जीवन का दर्पण है कविता

September 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई साधारण चीज नहीं
ईश्वर की वाणी है कविता,
मन के भीतर उग रहे भाव का
मधुर प्रकटन है कविता।
दूजे का दर्द, स्वयं का मन
जीवन के सुख-दुख का लेखन,
कुछ अपनी और पराई कुछ
जीवन का दर्पण है कविता।
चाहत की आंख मिचोली है
प्रेमी जोड़ों की हमजोली है,
मिलने का सुख, जाने का दुख
पल-पल का वर्णन है कविता।
उनके मन का मनुहार कहो,
अपनों में रमता प्यार कहो
ममता कहो, दुलार कहो
कहने का माध्यम है कविता।
– —- डॉ0 सतीश पाण्डेय

अब हमारे तेवर

September 15, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अब हमारे तेवर
कम हो गए हैं,
क्योंकि अब तुम्हारे
हम हो गए हैं।
अब कहाँ समय
जो कि बेकार घूमें
तुम्हारी मुहब्बत में
हम खो गए हैं।

आप इस जिन्दगी को

September 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आफ़ताब का उजाला औऱ
शीतलता हो शशि की
आप इस जिन्दगी को
बड़ी सौगात रब की।
आप गर जिन्दगी में
न होते तो कहें क्या
कहानी ही न होती
बिखर जाती ये कब की।

दया भाव रखो

September 14, 2020 in मुक्तक

अपनी आंखों में
दया भाव रखो
मदद करो गरीबों की
उनकी सेवा में खपो।
मिलेगा सुख स्वयं के भीतर से
कभी हरि नाम जपो,
मदद में लगो।

अज़ल से हमारे हो

September 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज से नहीं तुम
अज़ल से हमारे हो,
गैहान जब से
बना होगा तब से,
दिल मे हमारे हो
गजल में हमारे हो।

अज़ल – अनादिकाल
गैहान – सृष्टि

पहचान लेंगे

September 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किंकणी न बाँधिये
पैरों में अपने,
बिना खन-खनाहट के
पहचान लेंगे।
कभी आजमा के
देख लीजियेगा,
तुन्हें बन्द आंखों से
पहचान लेंगे।

आज नजदीक से देखा उनको

September 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज नजदीक से देखा उनको
तब से मन में बदल गया सब कुछ,
हम तो कुछ और ही सोचे थे मगर
उनमें कुछ और ही मिला।
हम तो समझे थे वे बड़े वो हैं
मगर नजदीक से देखी सूरत,
वे तो हैं नेह की खिलती मूरत
उनमें सब कुछ सरल ही मिला।

मित्रपद विराजित हो

September 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

श्रीदरूप हो तुम,
मित्रपद विराजित हो
बस सदा ही खिलते रहो
मण्डली में शोभित हो।
श्रोतव्य है मीठी वाणी तुम्हारी
बिंदास चेहरे की मुस्कान न्यारी।
सदोदित रहें सारी खुशियाँ तुम्हारी,
सुस्मित रहे मन, दुख सब विलोपित हों।
संविग्न मत होना, संशय न रखना,
मित्रता निभाएंगे लोभ-मद रहित हो।

हिंदी दिवस आओ मनाएं

September 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिंदी दिवस आओ मनाएं
औऱ लें संकल्प यह,
मातृभाषा को सदा सम्मान, प्यार देंगे।
बन जाएं कितने ही बड़े
लेकिन रखेंगे ध्यान यह
मातृभाषा को नई पहचान देंगे, प्यार देंगे।
हर बात में हिंदी रहे, राजकाज में हिंदी रहे
आपसी बोलचाल में हिंदी रहे, हिंदी रहे।
हिंदी दिवस आओ मनाएं
आज लें संकल्प यह,
मातृभाषा को सदा सम्मान, प्यार देंगे।

आब-ए-चश्म

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आब-ए-चश्म रातों में न आओ आँख में
रात सोने दो, जरा आराम करने दो,
सुबह को फिर वही,
उनकी जुदाई याद कर के हम,
बुला लेंगे तुम्हें, लेकिन अभी आराम करने दो।
आब-ए-चश्म – आँसू

तुम अफ़सना सुना दो

September 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तुम अफ़सना सुना दो
छोटी सी कोई मुझको
जिससे मैं मीठे-मीठे
सपनों की नींद सोऊँ।

