मन को छोटा न कर

August 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन को छोटा न कर
दुःख दर्द तो मेहमान हैं,
आते हैं जाते हैं
ये गम स्थाई नहीं हैं
ये मेहमान हैं।।
न घबरा दुःखों से
ये तेरी परीक्षाएं हैं,
ये तो तेरे कार्य की
समीक्षाएँ हैं।

मैं कवि हूँ

August 5, 2020 in मुक्तक

मैं कवि हूँ, मैं फौलाद नहीं,
सच कहता हूं, सच बात यही।
जो सच से डरते हैं केवल
कुढ़ते हैं वे सच बात यही।

भगाओ दूर चिंता को

August 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रात भर के अंधेरे को
जिस तरह सूर्य ने आकर ,
भगाया एक ही क्षण में,
उस तरह आस का सूरज
उगाओ आप भी मन में।
भगाओ दूर चिंता को
नजर रख लक्ष्य पर अपनी
बढ़ो, पीछे न देखो तुम
सफलता होगी चरणों में।
अंधेरा मिट गया समझो
उजाला हो गया देखो,
उठो जागो बढ़ो आगे
सवेरा हो गया देखो।

तू चाइना आँख दिखाना मत

August 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरा भारत कमजोर नहीं
मेरा भारत कमजोर नहीं
तू चाइना आँख दिखाना मत,
औरों के कंधे पर रखकर
हमको बन्दूक दिखाना मत।
हम तेरी गीदड़ भभकी का
उत्तर देने में सक्षम हैं,
जल-थल- नभ में तू कहीं देख
भारत के सैनिक सक्षम हैं।,
औरों के कंधे पर रखकर
हमको बन्दूक दिखाना मत।
हम तेरी गीदड़ भभकी का
उत्तर देने में सक्षम हैं,
जल-थल- नभ में तू कहीं देख
भारत के सैनिक सक्षम हैं।

जो भी सृजन हो धर्म से हो

August 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ब्रह्मचर्य, हाँ ठीक है कहना,
लेकिन क्या भारतमाता के
सभी पुत्र ब्रह्मचारी बन
सृजन से दूर चले जाएँ।
नहीं – नहीं नयी पीढ़ी का
सृजन युवा रक्त से हो,
इसलिए विरक्ति की नहीं जरुरत
सृजन की ओर अनुरक्त रहो.
हाँ सृजन की राह धर्म पर हो
सद्सृजन हो, कुकर्म न हो।
दैवी प्रकृति है वरदानी
जो भी सृजन हो धर्म से हो।

बिंदास रहने की जरुरत है तुझे

August 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू ठेस देने वालों से न घबरा
तेरे में हुनर बहुत है,
तेरी लेखनी की धार में
खनक बहुत है।
हवाएं तो आती रहेंगी
जाती रहेंगी,
आँख में रेत का कण डालकर
रुलाती रहेंगी,
लेकिन तू बिंदास भाव से चलती चल
अपने लेखन की धार मजबूत करती चल।
ज़माना कुछ न माने तुझे
लेकिन तेरी लेखनी तेरा परिचय देती है
बिंदास रहने की जरुरत है तुझे .

नई राह देखे पग तेरा

August 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नई उमंगें, नया सवेरा
आज मान ले कहना मेरा
कदम बढ़ा ले उन्नति पथ पर
क्यों बीती चिन्ता ने घेरा।
रात-रात भर सपने देखे
इधर-उधर की भारी उलझन
कहाँ भटकता रहा रात भर
दिन होते ही भूल गया मन।
अच्छे और बुरे सपनों का
अब विश्लेषण छोड़ भी दे तू,
उठ बिस्तर से निर्मल हो जा
स्वप्न की बातें छोड़ भी दे तू।
नई उमंगें नया सवेरा
नई राह देखे पग तेरा,
नए लक्ष्य पर आज गाड़ दे
अपना झंडा, अपना डेरा।

बेरोजगारी

August 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पढ़े-लिखे बेरोजगारों की
फौज खड़ी है, चारों ओर ,
कैसे हल निकले अब इसका
घटा छा रही है घनघोर ।
जाग देश के शीर्ष सिंहासन
कुछ ऐसी अब नीति बना,
युवा फूल खिलने लग जाएँ
श्रृंगार करें भारत माँ का।

कैसे है इतना स्नेह भरा

August 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ मेरे जीवन साथी!
तुझमें कितना है स्नेह भरा,
तू इतना बेचैन हो जाती है
यदि हो मुझको दर्द ज़रा।
मुझको ही क्या घर में कोई
छींके भी तो तू व्यथित हुई
झट से काढ़ा ले आती है
कैसे है इतना स्नेह भरा।

