बीते कल

September 3, 2020 in ग़ज़ल

ए हमजोली जरा बता तो सही कहाँ गए वो दिन ।
रह नहीं पाते थे कभी हम एक दूसरे के बिन।।
वो कसमे वादे वो हसीन ख्यालों के मीठा ख्वाब।
आज वक्त के साथ सभी क्यों दफन हो गए जनाब।।
याद है तुम्हें जब हम कभी तुझ से रुठ जाया करते थे।
चाँद से सितारे तोड़ लाने की तुम बातें किया करते थे।।

दीवाने

September 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

पत्थर को पत्थर से मारे तो क्या मारे ए दीवाने ।
दिल को जरा शीशे बना कर वार करो तो जाने।।

शेर

September 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बेवफाई के बाजार में ए दोस्त
वफाई नहीं मिलती।
सब है यहाँ धोखेबाज़
कोई प्रेम कली खिलती
तो कैसे खिलती ।।

ए चाहत

September 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

एक दिन दिल ने जब कहा ,
वहाँ दग़ाबाज़ों का बसेरा है।
नादान चाहत से तब मैं कहा ,
संभल वहाँ जरूर कोई सपेरा है।।

पल दो पल

September 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कर ले ख्वाईश पुरी जो आज तुम्हारे दिल में है।
क्या पता कल मैं रहूं या न रहूं ए किसने देखा है।।

नारी और कविता

September 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चलो हम फिर नारी पे, एक सुंदर कविता रचे।
नारी जीवन से प्रेरित रचना ही कविता में सजे।।

घात

September 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरी मुहब्बत को उसने
भरी महफिल में तमाशा बना दिया।
मैने जब दी उसे तोहफ़ा,
तब उसने ज़हरीली मुस्कान लेती हुई
मेरे मुंह पे फेंक दिया।।

नाराजगी

August 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हम तो आपकी चाहत में ,
फ़लक से सितारे तोड़ कर लाए है ।
जरा चाँद से हो गई है नाराजगी,
बस यही आपसे कहने आए है ।।

फरिश्ता

August 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नाउम्मीदी से अश्क का गहरा रिश्ता है।
तभी तो बने है वो आज का फरिश्ता।।

ठोकर

August 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

पत्थर समझ के ए ज़माना, मुझे ठोकर पे ठोकर न मार।
कभी कभार पत्थर भी बन जाता है तलवार की धार।।

गंगा

August 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गंगा स्वच्छ है तो देश स्वच्छ है।
यानी नारी ही देश की गंगा है।।
इनके ही पवित्रता से ।
हर दिन नया प्रभात उगा है ।।

उम्मीद की कश्ती

August 30, 2020 in मुक्तक

हमने ज़माने से पूछा
मैं बदनामी का बहुत बड़ा धब्बा हूँ
क्या आपके शहर में पनाह मिलेगा
मैं उम्मीद की कश्ती पे
सेहरा बांध के आया हूँ
ज़माना हंसते हुए कहा —- अरे यार
सतयुग गया कलयुग गया
इस भ्रष्टयुग में भी जनाब
अंधेरे में लाठी चलाते हो
क्यों तुम अपनी ज़मीर को
हमारे ज़माने के बही में
नामांकन कराना चाहते हो
मैं बुत बन कर कहा —
अच्छा, अब मैं चलता हूँ।

जलन

August 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नारी के अनेक रुप मिले।
इसलिए पुरुष नारी से जले।।

वक्त

August 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वक्त के सिकन्दर से पूछो दोस्त कितनी ताक़त है वक्त में ।
ठोकरें खा के भी वक्त को झुकने नहीं दिया इस ज़माने में।।

दरियादिली

August 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गम की दरिया में मुझे दरियादिली नहीं मिला।
जो भी मिला सब एहसान फ़रामोश ही मिला।।

दिन थे वो यकीन के

August 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चले थे मेरे साथ साजन
घर से यह कह के।
निभाएंगे साथ हम
रिश्ते है सौ जन्म के।।
थक गए है आज
कुछ ही दूर पैदल चल के।
मत हो उदास ए दिल
जो मुहब्बत कर गए
दिन थे वो यकीन के।।

अपनी अदा यों न दिखाएँ

August 28, 2020 in मुक्तक

जब जब मैं
कलम उठाना चाहा
हसीन शेर लिखने के लिए
उसने कहा लगता है
मैं हो जाउंगी बदनाम
शायद तुम्हारे लिए
मैं चाह के भी
उसके लिए शेर नहीं लिख पाया
अब कोई उनसे कह दो
अपनी अदा यों न दिखाए
इन बहारों में खुदा के लिए।

