू कुम्भ लट घुर्मित केशपाश से शोभित।
भधुर बोल बड़ मधुर डलीसम।।
उन्नत भाल नासिका अति उन्नत।
सुखद मनोहर अंक जस जन्नत ।
‘विनयचंद ‘को करुणाकारी को बृषभानु लली सम।।

करुणाकर श्रीराम

April 10, 2020 in गीत

दशरथ के घर जन्मे राम
पर आनन्द अवध में छाया है।
केवल कौशल्या कैकेयी नाहीं
हर घर हर नर मंगल गाया है ।।
हुआ विवाह राम का जब से
घर-घर मधुर सुमंगल छाया है।
वनवासी हो गए राम जी
हर जन मन घबराया कल्पाया है।।
वापस आए राम अवध में
जगर-मगर जग सब हर्षाया है।
‘विनयचंद ‘उस करुणाकर के
करुणा का पद एक गाया है।।

भजन

April 10, 2020 in गीत

प्रभु का नाम जप ले प्राणी।
तेरी दो दिन की जिन्दगानी।।
एक दिन बीता खाते-पीते।
रात भी बीती सोते-सोते।।
नया सबेरा पाकर भैया
क्यों करता रे आनाकानी।। तेरी़़़़
दिन दुपहरिया साँझ बीतते
ना देर लगेगी भैया।
धन दौलत कुछ काम न आवे
नाहीं बापू मैया।।
‘विनयचंद ‘हर सांस से गाओ
राम नाम निर्वाणी।। तेरी दो़़़़़़

गजल

April 9, 2020 in मैथिली कविता

मधुमास बिगत माधव बड़ आयल।
नवल हास परिहास जग छायल।।
फूल खिलल बगिया में देखू
आमक गाछी टिकुला सॅ छायल।
कटहर कोचरल जामुन मजरल
गन्ध सुगन्ध चहुदिश छायल।।
“पिया -पिया “जौं पपिहा बाजय
झणिक उठल झणि पायल।
‘विनयचंद ‘ई गजल सुनाय
भेल मधुआ कें कायल।।

जीवन जहर हो गया

April 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कोई पी के जहर भी
अमर हो गया।
किसी का जीवन भी
यारों जहर हो गया।।
मौत आई थी जिसकी़
वो मर न सका।
मौत की सब गलियाँ
और शहर हो गया।।

रस्सी

April 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

फिक्र कहाँ उस रस्सी को
जान किसी के जाने को।
गले लगाया जिसने उसको
मरने को छोड़ दिया दीवाने को।।

कांच

April 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक कांच का टुकड़ा
दर्पण बनकर
सबका रूप दिखता है।
बना कांच एक चूड़ियाँ
जग में बनिताओं का
दिल हर्षाता है।।
ये कांच कांच है
‘विनयचंद ‘सुन
कांच पे आंच न आवे ।
साहित्य जगत भी है
दर्पण कांच का
समालोचना कर जग सुधरावे।।

चिलमन के पार से

April 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नजर तुम्हारी देख रही है
मुझको चिलमन के पार से।
एक दीदार तो दे दो जानम
मैं भी तो देखूँ तुझको प्यार से।।

नाजुक कांच

April 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

क्रोध न करना कभी उन पर
जो सत्य दिखाने वाले हैं।
नाजुक कांच है दर्पण में
जो शक्ल दिखाने वाले हैं ।।

ये रूह प्यार माँगती है

April 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हटा दो चिलमन बीच से
नजरे दीदार माँगती है।
नफरत न करना मुझ से
ये रूह प्यार माँगती है।।

समर्पण

April 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खुद से रुबरू होने के लिए
दर्पण की जरुरत होती है।
खुदा से रुबरू होने के लिए
समर्पण की जरुरत होती है।।

रग रग में

April 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैं तुझे ढूँढता रहा भटककर अग जग में।
तुम हो कि भटक रहे हो मेरे रग रग में।।