मेरा स्वप्निल प्रियतम तो

August 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरा स्वप्निल प्रियतम तो
कवितायें लिखने वाला हो,
अपनी सुन्दर रचनाओं में
हर भाव सजाने वाला को।
अगर किसी कारणवश मुझमें
कभी निराशा घर कर जाए,
मेरा स्वप्निल प्रियतम तत्क्षण
आशा का संचार करे।
उसकी आशा का उकसाया
मैं अपनी मंजिल को पाऊं,
उसकी प्रेरणा शक्ति लिए
सम्मानजनक स्थिति पाऊं।

मन के गम दूर करें

August 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन के गम दूर करें
आओ दो बात करें,
जो हैं दिल टूटे हुए,
उनमें उत्साह भरें।
किसी की चाह रखें,
न कभी डाह रखें,
कठिन हो वक्त भले
न कभी आह भरें।
मजे भरपूर करें,
गमों को दूर करें,
जिन्दगी चार पल की
पल की परवाह करें।
खुद से गलती हो अगर
खुद ही महसूस करें,
हित करें, कर सकें तो,
अहित कभी न करें।
मन के गम दूर करें
आओ दो बात करें,
जो हैं दिल टूटे हुए,
उनमें उत्साह भरें।

आवरण की आभा

August 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

लट के श्याम उलझे
केशों की वो चमक अब,
नैनों की नीलिमा अब
होंठों की लालिमा अब,
पतली सी वो कमर अब
बाली सी वो उमर अब
तोते सी नासिका अब
पाने की लालसा अब,
मेरी कलम के विषयों से
दूर हो रही है,
यह आवरण की आभा पे
मौन हो रही है।

कविता तेरे साथ खड़ी

August 3, 2020 in मुक्तक

चिंता त्याग प्रसन्नचित रह
कविता तेरे साथ खड़ी,
पूरी साथ न भी दे पाए
तो भी ताकत बनी खड़ी।

राखी ऑनलाइन

August 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जीवन की आपाधापी में
त्यौहार सांकेतिक हो गए,
जबसे कोरोना आया है
तब से ऑनलाइन हो गए।
प्यार ऑनलाइन हो गया
मुलाकात ऑनलाइन हो गई,
राखी ऑनलाइन
कलाई ऑनलाइन हो गई
बस जज्बात ऑफ लाइन रह गए।

आज तो राखी है भाई

August 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दिल खोल कर त्यौहार मनाओ
दिल खोल कर प्यार दे दो
राखी में बहन आई होगी
दिल खोलकर उपहार दे दो।1।
रोज-रोज ठगता है
आज तो कंजूसी छोड़
आज तो राखी है भाई
आज तो गुल्लक तोड़।2।

यह पावन पर्व मुबारक हो,

August 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भाई -बहन का प्यार भरा
यह पावन पर्व मुबारक हो,
खुशियों से भरा, जज्बात भरा,
यह पावन पर्व मुबारक हो।
सदा सम्मान रहे रिश्तों में
प्रेम भरा ही भाव रहे,
कैसी भी कोई स्थिति हो
नहीं कभी मनमुटाव रहे।
यह पावन धागा रिश्ते की
मजबूती का द्योतक़ बनकर
लाया है खुशियां रंगबिरंगी
सज रहा कलाई में बंधकर।
भाई -बहन का प्यार भरा
यह पावन पर्व मुबारक हो,
खुशियों से भरा, जज्बात भरा,
यह पावन पर्व मुबारक हो।

प्रेम की राखी भेज रही है

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह जो रोग फैला है
यह मानवता के लिए
भारी संकट है,
जूझ रही है मानव जाति
इस कठिनाई से,
डॉक्टर, नर्स, फार्मेसिस्ट
और लैब टैक्नीशियन
जुटे हैं पूरी सिद्दत से
पीड़ितों की सेवा में,
वे भी हकदार हैं राखी के,
रक्षा कर रहे हैं जीवन की
उन्हें भी
यह मानव जाति
रक्षाबंधन पर
अपने दिल की भावनाओं से
प्रेम की राखी भेज रही है .
सलामी भेज रही है,

बधाई

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पूर्वसंध्या पर रक्षाबंदन की
आप सभी को बहुत बधाई,
बहनें सजाएंगी कल
अपने भैया की मधुर कलाई।
रेशमी धागे से बनी
रंग बिरंगी राखी सजेगी,
पूड़ी पकवान मिष्ठान
बर्फी चॉकलेट और रसमलाई।
पूर्वसंध्या पर रक्षाबंदन की
आप सभी को बहुत बधाई,