गोधूलि

August 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

फिर वही ढलती गोधूलि मन में एक एहसास जगा दिया।
नादान था दिल, बिना सोचे दिल दग़ाबाज़ को दे दिया।।

नाकाम

August 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हम दो जिस्म
एक जान हो कर भी
ज़माने को हम
कहाँ झुका पाए
आज फिर ज़माना
मुहब्बत पे भारी पड़ी
आखिरी बार भी तुम्हें
कहाँ गले लगा पाए।

क़ाबिल

August 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ए कविता चल आज कवियों के अंजुमन में।
शायद दीदार के क़ाबिल हो जाए उनके अंजुमन में।।

क्या नारी तेरी यही कहानी ?

August 25, 2020 in मुक्तक

युग युग से तू ,आंसू बहाती आई
पुरुष के अधीन तू, सदा रहती आई
अपने घर, अपने बच्चो के लिए
युग युग से तू ,मर मिटती आई
क्या नारी तेरी यही कहानी ?
आंचल में दूध है, आंखों में पानी
अपनो ने ही ,तुझ पे बनायी नयी कहानी
खुद दलदल में फंस के,अपनो को आज़ाद किया
एहसान के बदले में, अपनो ने तुझे क्या दिया
क्या नारी तेरी यही कहानी ?
इस युग में भी, तू पुरुष से कम नहीं
जब कि, संसार तुझ से ही बना पुरुष से नहीं
झुका दिया है ,आज तुमने अंबर को
सब कुछ पा के भी, अपनायी विवशता को
क्या नारी तेरी यही कहानी ?
आज घर घर में ,तू ही घर की मुखिया है
फिर भी पुरुष के आगे, तेरी क्या औकात है
दुःख सह के भी ,अपनो को सुख देती रही
अपनी सिंदूर को सदा,अपना सुहागन समझती रही
क्या नारी तेरी यही कहानी ?

…क्या कम है?

August 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कौन कहता है, पुरुषों के जीवन में रौशनी नहीं है।
उनकी अर्धांगिनी की बिंदिया क्या रौशनी से कम है।।

राह में रोड़े

August 24, 2020 in मुक्तक

ए दोस्त सोचो,अगर राह में रोड़े न होते।
जीवन के परिभाषा, हम कैसे समझ पाते।।
यही रोड़े सभी को जीवन धारा बदल दिया।
वरना संसार के इस सैलाब में हम कहाँ होते।।
ठोकर पे ठोकर खा के भी हम कब संभल पाए।
काश हम दुनिया को राह के रोड़े से तौल पाते।।

साक्षात…..

August 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

युग युग से नारी पुरुष के हाथों, छलती आई।
तभी तो नारी आज की साक्षात देवी कहलाई ।।
—प्रधुम्न अमित

….. नारी के कर्जदार

August 24, 2020 in मुक्तक

यदि नारी से निर्माण हुआ है नया संसार।
फिर क्यों नारी पे हुआ घोर अत्याचार।।
हम कहते है नारी होती है ममता के सागर।
फिर क्यों हुआ बाजार में आज ममता बेकार।।
आंचल में हम युग युग से पलते, बढ़ते आए।
आज हम वही आंचल के बने है खरीदार।।
माँ, बेटी, बहन, पत्नी के रुप इसमें है समाया।
फिर क्यों जुर्म की चक्की में पीस रहे है बार बार।।
कहे कवि “गर नारी न होती, तो हम कहाँ होते।
इसलिए तो पुरुष आज भी है नारी के कर्जदार”।।
—–प्रधुम्न अमित

अनजान

August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अनजान बन कर चैन से जीने वाले ।
तू क्या जाने कौन गोरा कौन काले।।

अश्क ए तालाब

August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मुद्दत बाद आज ही नहाया हू़ँ अपने अश्क ए तालाब में।
कहीं कोई काली नैनो़ से देखा तो नहीं मुझे नहाते हुए।।

जरा प्यार से……

August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी

पागल पुकारो आवारा पुकारो या तुम दीवाना पुकारो।
जो भी पुकारो जरा प्यार से अपना कह कर पुकारो।।

यादें

August 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आँखों से हुई थी अश्कों की बरसात।
याद है मुझे वो थी बरसात की रात ।।

