by Pragya

मजाल

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

है क्या मजाल जो मैं तुमसे कुछ कहूँगा रो रहा हूँ मैं और रोता ही रहूँगा….

by Pragya

दीये

November 17, 2022 in मुक्तक

मिट्टी से दीये बनते हैं
और उजाले मन के अंधेरों को दूर करते हैं

by Pragya

कभी कभी

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

कभी कभी यूँ भी होता है

वो सामने होती है और दिल गमों से चूर होता है।😭

by Pragya

दिल

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

उसकी खूबसूरत जुल्फें और मुस्कान
दिल कैसे ना हो बेईमान!!!

by Pragya

शायरी

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

खूबसूरत है वो ऊपर से उसकी सादगी
जुबान से मोती गिरते हैं
फिर भी वो हमसे प्यार करने की वजह पूछते हैं

by Pragya

आधार

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

आधार मेरी ज़िन्दगी का तू है मेरी सुबह और शाम तू है
कैसे जिएंगे तेरे बिन जब मेरी आखरी साँस भी तू है

by Pragya

इरादा

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

इरादा है तुम्हें अपना बनाने का
मौका तो मिले पास आने का।🤣🤣

by Pragya

माला

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

तेरे नाम की माला कब तक जपता रहूँ
देख गैरों के साथ तुझे
कब तक जलता रहूँ!!!

by Pragya

तमाशबीन

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

तमाशबीनों की निगाहें मुझे घूरती क्यों हैं
तेरे घर में फिर से कोई जश्न है क्या ????

by Pragya

जीवन का लम्हा

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

जीवन का हर लम्हा
तेरे साथ होता !!
तो ना मैं फ़िरता यूँ….
बदहवास होता!!!!

by Pragya

आईना

November 17, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

आईने की नजर से
छुपा लूँगा तुम्हें..
कुछ इस तरह से दिल में
छुपा लूँगा तुम्हें..

by Pragya

दिल का सौदा

November 17, 2022 in Other

दिल का सौदा कभी करो ना
इसी बहाने से कुछ वक्त दो ना

by Pragya

तू ना बदला…

November 16, 2022 in शेर-ओ-शायरी

लगी थी आस तुम आओगे मेरी आवाज सुनकर
तड़प उठोगे मेरी हालत देखकर
मुस्कुराओगे ख्व़ाब बुनकर।
ऐसा कुछ ना हुआ तू ना बदला…..
जैसा था तू वैसा ही रहा….

by Pragya

हाव भाव

November 16, 2022 in शेर-ओ-शायरी

उन्हें खुद लिखना आता है तब भी भाव नहीं समझते हैं
भावनाओं से परे हैं हाव भाव नहीं समझते हैं
लाख कोशिश करें हम उनके दिल में समाने की,
नासमझ हैं वो कुछ भी नहीं समझते हैं।

by Pragya

मेरा जीवन जब से अस्त व्यस्त हो गया है।

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक जमाना था दो सुकून की रोटी थीं और पीने को पानी।
तब काँटों के बिस्तर पर भी नींद आ जाती थी।
रात जल्दी होती थी और सुबह
दरवाजा खटखटाने आ जाती थी।
अब तो ऐसा हो गया है
रात आके चली जाती है पर नींद नहीं आती है।
सुबह दरवाजा पीट पीटकर थक जाती है पर जगा नहीं पाती है
दोपहर होने को आती है तब कही आजाद हो पाती हूँ
नींद को सिरहाने पर रखकर
थोड़ा सुस्ता जाती हूँ।
कुछ समझ नहीं आता क्या से क्या हो गया है,
मेरा जीवन जब से अस्त व्यस्त हो गया है।

by Pragya

आधारहीन

November 16, 2022 in शेर-ओ-शायरी

आधारहीन भावनाओं का कोई अस्तित्व नहीं होता…
आग में कूदी हुई किस्मत का कोई
वर्चस्व नहीं होता…

by Pragya

कभी कभी

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ लोगों से बात करके बहुत सुकून मिलता है
एक अजब सा एहसास होता है
दिल में मचलता है और
मिलने को तड़प उठता है
यह तड़प कभी-कभी इतनी बढ़ जाती है कि
दिल पंछी बनकर आसमान में जाकर मिलता है।
जीते जी ना सही तो सितारा बनकर दिल अपनी ख्वाइश पूरी करता है

by Pragya

Love -2

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

Part -2 ❤

तुमने मेरे दिल को और रुलाया है मुझे
प्रेम का पुष्प मसलकर आसमान से गिराया है मुझे।