पुकार रहा है

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पुकार रहा है
जरूरतमंद तुम्हें
आओ मदद करो मेरी,
बेरोजगारी का समय है,
कोविड के कारण
छिन गया है रोजगार,
शहर में कमाता था दो चार
वो बंद हो गया
गाँव लौट आया,
यहाँ भी तो छोड़ा हुआ घर
टूट गया था,
जैसे तैसे छत जोड़कर
दिन काट रहा हूँ बरसात के।
मदद करो जरूरतमंद की
पुकार रहा है
जरूरतमंद तुम्हें।

दिल की अदालत में

August 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूँ ना उड़ाओ मेरी नींद
मैं रिपोर्ट लिखा दूंगी,
दिल की अदालत में।
ज़माना कुछ भी कहे
अपना बनाकर
सजा दिला दूंगी,
दिल की अदालत में।

चोर सा नींद मेरी चुरा ले गया

August 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चोर सा नींद मेरी चुरा ले गया
आँख थक सी गयी दिल व्यथित हो गया,
किस तरफ को गया कुछ पता ना चला
जिंदगी की भरी भीड़ में खो गया।

नींद तो बेवफा है

August 2, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उलझन भरी जिंदगी में
नींद के लिए समय ही कहाँ है
जब समय होता है
नींद आती ही कहाँ है।
नींद भी जरुरी है
इंसान के लिए
पर इंसान जरुरी कहाँ है
नींद के लिए।
नींद तो बेवफा है जो
उलझन के समय
साथ छोड़ देती है,
हम पलटते रह जाते हैं
वो मुंह मोड़ देती है,

नींद

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिसके आ जाने पर कुछ भी
पता नहीं चल पाता है
क्या घटित हुआ संसार में
कुछ पता नहीं चल पाता है,
जिसके आ जाने पर तुम हम
न डर न भयभीत रहते हैं
उस मदहोशी के क्षण को ही
नींद कहा करते हैं।

नींद

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिसके आ जाने पर कुछ भी
पता नहीं चल पाता है
क्या घटित हुआ संसार में
कुछ पता नहीं चल पाता है,
जिसके आ जाने पर तुम हम
न डर न भयभीत रहते हैं
उस मदहोशी के क्षण को ही
नींद कहा करते हैं।

गुड़िया रानी

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

उठ मेरी छोटी सी गुड़िया
सुबह हो गई उठ जा अब
बाहर सूरज चमक रहा है
सुबह हो गई उठ जा अब।
अपनी सुन्दर बाल लीलाओं
से महका गुड़िया रानी
अभी बोलना सीख न पाई
करने लग जा शैतानी।
दिन-दिन बढ़ते चले जा रहे
छठा माह आया लगने,
आज हमारी गुड़िया रानी
पलट रही खुद के कहने।

राखी पर

August 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमने तो बहन आज मुझे
पहना दी सुन्दर सी राखी,
प्यारी सी कोमल सी राखी
यह प्रेम रंग रंगती राखी।
यह राखी है अनमोल सूत्र
जो जोड़ रहा विश्वास अटल
कोई उपहार नहीं ऐसा
जो दे पाऊं इस राखी पर।

कल ही आ जाना बहना तू

August 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कल ही आ जाना बहना तू
परसों तो रक्षाबंधन है,
कुछ देर बैठकर बचपन की
यादों को ताज़ा कर लेंगे।
तू भी अपने में व्यस्त हो गई
हमको भी फुर्सत न रही
अब कल ही आ जाना बहना,
परसों तो रक्षाबंधन है।

दिशा

August 1, 2020 in मुक्तक

दिशा तुम्हारे कदमों की
कविता पहचाना करती है,
तभी यदा-कदा लिखने को
प्रेरित कवि को करती है।

अलग सी शायरी

August 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मित्र दिल के सैनिकों की
जब खड़ी होंगी कतारें
उन कतारों में विभूषित
आप सेनापति रहें।

आपसे हम दूर रहकर

August 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जिन्दगी में मुश्किलें हैं,
और भी तो अड़चनें हैं,
आपसे हम दूर रहकर
क्या हमेशा खुश रहे हैं।

दोस्ती

August 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू दोस्ती करेगा
पर एक शर्त मेरी,
जब भी मैं हार बैठूँ
तू साथ ही रहेगा।
आ दोस्त आ गले मिल
तेरे बिना मैं सूना,
तेरा है दर्द मेरा
चिंता न कर मैं हूँ ना।

