नारी तुम पर कविता लिखने को
नारी तुम पर कविता लिखने को वर्णांका असफल है मेरी तुम तो जीवन की जननी हो सब कुछ तो तुम ही हो मेरी। माँ बनकर…
नारी तुम पर कविता लिखने को वर्णांका असफल है मेरी तुम तो जीवन की जननी हो सब कुछ तो तुम ही हो मेरी। माँ बनकर…
जाग उठ जा, अब पथिक पूरा सवेरा हो गया है, देख ले खिड़की से बाहर सब अंधेरा खो गया है। क्या पता क्या थी कशमकश…
यह न समझो हम कभी रोये नहीं आसुंओं से चेहरा धोए नहीं। पी गए भीतर ही भीतर अश्रुजल बस दिखावे के लिए रोये नहीं।
ओढ़ लो छतरी भरी बरसात है, आंसुओं से भीग जाओगे कहीं। मेघ अब भी हैं घुमड़ते वक्ष पर इसलिए छतरी बिना आओ नहीं।
न बैठो दिल में मेरे इस तरह से आशा बन, कहीं न पा सकूं तो, दुःखी रहेगा मन। तुम्हारे साथ बिना रह नहीं सकता, तुम्हीं…
अंधेरी रात में आशा एक चिराग हो तुम, इस बियाबान में संगीत का एक राग हो तुम।
अवसाद और निराशा को मत आने देना अपने पास, खुशी खोजकर जीवन जी ले मत होना तू कभी उदास। छोटा सा यह जीवन का पथ…
जब से से देखा है उन्हें देखते रह गए हम, उनकी सूरत को नहीं उनके व्यवहार हो हम। वो सुलझी हुई बोली, हँसी का फुहार…
अब तक समझ नहीं पाया खुद को कि मैं प्यार का कवि हूँ या नफरत का। संयोग का कवि हूँ या वियोग का, उत्साह का…
तुम्हारी सादगी ही तुम्हारी खूबसूरती है, उस पर कुछ लिखना चाहता है मन लेकिन जब तुम सामने होते हो रुक जाती है कलम तुम पर…
ये गिले -शिकवे कहूं तो मित्रता में लाजमी हैं, प्यार कम होगा नहीं, जो कल दिखे थे आज भी हैं।
आपको सपने में देखा क्या गलत देखा बताओ, दूर हमसे से हो गए हो, स्वप्न ही तो बन गए हो।
आँखों में घुमड़ते बादल कुछ कुछ कम होने लगे हैं, रास्तों में काई बिछाकर विदाई के निशान छोड़ने लगे हैं। फिसलन बहुत अधिक है, चप्पल…
कविता कहाँ, मैं झूठ लिखता हूँ मुझे पहचान लो दूसरों पर चोट करता हूँ मुझे पहचान लो। जब कभी कोई कराहे दर्द से फुटपाथ पर,…
तोड़ दो पत्थर उठा कर कांच का दिल तुम हमारा ना रहेगा दिल न होगा दिल्लगी का भी सहारा।
सिद्ध अब यह हो गया है सब तरफ से हैं गलत हम, ठोकरें देते रहे हैं, दूसरों को हर बखत हम। भावनाएं खुद हमारी हैं…
जिन राहों पर चैन नहीं उन राहों पर चलना ही क्यों। जो बातें ठेस लगाती हों उन बातों को करना ही क्यों। अपने पथ पर…
फालतू की योजनाओं में पैसा मत बहाओ साहब, ये गूल चार वर्ष पहले बन चुकी थी कागजों में, अब असली में मत बनाओ साहब। पाइपलाइन…
या दहेज की मांग रखो या मेरी चाह रखो, दोनों में से एक चुनो धर्मपत्नी या सामान चुनो। सामान दहेज का कब तक खाओगे या…
भेदभाव की बातें छोड़ो भारत देश सजाओ ऐसे जिसमें सभी समान रूप से गुँथे हुए हों माला जैसे। जाति-धर्म के भेद हमारी एका को कमजोर…
बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू व सुर्ती छीन लेंगे तेरी सारी फुर्ती, छोड़ दे तू सहारा नशे का, इस नशे से बुरा भी न देखा।
जिसके थोड़े से दर्द को देखकर बेचैन हो उठता है यह मन वही तो हो तुम, मेरे प्रियतम। जिसके थोड़े से आँसू देखकर पसीना पसीना…
चल दिये क्यों फेर कर मुँह राह में हम भी खड़े थे, आपसे मिल लेंगे दो पल चाह में हम भी खड़े थे। मुस्कुराकर आपने…
मेरे भारत के युवक जाग आलस्य त्याग, उठ जाग जाग तेरी मंजिल कुछ पाना है, पाने तक चलते जाना है। सोने को तो रात बहुत…
