
राही अंजाना
पलकें
July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी
मेरी आँखों की पलकों पर तेरी यादें बसती हैं,
इस डर से इनको झपकाने से डरता हूँ मैं।।
राही (अंजाना)
पलकें
July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी
मेरी आँखों की पलकों पर तेरी यादें बसती हैं,
इस डर से इनको झपकाने से डरता हूँ मैं।।
राही (अंजाना)
बहाना
July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
उसको समझना बड़ा मुश्किल होने लगा,
कोई भी बहाना न उस पर चलने लगा,
छोटी से न जाने कब बड़ी हुई मेरी बेटी,
के अब चिंता में ये बाप हर दम डरने लगा।।
राही (अंजाना)
तिनका
July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक तिनका भी उड़ा जाती है,
जब हवा मूड बना जाती है,
मिलती नहीं जब खबर यार की,
तब उसकी तबियत बता जाती है,
राही (अंजाना)
ज्ञान
July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसको जैसे समझ आये समझाना पड़ता है,
एक शिक्षक को बड़ा दिमाग लगाना पड़ता है,
बहुत शरारत करते हैं जब,
बच्चे मन के सच्चे हैं जब,
गुरु ज्ञान की महिमा को फिर सबको दिखलाना पड़ता है।।
राही (अंजाना)
किताब
July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी
कितना भी पढ़ लूँ मगर भूल ही जाता हूँ,
तेरे चेहरा मुझे किसी किताब से कम नहीं लगता।।
राही (अंजाना)
किताब
July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी
कितना भी पढ़ लूँ मगर भूल ही जाता हूँ,
तेरे चेहरा मुझे किसी किताब से कम नहीं लगता।।
राही (अंजाना)
बारिश
July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
बारिश की चन्द बूंदों ने मेरा घर ढूंढ ही लिया,
भिगाया मुझे और मेरे एहसासों को चूम ही लिया,
सूखा पड़ा था मेरे आँगन का जो कोना कभी,
आज मेरे दिल संग मन का आँचल छू ही लिया।
राही (अंजाना)
गुफ्तगू
July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
गुफ्तगू बन्द न हो,
बात से बात चले,
मै तेरे साथ चलूँ,
तू मेरे साथ चले,
तुझे देखूं तो दिल जले,
न देखूं तो ये जान जले,
काश तेरे संग मेरे जीवन की,
सुख दुःख की हर शाम ढले।।
राही (अंजाना)

हकीकत
July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
जो आँखों से बयाँ होते हैं,
वो लफ़्ज़ों में कहाँ होते हैं,
गुफ्तगू ख़्वाबों में करने वाले,
सुना हकीकत में जवाँ होते हैं,
मोहब्बत का काजल लगाने वाले,
सच कहूँ रौशनी की ज़ुबा होते हैं॥
राही (अंजाना)
जीवन
July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
गुफ्तगू बन्द न हो,
बात से बात चले,
मै तेरे साथ चलूँ,
तू मेरे साथ चले,
तुझे देखूं तो दिल जले,
न देखूं तो ये जान जले,
काश तेरे संग मेरे जीवन की,
सुख दुःख की हर शाम ढले।।
राही (अंजाना)

किसान
July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
दाने दाने को तरसे क्यों जो बीज यहाँ पर बोए,
अपने ही बच्चों की खातिर क्यों वो भूखा सोए,
अपनी मेहनत का वो क्यों न उचित मूल्य पिरोये,
सपनों में रंग भरने को वो क्यों अपने जीवन को खोए।।
राही (अंजाना)