तुमने रूहानी इश्क को जिस्मानी समझा
पानी गला हुआ महज एक कागज समझा।

पुष्प की गंध चुरा कर के उसे तोड़ दिया
दर्द के आँसू को बस जमीन पर बिखेर दिया।

दर्द में लिख रही मैं अमिट कहानी हूँ
तेरी हर नब्ज को टटोलती रवानी हूँ।

अँधियारे में मैं नहीं सिमटने वाली
घसीटकर तुझे इसी चौखट पे लेके आऊंगी।

by Pragya

Love -1

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

Part-1❤

आज सबूत माँग रहे हो
कि तुमसे कब, कहाँ और कैसे प्यार किया ??
पहचानने से इनकार कर दिया मुझे !
और कर ही क्या सकते थे तुम!
मेरे जिस्म से आती खुशबू को
क्या अपना नहीं कहोगे अब !
दिल में जो चेहरा बसा है उसे
दूजे का कहोगे अब !
हाँ, अब तो तुम मेरे प्यार को भी झुठला दोगे
जो वादे किए तुमने उनको भी धोखा बता दोगे।
मेरे होंठो से जो देर तक साझेदारी हुई तुम्हारी,
मेरी रूह पर जो मुहर लगी तुम्हारी,
मेरा चैन, मेरी नींद, मेरा दिल भी अब मेरा ना रहा
मैने प्यार से जो थामा था हाथ वो अब मेरा ना रहा।
एक बार झूठ ही कह देते हम दिल निकाल के दे देते।
खुद चले जाते तुमसे दूर कभी आवाज भी ना देते!!!!

by Pragya

सबूत

November 16, 2022 in शेर-ओ-शायरी

बड़ा सबूत माँगते हो मेरी शख्सियत का।

खुदा ने तो मेरे कदमों में जन्नत भी रख दी है।

by Pragya

दिल थक जाता है….

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल थक जाता है जब
रूठने वाला जिद पे अड़ जाता है
कितनी भी कोशिश कर लो
हाथ ना आता है
बस दूर चला जाता है
इस छोटी सी जिन्दगानी में
जब काम बहुत ज्यादा और
प्यार बहुत कम हो जाता है
दिल थक जाता है
फिर आराम नहीं पाता है…

by Pragya

रात मायूस करती है

November 16, 2022 in शेर-ओ-शायरी

❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤

रात मायूस करती है और सुबह उम्मीद जगाती है❤

by Pragya

तुम किसी और के हो।।

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक वक्त था…
जब तुम मेरे लिए रातों को जगा करते थे
मैं कुछ भी कहती, तुम हंसकर सब सुन लेते थे।
मुझसे ज्यादा तड़प होती थी तुमको मिलने की,
व्हाट्सएप’ पर भी तुम अवलेबल’ रहते थे।
पर अब बदल गए हैं
तुम्हारे मिजाज और
बदल गए हो तुम।
बदल गए तुम भी और बदल गए हैं हम..
हमें रहता है तुम्हारा इंतजार,
मिलने को करता है दिल बार- बार।
तुमसे इंपॉर्टेंट’ और कोई नहीं,
ना घर है ना संसार..
अगर बदल गए हो तो रहने दो
हमें नहीं करना तुमसे प्यार,
हम जैसे भी रह लेंगे पर
“तुम किसी और के हो फिलहाल”….!!!

by Pragya

मैंने कब चाहा कि ऐसा ही हो

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम मेरे ही और सिर्फ मेरे ही रहो
मैने कब चाहा कि ऐसा ही हो।

पीछे चलो कदमों के निशान ढूंढते हुए
दे दो अपनी जान बस मुझको पूजते हुए।

लाकर जहान की सारी खुशियाँ कदमों में रख दो
मैंने कब चाहा कि ऐसा ही हो…………..।

छीनकर ले आओ किसी की माँग का सिन्दूर
उजाड़कर किसी की कोख बस मेरी गोद भर दो।

मैने कब चाहा कि ऐसा ही हो!!!!!!!!!!
मैंने कब चाहा कि ऐसा ही हो!!!!!!!!!!