बेटियाँ

August 1, 2020 in मुक्तक

दुत्कार में सत्कार देती बेटियाँ
दूसरों के हित मे जीतीं बेटियाँ,
बेटियाँ में ही रमा संसार है
बेटियों से ही बना संसार है।

मैं अपनी राह बदल लूंगा

August 1, 2020 in मुक्तक

मेरा सब कुछ ले ले तू
बस अपना स्नेह मुझे दे दे
दो बात प्रेम के बोल मुझे
मैं इसी बात का भूखा हूँ,
तेरे सुन्दर बोलों पर
मैं अपनी राह बदल लूंगा,
सारी बातों में मिट्टी डाल
नव सृजन को अपना लूंगा।

दुःख-दर्द दूर हो मानव का

August 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चल मेरे प्यारे साथी
अब असली कविता करते हैं।
दुःख-दर्द दूर हो मानव का
ऐसी कवितायें करते हैं।

हरियाली

August 1, 2020 in मुक्तक

बरसात आ रही है
फिर धूप आ रही है
फिर बरसात
फिर धूप,
बारी – बारी से आ रही है,
दोनों से ही तत्व हासिल कर
धरती हरियाली उगा पा रही है।

करते कब हो मुझसे प्यार।

August 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खूब प्यार बरसाते बादल
से सीखो तुम तुम भी मनुहार
खाली-मूली बोल रहे हो
करते कब हो मुझसे प्यार।

एक नई शुरूआत करें

August 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वाह, झमाझम बारिश देखो
सुन्दर सावन बरस रहा,
तन भीगा मन भीगा मेरा
तेरा मन क्यों तरस रहा,
आ जा पास प्रियतम मेरे,
एक नई शुरूआत करें,
आज मिटा लें अपनी दूरी
एक नई शुरूआत करें।
— डॉ0 सतीश पाण्डेय

घमंड इंसान को गिरा देता है

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

घमंड इंसान को गिरा देता है,
अहंकार मौलिकता को चुरा लेता है,
जो समझता है मैं ही इस जंगल का शेर हूँ
उस शेर को सवा शेर हरा देता है।
शेरों का सा संघर्ष
इंसान की फितरत नहीं है दोस्तों
आपके पास न तीखे नाख़ून हैं
न नुकीले दाड़ हैं,
बस कलम की ताकत है
उसे नुकीला बनाओ, समाज की उन्नति के लिए।
दूसरे की अवनति के लिए नहीं।
क्योंकि प्रकृति में भी लोकतंत्र है,
यहाँ हर कोई हमेशा राजा नहीं रहता है,
सच कभी किसी को
और कभी किसी को हरा देता है।
घमंड इंसान को गिरा देता है,
अहंकार मौलिकता को चुरा लेता है।
——– डॉ. सतीश पांडेय

किसी को मत गिराया करो

July 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

किसी को मत गिराया करो
लंगड़ी देकर,
किसी को मत रोका करो
टंगड़ी दे कर।
दुनिया में तो कैसे कैसे पहलवान हैं,
कमजोर को
मत डराया करो
धमकी देकर।

शायरी

July 31, 2020 in मुक्तक

मंजिल तक पहुँचने में
कठिनाइयां न आएं तो मजा नहीं आता,
कोई बेवजह दर्द दे तो सहा नहीं जाता।

करते रहो संघर्ष तुम

July 31, 2020 in मुक्तक

करते रहो संघर्ष तुम
संघर्ष से ही पा सकोगे,
बस संघर्ष झगडे सा नहीं
बल्कि
मेहनत से आगे बढ़ने का हो,
कुछ अच्छा करने का हो।

मेरे भारत की शान निराली

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे भारत की शान निराली,
सुंदरता के क्या कहने
देखो कश्मीर, हिमालय के
ऊँचे – ऊँचे निर्मल पर्वत,
सुंदरता से हैं भरे हुए
भारत माँ के हैं गहने ।
कश्मीर स्वर्ग धरती का है,
औ पर्वतराज हिमालय है,
भारत की रक्षा की दिवार
वह पर्वतराज हिमालय है,
पंजाब व हरियाणा की धरती
गेंहूं पैदा करती है,
उत्तराखंड की देवभूमि
सीमा के रक्षक जनती है,
यूपी – बिहार के बुद्धिमान
भारत की शान कहाते हैं,
दिल्ली दिल की धड़कन है,
गुजरात दूध प्याला है
राजस्थान के किले मनोहर
पूर्वोत्तर भारत की बांह,
मध्य देश की छटा निराली
मुंबई है भारत की जान,
बंगाली चावल की खुशबु
आंध्रा, गोआ के सुंदर तट
तमिलनाडु की कला मनोहर
उड़ीसा की है पुरी सुहानी,
केरल की मलयालम भाषा
सुंदरता के क्या कहने
मेरे भारत की शान निराली
सुंदरता के क्या कहने।
——— डॉ. सतीश पांडेय

कविता कहना छोड़ा क्यों ?