न तन पर कपड़े न पैरों में चप्पल का होश होता है
July 28, 2018 in मुक्तक
न तन पर कपड़े न पैरों में चप्पल का होश होता है,
ये बचपन बस अपने आप में मदहोश होता है,
इच्छाओं की दूर तलक कोई चादर नहीं होती,
बस माँ के आँचल में सिमटा हुआ स्वरूप् होता है।।
– राही (अंजाना)
महबूबा
July 28, 2018 in शेर-ओ-शायरी
मैं कुछ कहता नहीं वो सब जान लेती है,
सच महबूबा नहीं है कोई वो माँ है मेरी।।
राही (अंजाना)
दिल
July 28, 2018 in शेर-ओ-शायरी
ख्वाबों का क्या है हर रोज़ बदल जाते हैं,
दिलों में रहते हैं जो वो चेहरे नहीं बदलते।।
Rahi
वक्त
July 28, 2018 in शेर-ओ-शायरी
अभी जा रहे हो फिर लौट कर आना,
जब तुम नहि होते तो वक्त कटता नहीं मेरा।।
राही
राज़
July 27, 2018 in शेर-ओ-शायरी
ये मेरे ख्वाब हकीकत में तब्दील हो जायें,
गर दिल के राज़ मेरे तेरी आँखों की तदबीर हो जायें।।
राही (अंजाना)
गुरु
July 27, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
गुरु ज्ञान भण्डार समेटे, कभी न अपनी आँखे मींचे,
शिक्षा के दीपक प्रकाश से हर जन के जीवन को सींचे,
गुरु न देखे जाति धर्म, न मन में कोई संशय कीजे,
गुप्प अँधेरे में भी दृढ सन्कल्प में उसका हर क्षण बीते।।
राही (अंजाना)
पहरा
July 27, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
सोंच का समन्दर और भी गहरा होता गया,
मैं जितना लोगों से मिला उतना बहरा होता गया,
भूल गया उठना ख़्वाबों के घने अँधेरे से एक दिन,
मैं जब जागा तो दूर तलक रौशनी का पहरा होता गया,
अंजाने सफर पर मन्ज़िल की तलाश में निकला था जो ‘राही’,
आज सबसे अंजाना मगर जाना पहचाना उसका चेहरा होता गया।।
राही (अंजाना)

दादी माँ
July 26, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
दादी पोते के बीच का रिश्ता बहुत अजीब देखा है,
किस्से कहानियों का भी रूप मैने सजीव देखा है,
सफेद बाल मुलायम खाल का स्पर्श सच्ची याद है मुझे,
बिन दाँतों वाली दादी को मैने भी अपने करीब देखा है।।
राही (अंजाना)
सहारे
July 25, 2018 in शेर-ओ-शायरी
समन्दर के कभी दो किनारे नहीं मिलते,
हमसे तो आकर ही हमारे नहीं मिलते,
बात ये है के विचारधारायें भिन्न हैं,
तभी तो ढूढे से किसी को सहारे नहीं मिलते।।
राही (अंजाना)
भूल गया
July 25, 2018 in शेर-ओ-शायरी
तुझको इतना याद किया,
मैं खुद को ही भूल गया,
तेरे ख्वाबो में सोया था,
के मैं उठना ही भूल गया।।
राही (अंजाना)
भूल
July 25, 2018 in शेर-ओ-शायरी
बहुत कुछ भूलने लगा हूँ मैं,
एक तुझमें ही घूमने लगा हूँ मैं।।
राही (अंजाना)
तस्वीर
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
नींदों के साथ ख्वाब भी ले गई,
वो मेरे हाथ में अपनी तस्वीर दे गई।।
राही (अंजाना)
टुकड़े
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
टूट कर जुड़ता नहीं एक टुकड़ा भी जहाँ,
मैंने खुद बैठकर जोड़े हैं दिल के टुकड़े अपने।।
राही (अंजाना)
बचपन
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
बचपन के सारे खिलौने बेच दूँ,
तेरे एक इशारे पे मैं खुद को बेच दूँ।।
राही (अंजाना)
रंगीन
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
रंगहीन ज़िन्दगी को रंगीन बना दिया,
जिस पल तूने मुझे अपना चेहरा दिखा दिया।
राही (अंजाना)
पतंग
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
आसमान में कटते ही लूट ली जाती थी,
अब उड़ती हुई कहीं वो पतंग नहीं दिखती।।
राही (अंजाना)
ख़्वाब
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
रिश्तों के मन्ज़र चुप चाप देखने पड़े,
कई बार मुझे अपने ही ख्वाब तोड़ने पड़े।।
राही (अंजाना)
घड़ी
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
बांध कर हाथ में घड़ी दो घड़ी न पकड़ सका,
हर पल रेत सा सरकता रहा पल पल वक्त मेरा।।
राही (अंजाना)