by Pragya

मैं गरीब

November 16, 2022 in शेर-ओ-शायरी

गरीब मैं नहीं तू है जिसका दिल
पैसे के लिए धड़कता है और प्रेम के लिये धड़कना भूल जाता है ।

by Pragya

एक अजनबी

November 16, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज एक अजनबी से मुलाकात हुई
उसकी एक मुस्कान हृदय की शिराओं को
झकझोर गई….
अन्दर एक प्रकाश का ज्वार फूटा!
लौ जली, उसकी चितवन ले गई
देह से खून निकाल कर..!
साँस पर्वत सी कठोर हुई
आँख पथरायी और देह बर्फ बन पिघल सी गई!
जाने क्या हुआ ?? मैं कहाँ गई किस से मिली?
और कब घर आ गई???
कुछ पता नहीं बस इतना पता है
कि एक अजनबी से आज मुलाकत हुई।।।।।

by Pragya

मजम्मत(निंदा)

November 16, 2022 in मुक्तक

अरे! कभी तो तारीफ़ कर दे इस नामाकूल की!
हर दफ़ा क्या तू मजम्मत ही करता रहेगा!!!!

by Pragya

कोशिश

November 16, 2022 in मुक्तक

कितनी कोशिश की सबके दिल में समाने की
वक्त आने पर सभी ने जुर्रत की मुँह छुपाने की

by Pragya

पल

November 16, 2022 in Other

हम जीते हैं जिन पलों में वो लम्हे कैद नहीं हो पाते

by Pragya

Herat

November 13, 2022 in English Poetry

My heart always knows

Value of your love ❤

by Pragya

Damini

November 13, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

बदन पर साड़ी लपेटकर कितनी सुंदर लग रही है
ये हुस्न देखकर दामिनी भी नतमस्तक हो रही है

by Pragya

मैंने कब चाहा कि ऐसा ही हो

October 2, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम मेरे ही और सिर्फ मेरे ही रहो
मैने कब चाहा कि ऐसा ही हो।

पीछे चलो कदमों के निशान ढूंढते हुए
दे दो अपनी जान बस मुझको पूजते हुए।

लाकर जहान की सारी खुशियाँ कदमों में रख दो
मैंने कब चाहा कि ऐसा ही हो…………..।

छीनकर ले आओ किसी की माँग का सिन्दूर
उजाड़कर किसी की कोख बस मेरी गोद भर दो।

मैने कब चाहा कि ऐसा ही हो!!!!!!!!!!
मैंने कब चाहा कि ऐसा ही हो!!!!!!!!!!

by Pragya

सबूत

September 30, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज सबूत माँग रहे हो
कि तुमसे कब, कहाँ और कैसे प्यार किया ??
पहचानने से इनकार कर दिया मुझे !
और कर ही क्या सकते थे तुम!
मेरे जिस्म से आती खुशबू को
क्या अपना नहीं कहोगे अब !
दिल में जो चेहरा बसा है उसे
दूजे का कहोगे अब !
हाँ, अब तो तुम मेरे प्यार को भी झुठला दोगे
जो वादे किए तुमने उनको भी धोखा बता दोगे।
मेरे होंठो से जो देर तक साझेदारी हुई तुम्हारी,
मेरी रूह पर जो मुहर लगी तुम्हारी,
मेरा चैन, मेरी नींद, मेरा दिल भी अब मेरा ना रहा
मैने प्यार से जो थामा था हाथ वो अब मेरा ना रहा।
एक बार झूठ ही कह देते हम दिल निकाल के दे देते।
खुद चले जाते तुमसे दूर कभी आवाज भी ना देते!!!!

by Pragya

उदास चेहरे

September 29, 2022 in शेर-ओ-शायरी

उदास रहा है चेहरा उदास रहेगा
तुझे खो कर के ये कभी ना हँसेगा

by Pragya

पति

September 29, 2022 in Other

बहुत गुस्सा भर जाता है अन्दर
जब मेरी माँ बोलती हैं
पति मारे भी तो क्या:
पत्नी को उस पर हाथ उठाना नहीं चाहिए।
मेरे पति तो मुझे कितना मारते थे
क्या कभी साथ छोड़ा !
पति की मार खा कर भी उसके साथ रहना चाहिए।