प्रेम पुजारी

April 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक फूल खिला है प्यार का
देखो आज काँटों के बीच।
मुश्किल लगता है पाना
देख रहा हूँ अँखियाँ मीच।।
घूर घूर के देख रही है
आखिर क्यों दुनिया सारी।
‘विनयचंद ‘परवाह करे क्यों
जो हो सच्चा प्रेम पुजारी।।

विनती

March 31, 2020 in Other

कहर कोरोना का छाया है
देखो आज संसार में।
त्राहि त्राहि कर रही है दुनिया
आओ प्रभु अवतार में।।
रक्तबीज का रक्त धरा पर
टपक दैत्य बन उत्पात किया।
कतरा कतरा पीकर काली
दुष्ट दैत्य का घात किया।।
वही वक्त है आया माता
जग की रक्षा फिर आज करो।
‘विनयचंद ‘की विनती माता
सुनो जगत में फिर फिर राज करो।।

कोरोना मार भगाना है

March 29, 2020 in Other

कुछ दिन रहेंगे
घर में आइशोलेट।
नहीं करेंगे बाहरी दुनिया से हम भेंट।।
मुख पर मास्क हाथ दस्ताना।
फिर भी नहीं कोई हाथ मिलाना।
धोओ हाथ करो सेनेटाईजर।
हल्दी तुलसी सेवो अक्सर।।
सूझबूझ और धैर्य से रहकर
खुद को कोरोना से बचाना है।
अपने संग-संग निज समाज
महामारी मुक्त बनाना है।।
स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र
दुनिया सुखी बनाना है।
‘विनयचंद ‘सब मिलकर मित्रों
कोरोना मार भगाना। है

प्रार्थना

March 28, 2020 in मैथिली कविता

घऽरे में रहबय कतेक दिन पिया
ई कोरोना कें डऽर सॅ।
बाल बच्चा सुरक्षित रहथि सदा
तेॅ न निकसब घऽर सॅ।।
भुक्खल नेना भुक्खल हमसब
जीबय कतेक दिन।
अमृत समान दूध पानि सॅ
काटब कुछेक दिन।।
कतेक दिन ई दूध पानि सॅ
जीवन बचायब।
जहिया धरि मैया सॅ शक्ति
हम पायब।।
आय मन्दिरो में 🔐 लगेलक पिया
ई शरधुआ कोरोना।
आपदा काल मंदिर में मैया कहाँ।
आय दिल सॅ बजाबू तनिका अहाँ।।
बनिकय भौरा भवानी भूपर एती।
साग बनिकय सकल कष्ट हरती।।
महामाया हरू कष्ट जगत कें अहाँ।
ई विनती ‘विनयचंद ‘ केॅ सूनू अहाँ।।

तड़ीपार हो गए

March 27, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हाय कोरोना हम खबरदार हो गए।
लो अपने हीं घर में तड़ीपार हो गए।।

जीवन सोना

March 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

घर के बाहर मत जाना
कोरोना मिल जाएगा।
घर के भीतर बन्द रहो
जीवन सोना मिल जाएगा।।

कोरोना का, सौगात

March 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बाहर जाकर कोरोना का सौगात नहीं तुम लाना।
बेशक आधा पेट हीं खाकर घर में तुम सो जाना।।
खाना आधा पेट से प्राण चले नहीं जाऐंगे तेरे।
अपना और अपने की जान सुरक्षित रहेंगे तेरे।।

जीवन के आगोश में

March 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

निज गृह भीतर बन्द रहो मन
जीवन के आगोश में।
कहर कोरोना का छाया है
वरना रहोगे अफसोस में।।

जल हीं जीवन है

March 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जल हीं जीवन है
जल को ना बर्बाद करो।
जीवन का आधार है
जल को ना बर्बाद करो।।
जल बिन मछली तड़पेगी
धान पान सब कहाँ रहेंगे।
नदी तालाब और कुआँ बिन
स्नान ध्यान फिर कहाँ रहेंगे।।
कतरा कतरा कर संरक्षण
जीवन को आबाद करो।
जल हीं जीवन है
जल को ना बर्बाद करो।।