पूरी रात भर उडगन

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोचता है मन
कि पूरी रात भर उडगन,
समय कैसे बिताते हैं
अपने घौंसलों मे रह।
न मोबाइल न टीवी है
न खाना बनाना है,
साँझ होते ही
दुबक कर बैठ जाना है।
जो पा लिया दिनभर
उसे ही खा लिया दिनभर,
आठ-दस घंटे
न खाना न पीना है।
बड़ी अद्भुत कहानी है
बड़ा विस्मय है मन मे यह
कि प्रकृति का कैसा
बनाया ताना-बाना है।

तुझे क्यों दर्द होता है, जरा सा आह से मेरी

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुझे क्यों दर्द होता है, जरा सा आह से मेरी
मुहब्बत गर नहीं है तो बता क्या बात है तेरी।
बता पाये न मुँह से तो, इशारों में ही समझा दे
मदद लेकर तू औरों की, मुझे संदेश पहुंचा दे।
समझ मन यह नहीं पाता कि चाहत है या यूं ही है
मगर जो नेह दिखता है, बता क्या बात है तेरी।
नहीं दीदार होने पर मचल जाता है क्यों यह दिल
कभी तेरा कभी मेरा बता क्या बात है तेरी।
तुझे क्यों दर्द होता है, जरा सा आह से मेरी
मुहब्बत गर नहीं है तो बता क्या बात है तेरी।

गम तो तिल भर भी उसे छू न सके

September 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी

गम तो तिल भर भी उसे छू न सके
ए खुदाया तू मेहरबान हो जा,
मित्र है वह मेरा निराला सा
उसके चेहरे का इब्तिसाम हो जा।

गफलत में कहीं खो न दें हम

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गफलत में कहीं खो न दें हम
दोस्ती उनकी,
ए खुदा ऐसा न हो
इतनी सी है गुजारिश।
मौसम समझ न आया
थोड़ी हवा है चंचल
बाहर है धूप निकली
भीतर लगी है बारिश।

जफ़ा मत कर

September 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जफ़ा मत कर, वफ़ा कर ले
झियाँ मत बन, मुहब्ब्त कर
सभी धोखा नहीं देते
मुहब्बत से कभी मत डर।

तबस्सुम से तुम्हारी हम

September 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तबस्सुम से तुम्हारी हम
सभी गम भूल जाते हैं,
आईन्दा दूर मत जाना
जुदाई सह न पाते हैं।

जान लो खुद भाव को

September 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यह न समझो हम बहुत दिल के बुरे हैं
बस जरा अनदेखियों से बुझ गए हैं,
लक्ष्य के थे पास लेकिन गिर गए थे
फिर उसे पाने में पूरे खप गये हैं।
इसलिए थोड़ा समय कम दे रहे हैं आपको
आप दिल के हो करीबी
जान लो खुद भाव को।

यदि कभी तुम प्यार की

September 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यदि कभी तुम प्यार की
बिल्डिंग बनाओ तो मुझे
अस्ल पर रख देना तब
इत्माम पाओगे।
क्योंकि मैं ही हूँ वो जो
अधिकारिणी हूँ प्यार की
त्याग कर मुझको कई
इल्जाम पाओगे।

खलिश जितनी भी है

September 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खलिश जितनी भी है
सारी उड़ेलूं सोचता है मन,
मगर प्रसन्नता की राह तो
यह भी नहीं पक्की।
चलो छोड़ो भी जाने दो
न आये नींद आंखों में
मगर कुछ चैन पाने को
जरूरी है जरा झपकी।

जो भी लिखता हूँ कविता

September 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो भी लिखता हूँ कविता
आप इश्रत ही समझना,
न मुझसे, न खुद से
बस खुदा से तिश्रगी रखना।
जब कभी मित्र बनकर
बैठना चाहोगे तो मैं भी
बिठाउँगा खुशी से आपको
दिल के बियाँबा में।

चुभ रहा हूँ दोस्तो

September 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

टूट कर चारों तरफ बिखरा हुआ हूँ दोस्तो।
काँच सा तीखा, दिलों में, चुभ रहा हूँ दोस्तो।
फर्क इतना है कि मैं टूटा नहीं हूं खुद ब खुद।
मार कर पत्थर बड़े, रौंधा गया हूँ दोस्तो।