😡😡😡😡😡😡😡

by Pragya

रुठे रुठे से हुजूर नजर आ रहे हैं

September 29, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

रुठे रुठे से हुजूर नजर आ रहे हैं
हमें बेवफा बताकर शायद किसी के घर जा रहे हैं
कानों की बाली खो गई है उनकी या
किसी को निशानी में देके आ रहे हैं
सुर्ख लाल जोड़ा पहन रखा है उन्होंने
हवाओं में जुल्फ़ों को लहरा रहे हैं
ये सब इन्तजाम वो फिर से कर रहे हैं
मोहब्बत हो गई है किसी से या हमको जला रहे हैं
कितने नादान हैं वो रब ही जानें !
हैं हमसे ही खफा! और भरी महफिल में हमको ही
देखे जा रहे हैं।।

by Pragya

कितनी बार सोंचा….

July 19, 2022 in शेर-ओ-शायरी

कितनी बार सोंचा तुम्हारे बारे में ना सोंचूं,
यही सोंचते सोंचते रात हो गई।

by Pragya

आज बिल्कुल अकेली हूँ ।।।

July 15, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज एहसास ये हुआ की मैं कितनी अकेली हूँ,
सजल जल नैन भर बरसे
दुख की मैं सहेली हूँ।
कहाँ है प्रीत का सावन??
कहाँ है गीत मनभावन??
कहाँ है प्रेम की गगरी
आज बिल्कुल अकेली हूँ।
नही मैं मोम की गुड़िया
नहीं मैं प्रेम की पुड़िया!
मैं हूँ आकाश की सामर्थ्य,
मैं कितने दर्द झेली हूँ ।।।

by Pragya

इन्तज़ार

May 14, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

नहीं कर सकते हम अब और इन्तज़ार,
करना ही नहीं अब हमें तुमसे प्यार।

मेरी बेबसी का मजाक उड़ाते हो,
मेरे दिल को रोज़ चोट पहुँचाते हो।

कर नही सकते अब तुम पे ऐतबार
जाओ अब नहीं करना हमें तुमसे प्यार ।।

by Pragya

ज़िन्दगी

May 13, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

न जाने कहां ले जा रही है जिंदगी..
जाने क्या चाहती है मुझसे यह जिंदगी??

खुद को जितना गमों से दूर रखती हूं,
उतना ही गमगीन होती जा रही है जिंदगी…

खुशियों की बात तो जैसे करनी है छोड़ दी मैंने, अपनों से भी दूर ले जा रही है जिंदगी…

कभी-कभी मन करता है छोड़ दूं जिंदगी का दामन, बिल्कुल भी ना अब मुझको भा रही है जिंदगी।।।

by Pragya

जीत कर के तुझे ऐ सनम..!!

March 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीत कर के तुझे ऐ सनम !
खुद को ही हार कर बैठे हैं हम।

जिन्दगीं बन गया जब से तू
मौत से यार डरते हैं हम।

प्रीत है, रीत है, जीत है,
मौत है, जिन्दगी गीत है।

मर के भी आज लौटे हैं हम
खुद को ही हार बैठे हैं हम।।

by Pragya

हाँथों में लेकर थाल

March 24, 2022 in Poetry on Picture Contest

हाँथों में लेकर थाल
मेरी इस थाल में भरे गुलाल
लगाने आई हूँ,

नजरों से नजर मिलाकर
तुझे छू कर तुझमे समा कर
कुछ इस तरह से होली आज
मनाने आई हूँ।

मेरे प्रियतम मेरे मनमीत
तेरे दिल में मेरी प्रीत
जागने आई हूँ।

यूँ हवा में उड़ता रंग
मैं अपने पिया के संग
ये होली का त्योहार मनाने आई हूँ।।

by Pragya

मेरा पहला प्यार…!!!