सत्य सूर्य

March 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चमक उठा जब चांद गगन में
कोटि सितारे टीम -टीम रह गए।
सूरज के आने से पहले हीं
सब के सब ये मद्धिम रह गए।।
लाख हौसला हो जुगनू में
अन्धकार कब मिटा सका है।
छल का बादल प्रेम जगत में
सत्य सूर्य कब मिटा सका है।।
प्रेमी बनकर ‘विनयचंद ‘तू
प्रेम का नित संचार करो।
मानव जीवन को पाकर
जीवन को साकार करो।।

कैरोना भगाऐंगें

March 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये कैरोना कहाँ से है आया बलम।
मौत बनके जगत में है छाया बलम।।
जूठ खान-पान से पनपे ये बिमारी सनम।
अशुद्धि में पले -बढ़े है ये बिमारी सनम।।
ना जूठा खाऐंगे ना जूठा पीऐंगें।
शुद्धी में रहेंगे शुद्धी में जीऐंगें।।
कैरोना भगाऐंगें सुखी दुनिया बनाऐंगे।।
शाकाहार खाना पिया दारू मत पीना पिया।
हाथ धोकर सदा स्वस्थ ताउम्र जीना पिया।।
कैरोना भगाऐंगें सुखी जीवन बनाऐंगे।

खोज गूलर के फूल के

March 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वन-वन भटका खोज में, गूलर के फूल के।
आखिर खोज न पाया मैं सिवा एक उसूल के।।
फूल नहीं होता इसमें होते केवल फल अगणित।
बिन फूलों के फल कहाँ से बोलो आए अगणित।।
जैसे पानी बर्फ के रुप वैसे गूलर के फूल अनूप।
“विनयचंद “न जान सके मायापति के खेल अनूप।।

तमन्ना है यही मेरी

March 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं बनूँ फूल बगिया का
तमन्ना है यही है मेरी।
भला हो मुझसे जगिया का
तमन्ना है यही मेरी।।
बीच झाड़ी लताओं के
लाल पीले गुलाबी -सा।
हरे उपवन की हरियाली में
मस्त झूमूँ शराबी-सा।।
मिले काँटे या कोमलता
रहूँ हर हाल में हँसता।
रहूँ खुशबू में तर होकर
इतर बाँटू मैं नित सस्ता।।

प्रकृति का सिंगार

March 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखो रितुराज ने अपने हाथों
कैसे प्रकृति का सिंगार किया।
रंग बिरंगे फूलों से
कुदरत का रूप सँवार दिया।।
हार गले में गेन्दा के
और कर कंगन कचनार दिया।
बेली चमेली जूही के
बालों में गजरा सँवार दिया।।
गुल- ए-गुलाब सुंदर -सा
बेणी मूल में गाड़ दिया।
केशर का रंग लबों पे
संग कर्णफूल गुलनार दिया।
कली लवंग नकबेसर
अलसी अंजन दृग धार दिया।।
मोर पंख कोयल का रूप
तन गुदना से छाड़ दिया।
‘विनयचंद ‘ मधुमास मनोहर
मन मन्दिर मह धार लिया।।

भारत माँ का औलाद

March 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी

लौहपुरुष नहीं मैं
फिर भी फौलाद हूँ।
आखिर भारत माँ का जो औलाद हूँ।।

अँखियों की होली

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अँखियों का रंग
अँखियों में जो डाल दिया।
फिर क्योंकर हाथ गुलाल लिया

रंग जाऐंगे

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आशा रख वावरी ! वो आऐंगे।
तेरे तन मन को रंग जाऐंगे।।

रंगीन सरोवर

March 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो लेके आओगे तू बाल्टी
मैं भी रखूँगा सरोवर तैयार।
रंगों से नहाएंगे साथ साथ यार।।

रंगों की बाल्टी

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रंगों की बाल्टी और गुलालों की झोली।
लेके आऐंगे तेरे घर ,मनाने हम होली।।