तुम्हारे अंजुमन में

September 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हारे अंजुमन में जब कभी
दो शब्द बोलूंगा,
हिला दूँगा मैं भीतर तक
सामने सत्य ला दूँगा।
नहीं चिंता मुझे है अब
कि मैं बदनाम होऊँगा
कर दिया खत्म सब तुमने
कहाँ अब नाम पाऊँगा।

नारी हो या खुशियां सारी हो

September 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कितनी जाजिब हो तुम
कितना मीठा कहती हो,
सबको खुश रखने को
सब कुछ खुद पर सहती हो।
परिवार बनाने वाली हो
प्यार लुटाने वाली हो
खुद तो सब कुछ हो मेरा
मुझको सब कुछ कहती हो।
जब से तुम आई जीवन में
तब से खुशहाली आई,
बाहर-भीतर घर-आंगन में
रौनक ही रौनक भर आई।
जन्नत बना दिया तुमने
अफसुर्दा आंगन को मेरे,
गुलशन महक उठा खिलकर
दसों दिशाओं में मेरे।
नारी हो या खुशियां सारी हो
जो जीवन में भर आई हैं,
तुम हो साथ तब ही मैंने
मंजिल की राहें पाई हैं।

एक सी बात कहां

September 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमारी और उनकी
एक सी बात कहां,
वो हैं सच के पुजारी
झूठ की बोरियां हम।
रात सोती है दुनियां
जागते खामखां हम
दिल्लगी कर न पाए
बन गए बेवफा हम।
शक उठा आज मन में
हमारे प्रति उनके
तड़पते रह गए हम
याद में रोज जिनके।

आज वे इस तरह से मुस्काये

September 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज वे इस तरह से मुस्काये
कि उलझे रह गए हम मुस्कुराहट में
जो असली बात थी कहनी
उसे कह नहीं पाए।

भले ही हथकड़ी डालो

September 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

प्यार करता हूँ कविता से
भले ही हथकड़ी डालो,
लिखूंगा स्वेद से अपने
गलफहमी नहीं पालो।

मुहब्ब्त ने हमें

September 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मुहब्ब्त ने हमें इस कदर
आसिम बना के छोड़ा है,
हर कोई मारकर पत्थर
अजाब देता है।

किसी अदीब को हम

September 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

किसी अदीब को हम
हस्तरेखाएं दिखाकर
पूछना चाहेंगे, क्यों की
प्यार ने यूँ बेवफाई।

दादा जी के साथ बिताए पल

September 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिटिया रानी बाज़ार गयी
छोटा सा सामान लेने को,
लौटी तो लगी उदास सी कुछ
पूछा तो हो गई रोने को।
दादी माँ ने पुचकारा फिर
बोलो गुड़िया क्या हुआ तुम्हें,
कहीं किसी ने कुछ बोला क्या
क्यों लगी उदासी आज तुम्हें।
गुड़िया बोली दादी अम्मा
मैंने देखा एक नजारा,
दो बच्चे थे मेरी वय के
साथ में उनके दादा जी थे।
बच्चे अपने दादा जी से
यह ले दो, वह ले दो की जिद
किये जा रहे थे,
दादा जी लिए जा रहे थे सब चीजें।
पांच बरस पहले की बातें
मेरे मन में भी उग आई
जब मैं अपने दादा जी का
हाथ पकड़ बाज़ार गई थी।
कितनी खुशियां हाथ में थी तब
सपने जैसा लगता है अब
दादा जी चल दिये स्वर्ग को,
छह महीने होने को हैं अब।
दादा जी के साथ बिताए
पल मेरी यादों में आये
इसीलिये उनके दादा को
देख मेरे आंसू भर आये।

पीड़ महसूस हो दूसरे की

September 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब तलक राह में आपके
गम की छाया न हो तब तलक,
आप महसूस कैसे करोगे
स्वाद इसका है बिल्कुल अलग।
जब तलक कोई ठोकर तुम्हें
गिराती नहीं भूमि पर,
तब तलक किस तरह इल्म होगा
अश्फाक भी है जरूरी।
पीड़ महसूस हो दूसरे की
आवश्यक है सभी के लिए
आदमियत की आजिम बढ़ाकर
सुर्ख करती सदा के लिए।