March 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो मेरी आहट से ही मुझको पहचान लेता था,
नींदों में भी बस मेरा ही नाम लेता था।
याद करती थी मैं उससे रात-दिन और वह हिचकियां लेता था।

ना मिलने की कभी जिद्द की उसने, बस रूह से चाहता था और दिल से प्यार करता था।

मेरी सांस उसकी मौजूदगी का एहसास कराती थी
वह मेरे आंसुओं को अमृत की तरह पीता था।
बाकी तो सब मजे लेते हैं,
मेरा पहला प्यार ही था जो मुझसे प्यार करता था।

ना कभी लड़ता था, ना कभी दिल दुखाता था ,
भरोसा उसको मुझ पर भगवान से भी ज्यादा था।
कभी देखा नहीं था उसने मुझे,
मेरी तस्वीर की ही पूजा किया करता था।

मैं रूठ जाती थी वो मनाता था
मेरे सिवा किसी और को ना चाहता था।
वैलेंटाइन” हो या होली”हो,
मेरे फोन का इंतजार किया करता था।
नाम कभी ना लेता था मेरा,
बस मेरी जान,जान कहता था..

मैं जानती हूं वो आज भी मुझको प्यार करता है , मेरी याद में तड़पता है,
जब कभी हिचकी मुझको आती है ! मैं समझ जाती हूं वो याद करता है।।

by Pragya

तुम किसी और के हो फिलहाल !!!

March 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक वक्त था…
जब तुम मेरे लिए रातों को जगा करते थे
मैं कुछ भी कहती, तुम हंसकर सब सुन लेते थे।
मुझसे ज्यादा तड़प होती थी तुमको मिलने की,
व्हाट्सएप’ पर भी तुम अवलेबल’ रहते थे।
पर अब बदल गए हैं
तुम्हारे मिजाज और
बदल गए हो तुम।
बदल गए तुम भी और बदल गए हैं हम..
हमें रहता है तुम्हारा इंतजार,
मिलने को करता है दिल बार- बार।
तुमसे इंपॉर्टेंट’ और कोई नहीं,
ना घर है ना संसार..
अगर बदल गए हो तो रहने दो
हमें नहीं करना तुमसे प्यार,
हम जैसे भी रह लेंगे पर
“तुम किसी और के हो फिलहाल”….!!!

by Pragya

कलम उठाई है…

February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज एक अर्से के बाद
कलम उठाई है।

तेरी प्रीत मेरी आँख में भर आई है
दिल की पीर से है मुझको कुछ आराम मिला,
आज इसी वाइस मैंने कलम उठाई है।

दीद हुई जबसे तेरी साँसों की महक
मेरी रूह, मेरे जिस्म में समाई है।

तेरी प्रीत में लिखना भी भूल बैठी थी, आज बड़े दिनों बाद मैने कलम उठाई है।।

by Pragya

Rose

February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

भुला दिया शायद तुमने मुझे,
जिस चाहत की मैं हकदार थी
वो प्यार ना दिया तुमने मुझे।
कैसे आ जाती है नींद तुम्हें,
जब एक उम्र ना सोने दिया तुमने मुझे।
मैं माँगी थीं कान की बालियां तुमसे,
वो तक ना लाकर दीं तुमने मुझे।
गुलाब को गुलाब देकर जो तुमने
जुर्रत की,
आखिर नाराज ही कर दिया तुमने मुझे।।

by Pragya

इन्तज़ार

February 20, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

इन्तज़ार की भी एक हद होती है
हमने उस हद को पार करके
तेरा इन्तज़ार किया,
जानते थे तू नहीं आएगा फिर भी
तेरा इन्तज़ार किया।
मेरी किस्मत में तू नहीं ना सही
सब कुछ जान कर भी तुझसे प्यार किया।

by Pragya

एक तिरंगा

January 26, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी के साथ कितना भी वक्त बिताओ वो एक दिन चला ही जाता है
जिसे जान से ज्यादा चाहो वही दिल दुखाता है
इसीलिये अपने देश से प्यार करना चाहिए
कम से कम मरने पर एक तिरंगा तो मिल जाता है।

जय हिंद जय भारत

by Pragya

Alvida 2021

December 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

थम गया सिलसिला 2021 का
हमें रुलाकर जा रहा है ,
दिया भले ही कुछ ना हो इसने
पर बहुत कुछ सिखा कर जा रहा है।
कभी आये आँख में आँसू तो कभी
हँसा कर गया है
दिये कई जख़्म इसने तो मरहम लगा कर गया है।
खोया हमनें अपने हमदर्द को तो
महबूब भी दिला कर गया है।

by Pragya

इन्तज़ार

December 12, 2021 in शेर-ओ-शायरी

इन्तज़ार की भी एक हद होती है,
————————–
आज इन्तज़ार की सारी हदें पार कर दी हमनें…

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