शकुन

August 22, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हम वो शख्स नहीं जो, गड़े मुर्दे को भी कब्र में सोने न दे।
मुद्दत बाद नींद आयी है कम से कम कुछ पल सोने तो दे।।

शेर

August 22, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हमने दर्द को दावत दे दिया अपनी गुलिस्ताँ में।
देखें क्या रंग लाती है इन अमीरों के अंजुमन में।।

चाहत

August 22, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आ सनम तुझे मैं आज, अपनी इन गेसूओं में छुपा लूं।
ए आँखें बंद होने से पहले, मैं तुझे आँखों में बसा लूं।।

मर्द

August 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिसने परखा औरत के दर्द।
वही कहलाया जवां एक मर्द।।
भाई ताक़त से नहीं जाना जाता।
उसे उसका हक़ दो तो ही मर्द।।
हुकूमत की चक्की में पीसने वाले।
क्यों कहलाते हो तुम जवां एक मर्द।।
औरत के कमजोरी पे सदा राज किया।
शान से कहलाते हो तुम आज के मर्द।।
जरा सोचो गर पल में ही पासा पलट दे।
फिर हम और तुम काहे के वीर मर्द।।
औरत नहीं तो यह संसार नहीं।
यही सूत्र क्यों न समझे नादान मर्द।।

खफ़ा

August 19, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इनायत की थी मैने कोई शिकायत नहीं।
बेवजह कह गए वो आपसे कोई रिश्ता नहीं।।

इरादे

August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मंजिल दूर है “राहत “, फिर भी इरादे बुलंद है।
इसलिए तो आज भी मेहनत ज़िंदाबाद है।।

कब आयेगा नया सवेरा

August 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:-

रवि के उजाले में हम तिरंगा लहरायेगें
वीर जवानों की गाथा फिर से हम दोहरायेंगे
दो मिनट का मौन रखकर
हम सब एक साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगायेंगे
वतन के लिये हमने क्या किया
भूल जायेंगे हम
गर्व से सुभाष बापु की डगर पर जीना सिखलायेंगे
आजाद देश का गुलाम बनकर जी रहें हैं हम
फिर भी आजादी की कीमत सभी को बतालायेंगे

हिचकी पे हिचकी

August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दिल का मचलना बार बार हिचकी पे हिचकी आना।
बता “राहत ” किधर जाना इधर जाना या उधर जाना।।

अंजुमन

August 16, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खत्म हुआ खेल मुहब्बत का।
गिर गया पर्दा मेरे अंजुमन का।।

कब आएगा नया सवेरा (स्वतंत्रता दिवस प्रतियोगिता)

August 15, 2020 in Poetry on Picture Contest

रवि के उजाले में हम तिरंगा लहरायेंगे।
वीर जवानो के गाथा फिर से हम दोहरायेंगे।।
दो मिनट के मौन रख कर हम एक साथ।
इंकलाब जिंदाबाद के नारा लगायेंगे।।
वतन के लिए हमने क्या किया भूल जायेंगे हम।
गर्व से सुभाष बापू के डगर पे हम सबको चलना सिखलायेंगे।।
आज़ाद देश के गुलाम बन कर जी रहे हैं हम।
फिर भी आज़ादी की कीमत सभी को बतायेंगे।।

हिन्दुस्तान हमारा (स्वतंत्रता दिवस प्रतियोगिता)

August 14, 2020 in Poetry on Picture Contest

अपना देश कितना सुंदर कितना प्यारा।
हर देश से प्यारा देश हिन्दुस्तान हमारा।।
हिन्दी है हम हिन्दी ही मेरा परम धरम।
इसलिए तो गर्व करे आज भी हिन्दुस्तान हमारा।।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण वालों से कोई भेद नहीं।
सभी को एक नजर से देखे हिन्दुस्तान हमारा ।।
जिसको हिंद से प्रेम नहीं वह अभागा कपूत नादान है।
उसे रास्ते पर लाओ यही संदेश देता है हिन्दुस्तान हमारा।।
वैसे भी नादान को सही रास्ते पर लाना हम जानते है।
तभी तो आज भी सपूतों पे गर्व करता है हिन्दुस्तान हमारा
हिमालय से गंगा जिस देश में शान से बह रही हो।
क्यों न गर्व करेगा हम सब का देश हिन्दुस्तान हमारा।।
कहे “अमित” अधर्म के रास्ते पर तुम न जाना ए अर्जुन।
अपनी शान को खोने न देना यही कहे हिन्दुस्तान हमारा।।