तिलक होली

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तिलक पसन्द होली है अपनी
आकर तिलक लगा देना।
प्रेम पर्व होली है इसको
प्यार से सब मना लेना।।

उड़ गई वरदान की चादर

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बाल हत्या का ले के विचार ‘
हो गई अग्नि में होलिका सवार।
उड़ गई वरदान की चादर
अजर रहा बालक प्रह्लाद
जल गई होलिका हो तार तार।।

नफरत भरे की होलिका

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नफरत भरे मन की होलिका न जलाई।
तो तुमने क्या खाक होली मनाई।।

होलिका जल गई

March 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जल गई होलिका धू धू करके
कैसे आज चौक में।
ऐसे हीं जलते हैं दुष्ट
भक्त जलाने के शौक में।।

होली हम मनाऐंगे

March 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

होलिका दहन में हम वैर भाव जाएंगे।
कल निर्मल हृदय से होली हम मनाऐंगे।।

नारी तेरे मान को

March 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नारी तेरे मान को
आखिर जग क्या लिखेगा?
कलम भी तू है काॅपी भी तू है।
सरस शब्द कविता भी तू है।।
तू वाणी विद्या बद्धि की
सरिता सम किताब है तू।
तू हीं शारदे तू हीं कालिका
हरिप्रिया की प्रभाव है तू।।
तूने हीं दी है ‘विनयचंद के जान को।
आखिर जग क्या लिखेगा
नारी के सम्मान को।।

नारी का तू कर सम्मान

March 8, 2020 in Other

मातृशक्ति को समर्पित

नारी का तू कर सम्मान।
नारि बिना ये जगत मशान।।
नारि है विद्या नारि है बुद्धि
धन दौलत की नारि है खान।।
नारी का सब कर सम्मान।
नारि बिना ये जगत मशान।।

आई सुहानी होली

March 7, 2020 in काव्य प्रतियोगिता

देखो आई सुहानी होली।
कैसी रंगों की रंगी रंगोली।।
कण-कण में नया उल्लास है।
आज धरती बनी रे खास है।।
लाओ रंगों की भर-भर झोली।
सब मिलकर हम खलेंगे होली।।
देखो आई सुहानी होली। कैसी रंगों की रंगी रंगोली।।
नहीं काला रहे नहीं गोरा रहे।
लाल पीले हरे छोरी छोरा रहे।।
आज कोयल भी बनीं हंसोली।
सब मस्ती में मस्त नव टोली।।
देखो आई सुहानी होली। कैसी रंगों की रंगी रंगोली।।
न कोई राजा रहा न कोई रानी रही।
सिर्फ खुशियाँ खुशी मस्तानी रही।।
बाँह-बाँहों की बन गई डोली।
हर तरफ है मस्ती की बोली।।
देखो आई सुहानी होली। कैसी रंगों की रंगी रंगोली।।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई।
लगते गले बन भाई-भाई।।
देख ‘विनयचंद ‘ की लेखनी बोली।
धवल मुख स्याह रंग से प्यार की बोली।।
देखो आई सुहानी होली। कैसे रंगों की रंगी रंगोली।।

होली में यार

March 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहीं पिचकारी का धार
कहीं रंगे गुलाल।
कहीं फूलों की होली
कहीं हुरदंगे धमाल।।
कहीं होली लठमार
फिर भी प्यार का त्योहार।
प्यार हीं प्यार ।।
होली में यार।।

नसीहत

March 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

राम कह लो या कह लो तू श्याम।
जब तक मन शांत नहीं तेरा सुन वावरे
ना हीं सुख ना हीं शांति ना हीं मिलेगा आराम।।

होली आई

March 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रंगों का त्योहार मनोहर
होली आई होली आई।
प्रेम प्रसून के गुलदता ले
होली आई होली आई ।।
दया का पानी प्रेम के रंग को
दिल दरिया में घोलो रे।
मधुर मनोरम मस्त मिठाई
भर भर थैली खोलो रे।।
‘विनयचंद ‘ के मन मंदिर में
मस्ती की एक टोली आई।।
होली आई होली आई।।

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