ज़िन्दगी
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
बचा कर चन्द सामान ले जाने की जद्दोजहद में,
देखो कैसे जिंदगी को अपनी कोई डुबा बैठा है।।
राही
बिगड़ा
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
किसी के कहने से सुधर जाऊं मैं,
अभी इतना भी बिगड़ा नहीं हूँ मैं।।
राही (अंजाना)
लम्हा
July 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी
कदम छोटे छोटे रखकर रक़ीब आ गया,
एक लम्हा मेरे इतने भी करीब आ गया।।
राही (अंजाना)

आंसू
July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
आँखों की दहलीज लांग आया हूँ,
आज मैं सबसे रूबरू हो आया हूँ,
झूठ ये है के एक बून्द पानी हूँ मैं,
सच ये के मै आँसू कहलाया आया हूँ,
राही (अंजाना)
अन्धेरा
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
अँधेरे के पार चलके देखना होगा,
रौशनी का अब न इन्तज़ार देखना होगा।
राही (अंजाना)
सहारा
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
तू ही सहारा तू ही किनारा बन गया,
जिस पल से तू बस हमारा बन गया।
राही (अंजाना)
व्यवहार
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
व्यवहार चेहरे से झलक जाने लगे,
हम एक दूजे के करीब आने लगे।।
राही (अंजाना)
तस्वीर
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
जब कोई मिला ही नहीं मुझे कुछ कहने के लिए,
तब खामोश तस्वीरों को मैने अपना मित्र बना लिया।।
राही (अंजाना)
गुलाब
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
मैं वो गुलाब हूँ जो अपनी ही खुशबू भूल गया,
जिस पल से तेरे बदन की खुशबू सूंघ ली मैने।।
राही (अंजाना)
गुलाब
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
मैं वो गुलाब ही जो अपनी ही खुशबू भूल गया,
जस पल से तेरे बदन की खुशबू सूंघ ली मैने।।
राही (अंजाना)
नशा
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
किसी बोतल का नशा चढ़ा ही नहीं मुझपर,
तेरे इश्क के समन्दर में गोते मारने के बाद।।
राही (अंजाना)
चलते चलते
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
चलते चलते थक रहा हूँ मैं,
शायद अंदर से जल रहा हूँ मैं।।
राही (अंजाना)
शर्म
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
शर्म के पर्दे अक्सर उठ जाया करते हैं,
मोहब्बत में जब दो लोग करीब आते हैं।।
राही (अंजाना)

कुर्सी
July 23, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
किसी उम्र किसी रूप का,
किसी रंग किसी ढंग का,
किसी जाती किसी धर्म का,
किसी भी कैसे भी वक्त का,
ये कुर्सी है जो परहेज नहीं करती,
राही (अंजाना)
इल्म
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
तेरी बेवफाई का ज़रा इल्म भी हो जाता,
तो राही तेरे प्यार में दीवाना न हो जाता।।
राही (अंजाना)
चर्चा
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
तुम्हारा इस कदर चर्चा हुआ,
के मेरा घर रहा महका हुआ।
राही (अंजाना)

फर्क
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
फर्क सिर्फ अल्फ़ाज़ों का रह जाया करता है,
दर्द ऐ मोहब्बत में जब वक्त कोई ज़ाया करता है।।
राही (अंजाना)
हुनर
July 23, 2018 in शेर-ओ-शायरी
हार कर जीतने का हुनर सीख़ लिया,
मैने लहरों से सारा समन्दर खींच लिया।।
राही (अंजाना)
गिल्ली
July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
गिल्ली डंडे के खेल पुराने हो गए,
कंचे के काँच दिखे जमाने हो गए,
भरे रहता था आसमाँ जिन पतँगों से कभी,
अब ज़मी पर बच्चे भी निराले हो गए।।
राही (अंजाना)