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ !! प्रियतम मेरे
तू ही बता,
मेरा मन इतना
विचलित क्यों ?
मैं सच के पथ से
विचलित क्यों ?
जो दर्द उठाता कल तक
आवाज उठाता था कल तक
वह दर्द उठाना छोड़ा क्यों ?
कविता कहना छोड़ा क्यों ?
संसार की बातों में आकर
क्यों उल्टी-पुल्टी सोच रखी
इन आँखों में पर्दा रख कर
तेरी अच्छाई भूला क्यों ??
ओ !! प्रियतम मेरे
तू ही बता,
मैं सच के पथ से
विचलित क्यों ?
——- डॉ. सतीश पांडेय

मत समझना कि नादान कवि हूँ

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मत समझना कि नादान कवि हूँ
बहकी बहकी सी कविता कहूंगा
जिस तरफ बह रही हो हवा
धूल सा उस दिशा को बहूँगा।
राज दरबार का कवि नहीं हूँ
आम जनता बातें कहूंगा
सो न जाए कहीं राज सत्ता,
उस पे कुम्मर सा चुभता रहूंगा।
कोई तारीफ़ झूठी नहीं ,
कोई चुपड़ी सी बातें नहीं,
जो दिखेगा मुझे सच वही
अपनी कविता में कहता रहूंगा।
मत समझना कि नादान कवि हूँ
बहकी बहकी सी कविता कहूंगा
जिस तरफ बह रही हो हवा
धूल सा उस दिशा को बहूँगा।
—— डॉ. सतीश पांडेय
शब्दार्थ –
कुम्मर – यह कुमाउनी का शब्द है जिसका अर्थ घास में मिलने वाला काँटा है। घास काटने वाले के कपड़ों से सरक कर भीतर चला जाता है और यदा कदा चुभता रहता है .

रक्षाबंधन आया है

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहन बुला लो घर में
रक्षाबंधन आया है,
पुआ बना लो घर में
रक्षाबंधन आया है।
रंग-बिरंगे रेशम धागे
सजी कलाई भाई की
मुंह मीठा करवालो
रक्षाबंधन आया है।

वीर सिपाही

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कौन कहता है कि मेरे
सगे भाई नहीं हैं
इसलिए राखी पर रोऊँगी।
वे लाखों वीर सिपाही
मेरे ही तो भाई हैं
जो भारत मां की रक्षा को
निडर खड़े हैं सीमा पर,
उनको मैं राखी भेजूंगी,
असली रक्षक तो वे ही हैं।
उनको ही राखी भेजूंगी।

राखी

July 31, 2020 in मुक्तक

मैंने राखी भेजी है
राखी पर अपने भैया को
भैया इस बार पहन लेना
पिछली बार की तरह इसे
साइड पर को
मत रख देना
थोड़ी सी देर पहन लेना।

ओ डाकिये

July 31, 2020 in मुक्तक

ओ डाकिये!!
मेरी राखी पहुंचा देना
राखी तक उन तक
जो देश की रक्षा करने को
सीमा में डटे हुए हैं।

जब बंधे कलाई पर राखी

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

केवल धागे की रीत न हो
असली का रक्षाबंधन हो
जब बंधे कलाई पर राखी
सच्ची रक्षा संकल्पित हो।
पावन धागा जब बहन
बांधती है भाई के हाथों में,
रक्षा की जिम्मेदारी
आ जाती है उन हाथों में।
जिम्मेदारी केवल पैसे
गिफ्ट आदि तक नहीं रही,
जिम्मेदारी हर सुख-दुख में
साथ निभाएं बोल रही।
याद रखो प्यारी भगनी को
कष्ट मिटाओ भगनी का
रक्षाबंधन यही सिखाता
साथ निभाओ भगनी का ।
—— डॉ0 सतीश पाण्डेय

आँसू

July 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज पुष्प सुगंध फैला जा
कल मंदिर में चढ़ना है
अरे तुझे इस बाग़ में अपनी
छाप छोड़कर जाना है,
ताकि विदाई के मौके पर
अन्तस् से निकले आंसू
रोक न पाए खोटी कविता
धरा भिगो देवें आँसू।

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