नाजुक कली

August 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हसीन अदा इनके अंग अंग में,
अल्हड़पन सी लगती भली है।
माना इन पर चढ़ी नही जवानी,
फिर भी यह नाजुक कली है।।

बुलंदों की हुड़दंग

August 12, 2020 in Poetry on Picture Contest

जब देश में रंगा बसंती चोला था।
तब अंग्रेजी शासन भी डोला था।।
महासंग्राम की जब आई घड़ी।
सभी के दिलो में तब, शोला ही शोला था।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सभी एक साथ।
चीख चीख कर, आज़ादी आज़ादी बोला था।।
कहीं भाइयों की कुर्बानी, तो कहीं बेटों की कुर्बानी।
उस समय भी माँ की हाथो में, आज़ादी का झोला था।।
सुन ले ए दुश्मन, ईंट के जवाब हम पत्थर से देंगे ।
सभी हिन्दुस्तानी, छाती ठोक ठोक कर बोला था।।
नहले पे दहले फेंकना, हमने तुझ से ही सीख लिया।
हमारी एकता ही तेरे लिए ,बना बम का गोला था।।

तिरंगा

August 11, 2020 in Poetry on Picture Contest

हमारा आन तिरंगा है, हमारा बान तिरंगा है।
हमारा शान तिरंगा है, हमारा जान तिरंगा है।।
हमारा धर्म तिरंगा है, हमारा कर्म तिरंगा है।
हमारा सोच तिरंगा है, हमारा समझ तिरंगा है।।
हमारा औकात तिरंगा है, हमारा बल तिरंगा है।
इसलिए तो आज भारत में तिरंगा ही तिरंगा है।।

तस्वीर

August 11, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैने वो तस्वीर फाड़ दी जिस तस्वीर को देख कर,
हम कभी बेहतरीन ग़ज़ल लिख लिया करते थे।
हकिक़त जब सामने आई तस्वीर को जोडना चाहा ,
तस्वीर ने कहा मुहब्बत के मामले तुम बहुत नादान थे।।

🏡 संसार

August 10, 2020 in मुक्तक

कभी माँ का प्यार तो कभी बहन का प्यार।
यही प्यार के रिश्ते में बना है हमारा घर संसार।।
काश!!! यह पवित्र रिश्ते हम में नहीं होते।
जरा सोचो, कैसे चल पाता हमारा घर संसार ।।
यही रिश्ते के धागे भगवान को भी है प्यारे।
इसे कभी न तोड़ना इसी में बसा है घर संसार।।
तोहफ़ा के रुप में पाया हमने नया जीवन धारा।
यही जीवन धारा बन गया हमारा घर संसार।।

अमीर संग कीड़े

August 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हुस्न के बाजार में ए “मीर” हम चले थे,
अपने जख़्म के मरहम खोजने के लिए।
किसी ने जहरीली मुस्कान लिए कहा,
अमीर संग कीड़े कब बने एक दूजे के लिए।।

गेसूओं में मौत

August 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चिड़ी के गुलाम था ए दोस्त गेसुओं के कैद में।
उसे क्या पता था डसेगी नागिन चाँदनी रात में।।

शेर

August 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ए ग़ालिब चल कल आते हैं।
शायद आज मुहब्बत बंद है।।

संजना

August 8, 2020 in Poetry on Picture Contest

सावन में ए सखी, खनके क्यों कँगना।
कोयलिया गीत सुनाए ,क्यों मेरे घर अँगना।।
बार बार दिल धड़काए, प्यास जगाए।
जाने क्या करेगी, मेरी नादान ए कँगना।।
जब सुनती हूँ, “ए शोभा पियु कहाँ ” की मीठी स्वर।
तब न पूछ सखी , घायल हो जाती है ए संजना।।

संजना

August 8, 2020 in गीत

सावन में ए सखी, खनके क्यों कँगना।
कोयलिया गीत सुनाए ,क्यों मेरे घर अँगना।।
बार बार दिल धड़काए, प्यास जगाए।
जाने क्या करेगी, मेरी नादान ए कँगना।।
जब सुनती हूँ, “ए शोभा पियु कहाँ ” की मीठी स्वर।
तब न पूछ सखी , घायल हो जाती है ए संजना।।

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