दुःखी क्यों होते हो मित्र

September 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुःखी क्यों होते हो मित्र
मैं बढ़ रहा हूँ,
तुम भाग्य से पा चुके हो
में संघर्ष से पा रहा हूँ।
तुम कहते हो तो रुक जाता हूँ
गुमनाम हो जाता हूँ,
तुम्हारे या तुम्हारे अपनों के लिए
अपने कदमों को यहीं पर
विराम दे जाता हूँ।

शायद किया बेचैन तूने

September 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज क्यों एकांत में
याद तेरी आ रही है,
क्यों हुआ बेचैन यह मन
क्यों उदासी छा रही है।
शायद किया बेचैन तूने
इसलिए ही मैं व्यथित हूँ
पर करूँ क्या प्रिय मेरे
तुझ से थोड़ा दूर जो हूँ।

तुमने रुला दिया मन

September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमने रुला दिया मन
जाने की बात कहकर,
क्यों बोलते हो ऐसा
कह दो ना आज खुलकर।
अब तो हमारे मन में
स्थान बन चुके हो,
छोड़ा ना बीती बातें
बैठो ना अपने बनकर।

थकना नहीं है राही

September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब तक तेरे कदम तल
मंजिल शिखर न चूमें
थकना नहीं है राही
चलते ही रहना तब तक।
टकरा ले पर्वतों से
तू शक्तिपुंज बनकर,
अपनी जगह बना ले
अपनी भुजा के बल पर।

इन्सान हूँ इंसान समझो

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस तरह क्यों भेद का
तुम भाव रखते हो, बताओ,
मैं तुम्हारी ही तरह
इन्सान हूँ इंसान समझो।
मुफलिसी है श्राप मुझ पर
बस यही है एक खामी,
अन्यथा सब कुछ है तुम सा
एक सा पीते हैं पानी।
जाति मानव जाति है
धर्म मानव धर्म है
एक सा आना व जाना
फिर कहाँ पर फर्क है।
यह विषमता का जहर अब
फेंक दो इन्सान तुम
सब बराबर हैं, करो मत
भेदगत अपमान तुम।

बेरोजगारी पर नया करो कुछ

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नातियाँ धरातल तक पहुंचें
बेरोजगारी पर नया करो कुछ
यह सबसे प्रमुख मुद्दा है
इस मुद्दे पर किया करो कुछ।
देखो ! देश के नौजवान
कैसे सड़कों पर भटक रहे हैं,
रोजगार का संकट सिर पर
डिप्रेशन के निकट खड़े हैं।
जिम्मेदारी लेनी होगी
आज देश की सत्ता तुझको
ऐसी कोई नीति बनाकर
पीड़ मिटानी होगी तुझको।

अपने घर और दिल को साफ करें

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुबह सुबह में चलो साफ करें
अपने घर और दिल को साफ करें,
सोहती फेर लें, पोछा लगा के साफ करें
अर्श से फर्श तक न दाग रहें।
यदि कहीं लूतिका ने
जाल बुन के छोड़ा हो,
या चरित्र धूल में सना हुआ हो,
देख कर जांच कर के तबियत से
अपने घर और दिल को साफ करें।
सुबह सुबह में चलो साफ करें
अपने घर और दिल को साफ करें,
सोहती फेर लें, पोछा लगा के साफ करें
अर्श से फर्श तक न दाग रहें।

तुम्हारी एक हंसी

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हारी एक हंसी
सारे गम भुलाती है,
इस तरह हँसते रहो
और खिलखिलाते रहो।
गीत खुशियों के गुनगुनाते रहो
जिंदगी को हंसीं बनाते रहो।
बात ही बात में ढूँढो खुशियां,
पलों को भोग, मुस्कुराते रहो।

निराशा में हमेशा हौसला

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिया जब भी दिखाता हूँ मैं
तुम सूरज दिखाती हो,
निराशा में हमेशा हौसला
मुझमें जगाती हो।
बताओ ना कि इतना क्यों
मुझे सम्मान देती हो,
स्वयं की हर ख़ुशी को क्यों भला
मुझ पर लुटाती हो।

मुस्कुराओ अन्यथा हम रुष्ठ हैं

September 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मारकर फूल मत समझो
कि हम संतुष्ट हैं।
मुस्कुराओ अन्यथा हम रुष्ठ हैं।
क्या करें मासूमियत से आपकी,
ये चिढ़ाते नैन क्या कम दुष्ट हैं।