चार दिन की जिंदगी है चैन से जीना है, बीड़ी-सिगरेट जहर हैं इन्हें नहीं पीना है।
ये न समझ कि रोड़ी फोड़ कर गुजारा करता हूँ तो ऐसा-वैसा ही हूँ , मैं भी इंसान हूँ, भीतर-बाहर ठीक तेरे जैसा ही हूँ।
हिम्मत न हार, जीत पा कदम बढ़ा, कदम बढ़ा मंजिलें स्वयं तेरे कदम पे लोट जायेंगी। राह है कठिन मगर तू हौसला भी कम न…
बरस रहा है भाद्रपद रिम-झिम बरसता जा रहा है इस मनोरम मास में गौरा-महेश्वर सज रहे हैं। इन पहाड़ों के शिखर शिवलिंग जैसे लग रहे…
निजी कामों के बीच हमारे हाथ से भी देश लिए कुछ योगदान हो जाये, मेरे भारत में अमन -चैन रहे, खुदा मेहरबान हो जाये।
कर्म अपने हाथ में है और बाकी कुछ नहीं, एक ईश्वर की है सत्ता और बाकी सच नहीं। जो मुझे यह दिख रहा है अपने…
कोपलें फूटी अनेकों पेड़ बन पाये नहीं, झाड़ियां उग आई मन में बेर लग पाये नहीं । स्वाद था मीठा सभी में जीभ में परतें…
बीती रात अंधेरे की अब नई रोशनी आई है, मेरी कलम मेरे आगे इक नया विधेयक लाई है। कहती है अपनी वाणी से ऐसी कविताएं…
प्रातः की सुंदर बेला में सबसे पहले ईश्वर को धन्यवाद करना है जिसने नया सवेरा दिखलाया । फिर माता व पिता के चरणों को छूकर…
हे नियंता! दैव! प्रकृति! मानव जाति विकट विपदा में है, चारों तरफ रोग फैला है, इससे निजात दिला। चीन के वुहान से निकल कर पूरी…
कुछ देर पहले तक बातें कर रहे थे वे, कुछ ही पल बाद, उखड़ गई सांसें। हल्की सी उल्टी, का बहाना था, गायब हो गई…
हे गणपति देव! चतुर्थी पर, प्रणाम आपके चरणों में, कृपा दृष्टि बनी रहे प्रणाम आपके चरणों में, मैं गिरा हुआ अज्ञानी हूँ, सच्ची राह मुझे…
छह मास हो गए पिताजी को गए, छठा मासिक श्राद्ध भी आज हो गया, दिन बीतते से जा रहे हैं, सब कुछ कहीं खो गया।…
खाली कविता नहीं करते हैं दर्द भी समझते हैं, दूसरों को दिया हुआ भी, दूसरों से लिया हुआ भी।
अपने दिल का हाल हमें न सुनाओ, हम तो मजाक बना देंगे, बेदर्द राही हैं हम तुम्हारे दर्द पर कविता बना देंगे।
हम तुम्हारी गली में कहां आ गए हम तो गुस्ताख़ हैं जो यहां आ गए, अब मुहोब्बत हुई है यहां से हमें जाने का मन…
खुद को उत्साह में रख न हो मन दुखी, तू बढ़े जा, बढ़े जा न हो मन दुखी। यह तो संसार है, इसमें संघर्ष है,…
रास्ते जलमग्न हैं हर तरफ बरसात है, दूसरे की छतरियों में भीगते जज्बात हैं
हम खूबसूरती को अलग पैमाने से आंकते हैं, वे चेहरा देखते हैं, हम दिल में झांकते हैं। 1। हजारों बार कान भरे फिर भी हमें…
मेहनत बेकार नहीं जाती है आज नहीं तो कल वह उग कर, नई कली बन मुस्काती है। आज सोचते हैं हम इतना करने पर भी…
अपनी कुटिल मुस्कान से तू मुस्कुरा मत आज हम पर (भाजी बनाने को), आलू जरूरी हैं जरा सा दाम कम कर।
मुस्कुरा मत इस तरह अंजान राही पर अधिक दर्ज होगा जब मुकदमा दण्ड पायेगा पथिक।
सुनहरी धूप है, चारों तरफ प्रकाश है, आज लगता कि बारिश ने लिया अवकाश है। यूँ तो बारिश के बिना इस जिन्दगी कल्पना कर नहीं…
मेरी छः महीने की गुड़िया आज लगी है स्वयं पलटने, हूँ, हाँ, करती, हाथ उठाती धीरे-धीरे लगी समझने। अगर गोद मे नहीं उठाओ तो लगती…
रोशनी आई अचानक बादलों ने घेर ली, दे गए खुद ही दिलासा आंख क्यों फिर फेर ली।
दूसरे को ठेस देने से पहले यह याद रखो चोट दिल पर लगेगी अहसास रखो चार दिन की जिंदगी में नफरत नहीं प्रेम पास रखो…
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