लालच में न धंस
यूँ तो मानव सोचता है मैं सदा जीवित रहूँगा, सब चले जायेंगे लेकिन में यहां चिपका रहूँगा। पर समय का चक्र कोई रोक पाता है नहीं, कब है आना कब है जाना जान पाता है नहीं। इसलिए तू मोह के जंजाल में ज्यादा न फंस, जिंदगी जी ले खुशी से और लालच में न धंस। — डॉ सतीश पाण्डेय »