आईना

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखता हूँ मैं जब भी आईना
महसूस करता हूँ,
कमी खुद मुझ में है
तुझको यूँ ही बदनाम करता हूँ।

मिटा देना मसल कर तू

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिटा देना मसल कर तू
मेरी हस्ती को जूते से,
चींटी हूँ नन्हीं सी
क्या पता डंक मारूंगी।
मेरे जीने का हक बस तू
इसी चिन्ता में खा लेना
कि चींटी हूँ जरा सी
क्या पता कल डंक मारूंगी

जब कहोगे तब चले जायेंगे

September 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बिन बुलाये मेहमान हैं हम
जब कहोगे तब चले जायेंगे।
घर आपका है,
हम खुद का समझ बैठे थे,
आपको अपना समझ बैठे थे।

कड़वे बोल सुन सुन कर

September 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कड़वे बोल सुन सुन कर,
तेरे, मैं हो गया पागल।
है ऐसा क्या कि तब भी,
मैं तेरा सम्मान करता हूँ।

कैसे बैठे हुए हो यौवन

September 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

यूँ रास्तों में कैसे
बैठे हुए हो यौवन
क्यों बाजुओं में माथा
टेके हुए हो यौवन।
क्या कोई ऐसा गम है
या कोई ऐसी पीड़ा,
जिसकी तपिश से इतने
मुरझा गए हो यौवन।
यह बात सुनी तो
उसने उठाई आंखें,
पल भर मुझे निहारा
देखी सभी दिशाएं।
चुपचाप सिर झुकाया
आंसू लगा बहाने
मैं मौन हो खड़ा था
सब कुछ समझ रहा था।
कहने लगा सुनो तुम,
यौवन बता रहा है
निस्सार है ये जीवन
हार है ये जीवन।
बचपन में आस थी कुछ
सपने सजे थे अपने,
सम्पूर्ण यत्न करके
जीवन संवार लेंगे।
जलता चिराग लेकर,
मंजिल को खूब खोजा
फिर नही मिला न हमको
पाथेय इस सफर का।
जीवन जलधि है आगे
दुर्लंघ्य है कठिन है
विश्रांत से पड़े हैं
बस धूल फांकते है।
तुमने व्यथित समझ कर
उपकार ही किया है,
वरना ज़मीं पे कौन है
हम पर हंसा न हो जो।
यौवन का राग सुनकर
छाती उमड़ सी आई,
कोसा जमाना हमने
मन में सवाल आये,
जिस देश का युवा यूँ
सड़कों की धूल फांकें
उस देश की कमर कल
कैसे खड़ी रहेगी।

उत्साह हो सजा हुआ

September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिस राह पर कदम बढ़ें
बिंदास भाव से बढ़ें
उत्साह हो सजा हुआ
थकें न पग चले चलें।
न देखना इधर उधर
नजर रहे मुकाम पर,
सदा बुलंद हौसला
चले चलें सुकाम पर।

नैन में अब भी घुमड़ते मेघ हैं

September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कौन कहता है कि बारिश थम गई
नैन में अब भी घुमड़ते मेघ हैं,
रो रहा आकाश शायद अब नहीं
यूँ तड़पती बून्द परिचय दे रही।
जिंदगी सुनसान सड़कों सी बनी
लालसाएँ ढेर सारी शेष हैं।
और कुछ हो या न हो इतना तो है
बस इरादे आज भी सब नेक हैं।

प्रेम बांटों प्रेम पाओ

September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रेम ऐसा शब्द है
जो दिलों को जोड़ता है,
प्रेम के पथ का पथिक
सच्ची खुशी को भोगता है।
प्रेम नफरत से बड़ा है,
जिन्दगी का सार है यह,
प्रेम बांटों प्रेम पाओ
वेद का आधार है यह।
प्रेम का हो वास जिस पथ
वो स्वयं रोशन है पथ ,
प्रेम के राही कभी
पाते नहीं हैं कुपथ।

खुदकुशी मत कर मनुज

September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

संसार मे दुख-सुख
लगे रहते हैं
मत घबरा मनुज।
जिंदगी से प्यार
खुदकुशी मत कर मनुज।
गम मिले जिस राह पर
उस राह को तू त्याग दे,
आस मत रख दूसरे से
जी स्वयं के वास्ते।
कोई दे गर ठेस तुझको
छोड़ दे उसका चमन
पर न कर तू घात अपना
ठोस कर ले अपना मन।

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